(77)स्वर्ग के सिंहासन की तैयारीः ईश्र्वरीय बच्चाें के लिए दिव्य संदेश
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“स्वर्ग का सिंहासन कैसे पाएँ? | आदिदेव ब्रह्मा को क्यों फॉलो करें | Brahma Kumaris Gyan”
ओम् शांति।
आदिदेव ब्रह्मा — वह आत्मा, जिसे हमें फॉलो करना है।
क्योंकि उसी के जीवन में छिपा है — हमारा श्रेष्ठ भाग्य।
हम ब्रह्मा बाबा के जीवन को जांच रहे हैं, समझने का पुरुषार्थ कर रहे हैं,
क्योंकि उस जीवन में ही छिपी है — स्वर्ग के सिंहासन की चाबी।
स्वर्ग के सिंहासन की तैयारी – दिव्य बच्चों के लिए संदेश
प्रश्न:क्या आपने कभी सोचा — यह साधारण जीवन, साधारण परिवार, साधारण सेवा किसके लिए है?
उत्तर:बाबा कहते हैं — यह सब कुछ स्वर्ग के सिंहासन की तैयारी है।
आज हम जानेंगे कि कैसे ईश्वरीय बच्चे बनते हैं — भविष्य के विश्व सम्राट।
1. सिंहासन किसका होता है? — स्वराज्य अधिकारी का
स्वराज्य का अर्थ है — स्वयं पर राज्य।
जो आत्मा अपनी सोच, बोल, कर्म पर नियंत्रण कर ले — वही बनती है राजा।
मुरली वाक्य (1969):
“जो आत्मा आज मन-वाणी-कर्म पर विजय प्राप्त करती है, वही कल राज्य करेगी।”
2. आत्मा के तीन स्तरों पर राज्य
(A) सूक्ष्म शक्तियाँ — मन, बुद्धि, संस्कार
पहले आत्मा को इन तीनों पर राज्य चाहिए।
जैसे राजा मंत्रियों को नियंत्रण में रखता है।
(B) स्थूल शरीर — कर्मेन्द्रियाँ
आँख, कान, जीभ, हाथ-पैर — ये सब आत्मा की आज्ञा में चलें।
तभी कहलाओगे — कर्मेन्द्रिय जीत।
(C) विश्व पर राज्य — अंतिम स्टेप
जब आत्मा दूसरों के दिलों को जीतती है,
तभी बाप के दिल तख्त पर बैठती है,
और फिर बाबा के देव तख्त की अधिकारी बनती है।
3. ब्राह्मण से देवता – यह कल्पना नहीं, भविष्य है
मुरली वाक्य (1970):
“आज का ब्राह्मण कल का देवता है। जैसे बीज में वृक्ष छुपा होता है, वैसे ही ब्राह्मण आत्मा में देवत्व छुपा है।”
दुनिया कहती है —
“ब्राह्मण सो देवता।”
4. सिंहासन तक पहुँचने की 3 ज़रूरी सीढ़ियाँ
(1) श्रद्धा और निश्चय
“श्रद्धावान विजयी।”
जैसे खिलाड़ी पहले से मानता है — “मैं जीतूंगा।”
(2) शुद्ध संकल्प और दिव्य गुण
“बच्चे, तुम्हारी सोच ही सिंहासन की सीढ़ी है।” (अव्यक्त वाणी 1980)
जितने श्रेष्ठ संकल्प, उतना श्रेष्ठ पद।
(3) बाप समानता और सेवा भावना
“जो बाप समान बने, वही विश्व का मालिक बनता है।”
बाप समानता ही आत्मा को विश्व सेवा का अधिकारी बनाती है।
5. कैसे करें तैयारी? — बाबा की प्रैक्टिकल श्रीमत से
हर कर्म से पहले स्वयं से पूछें:
“क्या यह कर्म मुझे सिंहासन पर बैठा सकता है?”
जैसे IAS की तैयारी करने वाला हर पल गिनता है,
वैसे ही ब्राह्मण आत्मा हर संकल्प की क्वालिटी चेक करती है।
6. स्वयं से करें ये प्रश्न:
-
क्या मैं बाप समान बना?
-
क्या मैं देही-अभिमानी स्थिति में हूँ?
-
क्या मेरे वचन किसी को दुख देते हैं?
मुख्य मंत्र:
“जैसा राजा, वैसा कर्म।
जो सिंहासन चाहता है, वह साधारण कर्म नहीं करता।”
7. बाबा का अंतिम बुलावा — परीक्षा निकट है
मुरली वाक्य (1998):
“बच्चे, अंतिम परीक्षा नज़दीक है। जो तैयार हैं, वही पास होकर सिंहासन पाएँगे।”
अब अभ्यास करो:
-
एक सेकंड में आत्म स्थिति
-
हर कर्म में श्रेष्ठता
-
हर आत्मा को सम्मान
8. यह युद्ध भीतर का है — स्वयं से जीत
बाबा कहते हैं:
“यह सिंहासन सोने का नहीं,
यह संकल्पों की तपस्या से बना है।”
9. सिंहासन तुम्हारा इंतजार कर रहा है
यह कोई कल्पना नहीं, यह एक निश्चित सत्य है।
लेकिन यह आज के कर्मों पर आधारित है।
तो उठो, जागो, और हर पल बाबा की श्रीमत पर चलो।
क्योंकि — सिंहासन तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
प्रश्नोत्तर श्रृंखला: स्वर्ग के सिंहासन की तैयारी
प्रश्न 1:आदिदेव ब्रह्मा को फॉलो करना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:क्योंकि ब्रह्मा बाबा ही वह आत्मा हैं जिन्होंने साधारण जीवन जीते हुए ईश्वरीय श्रीमत पर चलकर दिव्यता को सिद्ध किया। उनके जीवन में ही छिपा है — श्रेष्ठ आत्मिक पुरुषार्थ और स्वर्ग का भाग्य।
प्रश्न 2:बाबा कहते हैं — यह साधारण जीवन किसलिए है?
उत्तर:बाबा कहते हैं — यह साधारण जीवन, परिवार और सेवा स्वर्ग के सिंहासन की तैयारी है।
प्रश्न 3:सिंहासन किसे प्राप्त होता है?
उत्तर:सिंहासन स्वराज्य अधिकारी को मिलता है।
जो आत्मा स्वयं पर अर्थात् मन, वाणी और कर्म पर विजय प्राप्त करती है, वही भविष्य में राज्य करती है।
(मुरली वाक्य – 1969)
प्रश्न 4:स्वराज्य प्राप्ति के तीन चरण कौन-से हैं?
उत्तर:
(A) मन, बुद्धि, संस्कार — आत्मा की सूक्ष्म शक्तियाँ
(B) कर्मेन्द्रियाँ — शरीर की इंद्रियाँ
(C) दिल तख्त — दूसरों के दिलों को जीतना
प्रश्न 5:कर्मेन्द्रिय जीत किसे कहा जाता है?
उत्तर:जब आत्मा की आज्ञा में आँख, कान, जीभ, हाथ-पैर कार्य करें और बाबा की श्रीमत पर चलें, तो उसे कर्मेन्द्रिय जीत कहते हैं।
प्रश्न 6:ब्राह्मण से देवता — यह कल्पना है या सत्य?
उत्तर:यह कल्पना नहीं, एक निश्चित सत्य है।
“आज का ब्राह्मण कल का देवता है। जैसे बीज में वृक्ष छिपा होता है।” (मुरली वाक्य – 1970)
प्रश्न 7:सिंहासन पाने के लिए तीन मुख्य सीढ़ियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
-
श्रद्धा और निश्चय — श्रद्धावान विजयी
-
शुद्ध संकल्प और दिव्यता — सोच ही सिंहासन की सीढ़ी है
-
बाप समानता और सेवा भावना — जो बाप समान बने वही विश्व का मालिक बने
प्रश्न 8:तैयारी कैसे करें?
उत्तर:बाबा की प्रैक्टिकल श्रीमत पर चलकर।
हर कर्म से पहले पूछें — “क्या यह कर्म मुझे सिंहासन पर बैठा सकता है?”
हर संकल्प की गुणवत्ता को चेक करें।
प्रश्न 9:स्वयं से कौन-से प्रश्न करने चाहिए?
उत्तर:
-
क्या मैं बाप समान बना हूँ?
-
क्या मैंने देही-अभिमानी स्थिति रखी?
-
क्या मेरे वचन किसी का दिल दुखाते हैं?
प्रश्न 10:बाबा का अंतिम बुलावा क्या है?
उत्तर:“बच्चे, अंतिम परीक्षा नज़दीक है। जो तैयार हैं, वही सिंहासन पाएँगे।”
(मुरली वाक्य – 1998)
प्रश्न 11:फाइनल तैयारी में क्या करें?
उत्तर:
-
एक सेकंड में आत्म स्थिति
-
हर कर्म में श्रेष्ठता
-
हर आत्मा को सम्मान देना
प्रश्न 12:यह युद्ध किससे है?
उत्तर:यह युद्ध बाहरी नहीं, आंतरिक है — स्वयं की कमजोरियों पर जीत।
बाबा कहते हैं — “यह सिंहासन सोने का नहीं, संकल्पों की तपस्या से बना है।”
प्रश्न 13:क्या स्वर्ग का सिंहासन कोई कल्पना है?
उत्तर:नहीं — यह एक निश्चित सत्य है,
लेकिन यह आज के कर्मों पर आधारित है।
प्रश्न 14:अब हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:उठो, जागो और हर पल बाबा की श्रीमत पर चलो।
क्योंकि सिंहासन तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
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