(04)This cycle of creation lasts 5,000 years. Why does it rotate? The mystery of creation.

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सृष्टि चक्र :-(04)सृष्टि चक्र का यह चक्र है 5000 वर्ष का। वो क्यों घूमता है?सृष्टि का रहस्य

अध्याय 4: 5000 वर्ष का चक्र बार-बार क्यों घूमता है?

(“सृष्टि चक्र का रहस्य” श्रृंखला का चौथा भाग)


प्रस्तावना: सृष्टि का रहस्य क्या है?

हम सबने ब्रह्मा कुमारियों की कक्षाओं में सुना है कि यह सृष्टि नाटक 5000 वर्ष का है —
एक पूर्ण चक्कर जो बार-बार चलता है।
परंतु प्रश्न उठता है — केवल 5000 वर्ष ही क्यों?
क्यों यह पुनरावत बार-बार होता है?

आइए, शिव बाबा की मुरली की रोशनी में इस अनंत चक्र का रहस्य समझते हैं।


1. सृष्टि का पूर्व निर्धारित नाटक

 11 अक्टूबर 2025 की मुरली:

“मीठे बच्चे, यह विश्व नाटक बेहद सुव्यवस्थित और पूर्वनियत है।”

यह सृष्टि कोई आकस्मिक घटना नहीं — बल्कि पूर्व निर्धारित योजना है।
हर आत्मा, हर युग, हर घटना उसी क्रम में घटती है।

जैसे एक फिल्म तीन घंटे की होती है — चाहे आप कितनी बार देखें,
वही दृश्य, वही संवाद बार-बार आते हैं।
वैसे ही यह विश्व ड्रामा 5000 वर्ष का है, जो एक सेकंड आगे-पीछे नहीं हो सकता।


2. क्यों 5000 वर्षी नाटक ही?

शिव बाबा समझाते हैं:
यह नाटक मानव सभ्यता के संपूर्ण विकास और पतन का संक्षिप्त रूप है।

युग अवधि (वर्ष) विशेषता
सतयुग 1250 पूर्ण पवित्रता और सुख
त्रेतायुग 1250 गुणों की थोड़ी कमी
द्वापरयुग 1250 अज्ञान की शुरुआत
कलियुग 1250 पूर्ण अधोगति, तमोप्रधानता

जब संसार तमोप्रधान हो जाता है — तब परमात्मा अवतरित होकर आत्माओं को पावन बनाते हैं।

 बापदादा का संदेश:

“बच्चे, जब अंधकार पूर्ण होता है, तभी प्रकाश का अवतरण होता है।”


3. चक्र का रहस्य: घड़ी जैसा संसार

 4 अक्टूबर 2025 की मुरली:

“यह सृष्टि ड्रामा एकदम Set और Repeat होने वाला है, इसमें कोई परिवर्तन नहीं हो सकता।”

जैसे घड़ी की सुई 12 बजकर फिर 12 पर लौट आती है,
वैसे ही सतयुग से कलियुग तक का चक्र पुनः सतयुग पर लौट आता है।

उदाहरण:

घड़ी रुक सकती है, पर यह विश्व चक्र कभी नहीं रुकता।

चारों युग मिलकर 5000 वर्ष का Cycle of Time बनाते हैं —
एक पूर्ण वृत्त, जिसमें हर आत्मा अपना निश्चित रोल निभाती है।


4. चक्र का दोहराव — न कभी रुके, न बदले

 23 सितंबर 2025 की मुरली:

“बच्चे, यह 5000 वर्ष का नाटक हर सेकंड वैसे ही दोहराता है जैसे पहले हुआ था।”

एक बार ड्रामा समाप्त होता है, तो उसी क्रम में नया चक्र आरंभ हो जाता है।
यह पुनरावर्तन इतना सटीक है कि परमात्मा भी इसे बदल नहीं सकते।

 उदाहरण:
जैसे कोई पुरानी फिल्म आप कितनी बार भी चलाएं —
वो कभी नई नहीं बन जाती।
बस वही रोल, वही सीन, वही परिणाम।


5. विज्ञान और सृष्टि चक्र का मिलान

Cyclic Universe Theory के अनुसार —
ब्रह्मांड फैलता (Expansion) है और सिकुड़ता (Contraction) है।
सतयुग में मानव संख्या लगभग 9 लाख,
और कलियुग में 9 अरब तक बढ़ जाती है।
फिर चक्र पुनः आरंभ होता है।

यह सिद्ध करता है कि ब्रह्मा कुमारियों का 5000 वर्षी चक्र
आध्यात्मिक-सवैज्ञानिक सत्य (Spiritual-Scientific Truth) है।


6. अपरिवर्तनीय विश्व नाटक

 7 अक्टूबर 2025 की अव्यक्त मुरली:

“यह 5000 वर्ष का चक्र एक सेकंड आगे-पीछे नहीं हो सकता। इसलिए निश्चिंत रहो, यह ड्रामा सबसे न्यायप्रिय है।”

हर आत्मा अपना निश्चित रोल निभा रही है।
परिस्थितियां दोहराती हैं, लेकिन आत्मा अपनी जागरूकता बदल सकती है।
यही सच्चा राजयोग है — परिस्थितियों में स्थिर रहना।


7. आत्मा का कर्तव्य: चक्र को जानो, श्रेष्ठ भूमिका निभाओ

 मुरली संकेत:

“बच्चे, चक्र को समझो और उसमें अपनी श्रेष्ठ भूमिका निभाओ।”

जब हम इस ज्ञान को आत्मसात करते हैं —
तो हमें पता चलता है कि चिंता व्यर्थ है, सब निश्चित है।
हमारा कार्य है केवल श्रेष्ठ कर्म करना।


निष्कर्ष: सृष्टि का अनंत चक्र

यह सृष्टि 5000 वर्षों का शाश्वत नाटक है —
जो अनंत बार जैसे का तैसा दोहराता है।
हर आत्मा वही भूमिका, वही संस्कार पुनः निभाती है।

जब हम इस रहस्य को समझते हैं —
तो मन में शांति, निश्चिंतता और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता आती है।

 अगला अध्याय:
“चारों युग क्या हैं? — सतयुग से कलियुग तक का सफर”

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