(81)अब बाप और बाबा,एक बनकर सेवा में आते हैं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“अब बाप और बाबा एक बनकर सेवा में आते हैं | ब्रह्मा बाबा का दिव्य रहस्य | Brahma Kumaris Hindi
ब्रह्मा बाबा – आत्मा के लिए चलता-फिरता दर्पण
ओम् शांति।
ब्रह्मा बाबा का जीवन चरित्र हमारे लिए केवल इतिहास नहीं, एक दर्पण है।
जैसे दर्पण हमें चेहरा दिखाता है, वैसे ही ब्रह्मा बाबा हमारी आत्मिक स्थिति का दर्पण बनते हैं।
इस दर्पण में देखकर हम अपनी कमज़ोरियों को पहचानते हैं, और स्वयं को ब्रह्मा समान, फिर शिव समान बनाने का अभ्यास करते हैं।
1. बाप और बाबा – दो आत्माएं, लेकिन एक ही सेवा
मुरली रिफरेंस: 24 मार्च 1982 की साकार मुरली
बापदादा ने कहा —
“बच्चे, शिव है बाप और ब्रह्मा है दादा। अब ये दोनों एक बनकर सेवा कर रहे हैं।”
-
शिव बाबा — परमपिता परमात्मा
-
ब्रह्मा बाबा — माध्यम आत्मा, जो साकार में हमारे बीच रहे
इन दोनों आत्माओं का उद्देश्य एक है — मानवता का कल्याण और आत्मिक जागृति।
2. ज्ञान और दर्पण का अद्भुत संगम
उदाहरण:
जैसे सूरज की रोशनी और दर्पण मिलकर प्रकाश को सामने लाते हैं,
वैसे ही शिव बाबा ज्ञान के सूरज हैं, और ब्रह्मा बाबा उस ज्ञान का दर्पण।
-
शिव बाबा — दिव्य ज्ञान के दाता
-
ब्रह्मा बाबा — उस ज्ञान को जीवन में अपनाकर प्रैक्टिकल एग्जांपल बनते हैं
3. 18 जनवरी 1969 – जब रूप बदला, सेवा नहीं
उस दिन ब्रह्मा बाबा ने देह त्याग कर फरिश्ता रूप धारण किया।
अब शिव बाबा ब्रह्मा के अव्यक्त रूप द्वारा सेवा कर रहे हैं।
अव्यक्त मुरली 1975:
“यह हैं बापदादा — दो आत्माएं लेकिन सेवा एक।”
अब सेवा होती है —
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संकल्पों से
-
दृष्टि से
-
शक्ति से
उदाहरण:
जैसे एक सूर्य बादलों के पीछे से भी प्रकाश देता है,
वैसे ही अब बापदादा साकार न होकर भी सटल सेवा में जुटे हैं।
4. योग में अनुभव करें – दो का एक रूप
अब योग में केवल शिव बाबा नहीं,
बल्कि ब्रह्मा बाबा को भी साथ में अनुभव करना है।
साधना टिप:
“हे बाप दादा, आज मैं आपके समान सेवा करूंगा।”
ना साकार, ना अव्यक्त — सिर्फ सशक्त संकल्पों से सेवा।
5. सेवा का वर्तमान स्वरूप – सटल सेवा
मुरली पॉइंट:
“बापदादा अब हर बच्चे के संकल्प द्वारा विश्व सेवा में संलग्न हैं।”
अब सेवा वाणी से नहीं —
बल्कि संकल्प, दृष्टि, और शक्ति से हो रही है।
उदाहरण:
बापदादा अब एक सटल रेडियो की तरह काम करते हैं —
हर ब्राह्मण आत्मा उनकी सेवाधारी उपकरण बन जाती है।
6. हमारे कर्मों में दिखे बापदादा की झलक
अव्यक्त वाणी 1982:
“बच्चे, अब बाप और बाबा की झलक तुम्हारे कर्म में होनी चाहिए।”
अभ्यास करें:
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शिव की निस्वार्थता
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ब्रह्मा की नम्रता
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शिव की स्थिरता
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ब्रह्मा की सहजता
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शिव की तटस्थता
-
ब्रह्मा की जिम्मेदारी
इन्हें अपनाकर हम बनें बापदादा समान।
7. निष्कर्ष – बापदादा की संतान होने का सौभाग्य
अब है सेवा का युग,
जहां दो आत्माएं एक होकर विश्व उद्धार कर रही हैं।
हम सौभाग्यशाली हैं कि हम उन बापदादा की संतान हैं —
जिनकी साक्षात उपस्थिति संगमयुग की सबसे बड़ी प्राप्ति है।
संकल्प करें:
हम भी इस एकत्व को अपने जीवन में लाकर
संगम युग को सार्थक बनाएं।
अंतिम संदेश:
“तुम आत्माएं सदा के लिए बाप के समीप और समान बनो।
ज्ञान के रंग में रंगे, रूहानी गुलाब बनो।”
– बापदादा
ओम् शांति।
“अब बाप और बाबा एक बनकर सेवा में आते हैं”
ब्रह्मा बाबा का दिव्य रहस्य | Brahma Kumaris Hindi Speech – प्रश्नोत्तर शैली
प्रश्न 1: ब्रह्मा बाबा को “चलता-फिरता दर्पण” क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि जैसे दर्पण चेहरा दिखाता है, वैसे ही ब्रह्मा बाबा का जीवन हमें हमारी आत्मिक स्थिति दिखाता है। उनके जीवन को देखकर हम अपनी कमज़ोरियों को पहचानकर स्वयं को सुधार सकते हैं।
प्रश्न 2: “बाप” और “बाबा” में क्या अंतर है?
उत्तर:
-
बाप (Shiv Baba) — परमपिता परमात्मा
-
बाबा (Brahma Baba) — माध्यम आत्मा, जो साकार में शिव बाबा की वाणी को व्यक्त करती है
साकार मुरली 24 मार्च 1982:
“बच्चे, शिव है बाप और ब्रह्मा है दादा। अब दोनों एक बनकर सेवा कर रहे हैं।”
प्रश्न 3: शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा की सेवा में क्या एकता है?
उत्तर: शिव बाबा ज्ञान के सूरज हैं, और ब्रह्मा बाबा उस ज्ञान का दर्पण हैं। एक ज्ञान देते हैं, और दूसरा उसे जीवन में लागू करके उदाहरण बनते हैं।
प्रश्न 4: 18 जनवरी 1969 के बाद ब्रह्मा बाबा की सेवा में क्या बदलाव आया?
उत्तर: उस दिन ब्रह्मा बाबा ने देह का त्याग कर फरिश्ता रूप धारण किया। अब शिव बाबा, ब्रह्मा के अव्यक्त रूप द्वारा सेवा कर रहे हैं। सेवा अब संकल्प, दृष्टि और शक्ति के माध्यम से हो रही है।
अव्यक्त मुरली 1975:
“यह हैं बापदादा — दो आत्माएं लेकिन सेवा एक।”
प्रश्न 5: योग में बाप और बाबा का अनुभव कैसे करें?
उत्तर: योग में केवल शिव बाबा को नहीं, ब्रह्मा बाबा को भी अनुभव करें। दोनों की संयुक्त अनुभूति से ही संपूर्ण अनुभव होगा।
संकल्प:
“हे बापदादा, आज मैं आपके समान सेवा करूंगा।”
प्रश्न 6: सेवा का वर्तमान स्वरूप क्या है?
उत्तर: अब सेवा वाणी से नहीं बल्कि संकल्पों, दृष्टि और शक्ति से होती है।
मुरली पॉइंट:
“बापदादा अब हर बच्चे के संकल्प द्वारा विश्व सेवा में संलग्न हैं।”
प्रश्न 7: बापदादा की झलक हमारे कर्म में कैसे दिखे?
उत्तर:
अव्यक्त वाणी 1982:
“बच्चे, अब बाप और बाबा की झलक तुम्हारे कर्म में होनी चाहिए।”
अभ्यास करें:
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शिव की निस्वार्थता
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ब्रह्मा की नम्रता
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शिव की स्थिरता
-
ब्रह्मा की सहजता
-
शिव की तटस्थता
-
ब्रह्मा की जिम्मेदारी
प्रश्न 8: इस ज्ञान का सार और हमारा संकल्प क्या होना चाहिए?
उत्तर:अब समय है दो आत्माओं की एकता को अनुभव कर, बापदादा समान बनकर सेवा में लगने का।
संकल्प:
“मैं अपने कर्म, संकल्प, और स्वभाव में बापदादा की झलक लाऊँगा।”
अंतिम संदेश:
“तुम आत्माएं सदा के लिए बाप के समीप और समान बनो।
ज्ञान के रंग में रंगे, रूहानी गुलाब बनो।” – बापदादा
ओम् शांति।
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