सहज राजयोग कोर्स 09 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“आत्मा मरने के बाद कहाँ जाती है? | सतयुग में मृत्यु कैसी होती है? | एक आध्यात्मिक रहस्य”
प्रस्तावना: आत्मा का अनंत यात्रा मार्ग
ओम् शांति।
हम ब्रह्मा कुमारी सहज राजयोग का कोर्स सभी भाई–बहनों के साथ बैठकर मंथन कर रहे हैं। आज हमारे इस कोर्स का नौवां दिन है।
एक बहन, सीमा शर्मा, ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा —
“जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो क्या तुरंत ही जन्म लेती है या कहीं भटकती है?”
भक्ति मार्ग की भ्रांतियाँ और आत्मा का वास्तविक गमन
भक्ति मार्ग में अनेक धारणाएं फैली हैं:
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ब्राह्मण के लिए 11 दिन,
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क्षत्रिय के लिए 13 दिन,
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वैश्य के लिए 15 दिन,
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शूद्र के लिए 17 दिन तक आत्मा भटकती है — ऐसा गरुड़ पुराण में वर्णन है।
परंतु ब्रह्मा बाबा मुरली में स्पष्ट कहते हैं:
“आत्मा एक तीखे रॉकेट के समान है। वह एक सेकंड में शरीर छोड़ती है और अगले ही सेकंड माँ के गर्भ में प्रवेश कर जाती है।”
बाबा की मुरली के तीन मुख्य बिंदु:
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आत्मा एक सेकंड में प्रवेश करती है।
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आत्मा के प्रवेश के समय माँ को हलचल अनुभव होता है।
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यह अनुभव गर्भ के तीसरे महीने में होता है।
निष्कर्ष: आत्मा कहीं नहीं भटकती — कर्मानुसार तुरंत जन्म होता है।
सतयुग में मृत्यु का स्वरूप
सतयुग में भी आत्मा शरीर बदलती है, लेकिन वहां कोई शोक नहीं होता।
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वहाँ के लोग आत्मा और शरीर के भेद को जानते हैं।
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राधा–कृष्ण भी अपने पूर्व जन्म को नहीं जानते।
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वहाँ शरीर छूटना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
विवाह नहीं, स्वाभाविक संबंध
सतयुग में न मंत्र होते हैं, न पंडित, न विवाह संस्कार।
वहाँ “लव एट फर्स्ट साइट” होता है — पुराने संस्कारों से एक-दूसरे की आत्माएं खिंच जाती हैं।
ऐसा रिश्ता वहाँ पवित्र और सहज होता है।
लक्ष्मी-नारायण जैसे 16 कला संपूर्ण आत्माएँ
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सतयुग में आत्मा की उम्र लगभग 150 वर्ष होती है।
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एवरेज 8 जन्म होते हैं।
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जो आत्मा पहले आती है, उसे अधिक जन्म मिलते हैं।
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जैसे अगर कोई 150 वर्ष बाद सतयुग में प्रवेश करता है, तो उसका एक जन्म कम हो जाता है।
प्रश्न 1: आत्मा मरने के बाद कहाँ जाती है? क्या वह भटकती है?
उत्तर:नहीं, आत्मा कहीं भटकती नहीं है।
ब्रह्मा बाबा मुरली में कहते हैं कि आत्मा एक तीखे रॉकेट के समान है — वह एक सेकंड में शरीर छोड़ती है और अगले ही सेकंड माँ के गर्भ में प्रवेश कर जाती है।
यह विचार भक्ति मार्ग की भ्रांतियों से भिन्न है, जहाँ कहा जाता है कि आत्मा 11 से 17 दिन तक भटकती है।
प्रश्न 2: भक्ति मार्ग में आत्मा के मरने के बाद क्या-क्या मान्यताएँ प्रचलित हैं?
उत्तर:भक्ति मार्ग में गरुड़ पुराण के अनुसार यह कहा जाता है कि आत्मा:
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ब्राह्मण के लिए 11 दिन,
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क्षत्रिय के लिए 13 दिन,
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वैश्य के लिए 15 दिन,
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शूद्र के लिए 17 दिन तक भटकती है।
लेकिन यह सिर्फ कथाएं हैं — सत्य यह है कि आत्मा तुरंत नया जन्म लेती है।
प्रश्न 3: बाबा के अनुसार आत्मा कब गर्भ में प्रवेश करती है?
उत्तर:बाबा ने तीन मुख्य बातें मुरली में बताईं:
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आत्मा एक सेकंड में प्रवेश करती है।
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आत्मा के प्रवेश के समय माँ को हलचल महसूस होती है।
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यह अनुभव गर्भ के तीसरे महीने में होता है।
इससे स्पष्ट होता है कि आत्मा का गमन तुरंत होता है, भटकाव नहीं।
प्रश्न 4: सतयुग में मृत्यु कैसी होती है?
उत्तर:सतयुग में आत्मा शरीर जरूर छोड़ती है, लेकिन वहां:
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कोई शोक या रोना नहीं होता,
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सभी को आत्मा और शरीर का ज्ञान होता है,
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मृत्यु एक स्वाभाविक और स्वीकार्य प्रक्रिया होती है।
प्रश्न 5: क्या सतयुग में विवाह होता है?
उत्तर:नहीं, सतयुग में कोई पंडित, मंत्र, विवाह संस्कार या वरमाला नहीं होती।
वहाँ संबंध “लव एट फर्स्ट साइट” के आधार पर पुराने संस्कारों के अनुसार बनते हैं — यह रिश्ता पवित्र और सहज होता है।
प्रश्न 6: सतयुग में आत्मा की उम्र और जन्म कितने होते हैं?
उत्तर:सतयुग में:
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आत्मा की एवरेज उम्र लगभग 150 वर्ष होती है।
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एक आत्मा के करीब 8 जन्म होते हैं।
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जो आत्मा पहले सतयुग में आती है, उसे अधिक जन्म मिलते हैं।
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जो बाद में आती है, उनके एक या दो जन्म कम हो जाते हैं।
प्रश्न 7: लक्ष्मी-नारायण जैसी आत्माएँ कितनी संपूर्ण होती हैं?
उत्तर:
लक्ष्मी-नारायण जैसी आत्माएँ 16 कला संपूर्ण होती हैं।
वे सतयुग की सबसे पहली और श्रेष्ठ आत्माएँ होती हैं, जो पूर्ण शांति, पवित्रता और आनंद का अनुभव करती हैं।
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