(67) When the sun rises over Japan

(67)जब सूर्य जापान से उगता है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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जब सूर्य जापान से उगता है – ब्रह्मा बाबा और विश्व शांति की शुरुआत स्वयं से” | BK प्रेरणादायक स्पीच


 ओम शांति

हम ब्रह्मा बाबा के जीवन को इसलिए देख रहे हैं ताकि उससे प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकें।
जैसे ब्रह्मा बाबा बाप समान बने, वैसे ही हम भी बन सकें — यह ही सच्ची पालना की पहचान है।


 विषय प्रस्तावना: “जब सूर्य जापान से उगता है”

  • कहा जाता है कि सूर्य सबसे पहले जापान से निकलता है।

  • जापानवासी स्वयं को सूर्यवंशी मानते हैं।

  • इसी प्रकार, जब आत्मा स्वयं में शांति का अनुभव करती है, तब वह आत्मिक सूर्य बनकर दूसरों को भी रोशनी दे सकती है।


 सच्ची शांति की शुरुआत कहां से?

“Peace begins with the self.”

  • जब तक आत्मा स्वयं में शांति का अनुभव नहीं करेगी, सच्ची विश्वशांति संभव नहीं।

  • विश्वशांति का आधार है – व्यक्तिगत आत्मिक शांति

उदाहरण:
जैसे एक बीमार व्यक्ति किसी को स्वास्थ्य नहीं दे सकता, वैसे ही अशांत आत्मा शांति नहीं फैला सकती।


 ऐतिहासिक घटना: जापान में विश्व धर्म सम्मेलन – 1954

  • 1950 में ब्रह्माकुमारियाँ सेवा में आईं।

  • मात्र 4 साल बाद, 1954 में जापान में विश्व धर्म सम्मेलन हुआ।

  • बी.के. दादी प्रकाशमणि जी ने वहां मंच संभाला और ईश्वर के अवतरण पर गूढ़ भाषण दिया।

 विषय बना – “शांति की शुरुआत स्वयं से संसार तक”

  • शांति की शुरुआत स्वयं से होती है, फिर यह संसार में स्वाभाविक रूप से फैलती है।

  • दादी ने कहा:

    “Don’t worry about peace on Earth. That is God’s task.”


 दोषपूर्ण चक्र से सद्गुण चक्र की ओर

 गिरती कला का चक्र:

  • आत्मा विकारों के चक्र में फंसी हुई है।

  • मनुष्य बुरे कर्म करते-करते और गिरते चला जाता है।

 चढ़ती कला का चक्र:

  • जब आत्मा राजयोग द्वारा शिव परमात्मा से जुड़ती है, तो विकारी चक्र से मुक्त होती है।

  • दिव्य गुणों से भरपूर, एक सद्गुणयुक्त सर्कल की रचना होती है।

राजयोग = आत्मा की मर्यादाओं और संस्कारों का पुनर्निर्माण


 मुरली सार:

साकार मुरली – 21 जनवरी 2023:

“पहले स्वयं में शांति का अनुभव करो, तब संसार में शांति स्वभाव से फैलेगी।”

अव्यक्त मुरली – 18 मई 2024:

“तुम योगबल से अपने संस्कार बदलो। अनुभव जितना बढ़ेगा, बल उतना ही बढ़ेगा।”


 परमात्मा की भूमिका – शांति स्थापन

  • परमात्मा का कार्य है धरती पर शांति की स्थापना करना।

  • हमें केवल स्वयं को बदलना है – आत्मा को शक्तिशाली और शांत बनाना है।

“Real World Peace begins with Real Inner Peace.”
और यह शांति केवल परमात्मा शिव द्वारा सिखाए गए सहज राजयोग से ही प्राप्त हो सकती है।

जैसे सूर्य जापान से निकलता है और फिर सारी दुनिया में रोशनी फैलती है, वैसे ही जब हम एक-एक आत्मा स्वयं में शांति का सूर्य बनेंगे — तभी सच्ची विश्वशांति आएगी।

तो आइए, ब्रह्मा बाबा से प्रेरणा लें, राजयोग द्वारा स्वयं को शांत करें और संसार में शांति का प्रकाश फैलाएं।

“जब सूर्य जापान से उगता है – ब्रह्मा बाबा और विश्व शांति की शुरुआत स्वयं से”

BK प्रेरणादायक प्रश्नोत्तर (Q&A)

प्रश्न 1: “जब सूर्य जापान से उगता है” – इस कहावत का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

उत्तर:सूर्य सबसे पहले जापान में दिखाई देता है, इसलिए जापानवासी स्वयं को सूर्यवंशी कहते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से, जब आत्मा स्वयं में शांति का अनुभव करती है, तब वह आत्मिक सूर्य बन जाती है जो औरों को भी रोशनी व शांति दे सकती है।

प्रश्न 2: सच्ची विश्वशांति की शुरुआत कहां से होती है?

उत्तर:सच्ची शांति की शुरुआत स्वयं से होती है। जब आत्मा भीतर से शांत होती है, तभी वह अपने वातावरण को शांत कर सकती है।
Peace begins with the self.

उदाहरण:जैसे कोई बीमार व्यक्ति दूसरों को स्वास्थ्य नहीं दे सकता, वैसे ही अशांत आत्मा शांति नहीं फैला सकती।


प्रश्न 3: ब्रह्माकुमारियों की जापान में सेवा की क्या ऐतिहासिक घटना रही?

उत्तर:सन् 1954 में जापान में विश्व धर्म सम्मेलन हुआ, जिसमें बी.के. प्रकाशमणि दीदी ने भाग लिया।
उन्होंने मंच से यह संदेश दिया कि “शांति की शुरुआत स्वयं से होती है।”
उन्होंने यह भी कहा:

“Don’t worry about peace on Earth. That is God’s task.”


प्रश्न 4: गिरती कला और चढ़ती कला के चक्र में क्या अंतर है?

उत्तर: गिरती कला का चक्र:

  • आत्मा विकारों में फंस जाती है।

  • बुरे कर्मों से और अधिक पतन होता है।

चढ़ती कला का चक्र:

  • राजयोग द्वारा आत्मा परमात्मा से जुड़ती है।

  • दिव्य गुणों के कारण आत्मा ऊँचाई को प्राप्त करती है।

राजयोग = आत्मा की मर्यादाओं और संस्कारों का पुनर्निर्माण


प्रश्न 5: मुरली में शांति और संस्कारों पर क्या कहा गया?

 उत्तर:
साकार मुरली (21 जनवरी 2023):

“पहले स्वयं में शांति का अनुभव करो, तब संसार में शांति स्वभाव से फैलेगी।”

अव्यक्त मुरली (18 मई 2024):

“तुम योगबल से अपने संस्कार बदलो। अनुभव जितना बढ़ेगा, बल उतना ही बढ़ेगा।”


प्रश्न 6: परमात्मा की भूमिका शांति स्थापना में क्या है?

उत्तर:परमात्मा शिव का कार्य है धरती पर शांति की स्थापना करना।
हमें केवल स्वयं को बदलना है – आत्मा को शक्तिशाली व शांत बनाना है।

Real World Peace begins with Real Inner Peace.
और यह शांति हमें केवल सहज राजयोग से प्राप्त हो सकती है।


प्रश्न 7: इस प्रेरणादायक संदेश से हम क्या सीख लें?

उत्तर:जैसे सूर्य जापान से निकलकर सारी दुनिया को रोशनी देता है,
वैसे ही हमें भी आत्मिक सूर्य बनकर पहले स्वयं में शांति लानी है,
फिर वह शांति अपने परिवार, समाज और फिर संसार में फैल जाएगी।

“ब्रह्मा बाबा से प्रेरणा लें, स्वयं को शांत करें, और विश्व को शांति का प्रकाश दें।”

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