(11)Who is the demon? Mythology, science, or mind energy.

भूत ,प्रेत:-(11)राक्षस कौन है? पुराण, विज्ञान या मन की ऊर्जा।

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भूत, प्रेत, चुड़ैल आदि के बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं। आज 11वा विषय है राक्षस कौन है?

पुराण, विज्ञान या मन की ऊर्जा।

राक्षस कौन है? हमने राक्षस शब्द सुना है। किसको कहते हैं राक्षस? जैसे रावण है, कंस है, हिरण्यकश्यप है, शूपन नखा है। ऐसे लोग जो दुख देते हैं, दिव्य कर्म करने वालों को, श्रेष्ठ कर्म करने वालों को बाधा डालते हैं। उनको असुर कहा जाता है।

हां, देने वाले को रावण कहते हैं रुलाने वाला। तो जो रुलाते हैं वही राक्षस कहलाते हैं। चाहे वो रावण हो, चाहे वो कंस हो, चाहे हिरण्यकश्यप हो, चाहे कोई और हो।

क्या ये सिर्फ बड़े सी वाले प्राणी थे? या यह मानसिक अवस्था है।

क्या यह सिर्फ बड़े सींग वाले प्राणी थे या एक मानसिक अवस्था है। एक चेतना का रूप उन्होंने अपने दिमाग में इमेज बना ली है। मुरली है 8 मई 2023।

राक्षस कोई अलग जाति नहीं। बच्चे जब आत्मा, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार में जाती है तो उसकी वृत्ति राक्षसी कहलाती है।

राक्षसों की प्रकृति कैसी होती है? राक्षस का अर्थ है आत्मा। वे आत्मा जिसकी बुद्धि पीनियल पिट्यूटरी हाइपोथैलेमस ग्रैंड्स के बीच में जाती है।

आसुरी का आसुरी हो चुका है। उनका मुख्य विशेषताएं अत्याधिक अहंकार, क्रोध और हिंसा, वासना एवं लालच, ईश्वर या सत्य से विरोध। उदाहरण: रावण विद्वान था पर काम और अहंकार ने उसे राक्षस बना दिया।

आज का मनुष्य यदि शक्ति पर ही होश है पर संयम ना हो तो वही आधुनिक राक्षस। आज का कोई भी मनुष्य उसके पास शक्ति तो है, परंतु वो शक्ति को खपाए कहां, वो फिर क्या करेगा। दुख देने वाला काम करेगा। क्यों दुख देगा? क्योंकि उसका पार्ट दुख देने का है।

वही आधुनिक राक्षस है। क्या राक्षस मानव जीवन में हस्तक्षेप कर सकते हैं?

राक्षस कोई बाहर से आने वाला प्राणी नहीं है। वह हमारे मन पर असर डालते हैं विचारों के रूप में। मुरली 13 दिसंबर 2023 की है। बाबा कहते हैं बच्चे, राक्षस प्रवेश नहीं करते शरीर में।

वह प्रवेश करते हैं विचारों और इच्छाओं में। हमारे जो संकल्प चलते हैं रात दिन, वह सारे संकल्प हमारे इच्छाहीन होते हैं।

राक्षस प्रवेश नहीं करते शरीर के अंदर क्योंकि वो भी आत्मा है। प्रवेश करते हैं तो विचारों और इच्छाओं में क्योंकि वो आत्मा के रूप में नहीं आते। वह ऐसे विचार या ऐसी इच्छाएं ही बुद्धि में आती हैं। उदाहरण के लिए जब जीवन में अत्याधिक क्रोध या बदले की भावना आ जाए तो कहा जाता है इसमें तो राक्षस समा गया। इसमें कौन समा गया? इसमें तो राक्षस समा गया।

क्या राक्षस केवल आध्यात्मिक रूप है या भौतिक रूप में भी? यह राक्षस आध्यात्मिक रूप में होते हैं या भौतिक रूप में भी होते हैं।

पुराणों में राक्षसों को भौतिक रूप में दिखाया गया है। उनके बड़े-बड़े सींग हैं, लंबे लंबे दांत हैं, बड़ा-बड़ा शरीर है।

आध्यात्मिक दृष्टि से राक्षस उद्देश्य ऊर्जा है। अदृश्य ऊर्जा। राक्षस क्या है? जो इन आंखों से देखी ना जा सके। ऐसी ऊर्जा है।

आध्यात्मिक दृष्टि से राक्षस अदृश्य ऊर्जा है। नकारात्मक चेतना और विकृत संस्कार। विकृत संस्कार माने बिगड़े हुए संस्कार। आत्मा के जो संस्कार बिगड़ जाते हैं उनकी चेतना विकृत हो जाती है। संस्कार विकृत चेतना, नकारात्मक।

मुरली है 25 जून 2024। आत्मा का कोई सींग या पूछ नहीं होता। राक्षस रूप मन की सिद्धती है। शरीर की नहीं। राक्षस रूप मन की है। शरीर की नहीं।

राक्षसों से डरना क्यों गलत है? और उनसे कैसे बचे? डर क्यों गलत, बचाव कैसे करें? डरने से आत्मा की शक्ति कम होती है। अपनी शक्ति कम होती है। दूसरे की शक्ति ज्यादा है।

डरने से आत्मा की शक्ति कम होती है। शिव बाबा का सिमरन अर्थात राजयोग, मन शक्तिशाली होता है। इससे मन शक्तिशाली होता है। नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

जब मन शक्तिशाली होता है तो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और खत्म कर देता है। सुबह अमृतवेले का ध्यान आत्मा को प्रकाश से भरता है।

नई ऊर्जा, नई स्फूर्ति के साथ दिन खिलता है।

यह अज्ञान का परिणाम है। मुरली सुनना। सत्य ज्ञान से अंधविश्वास मिटता है। जितना मुरली सुनते जाएंगे हमारे जीवन से सत्य ज्ञान भरता जाएगा। अंधविश्वास निकल जाएगा।

घर की तरंगे, घर के वातावरण को भारी करती हैं। डर की तरंगे, घर के वातावरण को भारी कर देती हैं।

ओम शांति। शांत तरंगों से भय स्वतः समाप्त। बाबा की शांत बातों से हम शांत तरंगों से भय समाप्त कर सकते हैं। यदि हमारे अंदर शांति की लहरें चल रही हैं तो भय खत्म हो जाएगा।

14 जनवरी 2024 को बाबा कहते, जहां परमात्मा का सिमरण है वहां राक्षसी शक्तियां नहीं ठहर सकती।

क्या राक्षस आज भी मौजूद है या सिर्फ पुराणों में राक्षस पुराणों में कहानियों के रूप में थे? आज राक्षस व्यवहार में, समाज में, मनुष्य के विचारों में और जिसका राक्षसी व्यवहार है, वही राक्षस है।

आधुनिक राक्षस है। लस्ट, एंगर, ग्रीन, ईगो, हेटर। उदाहरण के लिए जो धन या इच्छा के लिए इंसानियत मार दे, वह राक्षसी प्रवृत्ति है। युद्ध, आतंकवाद, हिंसा ये राक्षस का आधुनिक रूप है।

मुरली 1 अगस्त 2023।

रावण आज भी जीवित है। आज भी रावण जीवित है। बाबा कहते रावण आज भी जीवित है।

हर आत्मा में पांच विकारों में रावण रहता है। हर आत्मा में जो पांच विकारों में फंसी है उनमें रावण जीवित है।

निष्कर्ष: राक्षस बाहर नहीं, मन की दुनिया में है। राक्षस का वास्तविक अर्थ विकृत चेतना है।

राक्षस से बचने का उपाय: योग, ज्ञान, शुद्ध संकल्प। डर नहीं, जागृति की जरूरत है।

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