श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर गीता के भगवान का परिचय
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“क्यों ज़रूरी है गीता के भगवान को सही पहचानना? | गीता का सच्चा दाता: श्रीकृष्ण नहीं, शिव |
प्रस्तावना:
आज करोड़ों लोग मानते हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिया था।
परंतु यदि हम आत्मिक दृष्टि और श्रीमत पर विचार करें तो यह स्पष्ट होता है कि गीता का सच्चा दाता कोई मनुष्य नहीं, बल्कि निराकार परमात्मा शिव हैं।
यदि गीता के भगवान की पहचान गलत हो जाये, तो योग की दिशा, भक्ति की भावना, और मुक्ति की राह तीनों भटक जाती हैं।
1. आत्मा और शरीर – दो अलग सत्ता
गीता अध्याय 2 कहती है:
“नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः…”
आत्मा अविनाशी है, शरीर विनाशी।
Murli (22 जून 2025):
“तुम जानते हो – यह आत्मा है ड्राइवर और शरीर है गाड़ी।”
उदाहरण:
जैसे कपड़े और शरीर अलग हैं, वैसे आत्मा और शरीर भी अलग हैं।
2. गीता का ज्ञानदाता ‘अव्यक्त’ है, शरीरधारी नहीं
गीता अध्याय 8, श्लोक 20–21:
“अव्यक्तात्सनातनः… तद्धाम परमं मम।”
भगवान स्वयं को “अव्यक्त, अक्षर, सनातन” कहते हैं।
वह न मरते हैं, न जन्म लेते हैं।
Murli (18 मई 2025):
“भगवान तो निराकार है। गीता वही सुनाते हैं। कृष्ण तो देवता है।”
तो फिर श्रीकृष्ण जो जन्म लेते हैं – वह कैसे हो सकते हैं गीता के दाता?
3. गीता में भगवान का रूप: ज्योति बिंदु
गीता अध्याय 13:
“क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत…”
भगवान स्वयं को हर शरीर में स्थित परन्तु न्यारा बताते हैं।
Murli (1 जुलाई 2025):
“परमात्मा है सुप्रीम बिन्दी – तेजोमय ज्योति बिंदु। वही ज्ञान सागर है।”
उदाहरण:
जैसे बल्ब छोटा होता है लेकिन प्रकाश व्यापक होता है – वैसे ही आत्मा और परमात्मा बिंदु रूप होते हुए भी शक्तिशाली हैं।
4. श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मानने की भूल
गीता में भगवान कहते हैं:
“मैं जन्म और कर्म से न्यारा हूँ।”
जबकि श्रीकृष्ण कहते हैं – “मैं जन्म लेता हूँ।”
Murli (13 जून 2025):
“गीता का भगवान कृष्ण नहीं, शिव है। कृष्ण तो स्वयं ज्ञान से सजीव बने हैं।”
उदाहरण:
जैसे कलाकार अपने बनाए चित्र से न्यारा होता है – वैसे ही परमात्मा रचना से अलग होते हैं।
5. श्रीकृष्ण को गीता-पति मानने से हुई हानि
योग का लक्ष्य रचयिता से हटकर रचना पर चला गया।
भक्ति में अंधश्रद्धा और पाखंड बढ़ गया।
भारत, जो स्वर्ग था – पतित बन गया।
Murli (28 मई 2025):
“सबसे बड़ी भूल – श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मान लिया। इससे भगवान का सही परिचय खो गया।”
6. गीता का ज्ञान किसने दिया?
निराकार शिव बाबा ने
प्रजापिता ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर
आत्मा और परमात्मा का परिचय देकर
Murli (6 जुलाई 2025):
“बाप शिव ब्रह्मा तन द्वारा समझाते हैं – आत्मा कौन? परमात्मा कौन? यही है गीता का सार।”
यही ज्ञान-संगमयुग की गीता है – जिससे सच्चा योग जुड़ता है।
7. निष्कर्ष: सही पहचान ही है सच्चा मोक्ष मार्ग
जब हम जान लें कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव हैं –
तो आत्मा:
सच्चा योग लगाएगी,
शक्तिशाली बनेगी,
पवित्रता द्वारा स्वर्ग की अधिकारी बन जाएगी।
Murli (10 जुलाई 2025):
“ज्ञान, योग, गुण और शक्तियों से सम्पन्न बनने का द्वार – गीता है। पर गीता सही तब होगी जब उसका भगवान सही हो।”
“क्यों ज़रूरी है गीता के भगवान को सही पहचानना? | गीता का सच्चा दाता: श्रीकृष्ण नहीं, शिव |
Q1: गीता में आत्मा और शरीर का क्या संबंध बताया गया है?
उत्तर:गीता अध्याय 2 के अनुसार आत्मा और शरीर दो अलग सत्ता हैं।
श्लोक कहता है:
“नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः…”
आत्मा अविनाशी है, शरीर विनाशी।
जैसे कपड़े और शरीर अलग होते हैं, वैसे ही आत्मा और शरीर।
Murli (22 जून 2025):
“आत्मा ड्राइवर है और शरीर गाड़ी।”
Q2: क्या गीता का ज्ञानदाता कोई शरीरधारी था?
उत्तर:नहीं। गीता में भगवान स्वयं को “अव्यक्त, सनातन और अक्षर” कहते हैं।
वह जन्म नहीं लेते, मरते नहीं।
गीता अध्याय 8, श्लोक 20–21:
“अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्…”
Murli (18 मई 2025):
“भगवान तो निराकार है। गीता वही सुनाते हैं। कृष्ण तो देवता हैं।”
Q3: गीता में भगवान का स्वरूप क्या बताया गया है?
उत्तर:गीता में भगवान का स्वरूप ज्योति बिंदु (तेजोमय आत्मा) के रूप में बताया गया है।
वह हर शरीर में रहते हुए भी परम हैं।
अध्याय 13:
“क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत…”
Murli (1 जुलाई 2025):
“परमात्मा सुप्रीम बिन्दी है। वही ज्ञान सागर है।”
उदाहरण: जैसे छोटा बल्ब पूरे कमरे को रोशन करता है।
Q4: श्रीकृष्ण और गीता के भगवान में क्या अंतर है?
उत्तर:श्रीकृष्ण कहते हैं – “मैं जन्म लेता हूँ”,
परंतु गीता में भगवान कहते हैं –
“मैं जन्म और कर्म से न्यारा हूँ।”
Murli (13 जून 2025):
“गीता का भगवान कृष्ण नहीं, शिव है। कृष्ण तो स्वयं ज्ञान से सजीव बने हैं।”
उदाहरण: जैसे कलाकार चित्र से न्यारा होता है, परमात्मा भी रचना से न्यारे हैं।
Q5: श्रीकृष्ण को गीता-पति मानने से क्या हानि हुई?
उत्तर:
-
योग परमात्मा से हटकर रचना (श्रीकृष्ण) से जुड़ गया।
-
अंधश्रद्धा और पाखंड भक्ति में आ गया।
-
भारत पतित बन गया।
Murli (28 मई 2025):
“सबसे बड़ी भूल – श्रीकृष्ण को गीता का भगवान मान लिया।”
Q6: गीता का सच्चा ज्ञानदाता कौन है और कैसे ज्ञान देता है?
उत्तर:
निराकार शिव बाबा,
जो प्रजापिता ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर आत्मा और परमात्मा का परिचय देते हैं।
Murli (6 जुलाई 2025):
“बाप शिव ब्रह्मा तन द्वारा समझाते हैं – आत्मा कौन? परमात्मा कौन? यही है गीता का सार।”
Q7: सही भगवान की पहचान से आत्मा को क्या लाभ होता है?
उत्तर:
-
आत्मा सच्चा योग लगाती है।
-
शक्तिशाली और पवित्र बनती है।
-
मोक्ष और जीवनमुक्ति का अधिकारी बनती है।
Murli (10 जुलाई 2025):
इस वीडियो का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर श्रीमद्भगवद्गीता की गूढ़ बातों को स्पष्ट करना है, जो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में सिखाए जाने वाले ज्ञान और मुरली वचनों पर आधारित है। इस प्रस्तुति का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है, बल्कि आत्मा, परमात्मा और गीता के वास्तविक ज्ञान को आत्मिक दृष्टिकोण से समझाना है।
हम श्रीकृष्ण के दिव्य गुणों का सम्मान करते हैं। यह वीडियो केवल गीता के ज्ञानदाता की सही पहचान को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्पष्ट करने हेतु है।
यह सामग्री ब्रह्माकुमारीज आधिकारिक एफिडेविट (दिनांक 13 जून 2025) के अनुरूप है और केवल ज्ञान साझा करने के लिए प्रस्तुत की गई है।
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