(41)The need to understand the knowledge of Gita properly – 05

(41)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने की आवश्यकता – 05

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“गीता का सच्चा वक्ता कौन? श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव हैं ज्ञानदाता | अध्याय 5 – संन्यासयोग | 


 गीता — केवल धर्मग्रंथ नहीं, परमात्मा का जीवित संवाद


1. भूमिका – क्या है गीता का वास्तविक स्वरूप?

गीता को आज एक धार्मिक ग्रंथ माना जाता है, परंतु इसका मूल स्वरूप है — आत्मा और परमात्मा के बीच का संवाद।
परमात्मा, अर्जुन रूपी आत्मा से बात करते हैं, न कि कोई मनुष्य श्रीकृष्ण।

  • यह संवाद उस समय होता है जब कलियुग का अज्ञान अंधकार व्याप्त हो जाता है।

  • और तब परमपिता परमात्मा स्वयं आते हैं, किसी मनुष्य तन में प्रवेश करके।


 2. क्या श्रीकृष्ण दे सकते हैं गीता का ज्ञान?

साकार मुरली – 18 जनवरी 2025:

“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर के तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”

स्पष्टीकरण:

  • श्रीकृष्ण सतोप्रधान, संपूर्ण 16 कला वाले देवता हैं।

  • ज्ञान तो तब दिया जाता है जब अज्ञान हो, पतित अवस्था हो।

  • सत्ययुग में तो कोई ज्ञान देने की ज़रूरत ही नहीं होती।

इसलिए ज्ञानदाता है परमात्मा शिव, जो संगमयुग पर ब्रह्मा द्वारा ज्ञान सुनाते हैं।


 3. गीता के अध्यायों की झलक – क्या यह शास्त्र नहीं, एक संवाद है?

अध्याय संख्या अध्याय नाम अध्याय समाप्त होने की रेखा
1 अर्जुनविषादयोग …अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः॥
2 सांख्ययोग …सांख्ययोगो नाम द्वितीयोऽध्यायः॥
3 कर्मयोग …कर्मयोगो नाम तृतीयोऽध्यायः॥
4 ज्ञानकर्मसंन्यासयोग …ज्ञानकर्मसंन्यासयोगो नाम चतुर्थोऽध्यायः॥
5 संन्यासयोग …संन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः॥

हर अध्याय के अंत में स्पष्ट लिखा है — यह एक “योग” है, “संवाद” है। कोई कथा नहीं, कोई कहानी नहीं।


 4. “संन्यासयोग” – अध्याय 5 का सार क्या कहता है?

इस अध्याय में कहा गया है कि

  • सच्चा संन्यास है कर्म करते हुए अकर्तापन में स्थित होना।

  • सांसारिक कर्मों से भागना नहीं, बल्कि आसक्ति से मुक्त रहना ही योग है।

 यह वही ज्ञान है जो परमात्मा मुरली के माध्यम से सिखाते हैं:
मुरली – 22 जून 2025:

“बच्चे, कर्म करते रहो लेकिन आसक्ति छोड़ो। यही सच्चा योग है – संन्यास नहीं, संयम है।”


 5. ब्रह्मा द्वारा शिवबाबा का ज्ञान – पुनः गीता का प्रकट रूप

  • जब परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर के ज्ञान सुनाते हैं,
    तो वह ही है — “गीता का पुनः जीवंत रूप”

  • यह “मुरली” है, जिसमें आत्मा को उसका स्वरूप, कर्म, और परमात्मा से योग की विधि सिखाई जाती है।

अव्यक्त मुरली – 21 जुलाई 2025:

“बच्चे, यह मुरली ही गीता का जीवंत रूप है। मैं ब्रह्मा के मुख से सुनाता हूँ, जिससे तुम अर्जुन जैसे वीर बनते हो।”


निष्कर्ष: गीता का ज्ञानदाता कौन है?

  • श्रीकृष्ण = देवता

  • गीता ज्ञान = संगमयुग पर परमात्मा शिव द्वारा दिया गया

  • ब्रह्मा = माध्यम

  • मुरली = पुनः प्रकट गीता
     इसलिए ब्रह्माकुमारियों में जो मुरली रोज सुनाई जाती है,
    वही है — “परमात्मा का पुनः प्रत्यक्ष संवाद।”

प्रश्नोत्तर रूपी भाषण:

गीता – केवल ग्रंथ नहीं, परमात्मा का पुनः प्रत्यक्ष संवाद


प्रश्न 1: गीता का असली स्वरूप क्या है?

उत्तर:गीता कोई पौराणिक कथा या धर्म-ग्रंथ मात्र नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के बीच का संवाद है। यह संवाद तब होता है जब अज्ञान अंधकार छाया हो – अर्थात संगमयुग। उस समय परमात्मा शिव, ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके अर्जुन रूपी आत्माओं से यह ज्ञान-संवाद करते हैं।


प्रश्न 2: क्या श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया?

उत्तर:नहीं। श्रीकृष्ण सतोप्रधान, संपूर्ण 16 कला वाले देवता हैं। ज्ञान तो तब दिया जाता है जब अज्ञान हो।
साकार मुरली – 18 जनवरी 2025:
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर के तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”


प्रश्न 3: अध्याय 5 ‘संन्यासयोग’ में क्या बताया गया है?

उत्तर:संन्यास का मतलब है – कर्मों से भागना नहीं, बल्कि कर्म करते हुए भी आसक्ति से मुक्त रहना।
यह सही योग है, जो गीता में भी बताया गया है।

मुरली – 22 जून 2025:
“बच्चे, कर्म करते रहो लेकिन आसक्ति छोड़ो। यही सच्चा योग है – संन्यास नहीं, संयम है।”


प्रश्न 4: क्या गीता के श्लोकों से पता चलता है कि यह संवाद है?

उत्तर:जी हाँ। हर अध्याय के अंत में लिखा है:

  • …अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः॥

  • …संन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः॥

इन रेखाओं से स्पष्ट होता है कि यह एक “योग” या संवाद है, न कि कथा।


प्रश्न 5: मुरली क्या है?

उत्तर:मुरली = शिवबाबा का ब्रह्मा के मुख द्वारा प्रत्यक्ष संवाद
यह गीता का पुनः जीवंत रूप है, जो आज संगमयुग पर चल रहा है।

अव्यक्त मुरली – 21 जुलाई 2025:
“बच्चे, यह मुरली ही गीता का जीवंत रूप है। मैं ब्रह्मा के मुख से सुनाता हूँ, जिससे तुम अर्जुन जैसे वीर बनते हो।”


प्रश्न 6: गीता का सच्चा ज्ञानदाता कौन?

तत्व पहचान
श्रीकृष्ण सतयुग के देवता
ब्रह्मा माध्यम (तन)
परमात्मा शिव सच्चा ज्ञानदाता
मुरली पुनः प्रकट गीता

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह वीडियो ब्रह्माकुमारियों के आध्यात्मिक अध्ययन पर आधारित है। इसका उद्देश्य गीता ज्ञान के गहरे रहस्यों को उजागर करना है, न कि किसी धर्म या संप्रदाय की आलोचना करना। प्रस्तुत उत्तर आध्यात्मिक मुरली-वाणी और अनुभवजन्य ज्ञान पर आधारित हैं, जो आत्मा और परमात्मा के संबंध को स्पष्ट करते हैं। कृपया इसे एक गूढ़ आध्यात्मिक चर्चा के रूप में देखें।

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