(1) राजयोग केवल शिवबाबा ही क्यों सिखा सकते हैं?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“सहज राजयोग के 10 दिव्य लाभ – स्वयं ईश्वर से मिलने वाला अद्भुत वरदान | BK Rajyog Benefits”
मुख्य विषय: सहज राजयोग के लाभ
– स्वयं ईश्वर सिखाते हैं यह दिव्य योग
1. स्वयं ईश्वर सिखाते हैं
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सवाल उठता है – क्या राजयोग कोई भी सिखा सकता है?
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नहीं! यह कोई साधारण योग नहीं।
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मुरली में बार-बार ईश्वर कहते हैं:
“बच्चे, सहज राजयोग मैं स्वयं सिखाता हूं।”
यह योग आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेमपूर्ण संबंध है।
2. सहज राजयोग क्या है?
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यह कोई कठिन आसन या तपस्या नहीं।
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यह एक सरल तरीका है – परमात्मा को याद करना।
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यह “सहज” इसलिए है क्योंकि इसमें केवल स्मृति की ज़रूरत है।
परमात्मा कहते हैं:
“शांति, शक्ति और समाधान बाहर नहीं, भीतर हैं – और उन्हें पाने का उपाय है सहज राजयोग।”
3. पहला लाभ: मानसिक शांति और स्थिरता
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मन की लहरें शांत हो जाती हैं, विचारों की भीड़ रुक जाती है।
उदाहरण:
जैसे समुद्र की लहरें शांत हो जाती हैं, वैसे ही मन शीतल हो जाता है।
Murli Point:
“योग बल से तुमको शांति का अनुभव होता है।”
4. दूसरा लाभ: आत्मविश्वास की वृद्धि
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“मैं आत्मा हूं” – यह स्मृति आत्मबल और आत्मविश्वास देती है।
उदाहरण:
जैसे किसी को याद दिलाया जाए कि वह राजा है – उसका हावभाव ही बदल जाता है।
Murli Point:
“स्वमान में रहने से ही आत्मा में शक्ति आती है।”
5. तीसरा लाभ: विकारों पर विजय
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राजयोग आत्म-नियंत्रण सिखाता है – मन, बुद्धि, और संस्कारों पर अधिकार।
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विकार फीके लगने लगते हैं जब आत्मा परमात्मा के प्रेम में रंग जाती है।
उदाहरण:
जिसे अमृत मिल गया हो, उसे ज़हर में स्वाद नहीं आता।
Murli Point:
“जब याद में रहोगे तो विकारों से स्वतः छूट जाओगे।”
6. चौथा लाभ: कर्मों की सफाई
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योग को अग्नि कहा गया है – जो पापों को भस्म करती है।
उदाहरण:
जैसे सोना आग में तपकर शुद्ध होता है, वैसे आत्मा योग अग्नि में तपकर पवित्र बनती है।
Murli Point:
“बच्चे, योग अग्नि से विकर्म भस्म होते हैं।”
7. पाँचवां लाभ: रिश्तों में मधुरता
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जब आत्म दृष्टि विकसित होती है, तब सभी के प्रति सम्मान और समझ आ जाती है।
उदाहरण:
शरीर देखेंगे तो दोष दिखेंगे, आत्मा देखेंगे तो गुण दिखेंगे।
Murli Point:
“बच्चे, जब आत्मा को आत्मा देखती है – तो नफरत नहीं, प्यार जागता है।”
8. छठा लाभ: निर्णय क्षमता और बुद्धिबल
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योग से बुद्धि निर्मल होती है – सही निर्णय लेने की शक्ति आती है।
उदाहरण:
जैसे स्वच्छ जल में हर वस्तु साफ दिखती है, वैसे ही निर्मल बुद्धि से सब स्पष्ट दिखता है।
Murli Point:
“बुद्धि से योग लगे तो सच्चे निर्णय मिलते हैं।”
9. सातवां लाभ: जीवन में संतुलन
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राजयोग शरीर और आत्मा दोनों के कर्तव्यों में संतुलन सिखाता है।
उदाहरण:
जैसे वाहन के दोनों पहिए संतुलित हों, तभी सफर सुंदर बनता है।
Murli Point:
“बच्चे, कर्म करते हुए भी योग में रहो – यही संतुलन सिखाता हूं।”
10. आठवां लाभ: आत्मा का कायाकल्प
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आत्मा फिर से अपने दिव्य स्वरूप को प्राप्त करती है।
उदाहरण:
जैसे मैल हटाने से दर्पण चमकने लगता है – वैसे ही आत्मा योग से चमकने लगती है।
Murli Point:
“राजयोग से आत्मा पुनः देवी-देवता बनती है।”
11. नौवां लाभ: भविष्य की प्राप्तियाँ
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यह योग केवल अभी नहीं – आने वाले 21 जन्मों की नींव रखता है।
उदाहरण:
जैसे कोई अभी बोता है, तो भविष्य में फल पाता है।
Murli Point:
“संगमयुग का योग, सत्ययुग का भाग्य बनाता है।”
12. दसवां लाभ: परमात्मा से मिलन
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अंतिम और सबसे महान लाभ – परमात्मा से साक्षात्कार।
उदाहरण:
जैसे खोई हुई संतान अपने सच्चे पिता से मिल जाए – वही अनुभव सहज राजयोग देता है।
Murli Point:
“यह योग, मुझ बाप से मिलन का योग है।”
सहज राजयोग – कोई साधारण साधना नहीं,
यह स्वयं ईश्वर द्वारा सिखाया गया दिव्य वरदान है।
हर आत्मा को इसकी अनुभूति होनी चाहिए।
“सहज राजयोग के 10 दिव्य लाभ – स्वयं ईश्वर से मिलने वाला अद्भुत वरदान | BK Rajyog Benefits”
मुख्य विषय: सहज राजयोग के लाभ – स्वयं ईश्वर सिखाते हैं यह दिव्य योग
प्रश्न1. सवाल: क्या राजयोग कोई भी सिखा सकता है?
उत्तर:नहीं! यह कोई साधारण योग नहीं है।
मुरली में बार-बार परमात्मा कहते हैं:
“बच्चे, सहज राजयोग मैं स्वयं सिखाता हूं।”
यह आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेमपूर्ण संबंध है – जिसे केवल स्वयं शिव परमात्मा सिखाते हैं।
प्रश्न2. सवाल: सहज राजयोग क्या है?
उत्तर:यह कोई कठिन आसन, तपस्या या शारीरिक क्रिया नहीं है।
यह “सहज” इसलिए है क्योंकि इसमें केवल स्मृति और प्रेम की आवश्यकता होती है – आत्मा का परमात्मा से कनेक्शन।
Murli Point:
“शांति, शक्ति और समाधान बाहर नहीं, भीतर हैं – और उन्हें पाने का उपाय है सहज राजयोग।”
प्रश्न 3. सवाल: सहज राजयोग से पहला लाभ क्या मिलता है?
उत्तर:मानसिक शांति और स्थिरता।
जब आत्मा परमात्मा की याद में बैठती है, तो विचारों की भीड़ रुक जाती है।
उदाहरण:
जैसे समुद्र की लहरें शांत हो जाएं – वैसा ही अनुभव मन का होता है।
Murli Point:
“योग बल से तुमको शांति का अनुभव होता है।”
प्रश्न 4. सवाल: सहज राजयोग से आत्मविश्वास कैसे बढ़ता है?
उत्तर:जब आत्मा जानती है – “मैं शरीर नहीं, ज्योति स्वरूप आत्मा हूं,”
तो भीतर से आत्मबल और गौरव जागता है।
उदाहरण:
जैसे किसी को याद दिलाया जाए कि वह राजा है – तो उसका आत्मगौरव बदल जाता है।
Murli Point:
“स्वमान में रहने से ही आत्मा में शक्ति आती है।”
प्रश्न 5. सवाल: राजयोग से विकारों पर कैसे विजय पाई जाती है?
उत्तर:राजयोग आत्म-नियंत्रण सिखाता है – मन, बुद्धि, संस्कारों पर अधिकार।
जब आत्मा परमात्मा के प्रेम में रंग जाती है – तो काम, क्रोध, लोभ आदि विकार फीके लगते हैं।
उदाहरण:
जिसे अमृत मिल जाए, उसे ज़हर में स्वाद नहीं आता।
Murli Point:
“जब याद में रहोगे तो विकारों से स्वतः छूट जाओगे।”
प्रश्न 6. सवाल: सहज योग से कर्मों की सफाई कैसे होती है?
उत्तर:राजयोग को “योग अग्नि” कहा गया है – जो पापों को भस्म करती है।
उदाहरण:
जैसे सोना आग में तपकर शुद्ध होता है, वैसे ही आत्मा योग में तपकर पवित्र बनती है।
Murli Point:
“बच्चे, योग अग्नि से विकर्म भस्म होते हैं।”
प्रश्न 7. सवाल: राजयोग से रिश्तों में क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर:रिश्तों में मधुरता आती है।
जब आत्म दृष्टि विकसित होती है, तो नफरत की जगह प्रेम और सम्मान आता है।
उदाहरण:
शरीर देखेंगे तो दोष दिखेंगे, आत्मा देखेंगे तो गुण दिखेंगे।
Murli Point:
“बच्चे, जब आत्मा को आत्मा देखती है – तो नफरत नहीं, प्यार जागता है।”
प्रश्न 8. सवाल: योग से निर्णय क्षमता कैसे बढ़ती है?
उत्तर:राजयोग से बुद्धि निर्मल होती है – और सही निर्णय लेने की शक्ति आती है।
उदाहरण:
जैसे स्वच्छ जल में हर वस्तु साफ दिखती है, वैसे निर्मल बुद्धि से सत्य स्पष्ट दिखता है।
Murli Point:
“बुद्धि से योग लगे तो सच्चे निर्णय मिलते हैं।”
प्रश्न 9. सवाल: राजयोग जीवन में संतुलन कैसे लाता है?
उत्तर:राजयोग सिखाता है – कर्म करते हुए भी योग में रहना।
यह शरीर और आत्मा दोनों के कर्तव्यों में संतुलन लाता है।
उदाहरण:
जैसे गाड़ी के दोनों पहिए संतुलित हों, तभी सफर अच्छा होता है।
Murli Point:
“बच्चे, कर्म करते हुए भी योग में रहो – यही संतुलन सिखाता हूं।”
प्रश्न 10. सवाल: क्या योग आत्मा को कायाकल्प करता है?
उत्तर:हाँ!योग आत्मा को फिर से उसके दिव्य स्वरूप में ले आता है – जैसे देवी-देवता स्वरूप।
उदाहरण:
जैसे मैल हटाने से दर्पण चमकने लगता है – वैसे ही आत्मा चमकने लगती है।
Murli Point:
“राजयोग से आत्मा पुनः देवी-देवता बनती है।”
प्रश्न 11. सवाल: क्या सहज योग से भविष्य सुधरता है?
उत्तर:बिल्कुल!
यह योग केवल अभी के लिए नहीं, बल्कि 21 जन्मों के लिए भाग्य बनाता है।
उदाहरण:
जो बीज अभी बोया जाता है – वही भविष्य में फल देता है।
Murli Point:
“संगमयुग का योग, सत्ययुग का भाग्य बनाता है।”
प्रश्न 12. सवाल: सहज राजयोग का अंतिम और सर्वोच्च लाभ क्या है?
उत्तर:परमात्मा से मिलन।
यह योग आत्मा को उसके सच्चे परमपिता शिव से मिलाता है – यही योग का चरम अनुभव है।
उदाहरण:
जैसे खोई हुई संतान अपने सच्चे पिता से मिल जाती है।
Murli Point:
“यह योग, मुझ बाप से मिलन का योग है।”
सहज राजयोग – कोई साधारण अभ्यास नहीं,
यह स्वयं परमात्मा द्वारा आत्मा को सिखाया गया दिव्य वरदान है।
जो इसे अपनाता है –
वह शांति, शक्ति, प्रेम, पवित्रता और परमात्म मिलन –
इन सभी का अनुभव करता है।
आप भी इस दिव्य योग को अपनाएं, और ईश्वर का वरदान पाएँ।
ओम् शांति।
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