सहज राजयोग कोर्स 12 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सहज राजयोग क्या है? आत्मा-परमात्मा का कनेक्शन कैसे जोड़ें? |
प्रस्तावना: सहज राजयोग की अनोखी यात्रा
ओम् शांति।
आज हम ब्रह्मा कुमारीज़ के सहज राजयोग कोर्स के उस भाग में पहुंचे हैं, जहां हम समझने का प्रयास कर रहे हैं – सहज राजयोग क्या है? और यह हमें अष्ट शक्तियाँ कैसे प्रदान करता है?
सहज राजयोग के चार आधार स्तंभ
सहज राजयोग को सही रूप से अनुभव करने के लिए चार आधार स्तंभों की आवश्यकता है:
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ब्रह्मचर्य – आत्मिक दृष्टिकोण की पवित्रता
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शुद्ध आहार – शरीर और मन दोनों की शुद्धता के लिए
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सत्संग – ईश्वरीय संग
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स्वधर्म – आत्मा के वास्तविक स्वरूप में स्थित रहना
जब ये चार स्तंभ स्थिर होते हैं, तब योग लगना सहज हो जाता है।
योग का सच्चा अर्थ – आत्मा और परमात्मा का संबंध
‘योग’ का अर्थ है – जोड़ना।
यह कोई शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा से गहरा संबंध जोड़ने की प्रक्रिया है।
जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तभी उसकी बैटरी चार्ज होती है।
परमात्मा गुणों और शक्तियों का स्रोत हैं, और उन्हीं से हमें वह सात दिव्य गुण प्राप्त होते हैं:
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प्रेम
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शांति
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आनंद
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पवित्रता
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ज्ञान
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शक्ति
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सुख
इन गुणों को समझने के लिए बाबा ने लाइट और रेनबो कलर की सुंदर मिसाल दी है।
परमात्मा से संबंध कैसे जोड़ा जाए?
परमात्मा से संबंध जोड़ना एक सहज प्रक्रिया है, यदि हम इसे सही ढंग से समझें। इसके लिए चार बातें ज़रूरी हैं:
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परिचय – मुझे परमात्मा कौन है, यह जानना
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संबंध – मेरा उनके साथ क्या रिश्ता है?
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संपर्क – मैं उनके साथ संवाद में कैसे रहूँ?
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प्राप्ति – उनसे मुझे क्या-क्या मिल सकता है?
बाबा कहते हैं – “याद करना” यानी “संबंध बनाना”।
और “याद रहना” यानी “संबंध स्थापित हो जाना।”
भक्ति मार्ग से ज्ञान मार्ग की ओर
भक्ति मार्ग में हम परमात्मा को भगवान, मालिक, दाता, और खुद को दास, गुलाम, भिखारी समझते रहे।
लेकिन ज्ञान मार्ग में बाबा स्पष्ट कहते हैं:
“तुम मेरे बच्चे हो।”
और बच्चा ही होता है असली अधिकारी।
बच्चा महल में सीधे प्रवेश कर सकता है, पर भिखारी नहीं।
बाबा कहते हैं – जो मेरा है, वह तुम्हारा है।
इसलिए हमें आत्मा रूप में यह अनुभव करना है कि हम परमात्मा की संतान हैं, न कि केवल उनके दास।
परमात्मा से रिश्ता स्पष्ट करें
किसी भी संबंध को निभाने के लिए उसे स्वीकार करना होता है।
जैसे – पति-पत्नी, भाई-बहन, मित्र – सब संबंध गोद लिए जाते हैं।
इसी तरह परमात्मा को हम पिता के रूप में अडॉप्ट करते हैं, और परमात्मा भी हमें बच्चे के रूप में गोद लेते हैं।
यह द्विपक्षीय अडॉप्शन ही वह प्रेमपूर्ण योग है, जिसे बाबा “सहज राजयोग” कहते हैं।
निष्कर्ष: सहज राजयोग – आत्मा की शक्ति का स्रोत
तो हमें सबसे पहले यह स्पष्ट करना है:
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परमात्मा कौन हैं?
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मेरा उनके साथ क्या रिश्ता है?
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क्या मैं श्रीमत पर चल रहा हूँ?
यदि यह तीन बातें स्पष्ट हैं, तो सहज राजयोग हमारे जीवन को चमत्कारी रूप से बदल सकता है।
शीर्षक: सहज राजयोग क्या है? आत्मा-परमात्मा का कनेक्शन कैसे जोड़ें? |
प्रश्न 1: सहज राजयोग क्या है?
उत्तर:सहज राजयोग आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध जोड़ने की सहज विधि है। ‘योग’ का अर्थ है – जोड़ना, और यहाँ यह जोड़ आत्मा का परमात्मा से होता है, जिससे आत्मा की शक्ति, शांति और गुण पुनः जागृत होते हैं।
प्रश्न 2: सहज राजयोग को सही रूप से अनुभव करने के लिए किन चार आधार स्तंभों की आवश्यकता है?
उत्तर:सहज राजयोग के चार आधार स्तंभ हैं:
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ब्रह्मचर्य – आत्मिक दृष्टिकोण की पवित्रता
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शुद्ध आहार – मन और शरीर की शुद्धता
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सत्संग – ईश्वरीय संग
-
स्वधर्म – आत्मा के वास्तविक स्वरूप में स्थित रहना
प्रश्न 3: योग का सच्चा अर्थ क्या है?
उत्तर:योग का अर्थ है – आत्मा का परमात्मा से जोड़। यह कोई शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव है, जिसमें आत्मा परमपिता परमात्मा से शक्तियाँ और गुण प्राप्त करती है।
प्रश्न 4: परमात्मा से संबंध जोड़ने के लिए कौन-सी चार बातें ज़रूरी हैं?
उत्तर:परमात्मा से संबंध जोड़ने के लिए चार बातें आवश्यक हैं:
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परिचय – परमात्मा कौन हैं, यह जानना
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संबंध – मेरा उनके साथ क्या रिश्ता है?
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संपर्क – उनके साथ संवाद में रहना
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प्राप्ति – उनसे प्राप्त होने वाली शक्तियाँ और अनुभव
प्रश्न 5: आत्मा को परमात्मा से कौन-कौन से सात गुण प्राप्त होते हैं?
उत्तर:जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो उसे ये सात दिव्य गुण प्राप्त होते हैं:
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प्रेम
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शांति
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आनंद
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पवित्रता
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ज्ञान
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शक्ति
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सुख
प्रश्न 6: बाबा ने लाइट और रेनबो का उदाहरण क्यों दिया?
उत्तर:
बाबा ने परमात्मा को लाइट रूप कहा है, जिसमें सात रंगों की दिव्यता समाई हुई है। जैसे रेनबो में सात रंग होते हैं, वैसे ही परमात्मा के सात गुण हैं जो आत्मा को योग के माध्यम से मिलते हैं।
प्रश्न 7: भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग में क्या अंतर है?
उत्तर:भक्ति मार्ग में आत्मा स्वयं को परमात्मा का दास, गुलाम या भिखारी समझती है।
ज्ञान मार्ग में आत्मा जानती है कि वह परमात्मा की संतान है – जो उनका अधिकारी है। इसलिए ज्ञान मार्ग में आत्म-स्वाभिमान होता है।
प्रश्न 8: सहज राजयोग में परमात्मा से रिश्ता कैसे स्पष्ट करें?
उत्तर:जैसे सांसारिक रिश्ते ‘गोद लेने’ से बनते हैं, वैसे ही परमात्मा को पिता स्वीकार करके हम उन्हें आत्मा का पिता बनाते हैं। यह दोतरफा अडॉप्शन है – आत्मा परमात्मा को अपना मानती है, और परमात्मा आत्मा को गोद लेते हैं।
प्रश्न 9: सहज राजयोग क्यों आवश्यक है?
उत्तर:सहज राजयोग आत्मा की शक्ति को पुनः जागृत करता है। यह जीवन को सशक्त, शांतिमय और गुणमय बनाता है। इससे आत्मा की बैटरी चार्ज होती है और व्यर्थ संकल्प समाप्त होते हैं।
प्रश्न 10: सहज राजयोग को कैसे सफल बनाया जा सकता है?
उत्तर:सहज राजयोग को सफल बनाने के लिए तीन बातें स्पष्ट होनी चाहिए:
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परमात्मा कौन हैं – इस ज्ञान का स्पष्ट परिचय
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उनका मेरे साथ क्या रिश्ता है – संबंध की सच्चाई
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क्या मैं श्रीमत पर चल रहा हूँ – जीवन में श्रीमत की पालना
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