Was the knowledge of the Gita given at the junction of Dvapara-Kali?

(31)क्या गीता-ज्ञान द्वापर-कलि की संधि में दिया गया था?

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

क्या भगवान का अवतरण हर युग में होता है? | युग मान का भ्रम और आध्यात्मिक सत्य | 


 भूमिका: युग-मान और परमात्मा के अवतरण का रहस्य

हमने पिछले वीडियो में युगों की गणना और कालचक्र को समझा।
आज का प्रश्न है —
क्या भगवान हर युग में आते हैं?
और क्या गीता का ज्ञान द्वापर के अंत में दिया गया था?
इस उत्तर के लिए हमें तीन प्रमुख युग-मानों को समझना होगा:
भौतिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक।


 युगों की गणना: अलग-अलग शास्त्र, अलग आधार

 पुरातत्वविदों के अनुसार:

  • लोहे, तांबे और पाषाण युग – लाखों वर्षों में फैले
     भूगर्भशास्त्र:

  • सेनोज़ोइक, पैलियोज़ोइक आदि युग – करोड़ों वर्ष

ये वैज्ञानिक अध्ययन के लिए हैं, न कि आत्मा और परमात्मा के संबंध के लिए।


 ज्योतिषीय युग-गणना और ऐतिहासिक भ्रम

भारतीय ज्योतिष ने युगों की लम्बी अवधि बताई:

  • सतयुग – 17,28,000 वर्ष

  • त्रेता – 12,96,000 वर्ष

  • द्वापर – 8,64,000 वर्ष

  • कलियुग – 4,32,000 वर्ष

➡ लेकिन जब इन्हीं को ऐतिहासिक तथ्य माना गया, तो गड़बड़ी शुरू हुई।

 उदाहरण:
अगर द्वापर लाखों वर्षों का है, तो भीष्म और परशुराम का मिलन असंभव होता –
परंतु पुराणों में लिखा है कि वे मिले थे।

 निष्कर्ष:
लाखों वर्षों की गणना आध्यात्मिक यथार्थ से भटका देती है।


 धार्मिक पर्व और युग मान का दुरुपयोग

भारत के पर्व जैसे रामनवमी, जन्माष्टमी आदि को भी इन्हीं लंबी युग गणनाओं से जोड़ दिया गया —
जबकि उनके पीछे सांकेतिक और आत्मिक सन्देश छुपे हैं।

 Murli 15 जुलाई 1990:

“सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग — यह कोई लाखों वर्ष के नहीं, बल्कि 5000 वर्ष के चक्र के चार भाग हैं।”


 BK ज्ञान अनुसार: परमात्मा का एक बार आगमन – संगमयुग में

ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार:

  • परमात्मा हर युग में नहीं, केवल संगमयुग में अवतरित होते हैं।

  • वे मानव शरीर नहीं लेते, बल्कि ब्रह्मा तन में प्रवेश कर ज्ञान सुनाते हैं।

 गीता का वास्तविक ज्ञान भी संगमयुग में दिया गया, न कि द्वापर में।

 Murli 26 जनवरी 1990:

“भगवान एक ही बार आते हैं — संगमयुग में। यही वह समय है जब धर्म और अधर्म की संधि होती है।”


 “यदा यदा ही धर्मस्य…” — हर युग में नहीं, एक ही बार

गीता का यह श्लोक —
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…”
हर युग में नहीं, सिर्फ संगमयुग में घटित होता है —
जब धर्म पतन पर होता है और परमात्मा स्वयं आकर पुनः स्थापना करते हैं।


 निष्कर्ष: कालगणना की भूल और आत्मा का जागरण

  • युगों की ज्योतिषीय लम्बी अवधियों ने इतिहास और धर्म को कल्पना की ओर मोड़ दिया।

  • परमात्मा का अवतरण बार-बार नहीं होता — एक बार, संगमयुग में होता है।

  • यही ज्ञान, जो आज हम सुन रहे हैं — वही गीता का मूल ज्ञान है।

 Murli 24 जून 1986:

“बाप अभी गुप्त रूप में आते हैं, गीता ज्ञान सुनाते हैं — यही ज्ञान सतयुग की स्थापना करता है।”

प्रश्न 1: क्या भगवान हर युग में आते हैं?

उत्तर:नहीं। ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार, भगवान हर युग में नहीं आते। वे केवल संगमयुग में एक बार अवतरित होते हैं, जब धर्म पतन की चरम स्थिति होती है और नई सतयुगी दुनिया की स्थापना का समय होता है।


प्रश्न 2: क्या गीता का ज्ञान द्वापर युग में दिया गया था?

उत्तर:नहीं। वास्तविक गीता ज्ञान द्वापर की संधि पर नहीं, बल्कि संगमयुग में परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा के माध्यम से दिया गया। द्वापर से केवल उसकी स्मृति और रूपक शुरू हुए।


प्रश्न 3: युगों की कितनी प्रकार की गणना होती है?

उत्तर:मुख्यतः तीन प्रकार की युग गणनाएँ होती हैं:

  1. भौतिक / वैज्ञानिक (पुरातत्व व भूगर्भ शास्त्र आधारित)

  2. ज्योतिषीय / कालगणना आधारित

  3. आध्यात्मिक / आत्म-चेतना आधारित, जैसा कि ब्रह्माकुमारी ज्ञान में बताया गया है।


प्रश्न 4: क्या लाखों वर्षों की युग गणना सही है?

उत्तर:नहीं। लाखों वर्षों की ज्योतिषीय गणनाएँ भौतिक खगोल-विज्ञान पर आधारित हैं।
BK ज्ञान के अनुसार, सम्पूर्ण चार युगों का एक चक्र 5000 वर्ष का होता है, और हर युग समान रूप से लगभग 1250 वर्षों का होता है।


प्रश्न 5: यदि द्वापर लाखों वर्षों का होता, तो परशुराम और भीष्म का मिलन कैसे संभव होता?

उत्तर:यह असंभव है। यही सिद्ध करता है कि युगों की लंबी गणनाएँ केवल प्रतीकात्मक हैं, वास्तविक नहीं। इसलिए ब्रह्माकुमारी ज्ञान 5000 वर्ष के चक्र को यथार्थ मानता है।


प्रश्न 6: क्या गीता में वर्णित “यदा यदा ही धर्मस्य…” हर युग के लिए है?

उत्तर:नहीं। यह श्लोक हर युग के लिए नहीं है। यह केवल उस विशेष समय — संगमयुग — को दर्शाता है जब धर्म की ग्लानी होती है और परमात्मा स्वयं धर्म की पुनः स्थापना के लिए आते हैं।


प्रश्न 7: परमात्मा किस रूप में अवतरित होते हैं?

उत्तर:परमात्मा शिव मानव जन्म नहीं लेते, बल्कि ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर ज्ञान सुनाते हैं।
उनका अवतरण गुप्त होता है — वे “आते” हैं, “जन्म नहीं लेते”।


प्रश्न 8: वर्तमान समय कौन-सा युग है?

उत्तर:वर्तमान समय संगमयुग है — जब कलियुग समाप्ति की ओर है और सतयुग की स्थापना हो रही है। यही वह समय है जब परमात्मा का अवतरण होता है।


प्रश्न 9: क्या परमात्मा का ज्ञान आज भी दिया जा रहा है?

उत्तर:हाँ। ब्रह्माकुमारी संस्था में प्रतिदिन सुनाई जाने वाली मुरली के माध्यम से परमात्मा शिव ब्रह्मा के मुख द्वारा आज भी ज्ञान दे रहे हैं।

Murli 24 जून 1986:

“बाप अभी गुप्त रूप में आते हैं, गीता ज्ञान सुनाते हैं — यही ज्ञान सतयुग की स्थापना करता है।”


प्रश्न 10: इस विषय को समझना आज के समय में क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:क्योंकि युग मान की भ्रांति ने धर्म और अध्यात्म को बहुत भ्रमित कर दिया है।
सच्चा ज्ञान वही है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है, और वह आज गुप्त रूप से दिया जा रहा ज्ञान है।

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह वीडियो ब्रह्माकुमारी संस्था के आध्यात्मिक शिक्षणों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति और ज्ञान-संप्रेषण है। हम किसी भी धर्म, पंथ या ग्रंथ का अपमान नहीं करते, बल्कि उसके आध्यात्मिक अर्थ को स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं।

कृपया इस ज्ञान को खुले मन और आत्मचिंतन के साथ ग्रहण करें।

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