(41) World service begins

(41)विश्र्व सेवा की शुरूआत

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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विश्व सेवा की शुरुआत – जब भगवान ने अपने पहले स्वर्गदूतों को दुनिया में भेजा 🌍 | Inspirational BK Spiritual Speech


 ‘विश्व सेवा की शुरुआत’


 1. ईश्वर का अवतरण – एक नये युग की शुरुआत

जब दुनिया अज्ञान और अशांति के अंधकार में डूबी थी…
तब परमात्मा शिव बाबा – ज्ञान के सागर, शांति के सागर –
भारत में प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से अवतरित हुए।

वे राजा बनने नहीं… मंदिरों में पूजे जाने नहीं… बल्कि आत्माओं को जगाने आए थे।
उन्होंने मनुष्यों को उनकी भूली हुई पहचान दिलाई –
तुम यह शरीर नहीं, एक दिव्य आत्मा हो।


 2. परमात्मा की वाणी – पहला संदेश, पहला दिव्य निर्देश

हर दिन शिव बाबा ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते थे और
ज्ञान, योग और आत्म-जागृति की वाणी सुनाते थे।

“तुम मेरे बच्चे हो… और तुम्हें अपना खोया हुआ स्वर्ग पुनः पाना है।”

यह कोई साधारण संदेश नहीं था।
यह आवाज़ थी – शांत, दिव्य, शक्तिशाली – जो आत्मा को झकझोर देती थी।


 3. सेवा का उद्देश्य – पूरी दुनिया के लिए मिशन

शिव बाबा किसी विशेष धर्म, जाति, या देश के लिए नहीं आए थे।
वे सभी आत्माओं के पिता हैं – और सबके उद्धार के लिए आए हैं।

जब उनके पहले बच्चे, अर्थात् माताएँ और बहनें –
पर्याप्त योगबल और ज्ञान में शक्तिशाली बन गईं,
तब उन्हें भेजा गया – दुनिया में सेवा के लिए।


 4. माताओं और बहनों को आदेश – “अब समय है!”

एक दिन बाबा ने कहा:

“अब तुम शक्तिशाली बन गई हो।
घर लौट जाओ। अपने कर्तव्यों को निभाओ,
लेकिन अब तुम्हारी सेवा की शुरुआत हो चुकी है।
अपने आचरण से, अपने प्रकाश से – मुझे दुनिया में प्रकट करो।”

यहीं से शुरू हुई – विश्व सेवा।


 5. सेवा के छह पवित्र सिद्धांत – ईश्वर की आज्ञाएँ

बाबा ने विश्व सेवा पर भेजने से पहले कुछ दिव्य अनुशासन दिए –
जो आज भी हर सेवाधारी आत्मा के लिए शाश्वत मार्गदर्शक हैं।

 1. आत्म-चेतना में रहो

लोग तुम्हारे शरीर को न देखें – वे एक देवी, एक शक्ति को महसूस करें।

उदाहरण:
जब एक बहन कई वर्षों बाद घर लौटी,
उसके रिश्तेदार उसकी पुरानी छवि की उम्मीद कर रहे थे –
लेकिन उन्होंने देखा एक शांत, दिव्य, अलौकिक उपस्थिति… और मौन छा गया।

 2. शरीर-चेतन संबंधों से मुक्त रहो

बाबा ने कहा:

“तुम्हारे भीतर इतनी शक्ति हो कि कोई तुम्हें मोह में गले लगाने की भी हिम्मत न करे।”

 3. केवल शुद्ध भोजन करो

भोजन का कंपन आत्मा को प्रभावित करता है।
खाओ वही जो आत्मा को शक्ति दे।

 4. पैसे न लो

ईश्वर के बच्चे कभी किसी से कुछ नहीं मांगते।
स्वाभिमान से जीते हैं, भिक्षा से नहीं।

 5. अपने जीवन से ईश्वर को प्रकट करो

शब्दों से नहीं – अपने आचरण, अनुशासन और पवित्रता से सेवा करो।

 6. सेवा करते समय गहन स्मृति में रहो

जब आप गहरे योग में होकर बोलते हो –
तो लोग आपकी आवाज़ नहीं, ईश्वर की उपस्थिति को अनुभव करते हैं।

उदाहरण:
एक युवा भाई ने गाँव में सहजता से बोला –
लेकिन इतने योगबल के साथ कि श्रोता भावविभोर हो गए।


 6. सेवा की लहर – एक दिव्य आंदोलन की शुरुआत

बस कुछ माताओं और बहनों के कदमों से –
एक आध्यात्मिक लहर उठी, जो घर-घर, गाँव-गाँव, देश-दर-देश फैलती गई।

 आज वही सेवा 100 से ज़्यादा देशों में,
हज़ारों केंद्रों में, सैकड़ों भाषाओं में हो रही है।


 7. आप भी एक दूत हो – यह संदेश आपके लिए है!

क्या आपने कभी आत्मा में कोई आवाज़ सुनी है?

“तुम साधारण नहीं हो…
तुम्हारे जीवन का उद्देश्य है – दुनिया की सेवा करना।”

 आप भी एक दिव्य दूत हो।
 एक संदेशवाहक आत्मा हो।
 इस अंधकार में एक रोशनी हो।

अब समय है।
दुनिया को आपकी ज़रूरत है।

Q1: ईश्वर पृथ्वी पर क्यों अवतरित हुए थे?
A:ईश्वर (शिव बाबा) पृथ्वी पर राजा बनने, मंदिर बनवाने या किसी धर्म की स्थापना के लिए नहीं आए थे,
बल्कि सोई हुई आत्माओं को जगाने और उन्हें उनकी दिव्य विरासत दिलाने के लिए अवतरित हुए थे।

Q2: ईश्वर ने किस माध्यम से मानवता से संवाद किया?
A:शिव बाबा परमधाम से आकर प्रजापिता ब्रह्मा के शरीर में प्रवेश करते थे और उन्हीं के मुख से “मुरली” रूपी ईश्वरीय ज्ञान सुनाते थे।

Q3: ईश्वर का संदेश सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए था या पूरी दुनिया के लिए?
A:शिव बाबा का संदेश हर आत्मा के लिए है—चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, देश या भाषा की हो।
वे सभी आत्माओं के पिता हैं और हर आत्मा को उनकी दिव्य विरासत मिलनी चाहिए।

Q4: विश्व सेवा की शुरुआत कैसे हुई?
A:जब शिव बाबा ने देखा कि कुछ आत्माएं शक्तिशाली बन गई हैं, तो उन्होंने उन्हें अपने-अपने घरों में वापस भेजा,
ताकि वे अपनी दिव्यता से अपने परिवार, समाज और फिर सारी दुनिया की सेवा करें।

Q5: विश्व सेवा शुरू करने से पहले शिव बाबा ने किन 6 सिद्धांतों का पालन करने को कहा?
A:

  1. आत्म-चेतना में रहना

  2. शारीरिक आसक्ति से मुक्त रहना

  3. केवल शुद्ध भोजन करना

  4. दूसरों से पैसे न लेना

  5. अपने जीवन के माध्यम से ईश्वर को प्रकट करना

  6. ज्ञान देते समय गहन स्मृति में रहना


Q6: “दान घर से शुरू होता है” — इसका क्या अर्थ है?
A:ईश्वर ने सेवकों को पहले अपने ही घरों में सेवा करने के लिए भेजा—जहाँ कभी विरोध हुआ था।
क्योंकि सच्ची सेवा वहीं से शुरू होती है जहाँ परिवर्तन सबसे कठिन होता है।

Q7: क्या सेवा केवल भाषण देना है?
A:नहीं, सच्ची सेवा तब होती है जब शब्दों के साथ-साथ स्मृति और आत्मा की शक्ति हो।
जब आप स्मृति में रहकर बोलते हैं, तब आपके शब्दों में ईश्वर की उपस्थिति महसूस होती है।

Q8: यह सेवा अभियान कहाँ तक पहुँचा है?
A:आज यह सेवा 100 से ज़्यादा देशों में, हज़ारों सेवा केंद्रों में, सैकड़ों भाषाओं में चल रही है।
जो कार्य कुछ माताओं और बहनों से शुरू हुआ था, वह अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।

Q9: क्या यह संदेश सिर्फ़ सेवकों के लिए है?
A:नहीं, यह हर आत्मा के लिए है। अगर आप यह महसूस करते हैं कि आप साधारण नहीं हैं…
कि आप भी एक दिव्य उद्देश्य के लिए आए हैं—तो यह संदेश आपके लिए है।

Q10: हम इस सेवा में कैसे योगदान कर सकते हैं?
A:

  1. अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाएं।

  2. अपने जीवन से ईश्वर को प्रकट करें।

  3. इस दिव्य संदेश को अपने परिवार, मित्रों और दुनिया के साथ साझा करें।


💫 अंतिम संदेश:आप सिर्फ़ शरीर नहीं हैं… आप आत्मा हैं। आप एक दूत हैं।
इस अंधेरे समय में, आप वह प्रकाश हैं जिसकी दुनिया को सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

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