(09)”Superior attitude – powerful vibrations, divine atmosphere. Create powerful vibrations and divine atmosphere with superior attitude.

मनसा सेवा-:”श्रेष्ठ वृत्ति – शक्तिशाली वाइब्रेशन दिव्य वायुमंडल श्रेष्ठ वृत्ति से बनाओ शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायु मंडल।

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अध्याय – श्रेष्ठ वृत्ति : शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल

मुरली तिथि: 17 मार्च 2007 (अव्यक्त मुरली)
मुख्य विषय: श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और वायुमंडल बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करो।


1. बापदादा का स्नेहिल मिलन

आज प्यार और शक्ति के सागर बापदादा अपने स्नेही, लाडले बच्चों से मिलन मनाने आए हैं।
चाहे बच्चे सन्मुख हों या विदेश में, सभी बापदादा के स्नेह के आकर्षण से मिलन मना रहे हैं।

बापदादा बच्चों के हृदय को देखते हुए कहते हैं –

“अधिकांश के दिल में यह संकल्प है — अब जल्दी से जल्दी बाप को प्रत्यक्ष करना है।”

परंतु बापदादा समझाते हैं —

“बाप को प्रत्यक्ष तब कर सकोगे जब पहले अपने को बाप समान संपूर्ण और संपन्न बनाओगे।”

भावार्थ:
जब हम अपने गुणों, वृत्तियों और कर्मों में बाप समान पूर्णता धारण करेंगे, तभी बाप हमारे कर्मों के द्वारा प्रत्यक्ष होंगे।


2. वृत्ति क्या है और स्मृति क्या है?

बापदादा कहते हैं —

“वृत्ति शब्द बहुत सूक्ष्म है। वृत्ति का अर्थ है — हमारे संस्कारों का परिणाम जो बाहर अभिव्यक्त होता है।”

आत्मा में अनेक संस्कार हैं — कुछ श्रेष्ठ, कुछ अशुद्ध।
जब वे संकल्प या व्यवहार के रूप में प्रकट होते हैं, तो वही वृत्ति कहलाती है।

उदाहरण:

यदि आत्मा में शांति का संस्कार है, तो वृत्ति भी शांति दायक होगी।
लेकिन यदि अंदर क्रोध या ईर्ष्या के संस्कार हैं, तो वही वृत्ति विकारपूर्ण वाइब्रेशन बनाती है।


3. संस्कार और वृत्ति में अंतर

जब विचार अंदर हैं पर बाहर व्यक्त नहीं हुए — यह संस्कार हैं।
पर जब वही विचार कर्म या व्यवहार के रूप में प्रकट होते हैं — वह वृत्ति बन जाते हैं।

उदाहरण:

अगर मन में विचार है — “मुझे किसी को कठोर उत्तर देना चाहिए या नहीं”,
तो यह केवल मन का मंथन है।
पर जब आप बोल देते हैं — “तुमसे गलती हुई”,
तो वह वृत्ति बन गई।

मुरली बिंदु:

“चित्त तक हम सुधार सकते हैं, पर वृत्ति बाहर आ जाए तो वह वाइब्रेशन बन जाती है जो वातावरण में फैलती है।”


4. वृत्ति से वाइब्रेशन और वायुमंडल

जैसी हमारी वृत्ति होती है, वैसे ही हमारे वाइब्रेशन बनते हैं,
और उन्हीं वाइब्रेशन से वायुमंडल बनता है।

“श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन बनता है और शक्तिशाली वाइब्रेशन से दिव्य वायुमंडल।”

उदाहरण:

  • अगर घर में एक सदस्य क्रोधी है — तो पूरे घर का वातावरण भारी हो जाता है।

  • अगर कोई शुभ दृष्टि वाला, शांत चित्त व्यक्ति है — तो वही घर मंदिर जैसा बन जाता है।

मुरली बिंदु:

“हम जो सोचते और करते हैं, वह ऊर्जा के रूप में फैलता है। प्रेम की दृष्टि देंगे तो प्रेम फैलेगा, निंदा की दृष्टि देंगे तो दूषण फैलेगा।”


5. वृत्ति – आत्मा का सूक्ष्म तीर

बापदादा समझाते हैं —

“जब वृत्ति बाहर निकलती है, वह तीर की तरह होती है — जो निकल गया, वह लौट नहीं सकता।”

विचार को हम बदल सकते हैं,
पर जब वह कर्म बन गया — तब उसका प्रभाव वातावरण पर स्थायी रूप से अंकित हो जाता है।

उदाहरण:

जैसे बेटी शादी से पहले घर में है तो निर्णय बदल सकते हैं,
पर जब ससुराल चली गई — लौटना कठिन है।
वैसे ही जब वृत्ति कर्म बन जाती है, तो उसका प्रभाव स्थायी हो जाता है।


6. श्रेष्ठ वृत्ति कैसे बनाएं?

बाबा का स्पष्ट संदेश है —

“पहले अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाओ। श्रेष्ठ वृत्ति का आधार है — श्रीमत पर चलना।”

जब हमारी दृष्टि, वाणी और कर्म श्रीमत के अनुसार होंगे,
तो स्वाभाविक रूप से वाइब्रेशन शक्तिशाली और वातावरण पवित्र बन जाएगा।

व्यवहारिक उदाहरण:

  • किसी की गलती देखकर निंदा नहीं करनी।

  • सबको सहयोग और शुभ भावना से देखना।

  • हर परिस्थिति में शांति से रहना।

मुरली बिंदु:

“वृत्ति की श्रेष्ठता बनी रहेगी तो वाइब्रेशन की शक्ति स्वतः बढ़ेगी।”


7. बाबा की प्रेरणा – तीव्र पुरुषार्थ करो

बाबा की प्रेरणा है —

“श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और वायुमंडल बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करो।”

क्योंकि जब आपका वायुमंडल श्रेष्ठ होगा,
तो जो भी आपके पास आएगा, उसे दुआएँ और शक्ति मिलेगी।

मुरली बिंदु:

“आपका हर कार्य, हर बोल, हर दृष्टि — सबको शक्ति देने वाला हो।”


8. बाप समान बनने का संकल्प

अंत में बापदादा ने कहा —

“बाप की प्रत्यक्षता तभी कर सकोगे जब पहले स्वयं को बाप समान प्रत्यक्ष कर सको।”

उन्होंने कहा —

“अपने संपन्न बनने की एक तारीख फिक्स करो। जैसे कोई कार्यक्रम की तारीख तय करते हैं, वैसे तय करो — कब तक मैं बाप समान बन जाऊँ।”


संदेश का सार

  • चित्त को पवित्र बनाओ।

  • वृत्ति को श्रेष्ठ बनाओ।

  • वृत्ति से वाइब्रेशन और वाइब्रेशन से दिव्य वायुमंडल रचो।

जब हमारा वाइब्रेशन व्यापक क्षेत्र में फैलने लगता है,
तब हम स्वयं भी शक्तिशाली बनते हैं
और संपूर्ण विश्व के वातावरण को परिवर्तन की दिशा देते हैं।


सारांश वाक्य:

“श्रेष्ठ वृत्ति से बनेगा शक्तिशाली वाइब्रेशन, और शक्तिशाली वाइब्रेशन से बनेगा दिव्य संसार।”

श्रेष्ठ वृत्ति : शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल

मुरली तिथि: 17 मार्च 2007 (अव्यक्त मुरली)
मुख्य विषय: श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और वायुमंडल बनाने का तीव्र पुरुषार्थ


प्रश्न 1: बापदादा का स्नेहिल मिलन आज बच्चों के लिए क्या संदेश देता है?

उत्तर: बापदादा अपने स्नेही बच्चों से मिलन कर यह संदेश देते हैं कि “अब जल्दी से जल्दी बाप को प्रत्यक्ष करना है।” परंतु प्रत्यक्ष बाप अनुभव तभी होगा जब हम अपने गुणों, वृत्तियों और कर्मों में बाप समान पूर्ण और संपन्न बन जाएंगे।


प्रश्न 2: वृत्ति और स्मृति में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • संस्कार: विचार या गुण जो अंदर हैं, लेकिन बाहर प्रकट नहीं हुए।

  • वृत्ति: वही संस्कार जब कर्म या व्यवहार के रूप में बाहर आते हैं।

  • उदाहरण: अगर मन में शांति का विचार है, लेकिन व्यवहार में क्रोध होता है, तो वही वृत्ति विकारपूर्ण वाइब्रेशन बनाती है।


प्रश्न 3: वृत्ति का वातावरण पर क्या प्रभाव होता है?

उत्तर: हमारी वृत्ति जैसे है, हमारे वाइब्रेशन वैसे बनते हैं, और उन वाइब्रेशनों से वायुमंडल बनता है।

  • उदाहरण: क्रोधी व्यक्ति का घर भारी वातावरण बनाता है, जबकि शांत और शुभ दृष्टि वाला व्यक्ति घर को दिव्य बनाता है।

  • मुरली बिंदु: “हम जो सोचते और करते हैं, वह ऊर्जा के रूप में फैलता है। प्रेम की दृष्टि देंगे तो प्रेम फैलेगा, निंदा की दृष्टि देंगे तो दूषण फैलेगा।”


प्रश्न 4: वृत्ति और संस्कार में कैसे पहचानें?

उत्तर:

  • विचार अंदर हैं और कर्म में नहीं आए → संस्कार

  • विचार व्यवहार या कर्म में प्रकट → वृत्ति

  • मुरली बिंदु: “चित्त तक हम सुधार सकते हैं, पर वृत्ति बाहर आ जाए तो वह वाइब्रेशन बन जाती है जो वातावरण में फैलती है।”


प्रश्न 5: वृत्ति को “आत्मा का सूक्ष्म तीर” क्यों कहा गया है?

उत्तर: जब वृत्ति बाहर निकलती है, वह तीर की तरह होती है — जो निकल गया, वह लौट नहीं सकता। विचार बदले जा सकते हैं, पर कर्म बन चुकी वृत्ति का प्रभाव स्थायी रूप से वातावरण पर अंकित हो जाता है।

  • उदाहरण: बेटी का ससुराल जाना – निर्णय बदलना कठिन।


प्रश्न 6: श्रेष्ठ वृत्ति कैसे बनाते हैं?

उत्तर:

  • बाबा का संदेश: पहले अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाओ।

  • आधार: श्रीमत पर चलना।

  • व्यवहारिक उदाहरण:

    1. किसी की गलती देखकर निंदा न करना।

    2. सबको सहयोग और शुभ भावना से देखना।

    3. हर परिस्थिति में शांति बनाए रखना।

  • मुरली बिंदु: “वृत्ति की श्रेष्ठता बनी रहेगी तो वाइब्रेशन की शक्ति स्वतः बढ़ेगी।”


प्रश्न 7: बापदादा की प्रेरणा में पुरुषार्थ का क्या महत्व है?

उत्तर: बापदादा कहते हैं — “श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और वायुमंडल बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करो।”

  • जब आपका वायुमंडल श्रेष्ठ होगा, तो जो भी आपके पास आएगा, उसे दुआएँ और शक्ति मिलेगी।

  • मुरली बिंदु: “आपका हर कार्य, हर बोल, हर दृष्टि — सबको शक्ति देने वाला हो।”


प्रश्न 8: बाप समान बनने का संकल्प कैसे लें?

उत्तर:

  • प्रत्यक्ष बाप अनुभव तभी होगा जब हम स्वयं को बाप समान बनाएं।

  • एक निश्चित तारीख तय करें कि कब तक मैं बाप समान बन जाऊँगा।

  • सार संदेश: चित्त पवित्र बनाओ → वृत्ति श्रेष्ठ बनाओ → वाइब्रेशन शक्तिशाली → दिव्य वायुमंडल बनाओ।


प्रश्न 9: इस अध्याय का मुख्य सारांश वाक्य क्या है?

उत्तर:

“श्रेष्ठ वृत्ति से बनेगा शक्तिशाली वाइब्रेशन, और शक्तिशाली वाइब्रेशन से बनेगा दिव्य संसार।”

Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की 17 मार्च 2007 की अव्यक्त मुरली पर आधारित आध्यात्मिक अध्ययन और मनन है।
इसका उद्देश्य आत्म-उन्नति, सकारात्मक वृत्ति और दिव्य जीवन मूल्यों का प्रसार करना है।
यह कोई आधिकारिक मुरली-वाचन नहीं, बल्कि बाबा के संदेशों का आत्मिक अर्थ प्रस्तुत करता है।

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