How can a child become fair and intelligent?

बच्चा गोरा और बुद्धिमान कैसे बने?(How can a child become fair and intelligent?)

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Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

परिचय: हर माता-पिता की इच्छा

हर मां और पिता के मन में यह प्रश्न होता है कि उनका बच्चा गोरा, बुद्धिमान, और स्वस्थ पैदा हो। कोई नहीं चाहता कि उनके घर में दिव्यांग, बीमार, या कमजोर बच्चा आए। पहले यह समझा जाता था कि यह भगवान की मर्जी है। परंतु, यह धारणा बदलने की ज़रूरत है। परमपिता परमात्मा ने स्पष्ट किया है कि हर आत्मा स्वयं अपने शरीर की रचयिता होती है।

भगवान की मर्जी या आत्मा का कर्म?

लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि बच्चे का रंग, बुद्धि, या स्वास्थ्य भगवान की देन है। लेकिन परमात्मा कहते हैं:

  • “मैं सभी आत्माओं को समान मानता हूं। मैं किसी को अंधा, मंद बुद्धि या विकलांग क्यों बनाऊंगा?”इस विचार ने हमारी समझ को गहराई दी।

फिर यह जिम्मेदारी मां पर डाली गई। माना गया कि मां के आहार और देखभाल से बच्चे के गुण निर्धारित होते हैं। परंतु, विज्ञान ने भी इसे खारिज किया।

उदाहरण:
मां को विभिन्न विटामिन और पोषण देने के बावजूद, बच्चे का रंग और बुद्धि वैसी नहीं बनी जैसी अपेक्षा थी।

तो यह सवाल बना रहा: बच्चा कैसा होगा, यह किसके हाथ में है?

आत्मा का कर्मिक अकाउंट

परमात्मा ने समझाया कि बच्चा कैसे होगा, यह न तो भगवान की मर्जी है और न ही माता-पिता का निर्णय। यह हर आत्मा के अपने कर्मों और संस्कारों का परिणाम है।

आत्मा का रोल:

  • माता-पिता केवल भ्रूण (शरीर का प्रारंभिक रूप) तैयार करते हैं।
  • आत्मा पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार अपने शरीर का निर्माण करती है।
  • आत्मा गर्भ में प्रवेश करते ही भ्रूण को जीवन प्रदान करती है।

उदाहरण:
एक बीज की तरह, आत्मा वह चुनती है जो उसे अपने शरीर की रचना के लिए चाहिए। जैसे आम का बीज धरती से मीठा फल बनाने के लिए तत्व चुनता है, और नीम का बीज कड़वे फल के लिए।

माता-पिता का योगदान

माता-पिता का मुख्य योगदान यह है:

  1. भ्रूण का निर्माण: माता-पिता पांच तत्वों से भ्रूण तैयार करने में मदद करते हैं।
  2. परिस्थिति तैयार करना: माता-पिता उस धरती की तरह हैं, जो बीज (आत्मा) को बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण देती है। परंतु:
  • बीज (आत्मा) की अपनी विशेषता होती है।
  • आत्मा अपने कर्मों के अनुसार तय करती है कि शरीर का रंग, बुद्धि, और स्वास्थ्य कैसा होगा।

उदाहरण:
अगर माता-पिता की परवरिश में कोई कमी है, लेकिन आत्मा के संस्कार मजबूत हैं, तो बच्चा बुद्धिमान और स्वस्थ होगा।

गर्भ में आत्मा का प्रवेश

परमात्मा ने समझाया है कि आत्मा भ्रूण में गर्भधारण के 2-3 महीने बाद प्रवेश करती है।

  • आत्मा के प्रवेश से पहले भ्रूण सिर्फ मिट्टी का ढेर होता है।
  • आत्मा के प्रवेश के बाद भ्रूण में चेतना आती है और विकास शुरू होता है।

मां को भी पहली बार तब एहसास होता है जब भ्रूण में हरकत होती है। यह आत्मा के प्रवेश का संकेत है।

आत्मा का निर्णय: शरीर की रचना कैसे होती है?

आत्मा अपने कर्मिक अकाउंट के अनुसार तय करती है कि:

  • उसका रंग कैसा होगा।
  • वह बुद्धिमान होगा या मंद बुद्धि।
  • उसका शरीर स्वस्थ होगा या दिव्यांग।

यह निर्णय आत्मा के पूर्व जन्मों के कर्मों पर आधारित होता है। माता-पिता केवल निमित्त बनते हैं।

उदाहरण:
एक खेत में दो बीज बोए जाते हैं। एक से आम का पेड़ बनता है और दूसरे से नीम का। दोनों को समान पानी और खाद मिलने के बावजूद, उनके फल अलग होते हैं।

क्या माता-पिता का प्रयास व्यर्थ है?

माता-पिता का प्रयास व्यर्थ नहीं है। वे बच्चे को पोषण, सुरक्षा और संस्कार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

परंतु यह याद रखें:

  • आत्मा अपने हिस्से के कर्मों का लेखा-जोखा खुद संभालती है।
  • माता-पिता का कर्तव्य है कि वे वातावरण को शुद्ध और पवित्र रखें ताकि आत्मा अपने सर्वोत्तम स्वरूप को पा सके।

निष्कर्ष: हर आत्मा अपने शरीर की निर्माता है

अब यह स्पष्ट है कि:

  • बच्चा गोरा या बुद्धिमान कैसे बनेगा, यह माता-पिता के हाथ में नहीं है।
  • यह हर आत्मा के कर्मों का परिणाम है।

मुख्य संदेश:माता-पिता अपने कर्तव्य निभाएं, परंतु इस सत्य को स्वीकार करें कि आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अपना शरीर बनाती है। जीवन को समझने और इस चक्र से बाहर निकलने के लिए, परमात्मा के ज्ञान को अपनाएं और उसे गहराई से समझें।

यदि इस विषय पर और जानकारी चाहिए, तो अपने नज़दीकी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेवा केंद्र पर संपर्क करें।

प्रश्नोत्तरी: बच्चा गोरा और बुद्धिमान कैसे बने?

1. बच्चा गोरा और बुद्धिमान क्यों बनाना चाहते हैं?

उत्तर:हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा गोरा, स्वस्थ और बुद्धिमान हो। यह उनकी स्वाभाविक इच्छा होती है। कोई भी नहीं चाहता कि उनका बच्चा कमजोर, बीमार, या दिव्यांग पैदा हो।

2. क्या बच्चा भगवान की मर्जी से वैसा बनता है?

उत्तर:नहीं। परमात्मा ने स्पष्ट किया है कि हर आत्मा अपने शरीर की रचना खुद करती है। भगवान के लिए सभी आत्माएं समान हैं, और वे किसी को अंधा, मंद बुद्धि, या विकलांग नहीं बनाते।

3. माता-पिता का बच्चा बनने में क्या योगदान होता है?

उत्तर:माता-पिता भ्रूण तैयार करते हैं और बच्चे के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। लेकिन बच्चे का रंग, बुद्धि, और स्वास्थ्य आत्मा के कर्मों और संस्कारों पर निर्भर करता है।

4. आत्मा का गर्भ में प्रवेश कब होता है?

उत्तर:गर्भधारण के 2-3 महीने बाद आत्मा भ्रूण में प्रवेश करती है। इसके बाद भ्रूण में चेतना आती है और विकास शुरू होता है।

5. बच्चा गोरा या बुद्धिमान कैसे बनता है?

उत्तर:बच्चा अपने पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर तय करता है कि उसका शरीर कैसा होगा। आत्मा अपने कर्मिक अकाउंट के अनुसार शरीर का रंग, स्वास्थ्य और बुद्धि तय करती है।

6. क्या माता-पिता बच्चे के गुण बदल सकते हैं?

उत्तर:माता-पिता सीधे बच्चे के गुण नहीं बदल सकते, लेकिन वे बच्चे के लिए अच्छा पोषण, संस्कार, और पवित्र वातावरण प्रदान कर सकते हैं।

7. आत्मा अपने शरीर की रचना कैसे करती है?

उत्तर:आत्मा एक बीज की तरह है, जो अपने कर्मों के अनुसार तय करती है कि उसे किस प्रकार का शरीर बनाना है। माता-पिता केवल एक माध्यम हैं।

8. परमात्मा का क्या संदेश है?

उत्तर:परमात्मा का संदेश है कि हर आत्मा अपने शरीर की निर्माता है। माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चे के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाएं, लेकिन परिणाम आत्मा के कर्मों पर निर्भर है।

9. क्या माता-पिता का प्रयास व्यर्थ है?

उत्तर:नहीं। माता-पिता का प्रयास बच्चे को पोषण, सुरक्षा और संस्कार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

10. जीवन को समझने के लिए क्या करें?

उत्तर:जीवन को समझने और आत्मा के कर्मिक चक्र से बाहर निकलने के लिए परमात्मा के ज्ञान को अपनाएं और उसे गहराई से समझें।

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