(39)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने कीआवश्यकता – 03
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
गीता का भगवान कौन है? श्रीकृष्ण या परमात्मा शिव? | तीसरा अध्याय कर्मयोग का रहस्य |
गीता के ज्ञान को समझने की आवश्यकता
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गीता का भगवान कौन है — यह आज का मुख्य प्रश्न है।
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गीता केवल ऐतिहासिक ग्रंथ नहीं, एक आध्यात्मिक उद्घोषणा है।
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हम हर अध्याय को एक-एक करके समझने का प्रयास कर रहे हैं।
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आज हमारे सामने है तीसरा अध्याय – कर्म योग।
गीता क्या है? इतिहास नहीं, राजयोग ज्ञान
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यह केवल श्रीकृष्ण और अर्जुन का युद्ध-पूर्व संवाद नहीं है।
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यह परमात्मा द्वारा आत्माओं को दिया गया राजयोग ज्ञान है।
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जिसे ब्रह्मा के मुख से उद्घोषित किया गया।
मुख्य प्रश्न: क्या गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया?
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क्या श्रीकृष्ण वास्तव में गीता का भगवान हैं?
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या कोई अलौकिक, निराकार सत्ता बोल रही थी?
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यही रहस्य मुरली के माध्यम से स्पष्ट होता है।
अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग – दुख की मन:स्थिति
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श्लोक: “अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथम अध्यायः”
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यह अध्याय अर्जुन के मोह और शोक की अवस्था दिखाता है।
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लेकिन जो जवाब दे रहा है, वह निराकार परमात्मा है।
मुरली महावाक्य (18 जनवरी 2025):
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है,
लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूं।
मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर ज्ञान देता हूं।”
अध्याय 2: सांख्य योग – आत्मा और शरीर का भेद
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श्लोक: “सांख्ययोगो नाम द्वितीयोऽध्यायः”
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आत्मा न मरती है, न जन्म लेती है – यह ज्ञान यहां बताया गया।
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यह केवल अविनाशी परमात्मा शिव ही बता सकते हैं।
मुरली से मिलान:
“बच्चे, आत्मा अविनाशी है।
शरीर बदलता है, आत्मा जन्म-जन्मांतर का हिसाब-किताब लेकर आती है।”
अध्याय 3: कर्म योग – कर्म करते हुए योग
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श्लोक: “कर्मयोगो नाम तृतीयोऽध्यायः”
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आत्मा को कर्म करते हुए भी परमात्मा से जोड़ने की शिक्षा है।
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यही है सच्चा सहज राजयोग।
मुरली प्रमाण:
“बच्चे, कर्म करते हुए बुद्धियोग मुझ बाप से लगाओ।
मेरी श्रीमत के अनुसार कर्म करो। यही है सहज राजयोग।”
निष्कर्ष: गीता के अध्यायों का सार
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हर अध्याय आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की प्रक्रिया समझाता है।
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गीता का सच्चा भगवान श्रीकृष्ण नहीं, बल्कि परमपिता शिव हैं।
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यह ज्ञान ब्रह्मा के तन द्वारा दिया जाता है — यही ब्रह्माकुमारी मुरली का मूल है।
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गीता वास्तव में है परमात्मा की सच्ची वाणी,
जो हमें आत्मा की पहचान, कर्म सिद्धांत, और परमधाम की याद दिलाती है।
प्रश्न 1:
गीता को समझने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि गीता केवल एक ऐतिहासिक संवाद नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उद्घोषणा है। इसका ज्ञान आज भी आत्माओं को राजयोग सिखाने हेतु पुनः प्रकट हो रहा है।
गीता का मूल स्वरूप
प्रश्न 2:क्या गीता सिर्फ श्रीकृष्ण और अर्जुन का युद्ध-पूर्व संवाद है?
उत्तर:नहीं। यह परमात्मा शिव द्वारा आत्माओं को दिया गया राजयोग ज्ञान है, जिसे ब्रह्मा के मुख से उद्घोषित किया गया।
मुख्य प्रश्न
प्रश्न 3:क्या गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया था?
उत्तर:श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं, निराकार परमात्मा शिव ने दिया। मुरली में यह स्पष्ट है कि परमात्मा शिव ब्रह्मा तन में प्रवेश कर ज्ञान सुनाते हैं।
मुरली महावाक्य (18 जनवरी 2025):
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूं।”
पहला अध्याय: अर्जुन विषाद योग
प्रश्न 4:अर्जुन विषाद योग में क्या होता है?
उत्तर:यह अध्याय युद्ध से पहले अर्जुन की दुख, मोह व भ्रम की स्थिति दिखाता है। यहां अर्जुन शांति चाहता है, लेकिन मार्गदर्शन निराकार परमात्मा शिव देते हैं, न कि श्रीकृष्ण।
दूसरा अध्याय: सांख्य योग
प्रश्न 5:सांख्य योग में आत्मा और शरीर के बारे में क्या सिखाया गया है?
उत्तर:यहां बताया गया है कि आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है। यह ज्ञान केवल अविनाशी परमात्मा शिव ही दे सकते हैं।
मुरली मिलान:
“बच्चे, आत्मा अविनाशी है। शरीर बदलता है, आत्मा जन्म-जन्मांतर का हिसाब-किताब लेकर आती है।”
तीसरा अध्याय: कर्म योग
प्रश्न 6:कर्म योग क्या है और इसे कौन सिखाता है?
उत्तर:यह अध्याय सिखाता है कि कर्म करते हुए भी आत्मा परमात्मा से जुड़ी रह सकती है। यही सहज राजयोग है, जिसे परमात्मा शिव स्वयं सिखाते हैं।
मुरली प्रमाण:
“बच्चे, कर्म करते हुए बुद्धियोग मुझ बाप से लगाओ। मेरी श्रीमत के अनुसार कर्म करो — यही सहज राजयोग है।”
प्रश्न 7:गीता का सच्चा भगवान कौन है — श्रीकृष्ण या शिव?
उत्तर:गीता का सच्चा भगवान परमात्मा शिव है। उन्होंने यह ज्ञान ब्रह्मा के तन द्वारा दिया। श्रीकृष्ण तो स्वर्ग में जन्म लेने वाले पहले देवता हैं, परंतु ज्ञानदाता नहीं हैं।
Disclaimer:
यह वीडियो श्रीमद्भगवद्गीता के अध्यात्मिक रहस्यों को ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। इसमें व्यक्त विचार शास्त्रों के गूढ़ अर्थ को गहराई से समझाने का प्रयास हैं और इनका उद्देश्य किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना नहीं है।
यह ज्ञान ब्रह्मा के माध्यम से परमात्मा शिव द्वारा दिया गया मुरली ज्ञान है, जिसे आध्यात्मिक जागृति और आत्म-उन्नति के लिए साझा किया जा रहा है।
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