(80)जिसने सदा कहा बच्चे पहले,वही बन गया सबका पहले नंबर का बच्चा ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“जिसने कहा – बच्चे पहले, वही बन गया सबका पहला | ब्रह्मा बाबा की निस्वार्थता | Brahma Kumaris Hindi Speech”
ब्रह्मा बाबा – हमारे अनुकरणीय पथ प्रदर्शक
ओम शांति।
आदिदेव ब्रह्मा बाबा — जिनके कदमों पर चलकर हम भी बाप समान बनने का संकल्प लेते हैं।
आज हम उनके जीवन की एक बहुत ही प्रेरणादायक विशेषता को समझेंगे:
“जिसने सदा कहा – बच्चे पहले, वही बन गया सबका पहला।”
पहला प्रश्न: कौन कहलाता है पहला नंबर का बच्चा?
दुनिया किसे मानती है पहला?
बुद्धिमान को?
शक्तिशाली को?
पर वास्तव में पहला वो होता है —
जो सबसे अधिक स्वार्थ-रहित प्रेम करे।
Murli Point:
“बुद्धिमान या शक्तिशाली नहीं, जो सच्चा प्रेम करे, वही बनता है नंबर वन।”
ब्रह्मा बाबा: स्वार्थ-रहित प्रेम का मूर्त रूप
शिव बाबा तो निराकार हैं,
लेकिन स्वार्थरहित प्रेम को जीवन में उतारने वाले देहधारी हैं — ब्रह्मा बाबा।
उन्होंने जीवन में निस्वार्थता और विनम्रता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया,
जिससे वे बन गए आदिदेव।
“बच्चे पहले” की भावना — एक शक्ति
ब्रह्मा बाबा की वाणी में सदा यही गूंजा:
“मैं नहीं, बच्चे पहले।”
“बच्चों का हक पहले है।”
“मैं तो निमित्त हूं।”
Murli 1968:
“ब्रह्मा ने कभी नहीं कहा ‘मैं’ — सदा कहा ‘बच्चे’।”
गहराई: यह भाव क्यों सहज था ब्रह्मा बाबा के लिए?
बाबा जानते थे:
उनका ड्रामा में नंबर फिक्स है।
कोई उनसे आगे नहीं जा सकता।
उन्हें ही नंबर वन बनना है।
इसलिए वो सबको आगे बढ़ाते गए,
क्योंकि उन्हें निश्चिंतता थी — “मेरा स्थान अडोल है।”
एक प्रेरणादायक उदाहरण:
जब ब्रह्मा बाबा को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ,
तो उन्होंने उसे गुप्त नहीं रखा,
बल्कि हर बच्चे को समान रूप से वह ज्ञान बांटा।
उन्होंने यह अनुभव कराया: “तुम भी मेरे जैसे बन सकते हो।”
सेवा में बच्चों को आगे करना – ब्रह्मा बाबा का व्यवहार
Avyakt Murli 18 जनवरी 1972:
“यह ब्रह्मा बाबा तो सदा बच्चों को आगे करता है।”
जब भी कोई सेवा का अवसर आता —
बाबा कहते — “बच्चा करे, मैं तो निमित्त हूं।”
उन्होंने कभी नहीं कहा — “मैं वरिष्ठ हूं, मुझे करना है।”
बल्कि कहा — “तुम हो विश्व के नेता।”
परिणाम: हर बच्चा बना सशक्त, और बाबा बने नंबर वन फरिश्ता
ब्रह्मा बाबा की इस निस्वार्थता, विनम्रता, और श्रीमत पर चलने की भावना ने उन्हें बनाया:
पहला अव्यक्त सेवाधारी
पहला फरिश्ता
सबका आदिदेव
मुरली वाणी का गहन वाक्य:
Murli Line 1976:
“जो बाप को आगे रखता है, वही अंत में सबसे आगे निकलता है।”
अभ्यास हमारे लिए — “मैं नहीं, बच्चे पहले”
अगर हमारी आत्मा उड़ान भरना चाहती है,
तो हमें भी इस भावना को जीवन में उतारना होगा:
दूसरों को सेवा का अवसर देना
स्वयं को निमित्त समझना
हर आत्मा को सम्मान देना और आगे करना
संकल्प आज का:
“मैं भी ब्रह्मा बाबा की तरह
बच्चों को आगे रखूंगा,
स्वयं को निमित्त मानूंगा,
बाप की स्मृति में रहकर कार्य करूंगा।”
जिसने सदा कहा —
“बच्चे पहले”,
वही बन गया —
सब बच्चों का पहला,
बाप का सबसे प्रिय,
सबसे समीप,
और सबसे श्रेष्ठ सेवाधारी।
स्मरण:
जब हम बापदादा को याद करते हैं,
तो स्मृति में उभरता है वह पहला बच्चा,
जिसने खुद के लिए कुछ नहीं चाहा,
पर बच्चों को सब कुछ देने वाला बन गया।
ओम् शांति।
प्रश्नोत्तरी (Q&A): “जिसने कहा – बच्चे पहले, वही बन गया सबका पहला”
ब्रह्मा बाबा की निस्वार्थता | Brahma Kumaris Hindi Speech
प्रश्न 1: “पहला नंबर का बच्चा” किसे कहा जाता है?
उत्तर:संसार में पहला नंबर उस आत्मा को कहा जाता है जो स्वार्थरहित प्रेम की सजीव मूर्ति हो।
बुद्धिमत्ता या शक्ति से नहीं, बल्कि जो सच्चा, निस्वार्थ प्रेम करे — वही बनता है नंबर वन।
Murli Point:
“बुद्धिमान या शक्तिशाली नहीं, जो सच्चा प्रेम करे, वही बनता है नंबर वन।”
प्रश्न 2: ब्रह्मा बाबा को पहला नंबर का बच्चा क्यों कहा गया?
उत्तर:क्योंकि उन्होंने सदा कहा —
“बच्चे पहले”
“मैं तो निमित्त”
“बच्चों का हक पहले”
और उसी भावना में सबको आगे बढ़ाया।
नतीजा — वे स्वयं बन गए पहले नंबर के वारिस।
Murli 1968:
“ब्रह्मा ने कभी नहीं कहा ‘मैं’, सदा कहा ‘बच्चे’।”
प्रश्न 3: क्या यह भावना ब्रह्मा बाबा के संस्कारों में पहले से थी?
उत्तर:हाँ, उनके पास यह गहरा निश्चय था कि “नंबर वन तो मुझे ही बनना है।”
इसलिए वे सहज रूप से सबको आगे कर सके,
क्योंकि उन्हें भरोसा था — “कोई मेरे से ऊपर जा नहीं सकता।”
प्रश्न 4: ब्रह्मा बाबा ने ज्ञान को गुप्त क्यों नहीं रखा?
उत्तर:क्योंकि उनकी भावना थी —
“यह ज्ञान सबका है, मेरा नहीं।”
उन्होंने बच्चों को अनुभव कराया:
“तुम भी मेरे जैसे बन सकते हो।”
यह ही सच्चे बाप समान बनने की भावना थी।
प्रश्न 5: सेवा में बाबा ने बच्चों को कैसे आगे किया?
उत्तर:हर सेवा के अवसर पर बाबा कहते:
“बच्चा करे, मैं तो निमित्त हूं।”
उन्होंने कभी नहीं कहा — “मैं वरिष्ठ हूं।”
बल्कि कहा — “तुम हो विश्व के नेता।”
Avyakt Murli 18 जनवरी 1972:
“ब्रह्मा बाबा सदा बच्चों को आगे करता है।”
प्रश्न 6: इस भावना का परिणाम क्या हुआ?
उत्तर:बच्चे सशक्त बने,सेवा में निडर बने,और बाबा स्वयं बन गए:
पहला फरिश्ता
पहला अव्यक्त सेवाधारी
सबका आदिदेव
प्रश्न 7: ब्रह्मा बाबा ने श्रीमत पर चलने का क्या आदर्श रखा?
उत्तर:उन्होंने कभी अपनी राय नहीं दी,
हमेशा कहा —
“बाप कहते हैं…”
“मैं तो निमित्त हूं।”
Murli Line 1976:
“जो बाप को आगे रखता है, वही अंत में सबसे आगे निकलता है।”
प्रश्न 8: हम अपने जीवन में “बच्चे पहले” को कैसे लाएं?
उत्तर:सेवा का अवसर दूसरों को देना स्वयं को निमित्त समझना
बाप की स्मृति में रहकर कार्य करना
“मैं नहीं — बच्चे पहले” का अभ्यास करना
प्रश्न 9: ब्रह्मा बाबा की सबसे महान विशेषता क्या थी?
उत्तर:निस्वार्थ प्रेम,विनम्रता,
सबको आगे करने की भावना
इन गुणों ने उन्हें बाप का सबसे प्रिय, समीप और श्रेष्ठ सेवाधारी बना दिया।
प्रश्न 10: हमें क्या संकल्प लेना चाहिए?
उत्तर:“मैं भी बाबा की तरह बच्चों को हक दूंगा,
बाप की स्मृति में रहकर
सच्चा निमित्त बनकर सेवा करूंगा।”
समापन स्मृति:
जब हम ब्रह्मा बाबा को याद करते हैं,
तो याद आता है —
वह पहला बच्चा, जिसने खुद के लिए कुछ नहीं चाहा,
लेकिन बच्चों को सब कुछ दे दिया।
ओम् शांति।
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