(47) श्री कृष्ण जगदंबा सरस्वती श्री कृष्ण की पिता व विश्व किशोर भाऊ माता
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
🪔 विषय की भूमिका:
इस मुरली में बाबा ने बताया —
जगदंबा सरस्वती श्रीकृष्ण के पिता और विश्वकिशोर उनकी माता कैसे बने।
और कैसे यह सृष्टि परिवर्तन की प्रक्रिया से जुड़ा हुआ दिव्य खेल है।
🌟 मुख्य विषय — “जहां जन्म, वहां जीत” का आध्यात्मिक अर्थ
1. आत्मा का श्रेष्ठ जन्म और विजय का संबंध:
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आत्मा जहां जन्म लेती है, वहां अपने संकल्पों और कर्मों के आधार पर विजय प्राप्त करती है।
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जीत जन्म के साथ जुड़ी हुई नहीं होती — वो अर्जित की जाती है।
2. “जन्म” का गूढ़ अर्थ:
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यह केवल शारीरिक जन्म नहीं है।
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यह आत्मा का किसी विशेष स्थिति, स्थान और कार्य में प्रवेश करना भी है।
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वहां से शुरू होता है उसका नया कर्म, नया धर्म और उसकी नई भूमिका।
3. आध्यात्मिक उदाहरण: श्रीकृष्ण और ब्रह्मा बाबा
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श्रीकृष्ण: धर्म स्थापना और परिस्थितियों को बदलने के लिए जन्म लिया।
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ब्रह्मा बाबा: बेहद सामान्य जन्म के बावजूद, कर्मयोगी बनकर आत्मिक विजय के उदाहरण बने।
4. “जहां जीत, वहां जन्म” नहीं — ये है त्रुटिपूर्ण सोच:
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बाबा ने मुरली में स्पष्ट किया कि “जहां जन्म, वहां जीत” — यही सच्ची आध्यात्मिक बात है।
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जीत आत्मा के सेवा-पाठ और पुरुषार्थ का फल है, जन्म उसका माध्यम है।
🧬 सेवा, आत्मा और परिवर्तन का संबंध
5. जन्म द्वारा सेवा का पाठ:
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आत्मा का जन्म नया सेवा-पाठ शुरू करता है।
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सेवा से ही आत्मा की पहचान और महत्ता बनती है।
6. सेवा का परिवर्तन और समाप्ति:
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जो आत्माएं साकार सेवा कर रही हैं, उनका पाठ अब समाप्त हो रहा है।
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अब शुरू हो रहा है नया — “नवयुग निर्माण का पाठ”।
👶 श्रीकृष्ण का जन्म — प्रैक्टिकल प्रक्रिया:
7. Advance Party और Advance Stage की भूमिका:
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Advance Party वाले बनते हैं श्रीकृष्ण के जन्म के निमित्त — जैसे माता-पिता।
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Advance Stage वाली आत्माएं लेती हैं निर्विकारी दिव्य जन्म।
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पुराने शरीर नष्ट होते हैं, नए शरीर सेवा के लिए सुरक्षित रहते हैं।
(इस पर अलग वीडियो का लिंक डिस्क्रिप्शन में दिया जाएगा।)
📌 निष्कर्ष:
“जहां जन्म, वहां जीत”
यह कथन आत्मा के लक्ष्य, सेवा और पुरुषार्थ का परिचायक है।
यदि आत्मा अपने संकल्पों और कर्मों को दिव्य बनाती है — तो वह हर परिस्थिति में विजयी हो सकती है।
यही है आत्मिक ज्ञान, शक्ति और सच्चा आध्यात्मिक पुरुषार्थ।
📺 Playlist और प्रश्न पूछने की सुविधा:
इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में श्रीकृष्ण के जन्म से संबंधित पूरी Playlist दी गई है।
जो भी प्रश्न मन में उठें — वहां उत्तर मिल जाएंगे।
फिर भी उत्तर न मिले तो आप हमें लिख सकते हैं — हम उस पर भी नया वीडियो बनाएंगे।
🙏 समापन:
“ओम शांति।”
आइए, श्रीकृष्ण के इस पावन जन्म को समझें — और अपने पुरुषार्थ में उड़ान भरें।
यही है — जन्म और जीत का परम रहस्य।
🪔 विषय की भूमिका:
“जहां जन्म, वहां जीत” का आध्यात्मिक रहस्य — श्रीकृष्ण, ब्रह्मा बाबा और आत्मा की सेवा-यात्रा
❓प्रश्न 1:“जहां जन्म, वहां जीत” का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
✅ उत्तर:यह अर्थ केवल शारीरिक जन्म का नहीं है। आत्मा जिस स्थान, स्थिति या सेवा में ‘जन्म’ लेती है (अर्थात प्रवेश करती है), वहां यदि वह संकल्प, कर्म और सेवा में श्रेष्ठ बनती है, तो उसे विजय प्राप्त होती है। जीत जन्म के साथ जुड़ी नहीं होती — वह पुरुषार्थ और सेवा के माध्यम से अर्जित होती है।
❓प्रश्न 2:“जन्म” का गूढ़ आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
✅ उत्तर:‘जन्म’ का अर्थ है आत्मा का किसी विशेष कर्म, सेवा या अवस्था में प्रवेश करना। यह एक नई शुरुआत होती है — जहां आत्मा नया धर्म, नया कर्म और एक विशेष भूमिका निभाने लगती है।
❓प्रश्न 3:ब्रह्मा बाबा और श्रीकृष्ण के उदाहरण से क्या सिख मिलती है?
✅ उत्तर:श्रीकृष्ण का जन्म धर्म स्थापना के लिए हुआ, पर वह दिव्य स्थिति Advance Stage की आत्मा द्वारा प्राप्त की गई। ब्रह्मा बाबा ने बेहद सामान्य जीवन से शुरुआत कर आत्मिक पुरुषार्थ द्वारा दिव्यता प्राप्त की — जिससे वह सेवा के माध्यम बने और आत्मिक विजय के उदाहरण बने।
❓प्रश्न 4:“जहां जीत, वहां जन्म” — यह सोच क्यों गलत है?
✅ उत्तर:यह सोच परिणाम को कारण समझती है। सच्चाई यह है कि जन्म के बाद ही सेवा, पुरुषार्थ और कर्म की यात्रा शुरू होती है। जीत — आत्मा की मेहनत, योग और सेवा का फल है, न कि जन्म का अपने आप मिलने वाला परिणाम।
❓प्रश्न 5:आत्मिक सेवा और जन्म का क्या संबंध है?
✅ उत्तर:हर आत्मा जब एक नई सेवा में जन्म लेती है, तो उसका नया पाठ शुरू होता है। सेवा ही आत्मा की विशेषता और पहचान बनती है। जैसे-जैसे सेवा बदलती है, आत्मा की भूमिका भी बदलती है।
❓प्रश्न 6:क्या वर्तमान समय में कोई सेवा पाठ समाप्त हो रहा है?
✅ उत्तर:हाँ, साकार सेवा का पाठ अब समाप्ति की ओर है। अब नई सेवा — “नवयुग निर्माण” की शुरुआत हो रही है, जिसमें Advance Stage की आत्माएं मुख्य भूमिका निभाती हैं।
❓प्रश्न 7:Advance Party का श्रीकृष्ण के जन्म में क्या योगदान है?
✅ उत्तर:Advance Party की आत्माएं श्रीकृष्ण के जन्म की प्रक्रिया में निमित्त बनती हैं — जैसे माता-पिता। ये आत्माएं पहले से ही निर्विकारी स्थिति में होती हैं, जिससे वे दिव्य सेवा के योग्य बनती हैं।
❓प्रश्न 8:नए जन्म का शरीर कैसे सुरक्षित रहता है?
✅ उत्तर:पुराना शरीर आत्मा की पुरानी सेवा के साथ समाप्त होता है, और नया शरीर दिव्य सेवा के लिए सुरक्षित रहता है। यही है निर्विकारी दिव्य जन्म की पहचान।
📌 निष्कर्ष:-“जहां जन्म, वहां जीत” — यह आत्मा की संकल्पशक्ति, कर्म और सेवा की सफलता का प्रतीक है। यदि आत्मा ईश्वरीय ज्ञान से अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाती है, तो वह हर क्षेत्र में विजयी होती है।
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