Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) (संदेश 05)
आज जब वतन में गई तो जाते ही अनुभव हो रहा था जैसे कि लाइट के बादलों से क्रास करके वतन में जा रही हूँ। बादलों की लाइट ऐसे लग रही थी जैसे सूर्यास्त होते समय लाली देखने में आती है। जैसे ही वतन में पहुँची तो वहाँ भी ऐसे ही देखा कि लाइट के बादलों के बीच बापदादा का मुखड़ा सूर्य-चन्द्रमा समान चमकता हुआ देखने में आ रहा था। सीन तो बड़ी सुन्दर दिखाई दे रही थी लेकिन आज का वायुमण्डल बिल्कुल शान्त था। बापदादा के मुलाकात में भी शान्ति और शक्ति की भासना आ रही थी। फिर तो मुस्कराते हुए बाबा बोले – भल तुम बच्चे साकार शरीर में साकारी सृष्टि में हो फिर भी साकार में रहते ऐसे ही लाइट माइट रूप होकर रहना है जो कोई भी देखे तो महसूस करे कि यह कोई फरिश्ते घूम रहे हैं। लेकिन वह अवस्था तब होगी जब एकान्त में बैठे अन्तर्मुख अवस्था में रह अपनी चेकिंग करेंगे। ऐसी अवस्था से ही आत्माओं को आप बच्चों से साक्षात्कार होगा। आज वतन में एक तरफ तो बिल्कुल शान्ति थी, दूसरे तरफ फिर प्यार का रूप बहुत था। क्या देखा? बाबा की बाँहों में सभी बच्चे समाये हुए थे। साथ-साथ प्रेम का सागर तो था ही। बाबा ने कहा – तुम शक्तियों को भी सर्व आत्माओं को ऐसे ही अब अपने समीप लाना है। आपकी दृष्टि में बाप समान जब प्रेम और शक्ति दोनों ही पावर होगी तब आत्मायें नजदीक आयेंगी। इसके बाद बाबा ने तीसरा दृश्य दिखाया-क्या देखा बाबा के सामने ढेर कार्डस पड़े थे। बाबा ने कहा इन कार्डस को ऐसे सजाओं जिससे कोई सीनरी बन जाए क्योंकि हर कार्ड पर सीनरी की डिजाइन थी – किसमें चित्र किसमें शरीर। हम मिलाने लगी तो कभी उल्टा कभी सुल्टा हो जाता था। और बापदादा बहुत हँस रहे थे। उसमें बहुत ही सुन्दर सतयुग की सीनरियॉ थी। एक कृष्ण बाल रूप में झूले में झूल रहा था, साथ में कान्ता (दासी) झुला रही थी। दूसरे में सखे-सखियों का खेल था। मतलब तो सतयुग की दिनचर्या थी। फिर बाबा ने विदाई देते समय कहा, बच्ची सबको सन्देश देना – कि शक्ति स्वरूप भव और प्रेम स्वरूप भव।
“वतन का अनुभव: शान्ति, प्रेम और शक्ति का मिलाजुला दृश्य”
Questions and Answers:
- प्रश्न: वतन में पहुंचते समय कैसे दृश्य का अनुभव हुआ?
- उत्तर: वतन में पहुँचते समय, लाइट के बादलों के बीच से क्रास करते हुए सूर्यास्त की लाली जैसी चमकती लाइट दिखाई दी, जो बहुत सुंदर और शान्त थी।
- प्रश्न: वतन में बापदादा के दर्शन कैसे थे?
- उत्तर: बापदादा का मुखड़ा सूर्य और चन्द्रमा की तरह चमकता हुआ दिखाई दे रहा था, और वहाँ का वायुमण्डल बिल्कुल शान्त था।
- प्रश्न: बापदादा ने बच्चों से क्या कहा?
- उत्तर: बापदादा ने कहा, “भल तुम बच्चे साकार शरीर में साकारी सृष्टि में हो, फिर भी साकार में रहते हुए ऐसे ही लाइट रूप में रहना है कि कोई देखे तो महसूस करे कि यह फरिश्ते घूम रहे हैं।”
- प्रश्न: वतन में शान्ति और प्रेम का अनुभव कैसे था?
- उत्तर: वतन में एक तरफ शान्ति थी और दूसरी तरफ बाबा की बाँहों में सभी बच्चे समाए हुए थे, प्रेम का रूप स्पष्ट था।
- प्रश्न: बाबा के सामने कौन सा दृश्य देखा गया?
- उत्तर: बाबा के सामने ढेर सारे कार्ड्स थे, जिन्हें मिलाने से सतयुग की सुंदर सीनरियाँ बन रही थीं, जैसे कृष्ण बाल रूप में झूले में झूल रहा था।
- प्रश्न: बाबा ने बच्चों से क्या सन्देश दिया?
- उत्तर: बाबा ने बच्चों से कहा, “शक्ति स्वरूप भव और प्रेम स्वरूप भव।”
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