(6)The festival of Mahashivratri is a memorial of Shiva’s incarnation

YouTube player

(6)शिव अवतरण का यादगार है महाशिवरात्रि का पर्व

शिवरात्रि: एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण

शिवरात्रि कितनी बार होती है?

शिवरात्रि प्रत्येक वर्ष 12 बार आती है क्योंकि हर महीने की अमावस्या से एक दिन पहले चौदस को शिवरात्रि मनाई जाती है। यदि किसी वर्ष में 13 महीने होते हैं, तो शिवरात्रि भी 13 बार मनाई जाती है।

शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

वास्तव में, परमपिता परमात्मा तब अवतरित होते हैं जब कलियुग के अंत में दुनिया भ्रष्ट हो जाती है। उस समय, वे तमसो मा ज्योतिर्गमय की प्रक्रिया को क्रियान्वित करते हैं, जिससे संसार अज्ञानता से ज्ञान की ओर अग्रसर होता है।

महाशिवरात्रि का विशेष स्थान

शिवरात्रि को मुख्यतः साल के अंत में, फाल्गुन मास की अमावस्या से एक दिन पहले मनाया जाता है। इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है।

परिवर्तन के समय शिवरात्रि का महत्व

जब धरती पर बड़ा परिवर्तन होता है, तब परमात्मा को स्मरण करना आवश्यक होता है। यह परिवर्तन व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन दोनों में होता है। इस परिवर्तन की वेला में, भक्ति मार्ग में साधक परमात्मा को याद करते हैं, किंतु कभी-कभी वे सत्य को खोजने की बजाय बाहरी रीति-रिवाजों में उलझ जाते हैं।

कल्पांत में शिवरात्रि का विशेष महत्व

एक वर्ष में 12 बार शिवरात्रि मनाई जाती है, किंतु मुख्य शिवरात्रि साल के अंत में होती है। इस समय, परमपिता परमात्मा स्वयं आकर सृष्टि का उत्थान करते हैं। वे अंधकार को दूर कर दिव्यता की स्थापना करते हैं। यह रात्रि से दिन में परिवर्तन का प्रतीक बनती है और नर्क से स्वर्ग की ओर ले जाने वाला मार्ग प्रशस्त करती है।

निष्कर्ष

शिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक भी है। यह आत्मा के अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिखाती है और हमें परमात्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने की प्रेरणा देती है।

शिवरात्रि: एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण

1. शिवरात्रि कितनी बार होती है?
शिवरात्रि प्रत्येक वर्ष 12 बार आती है, क्योंकि हर महीने की अमावस्या से एक दिन पहले चौदस को शिवरात्रि मनाई जाती है। यदि किसी वर्ष में 13 महीने होते हैं, तो शिवरात्रि भी 13 बार मनाई जाती है।

2. शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
शिवरात्रि उस समय का प्रतीक है जब परमपिता परमात्मा संसार में अवतरित होकर अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। यह आत्मा के आध्यात्मिक उत्थान का समय होता है।

3. महाशिवरात्रि क्यों विशेष होती है?
महाशिवरात्रि साल के अंत में, फाल्गुन मास की अमावस्या से एक दिन पहले मनाई जाती है। इसे विशेष इसलिए माना जाता है क्योंकि यह एक बड़े आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है, जब परमात्मा कलियुग के अंत में आकर दिव्यता की स्थापना करते हैं।

4. परिवर्तन के समय शिवरात्रि का क्या महत्व है?
जब धरती पर बड़ा परिवर्तन होता है, तब आत्मा को परमात्मा की याद से शक्तिशाली बनाना आवश्यक होता है। यह समय आत्मा के आंतरिक और बाहरी जीवन में परिवर्तन का होता है, जिससे नकारात्मकता समाप्त होती है और सकारात्मकता का विकास होता है।

5. कल्पांत में शिवरात्रि क्यों महत्वपूर्ण है?
कल्प के अंत में परमात्मा स्वयं आकर अज्ञानता, पाप और विकारों का नाश कर सृष्टि का उत्थान करते हैं। यह समय अंधकार से प्रकाश, नर्क से स्वर्ग की ओर जाने का होता है, इसलिए इसे सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि माना जाता है।

6. शिवरात्रि हमें क्या संदेश देती है?
शिवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण और परमात्मा से जुड़ने का अवसर है। यह हमें आत्मा की पवित्रता, दिव्यता और शुद्धता को अपनाने की प्रेरणा देती है।

शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, आध्यात्मिकता, परमात्मा, ईश्वरीय ज्ञान, आत्मा, आत्मज्ञान, भक्ति, सत्यमार्ग, दिव्यता, कलियुग, संगम युग, शिव भक्ति, आध्यात्मिक परिवर्तन, ज्योतिर्गमय, धर्म, हिन्दू त्यौहार, पवित्रता, शुद्धता, मोक्ष, नर्क से स्वर्ग, आत्मा का उत्थान, धार्मिक पर्व, सत्य, अध्यात्मिक जागरूकता, ईश्वरीय स्मृति, ध्यान, साधना, शिव भगवान, ब्रह्म ज्ञान, आत्मशुद्धि, जीवन परिवर्तन

Shivratri, Mahashivratri, Spirituality, God, Divine Knowledge, Soul, Enlightenment, Bhakti, Satyamarg, Divinity, Kaliyuga, Sangam Yuga, Shiva Bhakti, Spiritual Transformation, Jyotirgamaya, Religion, Hindu Festival, Purity, Purity, Moksha, Heaven from Hell, Upliftment of Soul, Religious Festival, Truth, Spiritual Awareness, Divine Memory, Meditation, Sadhana, Lord Shiva, Brahma Knowledge, Self-purification, Life Transformation