(10)What Prasads are prepared during Chhath Puja?

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

छठ पूजा का असली अर्थ-:(10)छठ पूजा में कौन-कौन से प्रसाद बनते हैं?


छठ पूजा का असली अर्थ और प्रसाद का आध्यात्मिक महत्व

छठ पूजा केवल भौतिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेम और योग का अद्भुत मिलन है। आइए जानते हैं कि इस पूजा में बनने वाले प्रसाद का वास्तविक आध्यात्मिक अर्थ क्या है।


1. परिचय: हर कर्म का आध्यात्मिक अर्थ

मुख्य संदेश:
हर कर्म का अर्थ आत्मा के ज्ञान में छिपा है। शरीर कुछ नहीं करता; कर्म करने वाली आत्मा है।

मुरली नोट (20 सितंबर 2024):
“हर कर्म का अर्थ आत्मा के ज्ञान में छिपा है।”

उदाहरण:
जब हमें आत्मा का ज्ञान मिल जाता है, तो हम समझ पाते हैं कि हमारे कर्म क्यों और कैसे किए जाते हैं।


2. ठेकुआ: दृढ़ता और स्नेह का प्रतीक

भौतिक स्वरूप:
आटे और गुड़ से बना, घी में भूनकर तैयार किया जाता है।

आध्यात्मिक अर्थ (साकार मुरली 18 जून 2024):
ठेकुआ = दृढ़ संकल्प।

  • आटा → आत्मा का कार्य क्षेत्र

  • घी → स्थिरता और गुण

  • मिठास → स्नेह और दृढ़ता

उदाहरण:
जैसे ठेकुआ बनाने में घी और गुड़ की सही मात्रा जरूरी है, वैसे ही तपस्या में दृढ़ता और स्नेह आवश्यक है।


3. खीर: शुद्धता और शीतलता का प्रतीक

भौतिक स्वरूप:
दूध, गुड़, चावल, चना, नारियल, केला, गन्ना आदि से बनती है।

आध्यात्मिक अर्थ (अव्यक्त मुरली 23 मार्च 2024):
खीर = आत्मा का शीतल और पवित्र होना।

  • शुद्धता + शीतलता = सच्चा योग

उदाहरण:
जैसे ठंडी खीर मन को तृप्त करती है, वैसे ही आत्मा में शुद्ध संकल्प शांति देता है।


4. फल प्रसाद: कर्म फल की याद

भौतिक स्वरूप:
फल प्रसाद = विभिन्न फलों का संकलन।

आध्यात्मिक अर्थ (साकार मुरली 12 अगस्त 2024):
बल अर्पण = अपने कर्म फल को ईश्वर को समर्पित करना।

उदाहरण:
जैसे किसान फसल काटकर भगवान को धन्यवाद देता है, वैसे ही योगी अपने कर्म का फल बाबा को अर्पित करता है।


5. मुरली आधारित आध्यात्मिक निष्कर्ष

साकार मुरली 14 अप्रैल 2024:
“सच्चा प्रसाद वह है जो आत्मा के संस्कारों को मीठा बनाए।”

साकार मुरली 7 जुलाई 2024:
“सच्चा प्रसाद वह है जो आत्मा में आनंद भर देता।”

अर्थ:
भक्ति में मिठाई स्वाद देती है, ज्ञान में संस्कारों की मिठास आत्मा को सुख देती है।


6. सारांश: छठ का सच्चा प्रसाद

प्रसाद भौतिक अर्थ आध्यात्मिक अर्थ
ठेकुआ श्रम और श्रद्धा दृढ़ संकल्प और स्नेह
खीर शीतलता और स्वाद शुद्धता, शीतलता और योग
फल फलों का अर्पण कर्म फल समर्पण, मधुर संस्कार
नारियल संपूर्णता आत्म बलिदान और समर्पण

अंतिम संदेश:
छठ का सच्चा प्रसाद मिठाई नहीं, बल्कि मधुर वृत्ति है।

  • निर्जल रहो नहीं, निर्मल रहो।

  • आत्मा में प्रसन्नता लाओ, यही सच्चा छठ का आनंद है।

  • शीर्षक: छठ पूजा का असली अर्थ और प्रसाद का आध्यात्मिक महत्व – प्रश्नोत्तर रूप में (Q&A Format)


    1. छठ पूजा का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

     प्रश्न: क्या छठ पूजा केवल भौतिक उत्सव है?
     उत्तर: नहीं। छठ पूजा केवल भौतिक उत्सव नहीं है, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेम और योग का अद्भुत मिलन है। इस पूजा में किए गए कर्मों और प्रसाद में भी गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा है।

    मुरली नोट (20 सितंबर 2024):
    “हर कर्म का अर्थ आत्मा के ज्ञान में छिपा है।”

    उदाहरण:
    जब आत्मा का ज्ञान मिल जाता है, तो हम समझ पाते हैं कि हमारे कर्म क्यों और कैसे किए जाते हैं।


    2. ठेकुआ का आध्यात्मिक महत्व

     प्रश्न: ठेकुआ का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
     उत्तर: ठेकुआ दृढ़ संकल्प और स्नेह का प्रतीक है।

    भौतिक स्वरूप: आटे और गुड़ से बना, घी में भूनकर तैयार किया जाता है।
    आध्यात्मिक अर्थ (साकार मुरली 18 जून 2024):

    • आटा → आत्मा का कार्य क्षेत्र

    • घी → स्थिरता और गुण

    • मिठास → स्नेह और दृढ़ता

    उदाहरण:
    जैसे ठेकुआ बनाने में घी और गुड़ की सही मात्रा जरूरी है, वैसे ही तपस्या में दृढ़ता और स्नेह आवश्यक है।


    3. खीर का आध्यात्मिक महत्व

     प्रश्न: खीर क्यों बनाई जाती है और इसका आध्यात्मिक संदेश क्या है?
     उत्तर: खीर आत्मा की शुद्धता और शीतलता का प्रतीक है।

    भौतिक स्वरूप: दूध, गुड़, चावल, चना, नारियल, केला, गन्ना आदि।
    आध्यात्मिक अर्थ (अव्यक्त मुरली 23 मार्च 2024):

    • शुद्धता + शीतलता = सच्चा योग

    उदाहरण:
    जैसे ठंडी खीर मन को तृप्त करती है, वैसे ही आत्मा में शुद्ध संकल्प शांति देता है।


    4. फल प्रसाद का आध्यात्मिक महत्व

     प्रश्न: फल प्रसाद का अर्थ क्या है?
     उत्तर: फल प्रसाद कर्म फल की याद और समर्पण का प्रतीक है।

    भौतिक स्वरूप: विभिन्न फलों का संकलन।
    आध्यात्मिक अर्थ (साकार मुरली 12 अगस्त 2024):

    • बल अर्पण = अपने कर्म फल को ईश्वर को समर्पित करना

    उदाहरण:
    जैसे किसान फसल काटकर भगवान को धन्यवाद देता है, वैसे ही योगी अपने कर्म का फल बाबा को अर्पित करता है।


    5. मुरली आधारित आध्यात्मिक निष्कर्ष

     प्रश्न: सच्चा प्रसाद क्या है?
     उत्तर:

    • साकार मुरली 14 अप्रैल 2024: “सच्चा प्रसाद वह है जो आत्मा के संस्कारों को मीठा बनाए।”

    • साकार मुरली 7 जुलाई 2024: “सच्चा प्रसाद वह है जो आत्मा में आनंद भर देता।”

    अर्थ:
    भक्ति में मिठाई स्वाद देती है, ज्ञान में संस्कारों की मिठास आत्मा को सुख देती है।


    6. सारांश – छठ का सच्चा प्रसाद

    प्रसाद भौतिक अर्थ आध्यात्मिक अर्थ
    ठेकुआ श्रम और श्रद्धा दृढ़ संकल्प और स्नेह
    खीर शीतलता और स्वाद शुद्धता, शीतलता और योग
    फल फलों का अर्पण कर्म फल समर्पण, मधुर संस्कार
    नारियल संपूर्णता आत्म बलिदान और समर्पण

    अंतिम संदेश:
    छठ का सच्चा प्रसाद मिठाई नहीं, बल्कि मधुर वृत्ति है।

    • निर्जल रहो नहीं, निर्मल रहो

    • आत्मा में प्रसन्नता लाओ, यही सच्चा छठ का आनंद है।

    • Disclaimer:
      इस वीडियो में प्रस्तुत सामग्री ब्रह्माकुमारी ज्ञान और अव्यक्त मुरली (20 सितंबर 2024 सहित) पर आधारित है। यह शैक्षिक और आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए बनाई गई है। किसी भी भौतिक पूजा या धार्मिक अनुष्ठान का पालन व्यक्तिगत विवेक पर निर्भर करता है।
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