अव्यक्त मुरली-(17)“कर्म – आत्मा का दर्शन कराने का दर्पण”
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“कर्म द्वारा पहचानो: क्या हम मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा बने हैं?” | शक्ति स्वरूप बनने की चेकलिस्ट | BK Murli सार
“कर्म द्वारा शक्ति स्वरूप आत्मा की पहचान”
आज बापदादा शक्ति सेना को देख कर हर्षित हैं। हर आत्मा शक्ति स्वरूप बन रही है या नहीं – इसका दर्पण है “कर्म”।
जैसे युद्ध भूमि पर योद्धा की पहचान उसकी रणनीति नहीं, उसका वास्तविक युद्ध कौशल होती है – वैसे ही आत्मा की स्थिति, शक्ति, और सच्चाई कर्मों से प्रकट होती है।
1. कर्म ही पहचान है – न कि ज्ञान या दावा
“सिर्फ बुद्धि में जानना कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, यह पर्याप्त नहीं। अगर परिस्थितियों के समय कोई शक्ति कर्म में नहीं लाते, तो कौन मानेगा कि आप शक्ति स्वरूप आत्मा हैं?”
Avyakt Murli – 13 Jan 2001:
“कर्म, आत्मा का दर्शन कराने का दर्पण है।”
उदाहरण:
एक योद्धा घर पर बैठ कर खुद को महान कहे लेकिन युद्ध में हार जाये – क्या समाज उसे मान्यता देगा?
2. शक्ति तब प्रमाणित होती है जब समय पर प्रयोग हो
“जो समय पर शक्ति को कार्य में लगाता है वही सच्चा मास्टर सर्वशक्तिमान है।”
Murli Note:
“समय पर स्वरूप न दिखाया, शक्ति को कार्य में न लगाया – वह शक्ति स्वरूप नहीं कहलाता।”
उदाहरण:
जैसे डॉक्टर को सर्जरी के समय ही अपनी योग्यता सिद्ध करनी होती है, वैसे ही आत्मा की शक्ति उस समय जानी जाती है जब परिस्थितियां सामने खड़ी हों।
3. आत्म-जांच का आईना: मेरी शक्ति कहाँ तक प्रत्यक्ष हो रही है?
अपने दिनभर के कर्मों की समीक्षा करें:
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क्या हर कर्म श्रेष्ठ था?
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क्या परिस्थितियों में स्थिर रहे?
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क्या शब्दों में नम्रता थी?
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क्या वायुमंडल में शांति फैल रही थी?
Murli:
“कर्म श्रेष्ठ है तो श्रेष्ठ प्रालब्ध है।”
4. कमजोरी का बीज कहाँ है?
“कमजोरी की शाखाएं काट देने से समस्या हल नहीं होती, बीज को पहचानो और भस्म करो।”
उदाहरण:
दवाइयों से बीमारी दब जाती है लेकिन खत्म नहीं होती – जब तक उसका मूल कारण न समझा जाए।
Murli (13 Jan 2001):
“बीज को जानकर भी कई बार अलबेलेपन में कहते हैं – हो जायेगा, समय लगेगा।”
5. क्या मेरी शक्ति केवल ज्ञान तक सीमित है?
“हर ज्ञान बिन्दु एक शस्त्र है – लेकिन जब उसे केवल प्वाइंट रूप में उपयोग करते हैं, तो वह प्रभाव नहीं करता।”
संदेश:
ज्ञान को शक्ति के रूप में प्रयोग करो। केवल जानो मत, कर्म में उतारो।
6. दूसरों से सहायता लो – पवित्रता में सहयोग
“कमजोर आत्मा होने के कारण डायरेक्ट बाप से कनेक्शन और करेक्शन नहीं कर पाते – तो श्रेष्ठ आत्माओं से सहयोग लो।”
Murli:
“वेरीफाय होने से सहज प्युरीफाय हो जाओगे।”
7. चित्र को चरित्र बनाओ – शक्ति को कर्म में लाओ
“शक्ति स्वरूप आत्मा की निशानी है – श्रेष्ठ कर्म।”
मुख्य संदेश:
जिस शक्ति की चित्र बनाते हो – क्या वह शक्ति आपके चरित्र और कर्म में दिखाई देती है?
Murli:
“आज बापदादा शक्ति सेना की शक्ति को देख रहे थे। अब प्राप्त शक्तियों को कर्म में लाओ।”
निष्कर्ष:
हर दिन स्वयं को चेक करें:
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क्या मैं कर्मक्षेत्र पर शक्ति स्वरूप बना?
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क्या मेरे कर्मों से बाप प्रत्यक्ष हो रहे हैं?
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क्या मेरी वृत्ति वातावरण को बदल रही है?
Q1. मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा की सच्ची पहचान क्या है?
उत्तर:सच्ची पहचान सिर्फ ज्ञान या दावे से नहीं, बल्कि कर्मों से होती है। अगर किसी परिस्थिति में हम आवश्यक शक्ति का प्रयोग नहीं कर पाते, तो यह प्रमाण नहीं होता कि हम शक्ति स्वरूप हैं।
Murli (13 Jan 2001):
“कर्म, आत्मा का दर्शन कराने का दर्पण है।”
उदाहरण:
जैसे युद्ध के समय योद्धा की पहचान उसके अस्त्र से नहीं, उसकी रणभूमि पर की गई जीत से होती है।
Q2. क्या सिर्फ ज्ञान जानना ही पर्याप्त है?
उत्तर:नहीं। केवल ज्ञान जानना, पॉइंट याद रखना, या आत्मा के बारे में बोलना ही शक्ति स्वरूप नहीं बनाता। ज्ञान को कर्म में उतारना आवश्यक है।
Murli:
“हर ज्ञान की पॉइंट शस्त्र है – लेकिन यदि उसे सिर्फ बिंदु के रूप में उपयोग किया, तो वह कार्य में नहीं आएगा।”
संदेश:
ज्ञान को प्रयोग में लाओ, सिर्फ संग्रह मत करो।
Q3. शक्ति कब प्रमाणित होती है?
उत्तर:शक्ति तब प्रमाणित होती है जब उसका प्रयोग समय पर होता है। जैसे डॉक्टर ऑपरेशन के समय अपनी योग्यता साबित करता है, वैसे ही आत्मा की शक्ति कठिन परिस्थितियों में दिखाई देती है।
Murli:
“समय पर स्वरूप न दिखाया, शक्ति को कार्य में न लगाया – वह शक्ति स्वरूप नहीं कहलाता।”
Q4. आत्म-जांच कैसे करें कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान बना या नहीं?
उत्तर:अपने दैनिक कर्मों का अवलोकन करें:
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क्या हर कर्म में श्रेष्ठता थी?
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क्या कोई भी परिस्थिति आपको विचलित नहीं कर पाई?
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क्या आपके शब्दों से शांति और प्रेम की भावना फैली?
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क्या आपके विचारों से वातावरण पावन बना?
Murli:
“कर्म श्रेष्ठ है तो श्रेष्ठ प्रालब्ध है।”
Q5. मेरी कमजोरी की असली जड़ कहाँ है?
उत्तर:
कमजोरी को सिर्फ बाहर से नहीं, भीतर से (बीज रूप में) पहचानो। सिर्फ शाखाएं काटने से समस्या नहीं जाती, मूल बीज को जलाना होगा।
Murli (13 Jan 2001):
“बीज को जानकर भी अलबेलेपन में कहते हैं – हो जाएगा, समय लगेगा।”
उदाहरण:
दवाइयाँ बीमारी को दबा सकती हैं, लेकिन मूल कारण समझे बिना बीमारी खत्म नहीं होती।
Q6. अगर मैं कमजोर महसूस करता हूँ, तो क्या करूँ?
उत्तर:
अगर आप खुद से डायरेक्ट कनेक्शन नहीं कर पा रहे, तो श्रेष्ठ आत्माओं से सहयोग लो। उनसे सत्य जांच कराओ, जिससे सहज रूप से शुद्ध हो सको।
Murli:
“वेरीफाय होने से सहज प्युरीफाय हो जाओगे।”
Q7. क्या मेरे चित्र मेरे चरित्र में दिखते हैं?
उत्तर:
बापदादा ने कहा – चित्र बनाना अच्छा है, लेकिन अगर शक्ति आपके कर्मों में नहीं, तो वह केवल कल्पना है।
Murli:
“आज बापदादा शक्ति सेना की शक्ति को देख रहे थे। अब प्राप्त शक्तियों को कर्म में लाओ।”
संदेश:
शक्ति स्वरूप आत्मा की सच्ची निशानी है – श्रेष्ठ कर्म।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
डिस्क्लेमर:
यह वीडियो केवल अध्ययन और आध्यात्मिक जागरूकता हेतु बनाया गया है। इसमें प्रस्तुत अव्यक्त मुरली सार आधिकारिक रूप से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित मुरलियों पर आधारित है।
हम इस ज्ञान को “बाबा का अमूल्य वचन” मानते हुए श्रद्धा और निष्ठा से साझा कर रहे हैं।
इस वीडियो का उद्देश्य किसी भी धार्मिक संस्था, ग्रंथ, व्यक्ति या मान्यता की आलोचना करना नहीं है, बल्कि आत्म-कल्याण और आध्यात्मिक पुरुषार्थ को बढ़ावा देना है।
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