Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
हर कर्म विधिपूर्वक करने से सिद्धि की प्राप्ति
अपने को विधि द्वारा सिद्धि प्राप्त समझते हो? क्योंकि जो भी पुरूषार्थ करते हैं, पुरूषार्थ का लक्ष्य ही है सिद्धि को पाना। जैसे दुनिया वालों के पास आजकल ऋद्धि-सिद्धि बहुत है। उस तरफ है ऋद्धि-सिद्धि और यहां है विधि से सिद्धि। यथार्थ है विधि और सिद्धि, इनको ही दूसरे रूप में लेने कारण ऋद्धि-सिद्धि में चले गये हैं। तो अपने को सिद्धि-स्वरूप समझते हो? जो भी संकल्प करते हो अगर यथार्थ विधिपूर्वक है तो उनकी रिजल्ट क्या निकलेगी? सिद्धि। तो हर संकल्प वा कर्म अगर विधिपूर्वक है तो सिद्धि ज़रूर होती है। अगर सिद्धि नहीं है तो विधिपूर्वक भी नहीं है। इसलिये भक्ति में भी जो कार्य करते हैं वा कराते हैं, वैल्यू उसकी विधि पर होती है। विधिपूर्वक होने कारण उस सिद्धि का अनुभव करते हैं। सभी शुरू तो यहां हुआ है ना। इसलिये पूछ रहे हैं सिद्धिस्वरूप अपने को समझते हो वा अभी बनना है? समय के प्रमाण दोनों ही फील्ड में रिजल्ट अब तक 95% ज़रूर होनी चाहिए। क्योंकि जैसे समय की रफ्तार को देख रहे हो; और चैलेंज भी करते हो तो जो चैलेंज की है वह सम्पन्न तब होगी जब आप लोगों की स्थिति सम्पन्न होगी। यह जो चैलेंज करते हो वह परिवर्तन किसके आधार पर होगा? उसका फाउन्डेशन कौन है? आप लोग ही फाउन्डेशन हो ना। अगर फाउन्डेशन तैयार हो जाये तब फिर उसके बाद नंबरवार राजधानी भी तैयार हो। तो जिन्हों को राज्य करने का अधिकारी बनना है वह अपना अधिकार नहीं लेंगे तो दूसरों को फिर नंबरवार अधिकार कैसे प्राप्त होगा? और 4 वर्ष की जो चैलेंज देते हो उसके हिसाब से जो विश्व-परिवर्तन का कार्य होना है, वह, जब तक आप लोगों की स्थिति विधि द्वारा सिद्धि को प्राप्त न हुई होगी, तो इस विश्व-कल्याण के कर्त्तव्य में भी कैसे सिद्ध होंगे? पहले स्वयं की सिद्धि होगी। इतना बड़ा कर्त्तव्य इतने थोड़े समय में सम्पन्न करना है तो कितनी तेज स्पीड होनी चाहिए? जबकि 35 वर्ष की स्थापना के कार्य में 50% तक पहुँचे हैं तो अब वर्ष में 100% तक लाना है, तो उसके लिये क्या करना पड़ेगा? इसके लिये कोई प्लैन बनाते हो? स्पीड को कैसे पूरा करेंगे? सिद्धि-स्वरूप बने अर्थात् संकल्प किया और सिद्धि प्राप्त हो। यह है 100% सिद्धिस्वरूप की निशानी। कर्म किया और सिद्धि प्राप्त। जब साधारण नॉलेज के आधार से ऋद्धि-सिध्दि को प्राप्त कर सकते हैं, तो यह श्रेष्ठ नॉलेज के आधार पर विधि से सिद्धि को नहीं प्राप्त कर सकते? यह चेकिंग चाहिए — कौनसी विधि में कमी रह जाती है जो फिर सिद्धि भी सम्पूर्ण नहीं होती? विधि को चेक करने से सिद्धि आटोमेटिकली ठीक हो जावेगी। इसमें भी सिद्धि ना प्राप्त होने का मुख्य कारण यह है जो एक ही समय तीनों रूप से सर्विस नहीं करते। तीनों रूपों और तीनों रीति से एक समय करना है। नॉलेजफुल, पावरफुल और लवफुल। लव और लॉ – दोनों साथ-साथ आ जाते हैं। इन तीनों रूप से तो सर्विस करनी ही है लेकिन तीनों रीति से भी करनी है। अर्थात् मन्सा, वाचा, कर्मणा – तीनों रीति से और एक ही समय तीनों रूप से करनी है। जब वाणी द्वारा सर्विस करते हो तो मन्सा भी पावरफुल हो। पावरफुल स्टेज से उनकी मन्सा को भी चेंज कर देंगे और वाणी द्वारा उनको नॉलेजफुल बना देंगे और फिर कर्मणा सर्विस अर्थात् जो उनके सम्पर्क में आते हैं, वह सम्पर्क ऐसा फुल हो जो आटोमेटिकली वह महसूस करे कि यह कोई अपने गॉडली फैमिली में पहुंच गया हूं। वह चलन ही ऐसी हो जिससे वह फील करें कि यह मेरी असली फैमिली है। अगर इन तीनों रीति से उनकी मन्सा को भी कंट्रोल कर लो और वाणी से नॉलेज दे लाइट-माइट का वरदान दो और कर्मणा अर्थात् सम्पर्क द्वारा, अपनी स्थूल एक्टिविटी द्वारा गॉडली फैमिली का अनुभव कराओ – तो इस विधिपूर्वक सर्विस करो तो सिद्धि नहीं होगी? एक ही समय तीनों रीति और तीन रूप से सर्विस नहीं करते हो। जब वाचा में आते हो तो मन्सा जो पावरफुल होनी चाहिए वह कम हो जाती है। जब रमणीक एक्टिविटी से किसको सम्पर्क में लाते तो भी मन्सा जो पावरफुल होनी चाहिए वह नहीं रहती है। तो एक ही समय तीनों अगर इकट्ठी हों तो सिद्धि ज़रूर मिलेगी। इस रीति से सर्विस करने का अभ्यास और अटेन्शन होना चाहिए। सम्बन्ध में नहीं आते, डीप सम्पर्क में नहीं, ऊपर-ऊपर के सम्पर्क में आते हैं। वह ऊपर का समय अल्पकाल का रहता है। भले लव में लाते भी हो लेकिन लवफुल के साथ पावरफुल हो, उन आत्माओं में भी पावर भरे जिससे वह समस्याओं, वायुमण्डल, वायब्रेशन का सामना कर सदाकाल सम्बन्ध में रहें, वह नहीं होता। या तो नॉलेज पर अट्रैक्टिव होते हैं वा लव पर होते हैं। ज्यादा लव पर होते हैं, सेकण्ड नंबर नॉलेज। लेकिन पावरफुल ऐसा हो जो कोई भी बात सामने आवे तो हिले नहीं, यह कमी अजुन है। जो सर्विसएबल निमित्त बनते हैं उन्हों में भी नॉलेज ज्यादा है, लव भी है लेकिन पावर कम है। पावरफुल स्टेज की निशानी क्या होगी? एक सेकेण्ड में कोई भी वायुमण्डल वा वातावरण को, माया के कोई भी समस्या को खत्म कर देंगे। कब हार नहीं खावेंगे। जो भी आत्मायें समस्या का रूप बन कर आती हैं वह उनके ऊपर बलिहार जावेंगे, जिसको दूसरे शब्दों में प्रकृति दासी कहें। जब 5 तत्व दासी बन सकते हैं तो मनुष्य आत्मायें बलिहार नहीं जावेंगी? तो पावरफुल स्टेज का प्रैक्टिकल रूप यह है। इसलिये कहा कि एक ही समय तीनों रूपों से सर्विस करने की जब रूपरेखा बन जावेगी तब हरेक कर्त्तव्य में सिद्धि दिखाई देगी। विधि का कारण सिद्धि हुआ ना। विधि में कमी होने कारण सिद्धि में कमी है। अब सिद्धि-स्वरूप बनने लिये इस विधि को पहले ठीक करो। भक्ति-मार्ग में करते हैं साधना, यहां है साधन। साधन कौनसा? बापदादा की हरेक विशेषता को अपने में धारण करते-करते विशेष आत्मा बन जावेंगे। जैसे इम्तिहान के दिन जब नजदीक होते हैं तो जो कुछ स्टडी की हुई होती है थ्योरी वा प्रैक्टिकल, दोनों को रिवाइज कर और चेक करते हैं कि कौनसी सब्जेक्ट में क्या-क्या कमी रही हुई है? इसी प्रकार अब जबकि समय नजदीक आ रहा है, तो हर सब्जेक्ट में अपने आपको देखो कि कौनसी कमी और कितनी परसेन्ट तक कमी रही हुई है? थ्योरी में भी और प्रैक्टिकल में – दोनों में चेक करना है। हरेक सब्जेक्ट की कमी को देखते हुये अपने आपको कम्पलीट करते जाओ, लेकिन कम्पलीट तब होंगे जब पहले रिवाइज करने से अपनी कमी का मालूम पड़ेगा। सब्जेक्ट्स को तो जानते हो। सब्जेक्ट को बुद्धि में धारण किया है वा नहीं, उसकी परख क्या है? जैसे-जैसे सिद्धि की परसेन्टेज बढ़ती जावेगी तो टाइम भी वेस्ट नहीं जावेगा। थोड़े टाइम में सफ़लता जास्ती मिलेगी। इसको कहा जाता है सिद्धि। अगर समय ज्यादा, मेहनत भी ज्यादा करते हो फिर सफ़लता मिलती है तो इसको भी परसेन्ट कम कहेंगे। सभी रीति से कम लगना चाहिए। तन भी कम, मन के संकल्प भी कम लगें। नहीं तो संकल्प करते हो, प्लैन बनाते-बनाते मास डेढ़ लग जाता है। तो समय और संकल्प वा अपनी जो भी सर्व शक्तियां हैं, उन सर्व शक्तियों के खज़ाने को ज्यादा काम में नहीं लगाना है। कम खर्च बाला नशीन। संकल्प वही उत्पन्न होगा जिससे सिद्धि प्राप्त हो ही जावेगी। समय भी वही निश्चित होगा जिसमें सफलता हुई पड़ी है। इसको ही कहते हैं सिद्धि-स्वरूप। तो सर्व सब्जेक्ट्स में हम कहां तक पास हैं, इसकी परख क्या है? जो जितना जिस सब्जेक्ट में पास होगा, उतना ही उस सब्जेक्ट के आधार पर ऑब्जेक्ट और रेस्पेक्ट मिलेगा।
हर कर्म विधिपूर्वक करने से सिद्धि की प्राप्ति – प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: सिद्धि प्राप्त करने का आधार क्या है?
उत्तर: हर संकल्प और कर्म को विधिपूर्वक करना ही सिद्धि प्राप्त करने का आधार है।
प्रश्न 2: यदि सिद्धि प्राप्त नहीं हो रही है तो क्या कारण हो सकता है?
उत्तर: इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि कर्म विधिपूर्वक नहीं किया गया हो।
प्रश्न 3: विधिपूर्वक कर्म करने का क्या परिणाम होता है?
उत्तर: यदि कर्म सही विधि से किया जाए, तो उसका परिणाम निश्चित रूप से सिद्धि होता है।
प्रश्न 4: श्रेष्ठ सेवा के लिए कौन-से तीन गुण आवश्यक हैं?
उत्तर: नॉलेजफुल, पावरफुल और लवफुल बनकर सेवा करना आवश्यक है।
प्रश्न 5: तीनों रूपों से सेवा करने का क्या अर्थ है?
उत्तर: मन्सा (विचारों से), वाचा (वाणी से) और कर्मणा (कर्म से) – तीनों रीति से सेवा करना।
प्रश्न 6: सिद्धि प्राप्त करने के लिए आत्मा को किन बातों की चेकिंग करनी चाहिए?
उत्तर: आत्मा को यह देखना चाहिए कि विधि में कोई कमी तो नहीं रही, और सभी कर्म पूरी एकाग्रता व शक्ति से हो रहे हैं या नहीं।
प्रश्न 7: पावरफुल स्टेज की क्या पहचान है?
उत्तर: पावरफुल आत्मा एक सेकंड में वायुमंडल और समस्याओं को समाप्त कर सकती है।
प्रश्न 8: विश्व-परिवर्तन के लिए सबसे पहले किस चीज की आवश्यकता है?
उत्तर: पहले स्वयं की स्थिति को विधिपूर्वक सिद्धि तक पहुँचाना आवश्यक है।
प्रश्न 9: संकल्प और सिद्धि का क्या संबंध है?
उत्तर: यदि संकल्प विधिपूर्वक और सशक्त है, तो सिद्धि अपने आप प्राप्त होती है।
प्रश्न 10: भक्ति मार्ग में साधना होती है, तो ज्ञान मार्ग में क्या होता है?
उत्तर: ज्ञान मार्ग में साधना के स्थान पर साधन होते हैं, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाते हैं।
इस प्रकार, हर कर्म को विधिपूर्वक करने से सफलता और सिद्धि निश्चित होती है।
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