Avyakta Murli”26-01-1970(1)

YouTube player

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

याद के यात्रा की सम्पूर्ण स्टेज  – २६-०१-१९७०

बापदादा भी यहाँ बैठे हैं और आप भी बैठे हो |  लेकिन बापदादा और आप में क्या अन्तर है ?  पहले भी साकार रूप में यहाँ बैठते थे लेकिन अब जब बैठते हैं तो क्या फील होता है ?  जैसे साकार रूप में बाप के लिए समझते थे कि लोन ले आये हैं |  उसी समान अनुभव अभी होता है |  अभी आते हैं मेहमान बनकर |  यूं तो आप सभी भी अपने को मेहमान समझते हो |  लेकिन आपके और बाप के समझने में फर्क है |  मेहमान उसको कहा जाता है जो आता है और जाता है |  अभी आते हैं फिर जाने के लिए |  वह था बुद्धियोग का अनुभव, यह है प्रैक्टिकल अनुभव |  दुसरे शरीर में प्रवेश हो कैसे कर्त्तव्य करना होता, यह अनुभव बाप के समान करना है |  दिन प्रतिदिन तुम बच्चों की बहुत कुछ समान स्थिति होती जाएगी |  आप लोग भी ऐसे अनुभव करेंगे |  सचमुच जैसे लोन लिया हुआ है, कर्त्तव्य के लिए मेहमान हैं |  जब तक अपने को मेहमान नहीं समझते हो तब तक न्यारी अवस्था नहीं हो सकती है |  जो ज्यादा न्यारी अवस्था में रहते हैं, उनकी स्थिति में विशेषता क्या होती है ?  ऊण्ख़ी९ बोली से उनके चलन से उपराम स्थिति का औरों को अनुभव होगा |  जितना ऊपर स्थिति जाएगी, उतना उपराम होते जायेंगे |  शरीर में होते हुए भी उपराम अवस्था तक पहुंचना है |  बिलकुल देह और देही अलग महसूस हो |  उसको कहा जाता है याद के यात्रा की सम्पूर्ण स्टेज |  वा योग की प्रैक्टिकल सिद्धि |  बात करते-करते जैसे न्यारापण खींचे |  बात सुनते भी जैसे कि सुनते नहीं |  ऐसी भासना औरों को भी आये |  ऐसी स्थिति की स्टेज को कर्मातीत अवस्था कहा जाता है |  कर्मातीत अर्थात् देह के बंधन से मुक्त |  कर्म कर रहे हैं लेकिन उनके कर्मों का खता नहीं बनेगा जैसे कि न्यारे रहेंगे, कोई अटैचमेंट नहीं होगा |  कर्म करनेवाला अलग और कर्म अलग हैं – ऐसे अनुभव दिन प्रति दिन होता जायेगा |  इस अवस्था में जास्ती बुद्धि चलाने की भी आवश्यकता नहीं है |  संकल्प उठा और जो होना है  वाही होगा |  ऐसी स्थिति में सभी को आना होगा |  मूलवतन जाने के पहले वाया सूक्ष्मवतन जायेंगे |  वहां सभी को आकर मिलना है फिर अपने घर चलकर फिर अपने राज्य में आ जायेंगे जैसे साकार वतन में मेला हुआ वैसे ही सूक्ष्मवतन में होगा |  वह फरिश्तों का मेला नजदीक है |

याद के यात्रा की सम्पूर्ण स्टेज – २६-०१-१९७०

Q1: बापदादा और बच्चों में क्या अंतर है?
A1: बापदादा मेहमान बनकर आते हैं और बच्चों को कर्मों का कर्तव्य सिखाते हैं। बच्चे भी अपने को मेहमान समझते हैं, लेकिन बापदादा का अनुभव गहन और बुद्धियोग से परे होता है।

Q2: साकार और अभी के अनुभव में क्या अंतर है?
A2: साकार में बाप को शरीर के लोन के रूप में अनुभव करते थे, जबकि अब वे दूसरे शरीर में प्रवेश करके कर्तव्य सिखाते हैं।

Q3: मेहमान समझने से क्या लाभ होता है?
A3: अपने को मेहमान समझने से न्यारी अवस्था बनती है, जो उपराम स्थिति की ओर ले जाती है।

Q4: उपराम स्थिति की विशेषता क्या है?
A4: उपराम स्थिति में व्यक्ति की बोली और चलन से सहज रूप में शरीर से न्यारेपन का अनुभव होता है।

Q5: कर्मातीत अवस्था का क्या अर्थ है?
A5: कर्मातीत अवस्था में व्यक्ति देह और देही को अलग अनुभव करता है। कर्म होते हैं लेकिन उनके बंधन से मुक्त रहते हैं।

Q6: याद की यात्रा की सम्पूर्ण स्टेज को कैसे पहचाना जा सकता है?
A6: इस स्टेज में बात सुनते हुए भी जैसे न सुनने का अनुभव होता है। पूरी स्थिति न्यारापन और कर्म से अलिप्तता का अनुभव कराती है।

Q7: इस अवस्था में बुद्धि कैसे कार्य करती है?
A7: इस अवस्था में बुद्धि चलाने की आवश्यकता नहीं होती। संकल्प उठता है और जो होना है, वह स्वाभाविक रूप से होता है।

Q8: सूक्ष्मवतन जाने का क्या महत्व है?
A8: मूलवतन जाने से पहले सूक्ष्मवतन में फरिश्तों का मेला होगा, जहां सभी आत्माएं मिलेंगी।

Q9: कर्म और कर्म करनेवाले का क्या अनुभव होता है?
A9: कर्म और कर्म करनेवाले अलग अनुभव होते हैं, जैसे आत्मा शरीर से न्यारी हो।

Q10: कर्मातीत अवस्था का अंतिम लक्ष्य क्या है?
A10: शरीर में होते हुए भी आत्मा की स्थिति ऐसी हो कि कोई अटैचमेंट न रहे, और हर कर्म सहज, बंधन-मुक्त हो।

याद की यात्रा, बापदादा की शिक्षाएं, कर्मातीत अवस्था, उपराम स्थिति, आत्मा और शरीर का अनुभव, योग की प्रैक्टिकल सिद्धि, सूक्ष्मवतन यात्रा, मूलवतन यात्रा, फरिश्तों का मेला, मेहमान भावना, न्यारी अवस्था, बुद्धियोग का अनुभव, आध्यात्मिक यात्रा, देही और देह का भेद, आध्यात्मिक साधना, आत्मा की स्थिति, बापदादा का मार्गदर्शन, कर्म बंधन से मुक्ति, आध्यात्मिक अनुभव, आत्मिक शांति

Journey of remembrance, BapDada’s teachings, karmateet stage, detached stage, experience of soul and body, practical siddhi of yoga, journey to subtle region, journey to original region, fair of angels, feeling of guests, detached stage, experience of yoga of intellect, spiritual journey, difference between soul and body, spiritual sadhana, condition of soul, guidance of BapDada, liberation from the bondage of karma, spiritual experience, spiritual peace