(02)परमात्मा पतित-पावन,गीता ज्ञान-दाता और दिव्य चक्षु विधाता हैं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“परमात्मा की पहचान: पतित-पावन, गीता ज्ञानदाता और दिव्य चक्षु विधाता | Brahma Kumaris Gyaan”
ओम् शांति।
आज हम एक अत्यंत आवश्यक और गूढ़ विषय पर चिंतन करेंगे —
“परमात्मा की सच्ची पहचान और आत्मा के कल्याण की कुंजी।”
यह विषय न केवल भक्ति की बुनियाद है, बल्कि मोक्ष और जीवन परिवर्तन का मुख्य द्वार भी है।
1. भगवान की पहचान क्यों ज़रूरी है?
यदि हमें परमात्मा की पहचान नहीं है, तो —
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भक्ति किसकी?
-
योग किससे?
-
ज्ञान किस स्रोत से?
बाबा ने मुरली में समझाया:
“बच्चे! जब तक परमात्मा की सच्ची पहचान नहीं, तब तक सच्ची भक्ति भी नहीं।”
2. सच्चा परमात्मा कौन है?
परमात्मा की पहचान इन तीन दिव्य कार्यों से होती है:
-
जो पतितों को पावन बनाए
-
जो अंधकार से प्रकाश में ले जाए
-
जो दिव्य बुद्धि और दिव्य दृष्टि दे
Murli Point:
“मैं आता ही पतितों को पावन बनाने के लिए हूँ। मैं सदा पवित्र हूँ।”
उदाहरण:
जैसे सूर्य गंदे पानी को रोशन करता है लेकिन स्वयं गंदा नहीं होता,
वैसे ही परमात्मा निर्विकारी रहकर पतितों को पावन बना देते हैं।
3. गीता ज्ञानदाता कौन?
आज भी अधिकांश लोग गीता के भगवान को श्रीकृष्ण मानते हैं,
जबकि गीता में लिखा है:
“नष्टो मोहः स्मृति लब्धा…”
यानी मोह नष्ट होकर आत्म-स्मृति जागृत हुई।
यह कार्य एक निराकार, ज्ञान सागर परमात्मा ही कर सकता है,
न कि कोई बाल रूप।
Murli Point:
“मैं ही ज्ञान का सागर हूँ, जिससे तुम बच्चों को स्मृति दिलाता हूँ — तुम कौन थे, कहां से आए थे।”
4. दिव्य चक्षु विधाता कौन?
जब आत्मा:
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स्वयं को नहीं जानती
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परमात्मा को नहीं पहचानती
-
कर्मों के फल को नहीं समझती
तब परमात्मा “ज्ञान नेत्र” देकर उसे जागृत करते हैं।
उदाहरण:
अर्जुन को श्रीकृष्ण ने युद्ध भूमि में दिव्य दृष्टि दी —
यह कोई साकार दृष्टि नहीं, ज्ञान दृष्टि थी।
Murli Point:
“बाप बच्चों को तीसरा नेत्र देते हैं — जिससे तुम ज्ञानी तू आत्मा बनते हो।”
5. परमात्मा की पहचान कैसे करें?
सच्चा परमात्मा वही:
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जो रंक से राजा बना दे
-
जो पत्थर बुद्धि को पारस बुद्धि बना दे
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जो अंधों को राह दिखा दे
त्योहारों के माध्यम से याद:
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शिवरात्रि = शिव का अवतरण, अंधकार में ज्ञान का दीप
-
होली = अशुद्धता से पावन बनने का पर्व
-
दीपावली = आत्मा रूपी दीप में ज्ञान भरने की रात्रि
Murli Point:
“बच्चे, यह है ज्ञान की दीपमाला।”
6. क्या परमात्मा निर्गुण हैं?
नहीं —
“निर्गुण” का अर्थ है प्रकृति के गुणों से रहित, न कि “गुणहीन”।
परमात्मा गुणों का खजाना हैं।
उनमें हैं:
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प्रेम
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शांति
-
दया
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पवित्रता
-
शक्ति
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आनंद
Murli Point:
“मैं हूँ गरीब निवाज़, दयालु, सबको मोहताज से सिरताज बनाने वाला।”
7. परमात्मा: अशरीरी और त्रिगुणातीत
परमात्मा शिव:
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सदा शुद्ध
-
अशरीरी
-
सतो, रजो, तमो — तीनों गुणों से परे
Murli Point:
“मैं हूँ अशरीरी, निरहंकारी, निस्वार्थ। मेरे सब गुण ईश्वरीय हैं — शरीर के नहीं।”
8. सच्ची भक्ति की शुरुआत
सच्ची भक्ति तब शुरू होती है, जब हम यह समझते हैं:
“परमात्मा मनुष्य नहीं, बल्कि निराकार, ज्योति स्वरूप शिव है।”
जो परमात्मा को:
-
मनुष्य जैसा समझते हैं
-
या उन्हें गुणहीन मानते हैं
वे अपने ही कल्याण से हाथ धो बैठते हैं।
9. सच्चा परमात्मा कौन?
वही —
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जो सत चित आनंद स्वरूप है
-
जो पत्थर बुद्धि को शिव बुद्धि बना दे
-
जो नरकवासी को नारायण बना दे
वही एक निराकार शिव बाबा ही सच्चा परमात्मा है।
परमात्मा की पहचान: प्रश्नोत्तरी शैली में गूढ़ ज्ञान
Brahma Kumaris Gyaan | ओम् शांति।
प्रश्न 1: परमात्मा की पहचान क्यों आवश्यक है?
उत्तर:यदि हमें परमात्मा की सही पहचान नहीं है, तो –
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हम भक्ति किसकी करेंगे?
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योग किससे लगाएंगे?
-
ज्ञान किस स्रोत से प्राप्त करेंगे?
Murli Point:
“बच्चे! जब तक परमात्मा की सच्ची पहचान नहीं, तब तक सच्ची भक्ति भी नहीं।”
प्रश्न 2: सच्चा परमात्मा कौन है?
उत्तर:सच्चे परमात्मा की पहचान इन तीन दिव्य कार्यों से होती है:
-
पतितों को पावन बनाना
-
अंधकार से प्रकाश में ले जाना
-
दिव्य बुद्धि और दृष्टि देना
उदाहरण:
जैसे सूर्य स्वयं शुद्ध रहते हुए भी गंदे पानी को रोशन कर देता है, वैसे ही परमात्मा पतितों को पावन बना देते हैं।
Murli Point:
“मैं आता ही पतितों को पावन बनाने के लिए हूँ। मैं सदा पवित्र हूँ।”
प्रश्न 3: गीता ज्ञानदाता कौन है — श्रीकृष्ण या परमात्मा?
उत्तर:गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं, बल्कि निराकार परमात्मा शिव ने दिया।
गीता में लिखा है: “नष्टो मोहः स्मृति लब्धा…” — मोह नष्ट हुआ, स्मृति जागी।
Murli Point:
“मैं ही ज्ञान का सागर हूँ, जिससे तुम बच्चों को स्मृति दिलाता हूँ — तुम कौन थे, कहां से आए थे।”
प्रश्न 4: दिव्य चक्षु (ज्ञान नेत्र) विधाता कौन है?
उत्तर:जब आत्मा स्वयं, परमात्मा और कर्मों के फल को नहीं जानती, तब परमात्मा ज्ञान नेत्र देकर उसे जागृत करते हैं।
उदाहरण:
अर्जुन को दी गई दिव्य दृष्टि कोई भौतिक दृष्टि नहीं थी — वह ज्ञान दृष्टि थी।
Murli Point:
“बाप बच्चों को तीसरा नेत्र देते हैं — जिससे तुम ज्ञानी तू आत्मा बनते हो।”
प्रश्न 5: परमात्मा की पहचान कैसे करें?
उत्तर:सच्चा परमात्मा वह है:
-
जो रंक को राजा बनाए
-
पत्थर बुद्धि को पारस बुद्धि बनाए
-
अंधों को राह दिखाए
त्योहारों में संकेत:
-
शिवरात्रि: शिव का अवतरण, ज्ञान का दीप
-
होली: पावनता का पर्व
-
दीपावली: आत्मा में ज्ञान भरने की रात्रि
Murli Point:
“बच्चे, यह है ज्ञान की दीपमाला।”
प्रश्न 6: क्या परमात्मा निर्गुण हैं?
उत्तर:“निर्गुण” का अर्थ है — प्रकृति के तीन गुणों (सतो–रजो–तमो) से रहित।
परमात्मा गुणहीन नहीं, बल्कि गुणों का खजाना हैं:
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प्रेम
-
शांति
-
दया
-
शक्ति
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पवित्रता
-
आनंद
Murli Point:
“मैं हूँ गरीब निवाज़, दयालु, सबको मोहताज से सिरताज बनाने वाला।”
प्रश्न 7: परमात्मा त्रिगुणातीत और अशरीरी क्यों कहलाते हैं?
उत्तर:क्योंकि वे सदा:
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शुद्ध हैं
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अशरीरी हैं
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प्रकृति के तीनों गुणों से परे हैं
Murli Point:
“मैं हूँ अशरीरी, निरहंकारी, निस्वार्थ। मेरे सब गुण ईश्वरीय हैं — शरीर के नहीं।”
प्रश्न 8: सच्ची भक्ति की शुरुआत कैसे होती है?
उत्तर:जब हम परमात्मा को मनुष्य से अलग, निराकार, ज्योति स्वरूप मानते हैं —
तभी सच्ची भक्ति की शुरुआत होती है।
जो उन्हें:
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मनुष्य जैसा समझते हैं
-
गुणहीन या साकार मानते हैं
वे अपने ही कल्याण से वंचित रह जाते हैं।
प्रश्न 9: सच्चा परमात्मा कौन है?
उत्तर:वही एक निराकार शिव बाबा सच्चे परमात्मा हैं —
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जो सत चित आनंद स्वरूप हैं
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जो पत्थर बुद्धि को शिव बुद्धि में बदल देते हैं
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जो नरकवासी को नारायण बना देते हैं
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