महाभारत कब लिखी गई ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“महाभारत कब लिखी गई? | आत्मा की यात्रा या युद्ध का इतिहास? | Brahma Kumaris Spiritual Insight”
भाषण: महाभारत कब लिखी गई? — एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण
ओम् शांति।
हमने पिछले वीडियो में चर्चा की थी — “रामायण कब लिखी गई?”
आज हम समझने का प्रयास करेंगे:
“महाभारत कब लिखी गई?”
यह प्रश्न केवल तिथि का नहीं, बल्कि आत्मा, परमात्मा और कर्म की यात्रा को जानने का है।
1. महाभारत – केवल युद्ध नहीं, आत्मा की यात्रा
महाभारत को केवल युद्ध की कहानी मानना बहुत सीमित दृष्टिकोण है।
यह आत्मा की परमधाम से पृथ्वी तक और फिर वापसी तक की यात्रा का ग्रंथ है।
उदाहरण:
जैसे आत्मा परमधाम से आती है, जन्मों की यात्रा करती है और फिर अंत में घर लौटती है — यही आत्मिक यात्रा है।
Murli – 16 जून 2025:
“कलियुग अब अंत में है। आत्मा अब घर लौटने की तैयारी कर रही है।”
2. ऐतिहासिक दृष्टिकोण – कब लिखा गया महाभारत?
-
महाभारत युद्ध लगभग 3100 ईसा पूर्व में हुआ माना जाता है।
-
लेकिन इसका लेखन 400 ईसा पूर्व से 100 ईस्वी के बीच माना गया।
लेखक: वेदव्यास
भाषा: संस्कृत
श्लोक: लगभग 1 लाख — सबसे बड़ा महाकाव्य
उदाहरण:
जैसे कोई ऐतिहासिक घटना घटती है और कई सालों बाद उसे कोई लेखक अपने दृष्टिकोण से लिखता है — वैसे ही महाभारत का लेखन हुआ।
3. क्या महाभारत युद्ध द्वापर युग में हुआ था?
हाँ, लेकिन यह द्वापर के अंतिम चरण में संगम युग पर हुआ युद्ध था —
जो अब स्मृति रूप में दोहराया जा रहा है।
Murli – 10 जनवरी 1970:
“अब यह कलियुग का अंतिम भाग चल रहा है, सतयुग की स्थापना हो रही है।”
उदाहरण:
अर्जुन जब शस्त्र छोड़ता है और श्रीकृष्ण से ज्ञान मांगता है —
आज हम भी जीवन के द्वंद्व में ज्ञान के लिए बाबा की शरण लेते हैं।
4. पौराणिक और खगोलीय गणनाएँ
कलियुग की शुरुआत – 3102 BCE
अब (2025) – 5126 वर्ष बीत चुके हैं
पौराणिक रूप से कलियुग को 432,000 वर्ष बताया गया है।
लेकिन यह सत्य नहीं है।
Murli – 16 जून 2025:
“यह कलियुग अब अंत में है।”
तथ्य:
यदि कलियुग 5000 वर्ष चला है और अभी अंत है —
तो लाखों वर्ष वाला सिद्धांत केवल प्रतीकात्मक है।
5. आत्मिक महाभारत – गीता का संवाद
महाभारत का हृदय है भगवद गीता,
जो वास्तव में परमात्मा शिव और आत्मा अर्जुन के बीच का संवाद है।
Murli – 15 अगस्त 1970:
“श्रीकृष्ण, श्रीराम जैसे आदर्श पुरुष संगम की ही यादगार हैं।”
उदाहरण:
हम सब अर्जुन हैं, और परमात्मा आज फिर से गीता सुना रहे हैं।
6. आधुनिक लेखन और संस्करण
-
बंगाली, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम में अनुवाद
-
1988 टीवी सीरियल ‘महाभारत’ — भारत को एक सूत्र में पिरोने वाला
7. अन्य ग्रंथों की तुलना
ग्रंथ | रचना काल | लेखक |
---|---|---|
अष्टाध्यायी | 500–100 BCE | पाणिनी |
वाल्मीकि रामायण | 500–100 BCE | वाल्मीकि |
महाभारत | 400 BCE – 100 CE | वेदव्यास |
अभिज्ञान शकुंतलम् | 400–500 CE | कालिदास |
कादंबरी | 700 CE | बाणभट्ट |
8. मुरली के प्रकाश में – भाषा और संस्कृति
मुरली बिंदु – 158170:
“श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे आदर्श पुरुष संगम की ही यादगार हैं।”
तथ्य:
संस्कृत भाषा, ग्रंथ और आदर्श सब संगम युग के सत्य ज्ञान का प्रतीक हैं।
आत्मा की भाषा शब्दातीत है — केवल अनुभूति ही उसे समझ सकती है।
महाभारत की सच्चाई
महाभारत केवल युद्ध की कथा नहीं,
बल्कि आत्मा की चेतना,
कर्मों की गहराई,
और परमात्मा के ज्ञान का दस्तावेज है।
इसका लेखन भले हजारों वर्षों बाद हुआ,
पर इसका सत्य रूप आज संगम युग में प्रत्यक्ष है।
यदि हम इसे समझना चाहते हैं —
तो इतिहास, परंपरा, और अध्यात्म
तीनों की त्रिवेणी में उतरना होगा।
समापन:
“जब अर्जुन शस्त्र छोड़ बैठा,
तो श्रीकृष्ण ने उसे आत्मा का ज्ञान दिया।
आज वही दृश्य — हम सब अर्जुन हैं,
और परमात्मा फिर से गीता सुना रहे हैं।”
ओम् शांति।
Brahma Kumaris
“महाभारत कब लिखी गई? | आत्मा की यात्रा या युद्ध का इतिहास? | Brahma Kumaris Spiritual Insight”
Brahma Kumaris के आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: महाभारत को केवल युद्ध की गाथा क्यों नहीं कहा जा सकता?
उत्तर:महाभारत केवल युद्ध का वर्णन नहीं है, यह आत्मा की परमधाम से लेकर पृथ्वी तक की यात्रा और फिर वापसी की आध्यात्मिक कथा है। यह आत्मिक संघर्ष, निर्णय, और परमात्मा से साक्षात्कार की स्मृति है।
Murli – 16 जून 2025:
“कलियुग अब अंत में है। आत्मा अब घर लौटने की तैयारी कर रही है।”
प्रश्न 2: महाभारत कब लिखा गया?
उत्तर:महाभारत युद्ध लगभग 3100 ईसा पूर्व में हुआ माना जाता है, लेकिन इसका लेखन 400 ईसा पूर्व से 100 ईस्वी के बीच वेदव्यास द्वारा संस्कृत में किया गया। इसमें लगभग 1 लाख श्लोक हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य बनाते हैं।
प्रश्न 3: क्या महाभारत युद्ध द्वापर युग में हुआ था?
उत्तर:हाँ, यह द्वापर के अंतिम चरण में हुआ युद्ध था — संगम युग की शुरुआत का संकेत देने वाला। आज वही दृश्य आत्मिक रूप से दोहराया जा रहा है, जब आत्माएं परमात्मा से ज्ञान ले रही हैं।
Murli – 10 जनवरी 1970:
“अब यह कलियुग का अंतिम भाग चल रहा है, सतयुग की स्थापना हो रही है।”
प्रश्न 4: क्या कलियुग लाखों वर्षों का है?
उत्तर:पौराणिक रूप से कलियुग को 432,000 वर्ष का कहा गया है, लेकिन Murli ज्ञान के अनुसार वर्तमान कलियुग अब अंत में है, जो दर्शाता है कि यह प्रतीकात्मक गणना है, वास्तविक नहीं।
Murli – 16 जून 2025:
“कलियुग अब अंत में है।”
2025 – 3102 BCE = लगभग 5126 वर्ष बीत चुके हैं।
प्रश्न 5: महाभारत का आध्यात्मिक केंद्र क्या है?
उत्तर:भगवद गीता महाभारत का हृदय है। यह परमात्मा शिव और आत्मा अर्जुन के बीच का संवाद है, जो आज संगम युग में फिर से हो रहा है। यह ज्ञान हमें कर्मयोगी बनाता है।
Murli – 15 अगस्त 1970:
“श्रीकृष्ण, श्रीराम जैसे आदर्श पुरुष संगम की ही यादगार हैं।”
प्रश्न 6: क्या आज भी महाभारत के संस्करण मौजूद हैं?
उत्तर:हाँ, महाभारत के अनेक संस्करण आज भी उपलब्ध हैं — बंगाली, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम में। साथ ही, 1988 का टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ आज भी जन-मानस में जीवित है।
प्रश्न 7: महाभारत की तुलना अन्य ग्रंथों से कैसे की जा सकती है?
उत्तर:
ग्रंथ | रचना काल | लेखक |
---|---|---|
अष्टाध्यायी | 500–100 BCE | पाणिनी |
वाल्मीकि रामायण | 500–100 BCE | वाल्मीकि |
महाभारत | 400 BCE – 100 CE | वेदव्यास |
अभिज्ञान शकुंतलम् | 400–500 CE | कालिदास |
कादंबरी | 700 CE | बाणभट्ट |
यह दर्शाता है कि महाभारत एक प्राचीन और विस्तृत ग्रंथ है, जिसकी जड़ें गहरे आत्मिक और ऐतिहासिक स्तर पर हैं।
प्रश्न 8: मुरली के प्रकाश में महाभारत की भाषा और संस्कृति का क्या रहस्य है?
उत्तर:संस्कृत और शास्त्र आत्मिक संकेतों के प्रतीक हैं। आत्मा की सच्ची भाषा शब्दातीत होती है, जो अनुभूति और ज्ञान से ही समझी जाती है।
Murli बिंदु – 158170:
“श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे आदर्श पुरुष संगम की ही यादगार हैं।”
प्रश्न 9: महाभारत का मुख्य आध्यात्मिक संदेश क्या है?
उत्तर:महाभारत आत्मा और परमात्मा के संवाद का ग्रंथ है। यह आत्म-चेतना, कर्म सिद्धांत और आध्यात्मिक जागृति का प्रकाश है। आज संगम युग में यह संवाद फिर से जीवंत हो रहा है।
प्रश्न 10: इस ज्ञान को समझने के लिए कौन-से दृष्टिकोण आवश्यक हैं?
उत्तर:महाभारत की सच्चाई को समझने के लिए तीन दृष्टिकोण आवश्यक हैं:
-
ऐतिहासिक दृष्टिकोण – घटनाओं की समय-सीमा
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परंपरागत दृष्टिकोण – सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ
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आध्यात्मिक दृष्टिकोण – आत्मा, परमात्मा और कर्म का ज्ञान
“जब अर्जुन शस्त्र छोड़ बैठा,
तो श्रीकृष्ण ने उसे आत्मा का ज्ञान दिया।
आज वही दृश्य — हम सब अर्जुन हैं,
और परमात्मा फिर से गीता सुना रहे हैं।”
Brahma Kumaris
ओम् शांति।
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