Geeta is the essence of all scriptures and is the mother, but who is the father?

गीता ही सर्वशास्त्रमयी है और माता है लेकिन पिता कौन?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“गीता: एकमात्र शास्त्र जो परमात्मा ने स्वयं सुनाया | जानिए गीता का सच्चा रहस्य | 


गीता – सभी शास्त्रों की माता, और उसका सच्चा पिता कौन?
(श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य रहस्य – मुरली के आधार पर)


1. गीता – सभी शास्त्रों की माता क्यों?

मुख्य विचार:
जैसे कोई माता संतान को जन्म देती है, वैसे ही श्रीमद्भगवद्गीता ने सब धर्मों और शास्त्रों को जन्म दिया है।

Murli (3 नवम्बर 2024):
“यह गीता ही सर्वशास्त्रमयी है, सब शास्त्रों की माता है। बाकियों में यह महावाक्य नहीं होंगे जो गीता में हैं।”

उदाहरण:
जैसे राजा-रानी से एक राजवंश की शुरुआत होती है,
वैसे ही गीता ज्ञान से सब धर्म और परंपराएं शुरू हुईं।


2. माता तो सब जानते हैं – पर पिता कौन?

प्रश्न:
अगर गीता ‘माता’ है, तो ‘पिता’ कौन है जिसने उसे जन्म दिया?

आम भूल:
लोगों ने श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मान लिया –
जबकि श्रीकृष्ण स्वयं गीता से बना, सतयुग का पहला देवता है।

Murli (20 दिसम्बर 2024):
“लोग कहते हैं गीता माता है, पर पिता को नहीं जानते। पिता है – परमात्मा शिव, जिसने ब्रह्मा के द्वारा गीता ज्ञान दिया।”

उदाहरण:
जैसे कोई बच्चा माँ को तो जानता हो, पर पिता को भूल गया हो –
उसी प्रकार लोग गीता को माता मानते हैं, लेकिन परमपिता शिव को नहीं जानते।


3. परमात्मा शिव – सब आत्माओं के निराकार पिता

मुख्य विचार:
परमात्मा शिव ही हैं, जो ब्रह्मा के तन में आकर गीता ज्ञान सुनाते हैं।

Murli (18 जून 2025):
“मैं परमपिता परमात्मा शिव, इस ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ और गीता ज्ञान से नई दुनिया स्थापन करता हूँ।”

उदाहरण:
जैसे कोई लेखक किसी के हाथ से किताब लिखवाए –
वैसे ही परमात्मा शिव ने ब्रह्मा के मुख से गीता ज्ञान दिया।


4. श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मानने से कैसे हुआ अपमान?

मुख्य बिंदु:
श्रीकृष्ण तो गीता से बना, पर लोगों ने उसे ही गीता का रचयिता मान लिया।
यही गीता माता का सबसे बड़ा अपमान है।

Murli (8 अगस्त 2024):
“श्रीकृष्ण तो सतयुग का पहला बच्चा है, गीता ज्ञान से बना है। गीता माता है, और उसका पति परमपिता शिव है।”

स्पष्टीकरण:
गीता ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया –
पर लोगों ने उल्टा करके, श्रीकृष्ण को गीता का भगवान कह दिया।


5. भारत – शिरोमणि भूमि, गीता – शिरोमणि शास्त्र

मुख्य बात:
भारत विश्व की शिरोमणि भूमि है, क्योंकि यहीं पर गीता का ज्ञान परमात्मा ने दिया।

Murli (9 जुलाई 2025):
“भारत शिरोमणि देश है क्योंकि यहाँ गीता जन्मी। और गीता ही से सभी धर्मों की उत्पत्ति होती है।”

उदाहरण:
जैसे माँ के दूध से बच्चा ताकतवर बनता है –
वैसे ही गीता ज्ञान से आत्माएं मुक्ति और जीवनमुक्ति प्राप्त करती हैं।


6. गीता ज्ञान से ब्रह्मा और सरस्वती बने श्री नारायण और श्री लक्ष्मी

मुख्य बिंदु:
ब्रह्मा बाबा और मम्मा (सरस्वती) को परमात्मा शिव ने गीता ज्ञान सुनाया –
और इसी ज्ञान से वे देवी-देवता पद पर पहुँचे।

Murli (1 जनवरी 2025):
“ब्रह्मा और सरस्वती भी गीताज्ञान से श्रीनारायण और श्री लक्ष्मी बने।”

उदाहरण:
जैसे कोई शिक्षक अपने बच्चों को ऊँचा पद दिलाता है –
वैसे ही परमात्मा ने ब्रह्मा को गीता ज्ञान देकर उन्हें श्री नारायण बना दिया।


निष्कर्ष:

गीता – एकमात्र ऐसा शास्त्र है, जिसे परमात्मा शिव ने स्वयं ब्रह्मा के माध्यम से सुनाया।

गीता माता ने सब धर्मों को जन्म दिया, पर उसका पिता है परमात्मा शिव – ना कि श्रीकृष्ण

 आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है – गीता माता का सच्चा सम्मान और परमपिता शिव की पहचान

प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुति:


Q1. श्रीमद्भगवद्गीता को ‘सभी शास्त्रों की माता’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर:
क्योंकि गीता से ही सभी धर्मों और शास्त्रों की उत्पत्ति हुई।
जैसे माता संतान को जन्म देती है, वैसे ही गीता ने सभी धार्मिक परंपराओं और मार्गों को जन्म दिया।

Murli (3 नवम्बर 2024):
“यह गीता ही सर्वशास्त्रमयी है, सब शास्त्रों की माता है। बाकियों में यह महावाक्य नहीं होंगे जो गीता में हैं।”

उदाहरण:
जैसे राजा-रानी से राजवंश शुरू होता है, वैसे ही गीता ज्ञान से सब धार्मिक परंपराएँ शुरू हुईं।


Q2. यदि गीता माता है, तो उसका पिता कौन है?

उत्तर:
गीता का पिता है – परमात्मा शिव।
लोगों ने श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मान लिया, जबकि श्रीकृष्ण तो गीता ज्ञान से बना सतयुग का पहला देवता है।

Murli (20 दिसम्बर 2024):
“लोग कहते हैं गीता माता है, पर पिता को नहीं जानते। पिता है – परमात्मा शिव, जिसने ब्रह्मा के द्वारा गीता ज्ञान दिया।”

उदाहरण:
जैसे बच्चा माँ को पहचानता है लेकिन पिता को भूल गया हो – वैसे ही गीता को तो माता माना, पर उसके रचयिता शिव को भुला दिया।


Q3. गीता ज्ञान सुनाने वाला कौन है – श्रीकृष्ण या परमात्मा शिव?

उत्तर:
परमात्मा शिव ही गीता ज्ञान के वास्तविक वक्ता हैं।
वे ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके यह दिव्य ज्ञान सुनाते हैं।

Murli (18 जून 2025):
“मैं परमपिता परमात्मा शिव, इस ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ और गीता ज्ञान से नई दुनिया स्थापन करता हूँ।”

उदाहरण:
जैसे लेखक किसी और के हाथ से किताब लिखवाए, वैसे ही परमात्मा ने ब्रह्मा के मुख से गीता ज्ञान दिया।


Q4. श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मानने से क्या भूल हुई?

उत्तर:
यह गीता माता का सबसे बड़ा अपमान है।
क्योंकि श्रीकृष्ण स्वयं गीता ज्ञान से बना है, और लोगों ने उसी को गीता का रचयिता मान लिया।

Murli (8 अगस्त 2024):
“श्रीकृष्ण तो सतयुग का पहला बच्चा है, गीता ज्ञान से बना है। गीता माता है, और उसका पति परमपिता शिव है।”

स्पष्टीकरण:
गीता ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, लेकिन लोगों ने उल्टा करके श्रीकृष्ण को गीता का भगवान कह दिया – यह सत्य के विपरीत है।


Q5. गीता और भारत को ‘शिरोमणि’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:
क्योंकि भारत वह भूमि है जहाँ परमात्मा शिव स्वयं आकर गीता ज्ञान सुनाते हैं।
इस ज्ञान से ही सब आत्माओं को मुक्ति और जीवनमुक्ति प्राप्त होती है।

Murli (9 जुलाई 2025):
“भारत शिरोमणि देश है क्योंकि यहाँ गीता जन्मी। और गीता ही से सभी धर्मों की उत्पत्ति होती है।”

उदाहरण:
जैसे माँ के दूध से बच्चा बलवान होता है, वैसे ही गीता ज्ञान से आत्मा शक्तिशाली बनती है।


Q6. ब्रह्मा और सरस्वती को गीता ज्ञान से क्या प्राप्त हुआ?

उत्तर:
परमात्मा शिव ने उन्हें गीता ज्ञान दिया, और उसी से वे देवी-देवता पद को प्राप्त हुए।
ब्रह्मा बाबा – श्री नारायण, और मम्मा सरस्वती – श्री लक्ष्मी बने।

Murli (1 जनवरी 2025):
“ब्रह्मा और सरस्वती भी गीताज्ञान से श्रीनारायण और श्री लक्ष्मी बने।”

उदाहरण:
जैसे शिक्षक अपने छात्रों को ऊँचा पद दिलवाता है –
वैसे ही परमात्मा शिव ने उन्हें दिव्यता का पद दिलाया।


Q7. गीता का सच्चा सम्मान कैसे होगा?

उत्तर:
जब हम यह जानेंगे और स्वीकार करेंगे कि गीता माता है,
और उसका रचयिता श्रीकृष्ण नहीं बल्कि परमात्मा शिव हैं –
तभी गीता माता को उसका सच्चा सम्मान और परमपिता शिव को पहचान मिलेगी।

अस्वीकरण (Disclaimer):
यह वीडियो Brahma Kumaris की मूल मुरली शिक्षाओं पर आधारित आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म, ग्रंथ, महापुरुष या भावना का अपमान करना नहीं है।
यह प्रस्तुति आध्यात्मिक शोध और ईश्वर द्वारा प्रदत्त ज्ञान पर आधारित है, जो परमात्मा शिव ने ब्रह्मा के माध्यम से ब्रह्मा कुमारियों को सुनाया।

 उद्देश्य:
सत्य की खोज में सहायक बनना और गीता माता को उनका सच्चा सम्मान दिलाना।


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