P-P “60 क्या इस साकार तन में आने से पहले सूक्ष्मवतन में संकल्प हो सकता है
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
1. Introduction:
“ओम शांति! आज हम एक गहन और दिलचस्प प्रश्न पर विचार करेंगे—क्या परमात्मा को इस साकार तन में आने से पहले सूक्ष्म वतन में संकल्प हो सकता है? यह प्रश्न एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है, और हम इसे विभिन्न पहलुओं से समझने का प्रयास करेंगे।”
2. परमात्मा और सूक्ष्म वतन का महत्व:
“परमात्मा का स्वरूप और उनकी कार्यप्रणाली को समझने के लिए यह प्रश्न उठता है कि क्या परमात्मा को सूक्ष्म वतन में संकल्प हो सकता है? जब हम परमात्मा की भूमिका को समझते हैं, तो यह प्रश्न और भी जटिल हो जाता है। परमात्मा की भूमिका और कार्य प्रणाली को जानने के लिए हमें सूक्ष्म वतन की अवस्था और संकल्प की प्रक्रिया को समझना होगा।”
3. सूक्ष्म वतन और संकल्प की दुनिया:
“सूक्ष्म वतन संकल्पों की दुनिया है। वहां कोई स्थूल शरीर नहीं होता, केवल सूक्ष्म शरीर और संकल्प ही होते हैं। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि सूक्ष्म वतन में संकल्प उठने के लिए हमारे पास सूक्ष्म शरीर होना आवश्यक है। परमात्मा का सूक्ष्म शरीर नहीं होता, तो सवाल उठता है कि फिर वह कैसे संकल्प कर सकते हैं?”
4. ब्रह्मा बाबा और सूक्ष्म वतन में संकल्प:
“परमात्मा का कार्य ब्रह्मा बाबा के माध्यम से होता है, जो सूक्ष्म वतन में संकल्प करते हैं। ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर है, और वे सूक्ष्म वतन में जाने से पहले संकल्प कर सकते हैं। शिव बाबा, जो ब्रह्मा बाबा के माध्यम से कार्य करते हैं, जब तक वे स्थूल शरीर में होते हैं, तब तक संकल्प नहीं कर सकते।”
5. सूक्ष्म शरीर और संकल्प की प्रक्रिया:
“जब आत्मा स्थूल शरीर से अलग होती है, तो उसका सूक्ष्म शरीर बनता है। आत्मा का सूक्ष्म शरीर उसके अपने कार्मिक अकाउंट के अनुसार होता है। परंतु, परमात्मा का अपना सूक्ष्म शरीर नहीं होता, इसलिए वह संकल्प भी नहीं कर सकते जब तक वे ब्रह्मा बाबा के माध्यम से अपने कार्य को नहीं करते।”
6. परमधाम और सूक्ष्म वतन का अंतर:
“परमधाम कोई स्थान नहीं है, यह एक अवस्था है। जब आत्मा संकल्प शून्यता में होती है, तो वह परमधाम में होती है। और जब संकल्प उत्पन्न होता है, तो आत्मा सूक्ष्म वतन में आती है। सूक्ष्म वतन कोई भौतिक स्थान नहीं है, यह सिर्फ एक मानसिक और आध्यात्मिक अवस्था है।”
7. परमात्मा का आगमन और कार्य:
“शिव बाबा का आगमन ड्रामा के अनुसार होता है। वे ब्रह्मा बाबा के माध्यम से सूक्ष्म या स्थूल शरीर में प्रवेश करते हैं और नई रचना का कार्य आरंभ करते हैं। इस प्रकार, परमात्मा को सूक्ष्म वतन में संकल्प होता है, लेकिन यह केवल एक अवस्था है, स्थान नहीं।”
8. निष्कर्ष:
“इस गहन विषय को समझते हुए, हम यह कह सकते हैं कि परमात्मा को परमधाम में संकल्प आ सकता है और सूक्ष्म वतन में संकल्प सक्रिय हो सकता है, परंतु सूक्ष्म वतन कोई स्थान नहीं, बल्कि एक अवस्था है। परमात्मा के कार्य और उनकी भूमिका को समझने से हमें उनकी दिव्यता और अद्वितीयता का बोध होता है।”
🌟 प्रश्न–उत्तर शैली (Q&A ):
प्रश्न 1:“क्या परमात्मा को इस साकार दुनिया में आने से पहले कोई संकल्प होता है?”
उत्तर:यह बहुत गहन प्रश्न है। परमात्मा, जो परमधाम में स्थित रहते हैं, वहां संकल्प नहीं कर सकते क्योंकि परमधाम संकल्प शून्यता की अवस्था है। वहां पूर्ण शांति और मौन होता है। तो संकल्प वहां नहीं होता।
प्रश्न 2:“तो फिर परमात्मा को इस सृष्टि चक्र के नाटक में प्रवेश का संकल्प कैसे होता है?”
उत्तर:परमात्मा स्वयं संकल्प नहीं करते। ड्रामा के नियमानुसार, समय आने पर उन्हें अपना कार्य आरंभ करना होता है। लेकिन क्योंकि उनके पास न सूक्ष्म शरीर है न स्थूल शरीर, वे किसी माध्यम के बिना संकल्प नहीं कर सकते।
प्रश्न 3:“क्या सूक्ष्म वतन में संकल्प करना संभव है?”
उत्तर:हाँ, सूक्ष्म वतन संकल्पों की दुनिया है। वहां केवल संकल्प ही होते हैं। लेकिन वहाँ संकल्प तभी होते हैं जब आत्मा सूक्ष्म शरीर धारण करती है। बिना सूक्ष्म शरीर के वहां भी संकल्प संभव नहीं।
प्रश्न 4:“क्या परमात्मा के पास सूक्ष्म शरीर है जिससे वे सूक्ष्म वतन में संकल्प कर सकें?”
उत्तर:नहीं। परमात्मा के पास न स्थूल शरीर होता है, न सूक्ष्म शरीर। इसलिए वे स्वयं संकल्प नहीं कर सकते। लेकिन जब वह ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म या स्थूल शरीर में प्रवेश करते हैं, तब संकल्प की शक्ति सक्रिय होती है।
प्रश्न 5:“क्या मुरली में यह बताया गया है कि शिव बाबा सूक्ष्म वतन में संकल्प करते हैं?”
उत्तर:हाँ, मुरली में कहा गया है कि परमात्मा ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की रचना संकल्प से करते हैं। लेकिन वह संकल्प भी ब्रह्मा बाबा के माध्यम से ही होता है — चाहे वह सूक्ष्म वतन में हो या साकार वतन में।
प्रश्न 6:“क्या ब्रह्मा बाबा ने स्थूल जीवन में रहते हुए कभी सूक्ष्म वतन का अनुभव किया था?”
उत्तर:नहीं। जब तक ब्रह्मा बाबा स्थूल शरीर में थे, उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि उन्हें सूक्ष्म वतन में जाने का अनुभव नहीं हुआ था। उनके माध्यम से शिव बाबा ही कार्य करते थे, चाहे वह संदेश भेजना हो या संकल्प करना।
प्रश्न 7:“क्या परमधाम और सूक्ष्म वतन कोई भौतिक स्थान हैं?”
उत्तर:नहीं। यह दोनों स्थल नहीं, बल्कि अवस्थाएँ हैं।
-
परमधाम = संकल्प शून्यता की परम शांति की अवस्था
-
सूक्ष्म वतन = संकल्पों की सक्रिय अवस्था
प्रश्न 8:“तो निष्कर्ष क्या है? क्या परमात्मा को संकल्प आता है?”
उत्तर:स्वयं परमात्मा को संकल्प नहीं आता, लेकिन ड्रामा अनुसार, वे ब्रह्मा बाबा के माध्यम से संकल्प करते हैं।
इसलिए —
✅ परमात्मा के संकल्प = माध्यम द्वारा
❌ स्वयं के संकल्प = संभव नहीं (क्योंकि शरीर नहीं)
🌈 अंतिम निष्कर्ष:
जो भी आत्मा एक-एक पदम कर्म करना सीखती है, वह पद्मा पदम पति बन जाती है।
परमात्मा बिना शरीर के कुछ नहीं कर सकते — न संकल्प, न बोल।
इसलिए, माध्यम ही उनका सशक्त संसाधन है।
और हम बन सकते हैं उनके सहयोगी, उनके साथी।
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