(15) After five thousand years again the welfare of souls

(15) पाँच हजार वर्ष बाद पुनः आत्माओं का कल्याण
(15) After five thousand years again the welfare of souls
 (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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एक अद्भुत रहस्य
सृष्टि चक्र का रहस्य

आप यहाँ पहली बार ही नहीं आए, आप 5000 वर्ष पूर्व भी इसी स्थान पर, इसी समय इसी प्रकार से आए थे, अब आए हैं और हर 5000 वर्ष पश्चात् आते रहेंगे। यह सृष्टि रुपी नाटक की हूबहू पुनरावृत्ति होती है। इस बात को स्वीकार करने से हमें शांति और स्थिरता मिलेगी।

सृष्टि चक्र का ज्ञान और उसके लाभ

जब हम यह जान लेते हैं कि सृष्टि चक्र 5000 वर्षों में दोहराता है, तो हमें निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

निश्चिंतता – हम जान जाते हैं कि जो हो रहा है, वह पहले भी हो चुका है और आगे भी होगा। इससे हमें वर्तमान क्षण में शांति और स्थिरता का अनुभव होता है।
अडोलता – हम सुख-दुख, लाभ-हानि, मान-अपमान में विचलित नहीं होते। हम हर परिस्थिति में समभाव में रहते हैं।
दुख से मुक्ति – जब हम यह जान लेते हैं कि हर चीज अस्थायी है, तो हम किसी भी चीज से आसक्ति नहीं रखते और हमें दुखों से मुक्ति मिलती है।
नाराजगी से मुक्ति – हम किसी से भी नाराज नहीं होते, क्योंकि हम जान जाते हैं कि हर कोई अपनी भूमिका निभा रहा है।
सकारात्मक दृष्टिकोण – हमें यह ध्यान रहता है कि हमें कोई भी ऐसा काम नहीं करना है जिससे किसी को दुख हो। इससे हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक बना रहता है।
भारत में शिव भगवान का आगमन

भगवान शिव संसार की आत्माओं को कल्याण करने और जगाने के लिए आते हैं। लोग शिवरात्रि पर एक रात का जागरण करते हैं, लेकिन हमें पूरे संगमयुग में जागरण करना है।

सृष्टि चक्र के चार युग
सत्ययुग – सतोप्रधान अवस्था, देवी-देवताओं का शासन।
त्रेतायुग – सतो और रजो गुण की मिश्रित अवस्था।
द्वापरयुग – भक्ति मार्ग और अज्ञान का प्रारंभ।
कलियुग – विकारों का चरम, अधर्म और अज्ञान का युग।

गीता में कहा गया कि जब अधर्म बढ़ता है और धर्म की ग्लानि होती है, तब परमात्मा अवतरित होते हैं। शिव बाबा आकर गीता ज्ञान सुनाते हैं और आत्माओं को ज्ञान व योग द्वारा पवित्र बनाते हैं।

आत्मा और परमात्मा का संबंध

आत्मा नाशवान शरीर नहीं, बल्कि एक ज्योति बिंदु के रूप में अविनाशी सत्ता है। यह शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति है।

परमात्मा शिव का अवतरण

परमात्मा का जन्म साधारण आत्माओं की तरह नहीं होता। वे एक वृद्ध शरीर का आधार लेकर ज्ञान सुनाते हैं और सृष्टि को पुनः सत्ययुग में परिवर्तित करते हैं। उनका उद्देश्य:

स्वर्ग की स्थापना
नर्क का अंत
आत्माओं को ज्ञान और योग के माध्यम से पुनः दिव्यता में ले जाना
आत्माओं के जागरण का समय – संगम युग

संगमयुग आत्माओं के जागरण का समय है, जब शिव परमात्मा ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हैं।

गीता का वास्तविक ज्ञान

शिव ही गीता ज्ञान के वास्तविक दाता हैं। वे आत्माओं को सिखाते हैं कि:

आत्मा शरीर नहीं है
हमें परमात्मा शिव के साथ योग लगाना चाहिए
श्रीमत पर चलना चाहिए
आत्मा का जागरण और मुक्ति

अब समय है जागने का। आत्मा की सच्ची पहचान को समझना होगा कि हम आत्मा हैं, शरीर नहीं। हमारा वास्तविक घर परमधाम है। इस भूल-भुलैया से मुक्त होने के लिए हमें ज्ञान और योग का सहारा लेना होगा।

रावण राज्य से मुक्ति

विकारों से मुक्त होकर अपनी आत्मा को पवित्र बनाना ही सच्ची शिव भक्ति है। परमात्मा शिव हमें “मनमनाभव” का आदेश देते हैं – मुझे याद करो और तुम्हारे सभी पाप भस्म हो जाएंगे। यही सच्चा तपस्या का मार्ग है।

एक अद्भुत रहस्य – सृष्टि चक्र का ज्ञान

प्रश्न 1: सृष्टि चक्र क्या है, और यह कितने वर्षों में पूरा होता है?
उत्तर: सृष्टि चक्र 5000 वर्षों का एक नाटक है, जो हर 5000 वर्ष बाद हूबहू पुनरावृत्त होता है। इसमें चार युग होते हैं – सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग।

प्रश्न 2: सृष्टि चक्र के ज्ञान से हमें क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: इस ज्ञान से हमें निश्चिंतता, अडोलता, दुख और नाराजगी से मुक्ति, और सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है।

प्रश्न 3: भगवान शिव कब अवतरित होते हैं, और उनका उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: जब अधर्म बढ़ता है और धर्म की ग्लानि होती है, तब भगवान शिव संगमयुग में अवतरित होते हैं। उनका उद्देश्य आत्माओं को ज्ञान और योग के द्वारा पवित्र बनाकर स्वर्ग की स्थापना करना होता है।

प्रश्न 4: गीता का वास्तविक ज्ञान क्या है, और इसे देने वाले कौन हैं?
उत्तर: गीता का वास्तविक ज्ञान परमात्मा शिव देते हैं। वे सिखाते हैं कि आत्मा शरीर नहीं है, परमात्मा शिव के साथ योग लगाना चाहिए और श्रीमत पर चलना चाहिए।

प्रश्न 5: आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है?
उत्तर: आत्मा एक अविनाशी ज्योति बिंदु है, जो शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति है। परमात्मा शिव सर्वशक्तिमान और ज्ञान का सागर हैं, जो आत्माओं को दिव्यता का मार्ग दिखाते हैं।

प्रश्न 6: परमात्मा का जन्म किस प्रकार होता है?
उत्तर: परमात्मा का जन्म साधारण आत्माओं की तरह नहीं होता। वे एक वृद्ध शरीर (ब्रह्मा) का आधार लेकर ज्ञान सुनाते हैं और सृष्टि को पुनः सत्ययुग में परिवर्तित करते हैं।

प्रश्न 7: संगमयुग का क्या महत्व है?
उत्तर: संगमयुग आत्माओं के जागरण का समय है। इस युग में परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हैं और आत्माओं को पवित्र बनाते हैं।

प्रश्न 8: आत्मा का जागरण और मुक्ति कैसे संभव है?
उत्तर: आत्मा का जागरण तभी संभव है जब हम समझें कि हम शरीर नहीं, बल्कि आत्मा हैं। हमें परमधाम की याद रखनी होगी और ज्ञान तथा योग के सहारे इस भूल-भुलैया से मुक्त होना होगा।

प्रश्न 9: विकारों से मुक्त होने का क्या उपाय है?
उत्तर: परमात्मा शिव “मनमनाभव” का आदेश देते हैं, यानी कि हमें केवल उनकी याद में रहना चाहिए। ऐसा करने से हमारे सभी पाप भस्म हो जाते हैं, और हम विकारों से मुक्त हो सकते हैं।

प्रश्न 10: भारत में शिव भगवान के आगमन का क्या संकेत है?
उत्तर: जब कलियुग में विकार अपने चरम पर होते हैं, तब परमात्मा शिव आकर आत्माओं को जगाते हैं और उन्हें पवित्र बनाने के लिए ज्ञान और योग का उपदेश देते हैं। यह संकेत संगमयुग में शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

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