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P-P 67 “Can God protect us from accidents

April 15, 2025June 10, 2025omshantibk07@gmail.com

P-P 67 “क्या परमात्मा हमें दुर्घटनाओं से बचा सकता है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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क्या परमात्मा हमें दुर्घटनाओं से बचा सकते हैं?
(एक आध्यात्मिक मंथन)


1️⃣ भूमिका: एक स्वाभाविक प्रश्न

प्रिय आत्माओं,
आज हम सभी के मन में कभी न कभी यह प्रश्न अवश्य उठता है—
“जब हम परमात्मा को याद करते हैं, तो फिर भी हमारे जीवन में दुखद घटनाएँ क्यों घटती हैं?”
“क्या परमात्मा हमें दुर्घटनाओं से नहीं बचा सकते?”
यदि बचा सकते हैं, तो क्यों नहीं बचाते?
और यदि नहीं बचा सकते, तो हम उन्हें क्यों याद करें?

यह कोई साधारण प्रश्न नहीं है।
यह हमारी भक्ति, विश्वास और आध्यात्मिक समझ के केंद्र में बैठा हुआ एक गूढ़ प्रश्न है।
आज हम इसी प्रश्न का गहराई से मंथन करेंगे।


2️⃣ क्या परमात्मा रक्षक नहीं हैं?

कई बार हमें अनुभव होता है कि बाबा ने हमें किसी संकट से बचा लिया—
हमारी प्रार्थना सुनी गई, हमें मार्ग मिला, चमत्कार घटा।
तो प्रश्न उठता है—यदि हर बार बचा सकते हैं, तो सबको क्यों नहीं बचाते?

इसका उत्तर हमें ड्रामा की मर्यादा में मिलेगा।


3️⃣ ड्रामा का न्यायपूर्ण विधान

बाबा ने स्पष्ट रूप से कहा है:

“ड्रामा अटल है।”
“होनी होकर रहे, अनहोनी ना हो।”

हर आत्मा के साथ उसका अपना कर्म हिसाब है—
जो जन्म-जन्मांतर का है।
इसलिए कोई भी घटना बिना कारण के नहीं घटती।

यह विश्व-नाटक पूरी तरह न्यायपूर्ण और कल्याणकारी है।
यहाँ कोई अन्याय नहीं होता, बस हमें उसका रहस्य समझना होता है।


4️⃣ परमात्मा का कार्य: शक्ति देना, हस्तक्षेप नहीं करना

बाबा ने कहा—

“मैं न्यायकारी नहीं, ज्ञानकारी हूँ।”
“मैं मार्गदर्शक हूँ, हस्तक्षेपकर्ता नहीं।”

परमात्मा हमें परिस्थितियों से निकालते नहीं हैं,
बल्कि उनसे पार जाने की शक्ति देते हैं।

जब आत्मा आत्मिक स्थिति में आती है,
तो कष्ट उसे छू नहीं सकते।


5️⃣ आत्मा का सच्चा स्वरूप: कष्टों से परे

बाबा बार-बार कहते हैं—

“बच्चे, तुम आत्मा हो, शुद्ध, शांत, शक्तिशाली।”

जब तक हम देहाभिमान में हैं,
तब तक हर चोट, हर संकट हमें लगता है।
लेकिन जैसे ही हम “मैं आत्मा हूँ” की स्थिति में आते हैं,
तो वही परिस्थितियाँ साधना बन जाती हैं,
और दुख पाठशाला।

आत्मिक स्थिति में स्थिर आत्मा को न दुख छूता है, न भय।


6️⃣ भोग और भक्ति का मिथ्या विश्वास

बहुतों को यह भ्रम है कि भोग लगवाने से भोग मिट जाएँगे,
या कोई पूजा-पाठ से दुर्घटना टल जाएगी।

बाबा कहते हैं—

“भोग लगाने से कर्मों का हिसाब नहीं मिटता,
आत्मा को आत्मस्मृति से ही सच्चा बल मिलता है।”


7️⃣ निष्कर्ष: क्यों और कैसे याद करें परमात्मा को?

✅ परमात्मा हमें दुर्घटनाओं से नहीं बचाते,
वे हमें उससे पार जाने की शक्ति देते हैं।

✅ वे नाटक के अनुसार साक्षी रहते हैं,
परंतु हमारे अंदर ज्ञान, शक्ति और प्रेम का संचार करते हैं।

✅ उनका कार्य है—

  • आत्मा को उसके सच्चे स्वरूप में लाना

  • कर्मों को सुधारना

  • दुख-सुख से न्यारा बनाना

🌟 इसलिए हम परमात्मा को याद करते हैं—
सहारा बनने के लिए नहीं, बल्कि शक्ति बनने के लिए।


अंतिम संदेश:
इस नाटक में सबकुछ कल्याणकारी है।
परमात्मा भी ड्रामा के नियम में बंधे हैं,
पर वे हमें वह स्थिति दे सकते हैं,
जहाँ हम हर परिस्थिति से पार हो जाएँ—बिना हिलाए।

✨ “सच्चा बल आत्म-स्मृति में है, और यही परमात्मा की सच्ची याद है।” ✨


🔗 अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें:
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के निकटतम सेवा केंद्र पर।

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🪔 आज का पदम है: क्या परमात्मा हमें दुर्घटनाओं से बचा सकता है?

❓ प्रश्न 1: क्या परमात्मा हमें दुर्घटनाओं और कष्टों से बचा सकते हैं?

उत्तर:परमात्मा सर्वशक्तिमान हैं, परंतु वे इस नाटक के साक्षी मात्र हैं। वे किसी आत्मा के कर्म में हस्तक्षेप नहीं करते। हर आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना होता है। परमात्मा का कार्य बचाना नहीं, बल्कि शक्ति देना है — जिससे आत्मा परिस्थितियों का सामना कर सके।

❓ प्रश्न 2: अगर परमात्मा हमें नहीं बचाते, तो हम उन्हें क्यों याद करें?

उत्तर:हम परमात्मा को इसलिए याद करते हैं क्योंकि वह हमें आत्मिक स्थिति में स्थित होने की शक्ति देते हैं। यह आत्मिक स्थिति ही हमें हर संकट, दुख और भय से पार कराती है। वह हमें मार्ग दिखाते हैं, जिससे हम भविष्य के लिए श्रेष्ठ कर्म कर सकें और दुखों से मुक्त हो सकें।

❓ प्रश्न 3: क्या भक्ति करने या भोग लगाने से हमारे दुख मिट जाते हैं?

उत्तर:भक्ति से शांति की अनुभूति हो सकती है, परंतु कर्मों का हिसाब-किताब केवल आत्म-साक्षात्कार और ज्ञान से मिटता है। भोग लगाना कर्म का फल नहीं बदलता — केवल हमारी भावना को शक्ति मिलती है। इसलिए सच्चा उपाय है आत्मिक स्थिति में स्थित होकर ज्ञान के अनुसार कर्म करना।

❓ प्रश्न 4: क्या सभी घटनाएँ पूर्व निर्धारित हैं?

उत्तर:जी हाँ, यह विश्व नाटक अनादि और पूर्व-निर्धारित है। हर घटना — चाहे वह सुखद हो या दुखद — हमारे कर्मों के अनुसार पहले से तय है। इसे बदला नहीं जा सकता, यहाँ तक कि परमात्मा भी इसे नहीं बदलते। वे केवल आत्मा को जागृत करते हैं कि वह सही दृष्टिकोण से इसे पार करे।

❓ प्रश्न 5: आत्मा को कष्ट क्यों होता है?

उत्तर:वास्तव में आत्मा को कष्ट नहीं होता, कष्ट का अनुभव तब होता है जब आत्मा शरीर की चेतना में आ जाती है। आत्मा का मूल स्वरूप शुद्ध, शांतिपूर्ण और अजर-अमर है। आत्मिक स्थिति में स्थित आत्मा को कोई भी परिस्थिति प्रभावित नहीं कर सकती।

❓ प्रश्न 6: तो क्या आत्मा को बचाया जा सकता है?

उत्तर:आत्मा को बाह्य रूप से नहीं बचाया जा सकता, लेकिन आत्मा को आत्मिक स्थिति में स्थित कर, उसे संपूर्ण शक्ति और स्थिरता दी जा सकती है। यही सच्चा बचाव है — जब आत्मा स्वयं को जानकर, परमात्मा को याद कर, अचल अडोल बन जाए।

❓ प्रश्न 7: जब हम शिव बाबा को याद करते हैं तो क्या होता है?

उत्तर:जब आत्मा, “मैं आत्मा हूँ” की स्मृति में रहकर परमात्मा को याद करती है, तो उसे दिव्य शक्ति प्राप्त होती है। यह शक्ति उसे कर्मों का सामना करने की शक्ति देती है, दुख से पार कराती है, और जीवन को कल्याणकारी बनाती है।

❓ प्रश्न 8: क्या यह सब ज्ञान केवल ब्रह्मा कुमारियों के लिए है?

उत्तर:नहीं। यह ज्ञान हर आत्मा के लिए है। परमात्मा ने कहा है: “मैं संपूर्ण विश्व की आत्माओं का पिता हूँ।” इसलिए यह ज्ञान, यह सच्चाई, यह शक्ति हर आत्मा के लिए उपलब्ध है — जो भी स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा से जुड़ना चाहता है।


🪔 निष्कर्ष: परमात्मा हमें परिस्थिति से निकालने नहीं आते, वे हमें परिस्थिति से पार होने की शक्ति देते हैं। यह ड्रामा न्यायपूर्ण है, और परमात्मा ज्ञान स्वरूप हैं, कार्यकारी नहीं। उनकी याद, उनका ज्ञान, और आत्मिक स्थिति ही हमें सुरक्षित बनाती है।

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