(78) He who conquered himself became the father of mankind

(78)जिसने स्वयं काे जीता,वही बना मानवता का पिता

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आदि पिता ब्रह्मा बाबा: मानवता का रक्षक कैसे बना एक साधारण आत्मा | आत्म-विजय से विश्व विजय | Brahma Kumaris”


 ओम् शांति

आज हम उस दिव्य आत्मा की कहानी जानने जा रहे हैं,
जिसने स्वयं को जीतकर मानवता का पिता कहलाने का गौरव प्राप्त किया।

यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं,
बल्कि हर आत्मा की उस आंतरिक यात्रा की है,
जिसमें हम स्वयं को बाप समान बना सकते हैं।


1. आत्म विजय: आत्मा की सच्ची सत्ता

शिव बाबा का वचन (16 जून 2025 मुरली):
“बच्चे, पहले स्वयं पर विजय पाओ, तभी सर्व पर विजय पा सकोगे।”

क्या है आत्म विजय?
स्वयं = आत्मा
आत्म विजय = मन, बुद्धि और संस्कार को परमात्मा की श्रीमत पर चलाना।

उदाहरण:
ब्रह्मा बाबा के पास न सेना थी, न धन-संपत्ति।
फिर भी उन्होंने माया पर जीत पाकर “विश्व का पिता” पद प्राप्त किया।

मुख्य संदेश:
जो स्वयं को जीतता है, वही सच्चा राजा बनता है।


2. सूक्ष्म शक्तियों पर विजय: त्रिकोण की शक्ति

 मन + बुद्धि + संस्कार = आत्मा की सूक्ष्म शक्तियाँ
जब ये तीनों श्रीमत पर चलें —
तो कर्मेन्द्रियाँ भी विजय होती हैं, और व्यवहार दिव्य बनता है।

अव्यक्त वाणी 1969:
“जो स्वयं पर राज्य कर सके, वही विश्व पर राज्य कर सकता है।”

परिणाम:
ब्रह्मा बाबा बन गए बाप समान — एक आदर्श नेता, एक दिव्य रक्षक।


3. नव जागरण का बीज: त्याग और समर्पण

 जब ब्रह्मा बाबा ने अपना व्यापार, घर, परिवार सब छोड़ दिया…
दुनिया ने पूछा: “क्या कर रहे हो?”
परमात्मा ने कहा: “तुम बन रहे हो विश्व का आदि पिता।”

मुरली प्रमाण – 1970 की अव्यक्त वाणी:
“जिसने सब कुछ छोड़ा, उसने सब कुछ पाया।”

मुख्य संदेश:
जो सबका हो जाता है, वही विश्व का होता है।


4. त्याग, तपस्या और सेवा की त्रिमूर्ति

शिव बाबा कहते हैं:
“ब्रह्मा की विशेषता थी — त्याग, तपस्या और सेवा।”
साकार मुरली वाणी

उदाहरण:

  • रात-रात भर पत्रों का उत्तर देना

  • छोटे-बड़े को समान देखना

  • हर संबंध को सेवा बना देना

मुख्य प्रेरणा:
सेवा में स्वार्थ नहीं, त्याग चाहिए।
तपस्या से ही दूसरों को बल मिलता है।


5. साधारण से असाधारण तक: मानव से देवता

18 जनवरी विशेष मुरली:
“ब्रह्मा बना देवता — यह परिवर्तन सहज योग और श्रीमत से हुआ।”

उदाहरण:
ब्रह्मा बाबा कोई सन्यासी नहीं थे,
वे गृहस्थ जीवन में रहते हुए देवता बन गए।

मुख्य संदेश:
हर आत्मा स्वयं को जीतकर असाधारण बन सकती है।
हमारा स्कूल अनोखा है — यहां किसी और को नहीं, स्वयं को जीतना होता है।


6. ब्रह्मा बाप समान बनने की प्रेरणा

शिव बाबा का वचन:
“जो ब्रह्मा बाप समान बनेंगे, वही भविष्य के विश्व निर्माता होंगे।”

अर्थ:
हमें भी ब्रह्मा बाबा की तरह बनकर
विश्व के कल्याण का माध्यम बनना है।


Final Message: मानवता का रक्षक बनो

अब समय है —

 स्वयं को जानो,
 श्रीमत पर चलो,
 आत्मा को विजयी बनाओ,
 हर कर्म और संबंध को सेवा में बदल दो।

जो स्वयं पर राज्य करता है, वही सच्चा राजा बनता है।
जो सेवा में समर्पित होता है, वही बाप समान बनता है।

आदि पिता ब्रह्मा बाबा: मानवता का रक्षक कैसे बना एक साधारण आत्मा | आत्म-विजय से विश्व विजय | Brahma Kumaris”


प्रश्न 1:ब्रह्मा बाबा को “मानवता का पिता” क्यों कहा जाता है?

उत्तर:क्योंकि उन्होंने स्वयं को जीतकर — अपनी मन, बुद्धि, और संस्कारों को परमात्मा की श्रीमत पर चलाकर — ऐसा जीवन जीया जो सम्पूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक बन गया।
वे एक साधारण गृहस्थ जीवन से उठकर संपूर्ण आत्मा के आदर्श बन गए।

मुरली प्रमाण (16 जून 2025):
“बच्चे, पहले स्वयं पर विजय पाओ, तभी सर्व पर विजय पा सकोगे।”


प्रश्न 2:“आत्म विजय” का सही अर्थ क्या है?

उत्तर:आत्म विजय का अर्थ है – अपनी सूक्ष्म शक्तियों (मन, बुद्धि, संस्कार) को परमात्मा की श्रीमत पर चलाकर विजयी बनाना।
जो आत्मा स्वयं को जीतती है, वही सच्चे अर्थों में राजा बनती है।

शिव बाबा – अव्यक्त वाणी 1969:
“जो स्वयं पर राज्य कर सके, वही विश्व पर राज्य कर सकता है।”


प्रश्न 3:ब्रह्मा बाबा ने नव जागरण का बीज कैसे बोया?

उत्तर:उन्होंने अपनी सारी सांसारिक चीजें जैसे व्यापार, घर, परिवार आदि छोड़कर, ईश्वर की श्रीमत पर स्वयं को अर्पित कर दिया।
उनका यह त्याग मानवता के लिए नव जागरण का आरंभ बना।

मुरली प्रमाण (1970):
“जिसने सब कुछ छोड़ा, उसने सब कुछ पाया।”


प्रश्न 4:ब्रह्मा बाबा के जीवन में “त्याग, तपस्या और सेवा” का क्या महत्व था?

उत्तर:ब्रह्मा बाबा ने अपने हर कर्म, संबंध और संसर्ग को सेवा बना दिया।
रात-रात भर बच्चों के पत्रों का उत्तर देना, सबको समान दृष्टि से देखना — यह दिखाता है कि सेवा में त्याग और तपस्या जरूरी है।

शिव बाबा (साकार मुरली):
“ब्रह्मा की विशेषता थी — त्याग, तपस्या और सेवा।”


प्रश्न 5:क्या कोई गृहस्थ रहते हुए भी देवता बन सकता है?

उत्तर:हाँ। ब्रह्मा बाबा उसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
वे सन्यासी नहीं थे, परन्तु सहज राजयोग और श्रीमत से उन्होंने अपने जीवन को देवता समान बना लिया।

18 जनवरी विशेष मुरली:
“ब्रह्मा बना देवता — यह परिवर्तन सहज योग और श्रीमत से हुआ।”


प्रश्न 6:हमें ब्रह्मा बाबा से क्या सीखना चाहिए?

उत्तर:हमें ब्रह्मा बाबा से यह सीखना चाहिए कि –
स्वयं पर राज्य करो, सेवा में समर्पित हो जाओ, हर कर्म को दिव्यता में बदलो।
जो ब्रह्मा बाप समान बनते हैं, वही भविष्य के विश्व निर्माता बनते हैं।

शिव बाबा का वचन:
“जो ब्रह्मा बाप समान बनेंगे, वही भविष्य के विश्व निर्माता होंगे।”


Final Message:

“स्वयं को जीतो — मानवता को जीतो।”
 श्रीमत पर चलो
 सेवाधारी बनो
 आत्मा को शक्तिशाली बनाओ
 और बनो बाप समान — विश्व रक्षक।

ओम् शांति।

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