Avyakta Murli-(19)“The specialty of Brahmin life is purity”

अव्यक्त मुरली-(19)“ब्राह्मण जीवन की विशेषता है – पवित्रता’

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन की पहचान है | पवित्रता से ही मिलता है सच्चा सुख और शांति | 


 नमस्कार प्यारे आत्मा रूपी भाइयों और बहनों,
आज हम एक अत्यंत दिव्य, गहन और हृदय को छू लेने वाले विषय पर बात करेंगे –
“ब्राह्मण जीवन में पवित्रता की वास्तविक परिभाषा क्या है?”
यह विषय केवल नैतिकता या शुद्ध व्यवहार का नहीं, बल्कि आत्मिक स्थिति, ईश्वरीय प्रेम, और सच्चे सुख-शांति की प्राप्ति से जुड़ा हुआ है।


1. ब्राह्मण जीवन का मूल मंत्र – ‘पवित्रता’

“ब्राह्मण आत्मा का पर्यायवाची ही है – पवित्र आत्मा।”
 पवित्रता केवल ब्रह्मचारी बनने से नहीं आती, बल्कि ब्रह्मा बाप के आचरण पर चलना ही “ब्रह्मा आचार्य” कहलाता है।
 श्रीमत का जीवन में सम्पूर्ण पालन ही सच्ची पवित्रता है।
Murli Reference (Avyakt Vani – 07 July 2025):

आज बापदादा देख रहे हैं – हरेक ब्राह्मण आत्मा कहाँ तक पावन बनी है। पवित्रता सुख-शांति की जननी है।


2. कैसे चेक करें – “क्या मैं सच्चा पवित्र हूँ?”

 आत्म-विश्लेषण के 3 सूक्ष्म उपकरण:

मन्सा (Thoughts):

  • यदि संकल्प पवित्र हैं, तो मन में सुख और शांति की अनुभूति होती है।

  • व्यर्थ संकल्प आते हैं तो हलचल होती है।

वाचा (Speech):

  • मीठे, यथार्थ और आत्म-सम्मान बढ़ाने वाले बोल ही पवित्र बोल हैं।

  • कटु, आलोचना और अपेक्षा-युक्त शब्द वाणी की अशुद्धि का संकेत हैं।

कर्मणा (Actions/Contact/Relations):

  • जहाँ कर्म पावन हैं, वहाँ से शीतलता और शांति की किरणें फैलती हैं।

  • अशुद्ध कर्म से प्रकृति भी असहयोग करती है।

Murli Reference (Avyakt Vani – 07 July 2025):

पवित्र आत्मा स्वयं भी सुख-शांति स्वरूप होती है और दूसरों को भी वही अनुभव कराती है। लाइट है, लेकिन सर्चलाइट बनना है।


3. सम्पूर्ण पवित्रता क्या होती है?

  • केवल ब्रह्मचारी होना सम्पूर्ण पवित्रता नहीं।

  • “ब्रह्मा आचार्य” और “शिव आचार्य” बनना आवश्यक।

  • हर कर्म में ब्रह्मा बाबा के पदचिन्हों पर चलना – यही पवित्रता की पराकाष्ठा है।

Murli Reference:

फुट स्टेप माने – ब्रह्मा बाप के हर कर्म रुपी कदम में कदम रखने वाला।


4. पवित्रता की शक्ति – क्या प्रभाव होता है?

  • पवित्र संकल्प से वातावरण बदलता है।

  • मन्सा पवित्रता से प्रकृति परिवर्तन संभव होता है।

  • जब आत्मा “सदा सुख की शैय्या” पर रहती है, तो विकार भी उसकी छत्रछाया बन जाते हैं।

उदाहरण:
अगर कोई आत्मा सच्चे अर्थों में पवित्र है – तो उसके पास बैठते ही दूसरे को भी शांति और ठंडक की अनुभूति होती है। जैसे गर्मी में पेड़ की छाया।

Murli Reference (07 July 2025):

सदा सुख की शैय्या पर आराम से विराजमान आत्मा को विकार भी सेवाधारी बन जाते हैं।


5. क्यों पवित्रता में गिरावट आती है?

  • जब क्यों, क्या, कैसे जैसे प्रश्न आने लगते हैं – तब शांति चली जाती है।

  • यह उलझनें आत्मा को “उलझी हुई स्थिति” में डाल देती हैं।

  • स्मृति का तिलक हट जाता है – और आत्मा खोई हुई सी लगती है।

Murli Reference:

जब कोई चीज खो जाती है तो चेहरा भी खोया हुआ लगता है। ऐसे ही पवित्रता को खोने पर आत्मा उलझन में आ जाती है।


6. सम्पन्न आत्मा की पहचान – कौन?

  • सदा सुख-शांति की अनुभूति में स्थित।

  • दूसरों को भी उसी अनुभव में स्थित करने वाली।

  • पवित्रता की सच्ची परिभाषा – स्वयं को और जगत को शीतल करना।


7. समापन – लक्ष्य क्या रखें?

  • “तीन बिन्दियों का तिलक” सदा स्मृति में रखें –
    (1) आत्मा हूँ,
    (2) परमात्मा मेरा बाप है,
    (3) यह ड्रामा बेहद सुंदर और कल्याणकारी है।

  • यही तिलक लगाना ही सच्ची पवित्रता की निशानी है।

प्रश्न-उत्तर श्रंखला:

प्रश्न 1: ब्राह्मण जीवन की सबसे पहली पहचान क्या है?

उत्तर:ब्राह्मण जीवन की प्रथम और प्रधान पहचान है – पवित्रता।
सच्चा ब्राह्मण वही है जो मन, वाणी, कर्म – तीनों से पावन हो।

Murli (07 July 2025):
“बापदादा देख रहे हैं कि हरेक ब्राह्मण आत्मा कहाँ तक पावन बनी है। पवित्रता सुख-शांति की जननी है।”


प्रश्न 2: क्या केवल ब्रह्मचारी होना ही पवित्रता है?

उत्तर:नहीं। पवित्रता केवल ब्रह्मचर्य तक सीमित नहीं, बल्कि ब्रह्मा बाप के पदचिन्हों पर चलने का नाम है।
हर कर्म, संकल्प और व्यवहार में मर्यादा और संयम का पालन करना ही सच्ची पवित्रता है।

Murli:
“ब्रह्मा आचार्य वही है जो ब्रह्मा बाप के कदम-कदम पर चलता है।”


प्रश्न 3: मैं कैसे जानूँ कि मेरी पवित्रता सच्ची है या नहीं?

उत्तर:तीन स्तरों पर आत्म-जांच करें:
मन्सा: विचार पवित्र हैं?
वाचा: शब्द नम्र, मीठे और सच्चे हैं?
कर्मणा: मेरा आचरण दूसरों को शांति देता है?

Murli (07 July 2025):
“पवित्र आत्मा स्वयं सुख-शांति स्वरूप होती है और दूसरों को भी वही अनुभव कराती है।”


प्रश्न 4: क्या पवित्रता से सचमुच वातावरण बदलता है?

उत्तर:हाँ, मन्सा की पवित्रता से प्रकृति तक परिवर्तन अनुभव करती है।
पवित्र आत्मा के पास बैठते ही व्यक्ति को ठंडक और राहत मिलती है – जैसे छांव में बैठना।

Murli:
“सदा सुख की शैय्या पर विराजमान आत्मा को विकार भी सेवाधारी बन जाते हैं।”


प्रश्न 5: पवित्रता क्यों खोती है?

उत्तर:जब आत्मा “क्यों, क्या, कैसे” में उलझ जाती है – तो स्मृति का तिलक हट जाता है, जिससे पवित्रता भी कमजोर होती जाती है।

Murli (07 July 2025):
“जब कोई चीज खो जाती है तो चेहरा भी खोया हुआ लगता है। ऐसे ही पवित्रता को खोने पर आत्मा उलझन में आ जाती है।”


प्रश्न 6: पूर्ण पवित्र आत्मा की पहचान क्या है?

उत्तर:जो सदा सुख-शांति की स्थिति में हो, और दूसरों को भी वही अनुभव कराए – वह आत्मा “पूर्ण ब्राह्मण” कही जाती है।

Murli:
“लाइट बनना अच्छी बात है, लेकिन सर्चलाइट बनना लक्ष्य है।”

Disclaimer:
यह वीडियो प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आधिकारिक शिक्षाओं पर आधारित है, जिसका उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान और आत्म-परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
वीडियो में उद्धृत मुरली महावाक्य ब्रह्मा कुमारीज़ द्वारा प्रकाशित आध्यात्मिक शिक्षाओं से लिए गए हैं।
हम इस सामग्री को पूर्ण श्रद्धा, प्रमाणिकता और BK संगठन की 13 जून 2025 की अधिकृत घोषणा के अनुसार प्रस्तुत करते हैं।

इस वीडियो का उद्देश्य किसी धर्म, परंपरा या मान्यता की आलोचना करना नहीं, बल्कि सत्य आत्मिक ज्ञान को सरल और सहज रूप में प्रस्तुत करना है।

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