(75)पहले मनुष्य से पहले देवता तक का सफर
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
]”ओम शांति आदिदेव ब्रह्मा: पहला मनुष्य जिसने देवता बन कर दिखाया | नर से नारायण की यात्रा”
ओम शांति – पहला मनुष्य, पहला देवता
“ओम शांति आदिदेव ब्रह्मा, जिनको हमें फॉलो करना है…”
आज हम उस दिव्य आत्मा के जीवन का 75वां हिस्सा देख रहे हैं,
जिसे शिव बाबा ने “आदि देव” कहा — पहला मनुष्य, पहला विद्यार्थी, पहला कर्मयोगी।
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स्वर्ग कोई कल्पना नहीं – वह फिर से इस धरती पर उतर रहा है।
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पर क्या आपने कभी सोचा: पहला मनुष्य कौन था?
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क्या वो ब्रह्मा था? या नारायण? या श्रीकृष्ण?
आदिदेव ब्रह्मा – पहला मनुष्य, पहला कर्मयोगी
प्रश्न उठता है: पहला मनुष्य कौन?
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कोई मूर्ति नहीं, कोई कल्पना नहीं।
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जैसे कंपनी का पहला कर्मचारी, जो सबको ट्रेनिंग देता है,
वैसे ही ब्रह्मा बाबा — इस युग परिवर्तन सेवा के पहले कर्मयोगी।
🔹 18 जनवरी की मुरली में शिव बाबा ने कहा:
“मैंने पहले-पहले ब्रह्मा को अपनाया, ज्ञान दिया और उसी से तुम बच्चों को पढ़ाया।”
पहला-पहला मुरबी बच्चा – ब्रह्मा बाबा।
ब्रह्मा बाबा का जीवन – मनुष्य से देवता तक की यात्रा
“नर से नारायण” — यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि ब्रह्मा बाबा का अनुभव है।
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सामान्य जीवन: व्यापारी, परिवारिक, बिल्कुल आम इंसान।
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परंतु जब आत्मा सत्य ज्ञान से भर जाती है — वही देवता बन जाती है।
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ब्रह्मा बाबा भी पहले पढ़ाए जाते हैं —
“वही तुम्हारा पहला नंबर विद्यार्थी है” (अव्यक्त मुरली, 18 जनवरी)
उदाहरण:
जैसे काली मिट्टी से सुंदर मूर्ति बनती है,
वैसे ही बाबा ने खुद को ज्ञान से गढ़ा — और देवता बन गए।
33 वर्षों की गुप्त पढ़ाई – ब्रह्मा बाबा का अभ्यास
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बाबा ने 33 वर्षों तक शिव बाबा से गुप्त रीति से पढ़ाई की।
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केवल पढ़ा नहीं — उस ज्ञान पर चला, आचरण में उतारा।
शिव बाबा कहते:
“बच्चे, इसके कदमों पर कदम रख कर चलो।
जैसे यह करता है, वैसे तुमने करना है।”
ब्रह्मा बना मॉडल, उदाहरण, सैंपल —
जिसे फॉलो कर देवता बनना है।
फरिश्ता बनने की अंतिम उड़ान – 18 जनवरी 1969
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जैसे छात्र पढ़ाई पूरी कर परीक्षा पास करता है —
वैसे ही 1969 में ब्रह्मा बाबा ने अंतिम परीक्षा पास की। -
देह से न्यारा होकर फरिश्ता बना — और “बापदादा” बनकर सूक्ष्म से सेवा करने लगे।
🔹 मुख्य पॉइंट:
“ब्रह्मा ने सारी पढ़ाई पूरी कर ली, अब सूक्ष्म में सेवा कर रहा है।”
ब्रह्मा से शंकर बनने का अव्यक्त पार्ट
सवाल: जब पढ़ाई पूरी हो गई — फिर अव्यक्त पालना क्यों?
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क्योंकि शंकर का पार्ट अव्यक्त है, अशरीरी है।
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ब्रह्मा ने साकार में कार्य किया,
पर अब बापदादा बनकर
संकल्पों से रचना कर रहे हैं।
यही है अव्यक्त पालना —
जहां अब ब्रह्मा बाबा नहीं, “शिव + ब्रह्मा = बापदादा” कार्यरत हैं।
उपसंहार: जीवन में ही मुक्ति का अनुभव
ब्रह्मा बाबा ने जो यात्रा तय की —
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मनुष्य से देवता,
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नर से नारायण,
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साकार से अव्यक्त,
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विद्यार्थी से शिक्षक,
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कर्मयोगी से फरिश्ता।
यह सब जीवन में रहते हुए हुआ — यही है जीवन मुक्त अवस्था।
Call to Action (YouTube Ending Script)
यदि आप भी इस जीवन में वही सफर तय करना चाहते हैं —
तो इस दिव्य आत्मा के कदमों पर कदम रखकर चलिए।
[Background Music Suggestion]
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Subtle instrumental with sitar and flute
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Gradual build-up during transformation parts (e.g., from human to deity)
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Angelic tones during Avyakt Palna and Farishta segment
[Thumbnail Text Suggestion]
“पहला मनुष्य कौन? | आदिदेव ब्रह्मा का रहस्य | नर से नारायण की यात्रा”
“ओम शांति आदिदेव ब्रह्मा: पहला मनुष्य जिसने देवता बन कर दिखाया | नर से नारायण की यात्रा” – प्रश्नोत्तर श्रृंखला
प्रश्न 1: “ओम शांति” वास्तव में किसे कहा जाता है?
उत्तर:“ओम शांति” आत्मा की पहचान है — मैं आत्मा शांति स्वरूप हूँ।
परंतु जब हम कहते हैं “ओम शांति आदिदेव ब्रह्मा”, तब यह उस आत्मा की ओर संकेत है,
जो शिव बाबा द्वारा सबसे पहले चुनी गई — पहला मनुष्य, पहला कर्मयोगी।
प्रश्न 2: पहला मनुष्य कौन था? ब्रह्मा, नारायण या श्रीकृष्ण?
उत्तर:पहला मनुष्य कोई कल्पना नहीं बल्कि वास्तविक आत्मा है।
आदि देव ब्रह्मा ही पहला मनुष्य है, जिसे शिव बाबा ने अपनाया और ज्ञान से देवता बनाया।
नारायण और श्रीकृष्ण देवता अवस्था के रूप हैं —
पर उनका बीज रूप – ब्रह्मा बाबा ही है।
प्रश्न 3: शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा को कैसे अपनाया?
उत्तर:शिव बाबा ने 18 जनवरी की मुरली में कहा –
“मैंने पहले-पहले ब्रह्मा को अपनाया, ज्ञान दिया और उसी से तुम बच्चों को पढ़ाया।”
अर्थात ब्रह्मा बाबा ही शिव बाबा का पहला माध्यम बने।
प्रश्न 4: क्या ब्रह्मा बाबा पहले से ही कोई साधु या योगी थे?
उत्तर:नहीं। ब्रह्मा बाबा का जीवन एक सामान्य गृहस्थ व्यापारी का था।
परंतु जब आत्मा सत्य ज्ञान से भर जाती है —
तो वही नर से नारायण बन जाती है।
प्रश्न 5: ब्रह्मा बाबा की “नर से नारायण” बनने की यात्रा कैसे हुई?
उत्तर:
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33 वर्षों तक ब्रह्मा बाबा ने शिव बाबा से गुप्त रीति से ज्ञान लिया।
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केवल सुनकर नहीं — उस ज्ञान पर चलकर,
अपने जीवन को देवता रूप में ढाल लिया। -
जैसे काली मिट्टी से सुंदर मूर्ति बनती है,
वैसे ही बाबा ने आत्मा को ज्ञान से गढ़ा।
प्रश्न 6: ब्रह्मा बाबा को “पहला विद्यार्थी” क्यों कहा गया?
उत्तर:क्योंकि ब्रह्मा बाबा ही शिव बाबा के पहले नंबर का विद्यार्थी थे।
अव्यक्त मुरली (18 जनवरी) में कहा गया:
“वही तुम्हारा पहला नंबर विद्यार्थी है।”
प्रश्न 7: ब्रह्मा बाबा ने देह त्याग कर कहाँ गए?
उत्तर:
18 जनवरी 1969 को उन्होंने देह से न्यारा होकर फरिश्ता रूप धारण किया।
अब वे “बापदादा” बनकर सूक्ष्म लोक से सेवा कर रहे हैं।
जैसे विद्यार्थी पढ़ाई पूरी कर लेता है और शिक्षक बन जाता है।
प्रश्न 8: अगर ब्रह्मा बाबा का पार्ट पूरा हो गया, तो सेवा कैसे चल रही है?
उत्तर:अब ब्रह्मा बाबा का अव्यक्त रूप – “बापदादा” —
संकल्पों और सूक्ष्म संप्रेषण के द्वारा
विश्व परिवर्तन की सेवा कर रहा है।
यह है अव्यक्त पालना,
जहां “शिव + ब्रह्मा = बापदादा” कार्यरत हैं।
प्रश्न 9: ब्रह्मा बाबा का कौन-सा पार्ट शंकर के रूप में है?
उत्तर:ब्रह्मा से शंकर का परिवर्तन सूक्ष्म संकल्प शक्ति द्वारा होता है।
शंकर का पार्ट अशरीरी है — विचारों से, संकल्पों से, परिवर्तन का कार्य।
यह पार्ट अब “बापदादा” निभा रहे हैं।
प्रश्न 10: ब्रह्मा बाबा की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
उत्तर:उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी:
**”जैसा ज्ञान, वैसा आचरण
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