Holi -/(10)Two aspects of Holi: spiritual and physical

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होली-/(10)होली के दो पहलू:आध्यात्मिक और स्थूल

Holi -/(10)Two aspects of Holi: spiritual and physical

होली के दो पहलू

होली का आध्यात्मिक रहस्य

आज हम होली के आध्यात्मिक रहस्य का दसवां पाठ कर रहे हैं। आध्यात्मिक और स्थूल होली को दो हिस्सों में बांटा गया है—एक आध्यात्मिक और दूसरा स्थूल।

आंतरिक अनुभूति की यात्रा

होली बाह्य रंगों से परे आंतरिक अनुभूति की यात्रा है। यह केवल बाहरी रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर दिव्यता को अनुभव करने की यात्रा है। आत्मा स्वयं अपने दिव्य गुणों को अनुभव करते हुए अपने जीवन में उनका विस्तार करती है। यात्रा करना अर्थात बढ़ना, अनुभव को बढ़ाते जाना।

होली का आध्यात्मिक अर्थ

होली केवल रंगों का उत्सव नहीं है, इसका एक आध्यात्मिक अर्थ भी है जिसे समझे बिना इस पर्व की वास्तविकता को नहीं जाना जा सकता। भगवान ने हर कार्य को ज्ञान और दिव्यता से परिपूर्ण किया है। शिव परमात्मा ने हम गोप-गोपियों को जिस होली में रंगा था, वह कोई स्थूल रंगों की होली नहीं थी, बल्कि ज्ञान गुलाल और योग के केसर की थी। ज्ञान को गुलाल और योग को केसर कहा गया है।

अलौकिक रंग

यह वह अलौकिक रंग था जो आत्मा को परमात्मा के प्रेम और सच्चिदानंद स्वरूप में रंग देता है। आज जो होली मनाई जाती है, वह बाहरी रंगों से जुड़ी हुई है, लेकिन गीता के भगवान, परमपिता परमात्मा शिव ने जिन रंगों की होली खेली थी, वे थे ज्ञान गुलाल—सत्य ज्ञान जो आत्मा को पवित्रता और दिव्यता में रंगता है।

योग केसर का अर्थ है परमात्मा से योग द्वारा शक्ति प्राप्त करना, जिससे आत्मा शक्तिशाली और विकार मुक्त बनती है। पवित्रता रूपी गुलाब जल आत्मा को शीतलता, शांति और सच्चे आनंद की अनुभूति कराता है।

सच्ची होली का महत्व

समय के साथ भगवान की इस रसीली ज्ञान मुरली को चित्रकारों ने केवल रत्न जड़ित मुरली में बदल दिया और इस आध्यात्मिक होली को स्थूल रंगों के खेल में परिवर्तित कर दिया। आज हम बाहरी रंगों को ही वास्तविक होली मान बैठे हैं, जबकि सच्ची होली का अर्थ है आत्मा को ईश्वरीय ज्ञान और पवित्रता के रंग में रंगना।

जबरदस्ती रंग लगाने का आध्यात्मिक अर्थ

आज की होली में जबरदस्ती रंग लगाने की परंपरा प्रचलित है। यदि कोई व्यक्ति रंगों से बचने की कोशिश करता है, तो उसे जबरदस्ती रंग दिया जाता है। कहा जाता है कि अब तो होली का समय है, रंग तो लगाना ही पड़ेगा। इसका आध्यात्मिक अर्थ बहुत गहरा है।

गीता के भगवान ने जब सतयुग देवी सृष्टि की स्थापना करनी थी, तब उन्होंने गोप-गोपियों को ज्ञान और योग के रंग में रंगा और आदेश दिया—हे वत्स, अब तुम भी इस रंग को दूसरों तक पहुँचाओ। सारी सृष्टि को इस ज्ञान की छींट से रंग दो।

श्रीमद् भागवत में होली

श्रीमद् भागवत में इस होली का दो प्रकार से उल्लेख मिलता है—ज्ञान यज्ञ के माध्यम से ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित ज्ञान यज्ञ द्वारा। भगवान ने कहा, इस ज्ञान यज्ञ से तुम दूसरों को भी देवता बनाकर वृद्धि को प्राप्त करो।

यह श्रीमद् भागवत स्वयं शिव बाबा आकर हमें सुनाते हैं। संगमयुग पर जो ज्ञान देते हैं, उस ज्ञान यज्ञ से तुम दूसरों को भी देवता बनाकर वृद्धि को प्राप्त करो।

सच्ची होली का संदेश

भगवान ने कहा, हे वत्स, मेरा यह गुह्य ज्ञान मेरे भक्तों को सुनाओ, भक्तों को लगाओ। कहां मिलेंगे भक्त? मंदिरों में। यही सच्ची होली थी—ज्ञान और योग के रंग में रंगना और दूसरों को भी इस रंग में रंगने के लिए प्रेरित करना। खुद भी मेहनत करना, दूसरों को रंगने के लिए और उनको रंगने के लिए खुद भी रंगना।

सच्ची होली के लिए संकल्प

आज स्थूल रंग लगाने की जबरदस्ती से केवल हानि होती है। इससे मनमुटाव, झगड़े और दंगे बढ़ते हैं। लेकिन यदि इस पर्व को उसके वास्तविक ज्ञानमय रूप में बदल दें, तो भाईचारा और प्रेम बढ़ेगा।

जब हम इस सच्ची होली को मनाएँगे, तो हमारा जीवन स्वयं एक उत्सव बन जाएगा। सच्ची होली वह है जिसमें आत्मा परमात्मा के रंग में रंग जाती है।

होली के दो पहलू – प्रश्नोत्तर

1. होली के कितने पहलू हैं?

➥ होली के दो पहलू हैं—आध्यात्मिक और स्थूल।

2. आध्यात्मिक होली का क्या अर्थ है?

➥ आध्यात्मिक होली आत्मा की आंतरिक अनुभूति और परमात्मा के ज्ञान एवं योग के रंग में रंगने की प्रक्रिया है।

3. होली को आंतरिक अनुभूति की यात्रा क्यों कहा गया है?

➥ क्योंकि यह आत्मा के भीतर दिव्यता को अनुभव करने और उसे जीवन में धारण करने की यात्रा है।

4. होली का वास्तविक आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

➥ होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि ज्ञान गुलाल और योग के केसर से आत्मा को दिव्यता में रंगने का पर्व है।

5. ज्ञान गुलाल और योग केसर का क्या अर्थ है?

➥ ज्ञान गुलाल सत्य ज्ञान को दर्शाता है, जो आत्मा को पवित्रता में रंगता है, और योग केसर का अर्थ है परमात्मा से शक्ति प्राप्त करना।

6. अलौकिक रंग क्या होता है?

➥ वह दिव्य रंग जो आत्मा को परमात्मा के प्रेम और आनंद में रंग देता है।

7. गीता के भगवान ने किस प्रकार की होली खेली थी?

➥ उन्होंने गोप-गोपियों को ज्ञान गुलाल और योग के केसर में रंगकर सृष्टि को पवित्र बनाने का संदेश दिया था।

8. जबरदस्ती रंग लगाने का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

➥ यह दर्शाता है कि जैसे स्थूल होली में लोग रंग लगाने से बच नहीं सकते, वैसे ही सच्ची होली में आत्मा को भी परमात्मा के ज्ञान और योग में रंगना ही होगा।

9. श्रीमद् भागवत में होली का कौन-सा स्वरूप बताया गया है?

➥ इसमें ज्ञान यज्ञ का उल्लेख है, जिससे आत्मा को ज्ञान और योग के रंग में रंगकर देवता बनाया जाता है।

10. सच्ची होली का संदेश क्या है?

➥ सच्ची होली आत्मा को परमात्मा के रंग में रंगकर ज्ञान और योग से दिव्यता को फैलाना है।

11. स्थूल होली के क्या दुष्प्रभाव हैं?

➥ इससे मनमुटाव, झगड़े और सामाजिक असंतोष बढ़ सकते हैं।

12. सच्ची होली को मनाने से क्या लाभ होगा?

➥ इससे भाईचारा, प्रेम, शांति, और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।

13. क्या हम इस पर्व को ज्ञानमय रूप में बदल सकते हैं?

➥ हां, यदि हम आत्मा को ईश्वरीय ज्ञान और योग में रंगें, तो यह पर्व वास्तविक रूप से शुभ और पवित्र हो जाएगा।

14. होली का अंतिम और सर्वोच्च आध्यात्मिक संदेश क्या है?

➥ आत्मा को परमात्मा के रंग में रंगकर स्वयं को शुद्ध बनाना और दूसरों को भी इस दिव्यता में रंगने की प्रेरणा देना।

🙏 सच्ची होली की शुभकामनाएँ!

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