रावण के वंशज कौन हैं?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
रावण के वंशज कौन हैं? | बेहद गुप्त पहचान | BK Om Shanti Gyan”
“ओम् शांति – रावण के वंशज कौन हैं?”
1. रावण के वंशज पता है भाई?
हर साल दशहरे पर रावण को जलाया जाता है।
हम सोचते हैं, रावण मर गया…
लेकिन मुरली (22 जनवरी 1982) में बाबा ने स्पष्ट किया:
“राम, रावण को तो जला देते हैं, लेकिन रावण के वंशज अपना दांव लगाते हैं।”
रावण तो चला गया, पर उसके बाल-बच्चे?
2. मधुबन: सिर्फ वरदान नहीं, बल्कि विदाई भूमि
जब हम मधुबन आते हैं, तो केवल बापदादा से वरदान लेने नहीं आते —
बल्कि एक दृढ़ संकल्प करने आते हैं:
“अब कोई भी कमजोरी मेरे जीवन में दोबारा प्रवेश न करे।”
मधुबन का अर्थ है:
कमजोरियों को सदा के लिए विदाई देना।
आत्मा की रावणी वंश से मुक्ति।
3. रावण मर गया, परंतु उसके वंश…
जैसे किसी अमीर की मृत्यु के बाद दूर के रिश्तेदार संपत्ति लेने चले आते हैं,
उसी प्रकार रावण मरता है,
लेकिन उसके वंश — काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के सूक्ष्म अंश —
हमारे जीवन में चुपचाप प्रवेश कर जाते हैं।
अब जानिए: रावण के वंश कौन-कौन हैं?
4. लोभ का वंश: “ज़रूरत की आड़ में लालच”
“फ्री में मिल रहा है? तो दो गिलास पी लो!”
“थोड़ा और खा लो — गुलाब जामुन ही तो हैं!”
बाबा कहते हैं:
“ज़रूरत जितनी हो, उतनी ठीक है।
हद से बढ़े, तो वह लोभ का अंश बन जाता है।”
उदाहरण:
नया मोबाइल — “ज़रूरत है!”
हर दिन नई वैरायटी — “ज़रूरत है!”
ये सब लोभ के सूक्ष्म अंश हैं।
5. काम का वंश: “स्नेह के नाम पर झुकाव”
“मुझे इस बच्चे से बहुत प्यार है।”
“ये भाई/बहन मुझे बहुत अच्छा लगता है।”
भले आप ब्रह्मचारी हों, लेकिन…
किसी विशेष आत्मा के प्रति झुकाव
बार-बार देखने, बात करने, सेवा देने की इच्छा
ये सब काम विकार के सूक्ष्म अंश हैं।
बाबा कहते हैं:
“विशेष स्नेह — एक्स्ट्रा स्नेह — मतलब काम का अंश।”
मर्यादा क्या है?
सब आत्माओं के प्रति समान स्नेह।
6. क्रोध का वंश: “घृणा के नाम पर किनारा”
“मुझे इससे घृणा है… मैं इससे बात नहीं करता।”
बाबा ने मुरली में कहा:
“स्वभाव देखकर किनारा करना — ये क्रोध का अंश है।”
मन में क्रोध है, लेकिन वह खुलकर नहीं आता —
किनारा करने में व्यक्त हो जाता है।
मर्यादा क्या है?
सबके साथ समान व्यवहार — ना नज़दीक, ना किनारा।
रावण को जलाने से पहले उसके वंशजों को पहचानो।
“सत्य अहिंसा की तलवार से
काम-क्रोध-लोभ-मोह के अंश को समाप्त करो।”
अब समय है:
मधुबन आने का मतलब सिर्फ यात्रा नहीं,
बल्कि स्वयं से एक वचन:
“अब कोई भी रावण वंशज मेरी आत्मा में प्रवेश न करे।”
“रावण के वंशज कौन हैं? | बेहद गुप्त पहचान | BK Om Shanti Gyan”
❓प्रश्न-उत्तर शैली में स्पीच: “रावण के वंशज कौन हैं?”
❓प्रश्न 1: हर साल दशहरे पर रावण को जलाया जाता है, लेकिन क्या रावण का अंत हो गया?
✅उत्तर:बिलकुल नहीं।22 जनवरी 1982 की मुरली में बापदादा ने कहा:
“राम, रावण को तो जला देते हैं, लेकिन रावण के वंशज अपना दांव लगाते हैं।”
इसका मतलब है — रावण का प्रतीकात्मक अंत होता है, लेकिन उसके “सूक्ष्म वंशज” आज भी आत्मा के भीतर सक्रिय हैं।
❓प्रश्न 2: मधुबन जाना क्यों जरूरी है? क्या केवल वरदान लेने के लिए?
✅उत्तर:नहीं, मधुबन जाना सिर्फ वरदान लेने के लिए नहीं,
बल्कि कमजोरियों को विदाई देने का स्थल है।
यहां आत्मा संकल्प करती है:
“अब कोई भी कमजोरी दोबारा मेरे जीवन में प्रवेश न करे।”
यही है — रावण वंश से मुक्ति।
❓प्रश्न 3: अगर रावण मर गया, तो उसके वंशज कौन हैं?
✅उत्तर:रावण के वंशज हैं — काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार के सूक्ष्म अंश।
जैसे किसी अमीर की मृत्यु के बाद दूर के रिश्तेदार संपत्ति मांगने आते हैं,
वैसे ही ये विकार भी सूक्ष्म रूप में आत्मा में प्रवेश कर जाते हैं।
❓प्रश्न 4: लोभ का वंश क्या होता है?
✅उत्तर:“ज़रूरत की आड़ में लालच”
बाबा कहते हैं —
“हद से बढ़ी आवश्यकता, लोभ बन जाती है।”
उदाहरण:
-
दो गिलास दूध पी लेना — क्योंकि फ्री है!
-
ज़रूरत से ज्यादा खाना — क्योंकि पसंद है!
-
हर समय नया मोबाइल, कपड़े — “ज़रूरत है!”
यह सब लोभ के सूक्ष्म अंश हैं।
❓प्रश्न 5: काम विकार का वंश कैसे दिखाई देता है?
✅उत्तर:“स्नेह के नाम पर झुकाव”
-
किसी आत्मा की ओर बार-बार मन खिंचना
-
उसकी सेवा, बातचीत, विशेष भावना
-
विशेष भाई/बहन की तरफ आकर्षण
बाबा कहते हैं —
“विशेष स्नेह = काम का सूक्ष्म अंश”
मर्यादा:
सभी आत्माओं के प्रति समान स्नेह रखें।
❓प्रश्न 6: क्रोध का वंशज कैसे पहचानें?
✅उत्तर:“घृणा के नाम पर किनारा”
-
जब हम कहते हैं — “मुझे उससे बात नहीं करनी”,
-
“मुझे उसका स्वभाव पसंद नहीं”
यह खुला क्रोध नहीं, परंतु अंदर का किनारा करना —
क्रोध का सूक्ष्म रूप है।
मर्यादा:
हर आत्मा के साथ समान व्यवहार — ना ज़्यादा नज़दीक, ना दूरी।
❓प्रश्न 7: रावण के इन वंशजों से कैसे मुक्त हों?
✅उत्तर:
-
इन्हें पहले पहचानो
-
फिर सत्य अहिंसा की तलवार से आत्मा को स्वच्छ करो
-
मधुबन में आकर दृढ़ संकल्प लो:
“अब कोई भी रावण वंशज मेरी आत्मा में प्रवेश न करे।”
रावण जलाने से कुछ नहीं होगा,
जब तक उसके वंशजों को न पहचाना और समाप्त किया जाए।
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