(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
प्रस्तावना
ओम् शान्ति।
आज दिव्य स्वास्थ्य – Divine Health शृंखला का आठवाँ विषय है –
“फलों और सब्जियों के रस से रोगों का उपचार – जूस थेरेपी”।
यह सिर्फ एक फिजिकल ट्रीटमेंट नहीं है, बल्कि आत्मा और तन दोनों की गहराई से सफाई का चमत्कारी उपाय है।
जूस थेरेपी क्या है?
जूस थेरेपी यानी फलों और सब्जियों के जैविक (ऑर्गेनिक) रस द्वारा शरीर की शुद्धि और रोगों का उपचार।
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आपने कभी सूक्ष्मदर्शी (Microscope) से दही देखा? उसमें गुड बैक्टीरिया साफ दिखाई देते हैं।
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ताजे जूस में भी यही लाइव बैक्टीरिया होते हैं जो हमारे शरीर को शक्ति देते हैं।
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जबकि पैक्ड जूस में सिर्फ चीनी, फ्लेवर और कलर होता है – असली जूस नहीं।
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इसलिए हमेशा जैविक और ताजे रस ही लेने चाहिए।
नमक का नियम
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जूस या दही में कभी भी नमक न डालें।
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नमक डालते ही गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं।
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वही बैक्टीरिया भोजन पचाने और शरीर की शक्ति बढ़ाने में सहायक हैं।
जूस थेरेपी – आत्मा और मन के लिए भी
जैसे कपड़े धोने के लिए डिटर्जेंट चाहिए, वैसे ही शरीर की गहराई से सफाई के लिए रस जरूरी हैं।
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जब शरीर शुद्ध होता है तो आत्मा भी हल्का और शक्तिशाली महसूस करती है।
14 मई 2000 की मुरली में बाबा ने कहा:
“जब शरीर की सफाई होती है तो मन की सफाई सहज हो जाती है। शरीर से विषैले पदार्थ निकलते हैं तो आत्मा भी हल्का महसूस करती है।”
जूस थेरेपी के मुख्य छह प्रकार
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मीठे फलों का रस – आम, सेब, अनार
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उप-अम्लीय फलों का रस – पपीता, नाशपाती
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अम्लीय फलों का रस – नींबू, संतरा
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ऑर्गेनिक सब्जियों का रस – लौकी, गाजर
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हरे पत्तेदार रस – पालक, धनिया, पुदीना
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जड़ वाली सब्जियों का रस – चुकंदर, मूली, अदरक, गाजर
नियम याद रखें:
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मीठे फलों में अम्लीय फल मिला सकते हैं।
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लेकिन अम्लीय फलों को सब्जियों के रस के साथ कभी न मिलाएं।
बीमारियों में उपयोगी रस
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लीवर की सफाई – नींबू, पपीता, आंवला, अंगूर, तरौदा
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सब्जियाँ – गाजर, तोरी, लौकी, टमाटर, मूली, सफेद पेठा, ककड़ी
घरेलू उपाय:
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सुबह-रात गुनगुने पानी में एक नींबू का रस + 2 चम्मच जैतून तेल
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हफ्ते में 2-3 बार – मैग्नीशियम सल्फेट (एप्सम साल्ट) स्नान
मैग्नीशियम सल्फेट (Epsom Salt) के उपयोग
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डिटॉक्स – स्नान से थकान, सूजन और विषैले तत्व निकलते हैं
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कब्ज में – मेडिकल ग्रेड उपयोग
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पौधों के लिए खाद – हरा-भरा रखने में सहायक
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दर्द व सूजन – गठिया और मांसपेशियों की ऐंठन में राहत
सावधानी:
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अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन हो सकता है
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चिकित्सक की सलाह के बिना इसे पीने योग्य रूप में न लें
परहेज
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तली-भुनी चीजें
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रिफाइंड नमक, चीनी, मसाले
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देर रात का भोजन और देर तक जागना
जूस थेरेपी और ऑटोफेगी
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ऑटोफेगी = शरीर की कोशिकाएं अपनी गंदगी को खुद खाकर नई कोशिकाएँ बनाती हैं।
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जूस थेरेपी इस प्रक्रिया को तेज़ करती है।
बाबा का कहना है:
“जितना तन स्वच्छ होगा उतनी सहजता से आत्मा ब्रह्मा बाबा की तरह फरिश्ता बन उड़ने लगेगी।”
निष्कर्ष
प्रिय भाई-बहनों,
जूस थेरेपी सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि तन-मन-आत्मा की शुद्धि का दिव्य उपाय है।
ताजे और जैविक रस से न केवल शरीर हल्का और रोगमुक्त बनता है, बल्कि आत्मा भी शक्ति और शांति का अनुभव करती है।
फलों और सब्जियों के रस से रोगों का उपचार – जूस थेरेपी”।
प्रश्नोत्तर
जूस थेरेपी क्या है?
प्रश्न: जूस थेरेपी किसे कहते हैं?
उत्तर: फलों और सब्जियों के जैविक (ऑर्गेनिक) रस द्वारा शरीर की शुद्धि और रोगों का उपचार करना ही जूस थेरेपी है।
ताजे जूस और पैक्ड जूस में क्या अंतर है?
प्रश्न: ताजे जूस और पैक्ड जूस में क्या अंतर है?
उत्तर:
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ताजे जूस में लाइव गुड बैक्टीरिया होते हैं जो शरीर को शक्ति देते हैं।
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पैक्ड जूस में सिर्फ चीनी, फ्लेवर और कलर होता है, असली जूस नहीं।
नमक का नियम क्या है?
प्रश्न: जूस या दही में नमक क्यों नहीं डालना चाहिए?
उत्तर: नमक डालते ही गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं, जबकि वही भोजन पचाने और शरीर की शक्ति बढ़ाने में सहायक हैं।
जूस थेरेपी आत्मा और मन के लिए कैसे उपयोगी है?
प्रश्न: जूस थेरेपी सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मा और मन के लिए भी क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:
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जैसे कपड़े धोने के लिए डिटर्जेंट चाहिए, वैसे ही शरीर की गहराई से सफाई के लिए रस जरूरी हैं।
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जब शरीर शुद्ध होता है तो आत्मा भी हल्का और शक्तिशाली महसूस करती है।
14 मई 2000 की मुरली:
“जब शरीर की सफाई होती है तो मन की सफाई सहज हो जाती है।”
जूस थेरेपी के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
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मीठे फलों का रस – आम, सेब, अनार
-
उप-अम्लीय फलों का रस – पपीता, नाशपाती
-
अम्लीय फलों का रस – नींबू, संतरा
-
ऑर्गेनिक सब्जियों का रस – लौकी, गाजर
-
हरे पत्तेदार रस – पालक, धनिया, पुदीना
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जड़ वाली सब्जियों का रस – चुकंदर, मूली, अदरक, गाजर
नियम:
-
मीठे फलों में अम्लीय फल मिला सकते हैं।
-
अम्लीय फलों को सब्जियों के रस के साथ कभी न मिलाएं।
बीमारियों में कौन से रस उपयोगी हैं?
उत्तर:
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लीवर की सफाई: नींबू, पपीता, आंवला, अंगूर, तरौदा
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सब्जियाँ: गाजर, तोरी, लौकी, टमाटर, मूली, सफेद पेठा, ककड़ी
घरेलू उपाय:
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सुबह-रात गुनगुने पानी में एक नींबू का रस + 2 चम्मच जैतून तेल
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हफ्ते में 2-3 बार एप्सम साल्ट स्नान
मैग्नीशियम सल्फेट (Epsom Salt) के क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
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डिटॉक्स: स्नान से थकान, सूजन और विषैले तत्व निकलते हैं।
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कब्ज: मेडिकल ग्रेड रूप में उपयोग।
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पौधों के लिए: हरा-भरा रखने में सहायक।
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दर्द व सूजन: गठिया और मांसपेशियों की ऐंठन में राहत।
सावधानी:
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अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन हो सकता है।
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चिकित्सक की सलाह के बिना पीने योग्य रूप में न लें।
किन चीज़ों से परहेज करना चाहिए?
उत्तर:
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तली-भुनी चीजें
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रिफाइंड नमक, चीनी, मसाले
-
देर रात का भोजन और देर तक जागना
जूस थेरेपी और ऑटोफेगी में क्या संबंध है?
उत्तर:
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ऑटोफेगी = शरीर की कोशिकाएं अपनी गंदगी को खुद खाकर नई कोशिकाएँ बनाती हैं।
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जूस थेरेपी इस प्रक्रिया को तेज़ करती है और कोशिकाओं को नया जीवन देती है।
📖 बाबा का कहना है:
“जितना तन स्वच्छ होगा उतनी सहजता से आत्मा ब्रह्मा बाबा की तरह फरिश्ता बन उड़ने लगेगी।”
निष्कर्ष
प्रश्न: जूस थेरेपी का असली महत्व क्या है?
उत्तर: जूस थेरेपी सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि तन-मन-आत्मा की शुद्धि का दिव्य उपाय है।
ताजे और जैविक रस से शरीर हल्का और रोगमुक्त होता है, और आत्मा शक्ति व शांति का अनुभव करती है।
Disclaimer: इस वीडियो में दी गई जानकारी केवल सामान्य शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य उपचार, आहार परिवर्तन या जूस थेरेपी अपनाने से पहले अपने योग्य चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसमें वर्णित Murli उद्धरण ब्रह्माकुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित हैं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से साझा किए गए हैं।
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