(46)The need to understand the knowledge of Gita properly – 10

(46)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने कीआवश्यकता – 10

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गीता का गुप्त ज्ञान – श्रीकृष्ण नहीं, शिव ही हैं गीता ज्ञानदाता | 


 क्या गीता एक धार्मिक कथा है या ईश्वरीय वाणी?

गीता को हम सदियों से एक धार्मिक ग्रंथ मानते आ रहे हैं, लेकिन क्या यह केवल एक ऐतिहासिक संवाद है?
या यह परमात्मा की वह दिव्य वाणी है जो आत्मा को स्वयं से मिलाने आई है?
तो फिर प्रश्न उठता है — वह “परमात्मा” कौन है जिसने यह ज्ञान दिया?


मुख्य रहस्य: श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव हैं गीता ज्ञानदाता

सदियों से माना जाता रहा कि गीता श्रीकृष्ण ने सुनाई।
लेकिन ब्रह्मा कुमारियों की ईश्वरीय मुरली इस भ्रांति को तोड़ती है और एक नया दृष्टिकोण देती है।

18 जनवरी 2025 की मुरली में शिव बाबा कहते हैं:

“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश करके तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”

यह उद्घोषणा स्पष्ट करती है कि गीता का ज्ञान देने वाला कोई मनुष्य नहीं, बल्कि स्वयं शिव बाबा हैं — जो ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते हैं।


दशम अध्याय – विभूतियोग में क्या छिपा है रहस्य?

अध्याय 10 का नाम है: विभूतियोग
अंत में लिखा है:

“…विभूतियोगो नाम दशमोऽध्यायः॥”
यानि “विभूतियों का योग” — यानी परम सत्ता की दिव्य शक्तियों की पहचान।

श्लोक:

“अहम् आत्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।”
(हे अर्जुन! मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ।)

गूढ़ संकेत:
यह कोई सशरीर देवता नहीं कह सकता, क्योंकि वह तो एक शरीर में बंधा होता है।
यह वाणी उस निराकार परमात्मा की है जो “सर्व आत्माओं के साथ संबंध” रखता है।


वक्ता कौन है? – आत्मा का विवेक क्या कहता है?

तत्व श्रीकृष्ण परमात्मा शिव
स्वरूप साकार देवता निराकार ज्योति
जन्म सतयुग का पहला देवता जन्म रहित, सृष्टि के रचयिता
स्थान द्वारका, सतयुग ब्रह्मा का तन, संगम युग
कार्य पूज्य बनने वाला पूज्य बनाने वाला
शक्ति एक जन्म में सीमित सर्व आत्माओं के पिता

मुरली और गीता का मेल: क्यों आवश्यक है?

जब हम गीता के अध्यायों को मुरली के चश्मे से देखते हैं,
तो हमें “राजविद्या” और “राजगुह्य” का असली अर्थ समझ आता है।
गीता का ज्ञान न कोई मनुष्य दे सकता है, न कोई देवता — यह ज्ञान एकमात्र शिव बाबा द्वारा ही संभव है।


सारांश: गीता का सत्य और आत्मा की पहचान

  • गीता एक गूढ़ ज्ञान है, जो केवल निराकार परमात्मा ही दे सकते हैं।

  • श्रीकृष्ण पूज्य हैं, ज्ञानदाता नहीं।

  • शिव बाबा ब्रह्मा के तन द्वारा गीता का सच्चा ज्ञान सुनाते हैं, संगम युग में।

  • यही है राजगुह्य – परमात्मा की पहचान।

गीता का गुप्त ज्ञान – श्रीकृष्ण नहीं, शिव ही हैं गीता ज्ञानदाता | 


Q1: गीता को धार्मिक ग्रंथ माना जाता है, लेकिन क्या यह केवल ऐतिहासिक संवाद है या ईश्वरीय वाणी?

उत्तर:गीता केवल एक ऐतिहासिक संवाद नहीं, बल्कि परमात्मा की वाणी है, जो आत्मा को उसकी पहचान और परम लक्ष्य का बोध कराती है। गीता का ज्ञान जीवन रूपी युद्ध में विजय पाने का राजयोग है। यह ज्ञान किसी सामान्य मानव या देवता का नहीं हो सकता।


Q2: गीता का ज्ञानदाता कौन है — श्रीकृष्ण या कोई और?

उत्तर:परंपरा से श्रीकृष्ण को गीता का वक्ता माना गया है। लेकिन गीता के श्लोकों और ब्रह्मा कुमारियों की मुरली के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि गीता का ज्ञान स्वयं परमात्मा शिव द्वारा दिया गया — श्रीकृष्ण नहीं।


Q3: मुरली में गीता ज्ञानदाता के बारे में क्या कहा गया है?

उत्तर:18 जनवरी 2025 की मुरली में शिव बाबा कहते हैं:

“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश करके तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”
इससे स्पष्ट होता है कि परमात्मा शिव ही गीता ज्ञानदाता हैं — जो साकार ब्रह्मा के तन द्वारा ज्ञान सुनाते हैं।


Q4: अध्याय 10 (विभूतियोग) में कौन-सा रहस्य छिपा है?

उत्तर:अध्याय 10 को विभूतियों का योग कहा गया है — जिसमें वक्ता कहता है:

“अहम् आत्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।”
(मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ।)

यह कथन केवल निराकार परमात्मा शिव कह सकते हैं, क्योंकि कोई भी सशरीर देवता (जैसे श्रीकृष्ण) हर आत्मा के अंदर नहीं हो सकते।


Q5: श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव में क्या अंतर है?

उत्तर (तत्व आधारित तुलना):

तत्व श्रीकृष्ण परमात्मा शिव
स्वरूप साकार देवता निराकार ज्योति
जन्म सतयुग के पहले जन्म में जन्म रहित, सर्व आत्माओं का पिता
स्थान द्वारका, सतयुग संगमयुग में ब्रह्मा का तन
कार्य पूज्य बनने वाला पूज्य बनाने वाला
शक्ति एक जन्म तक सीमित सभी आत्माओं को ज्ञान देने वाला

Q6: गीता और मुरली को साथ पढ़ने से क्या स्पष्ट होता है?

उत्तर:जब गीता के श्लोकों को ब्रह्मा कुमारियों की मुरली के दृष्टिकोण से पढ़ा जाए,
तो “राजविद्या” और “राजगुह्य” का रहस्य स्पष्ट होता है —
कि गीता का ज्ञान सृष्टि के रचयिता परमात्मा शिव द्वारा संगम युग में दिया गया था।


Q7: गीता का सच्चा उद्देश्य क्या है?

उत्तर:

  • आत्मा की पहचान कराना।

  • परमात्मा से योग लगवाना।

  • विकर्म विनाश कर मोक्ष और जीवन-मुक्ति का रास्ता दिखाना।

यह कार्य केवल वही कर सकता है जो सर्व आत्माओं का पिता हो — और वह कोई साकार देवता नहीं, शिव बाबा हैं।

Disclaimer (डिस्क्लेमर)


यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक ज्ञान और मुरली वचनों पर आधारित एक शोधपूर्ण प्रस्तुति है। इसका उद्देश्य धर्म, ग्रंथ और आध्यात्मिकता से जुड़े गूढ़ रहस्यों को उजागर करना है। हम किसी भी धर्म, समुदाय या व्यक्तित्व का विरोध नहीं करते, बल्कि सत्य की खोज और विवेकपूर्ण आत्म-चिंतन को प्रेरित करते हैं।
सभी विचार ब्रह्माकुमारियों की मुरली और गीता के श्लोकों के आधार पर प्रस्तुत किए गए हैं।
संपूर्ण सम्मान के साथ — यह ज्ञान केवल ईश्वर द्वारा प्रदत्त आत्मिक अनुभवों की झलक है।

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