जहाँ बधाई है, वहाँ विदाई अपने आप हाे जाती है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
जहां बधाई है, वहां विदाई अपने आप हो जाती है | आत्मा की उड़ती अवस्था का रहस्य | Brahma Kumaris Hindi Speech
बधाई और विदाई – एक दिव्य संतुलन
ओम् शांति।
आज का संदेश बहुत ही सशक्त और आत्मा को उड़ाने वाला है —
“जहां बधाई है, वहां विदाई अपने आप हो जाती है।”
यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि गहन आत्मिक स्थिति का संकेत है।
1. बधाई का अर्थ क्या है?
बधाई यानी आत्मा की दिव्य स्थिति,
जिसमें प्रशंसा, सराहना और सफलता की ऊर्जा छिपी होती है।
उदाहरण:
एक छात्र प्रथम आता है, तो बधाई मिलती है —
परंतु उसके पीछे होता है त्याग, अनुशासन और निरंतर मेहनत।
मुरली रेफरेंस (25 जून 2024)
“बच्चे, बाप बधाई देते हैं क्योंकि तुमने माया को जीत लिया है। अब तुम्हारी चाल चलन बाप जैसी बन गई है।”
2. आत्मिक जीवन में बधाई किस बात की?
जब आत्मा:
-
रचता से न्यारी, रचयिता से प्यारी बन जाती है,
-
कर्मेन्द्रिय जीत बन जाती है,
-
संकल्प, बोल, व्यवहार — बाप समान बन जाते हैं।
तब बाप स्वयं बधाई देते हैं।
3. विदाई किसकी होती है?
विदाई होती है:
-
देह अभिमान की,
-
माया की पकड़ की,
-
पुराने संस्कारों और मोह की।
उदाहरण:
जैसे कोई योगी मिठाई से भी मोह रहित हो जाए —
तो मिठाई अपने आप छूट जाती है।
मुरली रेफरेंस (4 जनवरी 2024)
“जब अवस्था बाप समान बन जाती है, माया अपने आप ही दूर हो जाती है।”
4. बधाई योग्य बनने के अभ्यास
-
निमित्त भाव: “मैं नहीं, बाबा कराते हैं।”
-
सत्यता और नम्रता: जो सच्चा है वही टिकता है।
-
बाप समान स्वभाव: माफ करने वाला, रहम दिल, निरहंकारी।
-
सेवा भावना: “मैं नहीं, सेवा भावना।”
मुरली रेफरेंस (3 जून 2023)
“जो बाप समान बनते हैं, वही बधाई के पात्र बनते हैं।”
5. विदाई का सहज अभ्यास कैसे हो?
उदाहरण:
पुराना घर गिरने लगे और नया घर तैयार हो जाए —
तो व्यक्ति मोह बिना पुराने घर को छोड़ देता है।
मुरली रेफरेंस (8 मई 2024)
“जब प्यार में चढ़ते हो, तो मोह उतरता जाता है। यह है सहज योग की पहचान।”
6. बधाई और विदाई — आत्मा की सिद्ध स्थिति
अगर कोई आत्मा:
-
सदा स्थिर बुद्धि में स्थित रहती है,
-
सबको समान दृष्टि से देखती है —
तो वह आत्मा अलौकिक फूल बन जाती है।
मुरली रेफरेंस (28 मार्च 2025)
“बच्चे, जब बधाई मिलती है तो समझो कि अब तुम्हारी विदाई तय है।”
7. विदाई कब सुंदर बनती है?
-
बिना बधाई की विदाई = जबरदस्ती, तकलीफ।
-
बधाई के साथ विदाई = सहज, मधुर, सम्मानजनक।
उदाहरण:
जब किसी को प्रमोशन मिलता है, तो उसकी विदाई उत्सव बन जाती है।
लेकिन जबरन निकाले जाने पर दर्द होता है।
8. प्रेरणात्मक संकल्प
आज का संकल्प लें:
“बाबा, मैं ऐसी स्थिति बनाऊंगा कि मुझे हर क्षण बधाई मिले,
और जो भी पुराना है, वह स्वतः विदा हो जाए।
मैं कुछ नहीं — बाबा सब कुछ है।”
यह भाव रखकर:
सेवा, योग, विनम्रता और दिव्यता से भरपूर आत्मा बनें।
उड़ती अवस्था की पहचान
बधाई की स्थिति आत्मा की उड़ती अवस्था है।
जब आत्मा बाप समान बनती है,
तो संसार की विदाई सहजता से हो जाती है।
याद रखें:
बधाई के बिना विदाई कठिन होती है,
लेकिन बधाई के साथ विदाई उत्सव बन जाती है।
समापन संदेश
यदि आप भी ऐसी आत्मा बनना चाहते हैं जिसे बाप बधाई दे और जो सहज विदा हो,
तो नजदीकी ब्रह्मा कुमारी सेवा केंद्र से संपर्क करें।
ओम् शांति।
“जहां बधाई है, वहां विदाई अपने आप हो जाती है | आत्मा की उड़ती अवस्था का रहस्य | Brahma Kumaris Hindi Q&A”
प्रश्न 1: बधाई का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:बधाई का अर्थ केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि आत्मा की दिव्य स्थिति और उपलब्धि का प्रमाण है। यह दर्शाता है कि आत्मा योगबल, अनुशासन और त्याग के माध्यम से बाप समान स्थिति में पहुँची है।
मुरली (25 जून 2024):
“बच्चे, बाप बधाई देते हैं क्योंकि तुमने माया को जीत लिया है।”
प्रश्न 2: आत्मिक जीवन में बधाई किस आधार पर मिलती है?
उत्तर:जब आत्मा रचता से न्यारी, रचयिता से प्यारी बन जाती है,
कर्मेन्द्रिय जीत जाती है, और बाप समान संकल्प, बोल व व्यवहार करती है,
तब बाप स्वयं बधाई देते हैं।
प्रश्न 3: विदाई किन चीज़ों की होती है?
उत्तर:विदाई होती है —
-
देह अभिमान की
-
माया की पकड़ की
-
पुराने संस्कारों और मोह की
मुरली (4 जनवरी 2024):
“जब अवस्था बाप समान बन जाती है, माया अपने आप ही दूर हो जाती है।”
प्रश्न 4: बधाई योग्य स्थिति पाने के लिए क्या अभ्यास आवश्यक हैं?
उत्तर:
-
निमित्त भाव: “मैं नहीं, बाबा कराते हैं।”
-
सत्यता और नम्रता: जो सच्चा है वही टिकता है।
-
बाप समान स्वभाव: रहम दिल, क्षमाशील और निरहंकारी बनना।
-
सेवा भावना: हर कर्म सेवा में बदल जाए।
मुरली (3 जून 2023):
“जो बाप समान बनते हैं, वही बधाई के पात्र बनते हैं।”
प्रश्न 5: विदाई का सहज अभ्यास कैसे हो सकता है?
उत्तर:जब बाप से प्रेम गहरा हो जाता है, तो संसार का मोह अपने आप समाप्त हो जाता है।
जैसे पुराना घर गिरने पर मनुष्य मोह रहित होकर नया घर अपनाता है।
मुरली (8 मई 2024):
“जब प्यार में चढ़ते हो, तो मोह उतरता जाता है। यह सहज योग की पहचान है।”
प्रश्न 6: आत्मा की सिद्ध स्थिति क्या संकेत देती है?
उत्तर:सिद्ध आत्मा सदा स्थिर बुद्धि में रहती है,
सबको समान दृष्टि से देखती है,
और उसके गुण स्वतः प्रकट होते हैं —
जैसे अलौकिक फूल की सुगंध।
मुरली (28 मार्च 2025):
“जब बधाई मिलती है, तो समझो अब तुम्हारी विदाई तय है।”
प्रश्न 7: विदाई कब मधुर और उत्सवमयी बन जाती है?
उत्तर:जब बधाई के साथ विदाई होती है,
तो वह एक प्रमोशन जैसी लगती है —
स्वाभाविक, मधुर और सम्मानजनक।
लेकिन जबरन विदाई पीड़ा देती है।
उदाहरण:
प्रमोशन पर दी गई विदाई — हर्ष का विषय।
नौकरी से निकाले जाने की विदाई — दुख का कारण।
प्रश्न 8: आज हम कौन-सा संकल्प लें?
उत्तर:“बाबा, मैं ऐसी स्थिति बनाऊंगा कि मुझे हर क्षण बधाई मिले,
और जो भी पुराना है, वह स्वतः विदा हो जाए।
मैं कुछ नहीं — बाबा सब कुछ है।”
प्रश्न: बधाई और विदाई का संबंध क्या दर्शाता है?
उत्तर:जब आत्मा उड़ती अवस्था में पहुँच जाती है,
तो उसे बधाई मिलती है —
और विदाई अपने आप, सहजता से हो जाती है।
बधाई के बिना विदाई कठिन होती है,
पर बधाई के साथ विदाई उत्सव बन जाती है।
समापन संदेश:
यदि आप भी ऐसी आत्मा बनना चाहते हैं जिसे बाप बधाई दे और जो सहज विदा हो,
तो नजदीकी ब्रह्मा कुमारी सेवा केंद्र पर संपर्क करें।
ओम् शांति।
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