Pitru Paksha (13)

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“पितृ पक्ष का वैज्ञानिक रहस्य | क्या श्राद्ध से आत्मा को सचमुच शांति मिलती है?”


 अध्याय 13 – पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

1. समाज और विज्ञान का टकराव

समाज की धारणा है कि – “श्राद्ध करने से आत्मा को शांति मिलती है।”
लेकिन आज की शिक्षित पीढ़ी प्रश्न करती है – “क्या इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण है?”

 विज्ञान स्पष्ट कहता है –
आत्मा को अन्न और जल की आवश्यकता ही नहीं होती।
जिस शरीर को आत्मा छोड़ चुकी है, उसे भोजन या पानी नहीं पहुँच सकता।


2. आत्मा और विज्ञान की समझ

साकार मुरली 20 सितम्बर 2017 में शिव बाबा ने कहा –

“जब आत्मा शरीर छोड़ देती है तो उसे अंग पाने की जरूरत ही नहीं रहती। आत्मा अमर है और तुरंत नया शरीर ले लेती है।”

 इसका अर्थ है –

  • मृत शरीर को भोजन-पानी देना निरर्थक है।

  • आत्मा अमर है और अगले शरीर में चली जाती है।

  • विज्ञान भी मानता है कि मृत शरीर तक कुछ नहीं पहुँच सकता।


3. श्राद्ध की जड़ कहां से?

साकार मुरली 22 सितम्बर 2016 में शिव बाबा ने स्पष्ट कहा –

“श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि सब भक्ति मार्ग की रीतियां हैं। इनसे आत्मा को शांति नहीं मिलती।”

यानी श्राद्ध कोई वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि आस्था और परंपरा से जुड़ा हुआ भक्ति मार्ग का कर्मकांड है।


4. विज्ञान का दृष्टिकोण

विज्ञान कहता है –

  • शरीर के नष्ट होते ही आत्मा नया जन्म ले लेती है।

  • ऐसे में किसी भी प्रकार का पिंडदान, जल अर्पण या भोजन आत्मा तक नहीं पहुँच सकता।

 यहाँ विज्ञान और ईश्वरीय ज्ञान – दोनों की राय समान है।


5. उदाहरण

मान लीजिए कोई विद्यार्थी नया स्कूल जॉइन कर ले।
अगर पुराना स्कूल उसके लिए फीस भेजे या खाना रखे –
 क्या वह विद्यार्थी तक पहुँचेगा?
बिलकुल नहीं।

उसी प्रकार –
जब आत्मा नया जन्म ले लेती है, तो पुराने घर के श्राद्ध का उससे कोई संबंध नहीं रहता।


6. आत्मा को असली शांति कैसे मिले?

साकार मुरली 18 सितम्बर 2015 में शिव बाबा ने कहा –

“पितरों को तृप्त करने वाले तुम बच्चे हो। तुम उन्हें ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

 असली वैज्ञानिक तरीका है –

  • आत्मा को ईश्वर का ज्ञान देना।

  • योगबल का अनुभव कराना।

यही आत्मा की शांति और तृप्ति का साधन है।


 निष्कर्ष

  • श्राद्ध का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि उससे आत्मा को शांति या परिवार में सुख-शांति मिलती है।

  • यह केवल परंपरा और आस्था पर आधारित कर्मकांड है।

  • आत्मा को अन्न-पानी से नहीं, बल्कि ईश्वर ज्ञान और योगबल से ही वास्तविक शांति मिलती है।

  • पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

     प्रश्न 1: समाज में श्राद्ध को लेकर क्या धारणा है?

     उत्तर: समाज में यह मान्यता है कि श्राद्ध करने से आत्मा को शांति मिलती है। लेकिन आज की पढ़ी-लिखी पीढ़ी पूछती है – “क्या इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण है?”
     विज्ञान कहता है – आत्मा को न अन्न की ज़रूरत है, न जल की। मृत शरीर तक कोई भी चीज़ नहीं पहुँच सकती।


     प्रश्न 2: विज्ञान और ईश्वरीय ज्ञान आत्मा के बारे में क्या कहते हैं?

     उत्तर:
    साकार मुरली 20 सितम्बर 2017 में शिव बाबा कहते हैं –

    “जब आत्मा शरीर छोड़ देती है तो उसे अंग पाने की जरूरत ही नहीं रहती। आत्मा अमर है और तुरंत नया शरीर ले लेती है।”

     इसका अर्थ है –

    • मृत शरीर को भोजन-पानी देना निरर्थक है।

    • आत्मा अमर है और तुरंत अगले शरीर में चली जाती है।

    • विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि मृत शरीर तक कुछ नहीं पहुँच सकता।


     प्रश्न 3: श्राद्ध की परंपरा की जड़ कहां है?

     उत्तर:
    साकार मुरली 22 सितम्बर 2016 में शिव बाबा ने कहा –

    “श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि सब भक्ति मार्ग की रीतियां हैं। इनसे आत्मा को शांति नहीं मिलती।”

     यानी श्राद्ध कोई वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि भक्ति मार्ग का कर्मकांड है जो परंपरा और आस्था पर आधारित है।


     प्रश्न 4: विज्ञान का दृष्टिकोण श्राद्ध पर क्या कहता है?

     उत्तर: विज्ञान के अनुसार –

    • शरीर के नष्ट होते ही आत्मा नया जन्म ले लेती है।

    • ऐसे में भोजन, पिंडदान या जल अर्पण आत्मा तक पहुँच ही नहीं सकता।

     यहाँ विज्ञान और ईश्वरीय ज्ञान – दोनों का दृष्टिकोण एक जैसा है।


     प्रश्न 5: क्या कोई उदाहरण है जिससे यह समझा जा सके?

     उत्तर: हाँ, मान लीजिए कोई विद्यार्थी नया स्कूल जॉइन कर ले।
    अगर पुराना स्कूल उसके लिए फीस भेजे या खाना रखे –
     क्या वह विद्यार्थी तक पहुँचेगा?
    बिलकुल नहीं।

    इसी तरह – जब आत्मा नया जन्म ले लेती है, तो पुराने घर के श्राद्ध का उससे कोई संबंध नहीं रहता।


     प्रश्न 6: आत्मा को असली शांति कैसे मिलती है?

     उत्तर:
    साकार मुरली 18 सितम्बर 2015 में शिव बाबा ने कहा –

    “पितरों को तृप्त करने वाले तुम बच्चे हो। तुम उन्हें ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

     आत्मा को असली शांति मिलती है –

    • ईश्वर के ज्ञान से,

    • योगबल के अनुभव से।

     यही आत्मा को तृप्त करने का असली वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीका है।


     निष्कर्ष

    • श्राद्ध का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं कि उससे आत्मा को शांति मिलती है।

    • यह केवल परंपरा और आस्था पर आधारित कर्मकांड है।

    • आत्मा को अन्न-पानी से नहीं, बल्कि ईश्वर ज्ञान और योगबल से ही वास्तविक शांति मिलती है।

    • Disclaimer:यह वीडियो किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं है।
      इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सत्य को स्पष्ट करना है,
      जैसा कि साकार मुरली में शिव बाबा ने समझाया है।
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