Name of the giver of knowledge in Gita: Not Shri Krishna, but Paramatma Shiva

गीता-ज्ञान दाता का नाम: श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव हैं

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“क्यों जरूरी है गीता के भगवान का सही नाम जानना? | श्रीकृष्ण नहीं, शिव हैं ज्ञानदाता | 


 क्यों जरूरी है सही नाम जानना?

आज हर भक्त पूछता है – गीता का ज्ञान देने वाला कौन है?
क्या वह श्रीकृष्ण थे… या कोई और?

सदियों से यह मान्यता रही है कि श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया।
पर जब हम आत्मिक दृष्टि और गीता के श्लोकों के आधार से सोचते हैं,
तो एक महान और चौंकाने वाला सत्य सामने आता है –
ग़ीता का सच्चा भगवान कोई देही नहीं, बल्कि परमात्मा शिव है।


 1. आत्मा और शरीर के भेद से मिलती है भगवान की पहचान

गीता अध्याय 2, श्लोक 30:
“देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत…”

आत्मा अविनाशी है, शरीर नाशवान।
तो भगवान, जो सबका रचयिता है – वह कैसे शरीरधारी हो सकता है?

Murli 22 जून 2025:
“आत्मा है ड्राइवर, शरीर है गाड़ी।”
परमात्मा भी आत्मा के समान एक ज्योति बिंदु हैं – निराकार।


 2. मुरली प्रमाण – श्रीकृष्ण नहीं, शिव ज्ञानदाता हैं

S.M. 11 नवम्बर 2023:
“बच्चे, शिवबाबा निराकार है। कृष्ण को भगवान कहना भूल है।”

S.M. 18 फरवरी 2024:
“भगवान एक शिव है। श्रीकृष्ण तो देवता हैं।”


 3. उदाहरण – नाम वस्त्र का या आत्मा का?

जैसे कोई व्यक्ति पायजामा पहनता है –
वह कपड़ा ‘पायजामा’ कहलाता है, पर पहनने वाला है ‘राजेश’।
वैसे ही ‘कृष्ण’ शरीर का नाम है –
पर ज्ञान देने वाला कोई और परम सत्ता है – शिव।


 4. पहले जानें भगवान का कार्य, फिर पहचानें नाम

गीता अध्याय 4, श्लोक 8:
“धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे…”

यह कार्य कोई देही पुरुष नहीं कर सकता,
बल्कि वही कर सकता है जो जन्म-मरण से न्यारा हो – शिव।


 5. ‘शिव’ – एकमात्र सटीक और स्थायी नाम

  • गुणवाचक: कल्याणकारी

  • कर्तव्यवाचक: सब आत्माओं का उद्धार करने वाले

  • निराकार: तेजोमय बिंदु

  • अजन्मा: जन्म और मृत्यु से न्यारा

S.M. 10 जनवरी 2024:
“मैं शिव हूँ – निराकार परमात्मा। मेरा नाम-रूप-देश-काल सब स्थायी है।”


 6. श्रीकृष्ण: एक महान आत्मा, पर भगवान नहीं

  • जन्म हुआ

  • माता-पिता थे

  • शिक्षक थे

  • खुद श्रीमत का पालन करते थे

इसलिए:
श्रीकृष्ण देवता हैं,
परंतु गीता के भगवान नहीं।


 7. त्रिमूर्ति के रचयिता – परमपिता शिव

  • ब्रह्मा द्वारा गीता का ज्ञान देते हैं

  • त्रिमूर्ति रचते हैं

  • बीजरूप रचयिता हैं

इसलिए गीता का दाता – श्रीकृष्ण नहीं, शिव है।


 8. भगवान का सही नाम न जानने से हानि

  • देही को भगवान मानकर भक्ति में अंधश्रद्धा

  • सच्चे योग की बजाय कल्पनाएं

  • जीवनमुक्ति का मार्ग छिप गया

S.M. 28 मई 2024:
“श्रीकृष्ण को भगवान मानने से आध्यात्मिक विनाश हुआ है। अब सत्य को जानो।”


 9. निष्कर्ष: श्रीकृष्ण नहीं, शिव ही हैं गीता के भगवान

तुलना श्रीकृष्ण शिव
रूप साकार निराकार
जन्म लेते हैं नहीं लेते
देवता/भगवान देवता परमात्मा
गीता ज्ञान श्रोता दाता

“क्यों जरूरी है गीता के भगवान का सही नाम जानना?” – प्रश्नोत्तर शैली में स्पष्टीकरण


प्रश्न 1:गीता में ‘भगवान’ किसने कहा—श्रीकृष्ण या कोई और?

उत्तर:श्रीमद्भगवद्गीता में ‘भगवान’ निराकार रूप में स्वयं को प्रकट करते हैं। अध्याय 2, श्लोक 30 में लिखा है –
“देही नित्यमवध्योऽयं…”
इससे स्पष्ट है कि ‘भगवान’ देही नहीं, आत्मा स्वरूप हैं। इसलिए सच्चा ज्ञानदाता कोई शरीरधारी नहीं, बल्कि परमात्मा शिव ही हैं।


प्रश्न 2:अगर श्रीकृष्ण भगवान नहीं, तो वे कौन हैं?

उत्तर:श्रीकृष्ण एक दिव्य देवता हैं – सत्युग का प्रथम राजकुमार।
उनका जन्म हुआ, माता-पिता थे, शिक्षा ली – ये सभी लक्षण किसी आत्मा के शरीरधारण के हैं।
इसलिए श्रीकृष्ण गीता के श्रोता हैं, दाता नहीं।


प्रश्न 3:भगवान का सही नाम ‘शिव’ क्यों है?

उत्तर:‘शिव’ का अर्थ है – कल्याणकारी
यह नाम गुणवाचक और कर्मवाचक दोनों है।
शिव ही एकमात्र सत्ता हैं जो

  • जन्म नहीं लेते,

  • निराकार हैं,

  • परमधाम से अवतरित होते हैं।

S.M. 10 Jan 2024:
“मैं शिव हूँ – निराकार परमात्मा। मेरा नाम, रूप, देश, काल सब स्थायी है।”


प्रश्न 4:क्या मुरली में यह स्पष्ट कहा गया है कि श्रीकृष्ण भगवान नहीं हैं?

उत्तर:हाँ।
S.M. 11 नवम्बर 2023:
“कृष्ण को भगवान कहना भूल है। भगवान एक शिव है।”

S.M. 18 फरवरी 2024:
“श्रीकृष्ण तो देवता हैं, भगवान नहीं।”


प्रश्न 5:उदाहरण से समझाएं – शरीर का नाम और आत्मा का नाम कैसे अलग होते हैं?

उत्तर:जैसे कोई व्यक्ति पायजामा पहनता है –
कपड़े का नाम ‘पायजामा’ है, लेकिन पहनने वाला है ‘राजेश’।
वैसे ही ‘कृष्ण’ शरीर का नाम है,
पर ज्ञान सुनाने वाला है परमात्मा शिव – निराकार आत्मा।


प्रश्न 6:गीता में भगवान क्या कार्य बताते हैं?

उत्तर:अध्याय 4, श्लोक 8:
“धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे…”
धर्म की स्थापना, अधर्म का विनाश –
यह कार्य कोई मनुष्य नहीं,
बल्कि परमात्मा ही कर सकते हैं, जो जन्म-मरण से न्यारे हैं।


प्रश्न 7:भगवान का सही नाम न जानने से क्या हानि हुई है?

उत्तर:

  • देही को भगवान मानकर अंधश्रद्धा बढ़ी

  • योग की बजाय भावनात्मक पूजा हुई

  • मोक्ष का मार्ग छिप गया
    📜 S.M. 28 May 2024:
    “श्रीकृष्ण को भगवान मानने से आध्यात्मिक विनाश हुआ है। अब सत्य को जानो।”


प्रश्न 8:गीता ज्ञान का सच्चा दाता कौन है? श्रीकृष्ण या शिव?

उत्तर:श्रीकृष्ण: साकार, जन्म लेते हैं, श्रोता
शिव: निराकार, जन्म नहीं लेते, परमात्मा, ज्ञानदाता
 इसलिए गीता का सच्चा दाता परमात्मा शिव ही हैं।

डिस्क्लेमर:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है, जिसका उद्देश्य धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए आत्मा और परमात्मा की सच्चाई को स्पष्ट करना है।
यह किसी विशेष धर्म, ग्रंथ, या व्यक्ति की आलोचना नहीं करता, बल्कि सत्य ज्ञान की खोज को प्रोत्साहित करता है।
श्रीमद्भगवद्गीता का विश्लेषण आत्मिक दृष्टि और ब्रह्माकुमारी मुरली ज्ञान के आधार पर किया गया है।
हम सभी दर्शकों से निवेदन करते हैं कि वे स्वयं विचार करके और गहराई से समझकर निष्कर्ष निकालें।

यह वीडियो BK संगठन द्वारा दिनांक 13 जून 2025 को प्रकाशित अधिकृत शपथ पत्र के अनुसार गीता ज्ञान, मुरली बिंदु और आध्यात्मिक व्याख्या प्रस्तुत करता है।

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