(91)गीता का भगवान कौन है?

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गीता का भगवान कौन?

आज हम इसका 90वां पॉइंट कर रहे हैं।

क्या श्री कृष्ण को जगत पिता कहा जा सकता है?
क्या गीता के अनुसार असली परमपिता कौन है?

पहला प्रश्न

क्या श्री कृष्ण ही जगत पिता है?
अक्सर लोग मान लेते हैं कि गीता के गायक भगवान स्वयं श्री कृष्ण हैं।
परंतु गीता में भगवान ने कहा है –
“मैं जगत का माता-पिता हूं।”

अध्याय सात श्लोक 17
परमात्मा कहते हैं –
“मैं जगत का माता-पिता हूं।
उनमें से ज्ञानी ही नित्य योगयुक्त और एकनिष्ठ भक्ति करने वाला है।
विशेष श्रेष्ठ है क्योंकि मैं ज्ञानी के लिए अत्यंत प्रिय हूं और वह ज्ञानी भी मुझे अत्यंत प्रिय है।”

लेकिन प्रश्न यह है कि क्या श्री कृष्ण को जगत का पिता कहा जा सकता है?
उत्तर है – नहीं भाई जी।
क्योंकि श्री कृष्ण स्वयं रचना है।

दूसरा प्रश्न

श्री कृष्ण के माता-पिता थे।
उन्होंने वासुदेव और देवकी के यहां जन्म लिया।
जन्म स्थान जेल था और फिर उन्हें यशोदा के पास पहुंचा दिया गया।

इस प्रकार श्रीकृष्ण के दो माता-पिता दिखाए गए हैं –

  1. जन्म देने वाले (वासुदेव-देवकी)

  2. पालन करने वाले (नंद-यशोदा)

तो वे स्वयं किसी के माता-पिता कैसे हो सकते हैं?
अपने माता-पिता के ही संतान थे।

असली परमपिता कौन?

गीता के गायक ने स्वयं को जगत का माता-पिता, अविनाशी बीज और सर्वलोक महेश्वर कहा है।

गीता अध्याय 10 श्लोक 8
“अहम् सर्वस्य प्रभवः
मत्तः सर्वं प्रवर्तते।
इति मत्वा भजन्ते मां
बुधा भावसमन्विताः॥”

भावार्थ:
मैं ही संपूर्ण जगत का आदि कारण हूं।
मुझसे ही सब कुछ प्रकट होता है।
ऐसा जानकर बुद्धिमान मेरी ही भक्ति करते हैं।

इसलिए असली परमपिता है –
जगत का अविनाशी बीज, ज्योति बिंदु परमात्मा शिव।

क्योंकि यह बातें श्रीकृष्ण के लिए नहीं हो सकतीं।
श्रीकृष्ण तो विष्णु का साकार रूप हैं, जबकि ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी शिव की रचना हैं।

भगवान ही गुरुओं का गुरु

गीता अध्याय 11 श्लोक 37 में कहा गया है –
“आप ब्रह्मा के भी आदिता, अनंत देवताओं के ईश्वर और संपूर्ण जगत के आश्रय हैं।
आप अक्षर हैं – सत और असत से परे परम तत्व हैं।”

इसका भाव है कि –
परमात्मा ही गुरुओं का गुरु है।
श्रीकृष्ण तो स्वयं शिक्षा प्राप्त करते थे।


👉 निष्कर्ष यही है कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं बल्कि शिव परमात्मा हैं।
वे त्रिकालदर्शी और त्रिभुवनेश्वर हैं।
संपूर्ण सृष्टि का अविनाशी बीज वही हैं।

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