T.L.P 78 “Place of souls in the universe

T.L.P 78 “आत्माओं का ब्रह्मांण्ड में स्थान

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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ओम शांति। कौन बनेगा पद्मा पदम पति?
सच जो परमपिता परमात्मा आके बताते हैं, उसके आधार पर हम अपने कर्मों को अकर्म या पदम कर्म बना सकते हैं। तो पदम कर्म बनाने के लिए आज हमारे पास विषय है: आत्माओं का ब्रह्मांड में स्थान।

इतने बड़े ब्रह्मांड में आत्माएं कहां पर रहती हैं?
आत्माओं की स्थिति ब्रह्मांड में क्या है?
क्या आत्माएं ब्रह्मांड में शिव बाबा के चारों ओर स्थित होती हैं या वे किसी विशेष भाग में निवास करती हैं?

यह प्रश्न अनेक आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के मन में उठता है।
हमारे दृष्टिकोण से आत्माएं ब्रह्मांड में किसी एक स्थान पर एक के नीचे एक लटकी नहीं होतीं, ना ही किसी एक कोने में सीमित रहती हैं, बल्कि आत्माएं समस्त ब्रह्मांड में फैली रहती हैं और उनकी स्थिति आपसी आकर्षण शक्ति पर निर्भर करती है।

जैसे सारे ग्रह-उपग्रह खड़े हुए हैं, वैसे ही आत्माएं भी अपने ही ऊपर खड़ी रहती हैं। उन्हें कोई आधार की जरूरत नहीं होती, ना ही जाकर कहीं बैठना होता है। एक-दूसरे के नीचे लाइन में लगी नहीं होतीं। वे कहीं भी रह सकती हैं। उसके लिए कोई विशेष स्थान का होना जरूरी नहीं है।

अब एक आत्मा कहीं भी है, तो उसे न कोई दीवार रोक सकती है, न कोई तत्व उसका नुकसान कर सकता है। उसे कोई जला नहीं सकता, गीला नहीं कर सकता, सुखा नहीं सकता, काट नहीं सकता। उसका किसी तत्व पर असर नहीं होता, न किसी तत्व का उस पर असर होता है।

आत्माओं का समूहबद्ध होना — हर धर्म, मठ, पंथ और समूह की आत्माएं एक-दूसरे के निकट अपने ही समूह में निवास करती हैं।
मनुष्य आत्माएं परमात्मा के चारों ओर उनके पुरुषार्थ अनुसार क्रमबद्ध रूप में स्थित होती हैं।

ज्ञान सागर परमात्मा ने आत्माओं और ब्रह्मांड की तुलना आकाश मंडल और तारों से की है।
जैसे तारे पूरे आकाश में फैले होते हैं किंतु दिन में नहीं दिखते — वैसे ही आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में स्थित होती हैं, भले ही हम उन्हें देख न सकें।

परंतु आत्माएं अपने समय और स्थान अनुसार कहीं भी जाकर स्थिर हो सकती हैं। उन्हें किसी स्थान, आसन या माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।
आत्मा अति सूक्ष्म होती है, इसलिए उसे रहने के लिए अधिक स्थान की जरूरत नहीं होती।

प्रत्येक आत्मा की अपनी पवित्रता और आकर्षण शक्ति होती है — जिसे हम चुंबकीय शक्ति भी कह सकते हैं — जो उसे अन्य आत्माओं के निकट या दूर बनाए रखती है।
इस कारण आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में फैली होती हैं, एक-दूसरे से चिपक कर नहीं रहतीं।

आत्मा अकेली होती है।
वह कहीं भी रह सकती है, जहां उसका पार्ट (भूमिका) है, वहां जाकर स्थिर रहती है।
जब आत्मा ने शरीर ले रखा होता है और सोती है, तब वह कहीं भी चली जाती है — परंतु अपने शरीर में समय पर लौट आती है।
बहुत रेयर केस में ऐसा होता है कि वो न लौटे।

हम शिव बाबा के पास सब एक साथ नहीं रहते।
आप यदि शिव बाबा के साथ भी हो, तो क्या आपको दिखता है?
क्या कोई आपके साथ बोलता है? डर से मुक्त करता है?

साथ रहने का फायदा तभी होता जब कुछ व्यवहार होता — चाय, चॉकलेट, रोटी, या कोई सलाह — लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं।
इसलिए साथ हो या न हो, फर्क नहीं पड़ता।

परमधाम में आत्माओं की स्थिति:
जब आत्माएं अपना-अपना नाटक का पार्ट निभाकर परमधाम लौटती हैं, तो अपने-अपने स्थान पर क्रमबद्ध रूप से स्थित हो जाती हैं।
प्रत्येक आत्मा अपने धर्म अनुसार अपने स्थान पर खड़ी होती है, फिर क्रमबद्ध रूप से नीचे आकर जन्म लेती है।

निराकार की न्यूनतम आवश्यकता होती है — बहुत कम से कम।
इसलिए इसे प्रतीकात्मक रूप में चित्रों में दर्शाया जाता है।

जब तक मनुष्य पूर्ण ज्ञान को नहीं समझता, तब तक अनेक प्रश्न उठते रहते हैं।
यह आध्यात्मिक ज्ञान ब्राह्मण आत्माओं के पास होता है और परमपिता परमात्मा इसे बहुत सहजता से समझाते हैं।
आत्माओं की स्थिति और ब्रह्मांड में उनका स्थान जानना आध्यात्मिक जागृति के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम है।

साकार बाबा ने 16 अप्रैल 2008 की मुरली में कहा:
हर आत्मा अपनी जगह पर जाकर खड़ी रहेगी, अपने-अपने धर्म में, अपने स्थान पर, क्रमबद्ध रूप से।
फिर क्रमबद्ध रूप से नीचे आएंगे।

यह एक बना-बनाया नाटक है, जिसे परमात्मा सहजता से समझाते हैं।
कर्म व्रत — यानी क्रम, सीरियल नंबर, समयानुसार सब घटित होता है।

ओम शांति। कौन बनेगा पद्मा पदम पति? 🪷
विषय: आत्माओं का ब्रह्मांड में स्थान
स्रोत: ब्रह्मा कुमारियों का आध्यात्मिक ज्ञान

🎙 प्रश्न 1:इतने विशाल ब्रह्मांड में आत्माएं कहां पर निवास करती हैं?

✅ उत्तर:आत्माएं ब्रह्मांड के किसी एक कोने में सीमित नहीं होतीं, ना ही एक के नीचे एक लाइन में लटकी होती हैं। वे समस्त ब्रह्मांड में फैली रहती हैं, और उनका स्थान उनकी आपसी चुंबकीय आकर्षण शक्ति पर निर्भर करता है। वे कहीं भी रह सकती हैं, उन्हें किसी आधार की जरूरत नहीं होती।


🎙 प्रश्न 2:क्या आत्माओं को किसी दीवार, तत्व, या माध्यम से कोई असर होता है?

✅ उत्तर:नहीं। आत्मा अति सूक्ष्म और अविनाशी है। उसे कोई जला नहीं सकता, सुखा नहीं सकता, गीला नहीं कर सकता, काट नहीं सकता। आत्मा पर किसी भौतिक तत्व का प्रभाव नहीं होता।


🎙 प्रश्न 3:क्या आत्माएं परमात्मा शिव बाबा के चारों ओर स्थित होती हैं?

✅ उत्तर:मनुष्य आत्माएं परमात्मा के चारों ओर उनके पुरुषार्थ और धर्म के अनुसार क्रमबद्ध रूप से स्थित होती हैं। परंतु यह स्थिति सूक्ष्म है, दृश्य रूप में नहीं होती।


🎙 प्रश्न 4:क्या सभी आत्माएं एक-दूसरे के साथ जुड़कर या चिपककर रहती हैं?

✅ उत्तर:नहीं। आत्माएं अकेली होती हैं। वे अपनी चुंबकीय शक्ति (पवित्रता और धर्म) के अनुसार अलग-अलग रहती हैं। वे एक-दूसरे से टकराती नहीं, ना चिपकती हैं। वे स्वतंत्र रूप से पूरे ब्रह्मांड में स्थित होती हैं।


🎙 प्रश्न 5:जब आत्मा शरीर में होती है और सोती है, तो वह कहां जाती है?

✅ उत्तर:सोते समय आत्मा शरीर से अलग होकर कहीं भी जा सकती है — कोई अनुभव, स्वप्न या यात्रा कर सकती है। परंतु सामान्य रूप से वह समय पर अपने शरीर में लौट आती है।


🎙 प्रश्न 6:क्या परमधाम में आत्माएं एक साथ शिव बाबा के पास रहती हैं?

✅ उत्तर:नहीं, सभी आत्माएं परमधाम में अपने-अपने धर्म और स्थिति अनुसार क्रमबद्ध रूप से रहती हैं। यह एक बना-बनाया दिव्य नाटक है, जिसमें आत्माएं कर्मानुसार सीरियल नंबर से नीचे आती हैं और पार्ट बजाती हैं।


🎙 प्रश्न 7:आत्माओं की तुलना ब्रह्मांड में किनसे की गई है?

✅ उत्तर:आत्माओं की तुलना ज्ञान सागर परमात्मा ने तारों से की है। जैसे तारे पूरे आकाश में फैले होते हैं लेकिन दिन में नहीं दिखते, वैसे ही आत्माएं भी पूरे ब्रह्मांड में फैली होती हैं, भले हम उन्हें देख न सकें।


🎙 प्रश्न 8:क्या परमधाम में आत्माओं को रहने के लिए स्थान, आसन या किसी आधार की आवश्यकता होती है?

✅ उत्तर:नहीं। आत्मा अति सूक्ष्म है, उसे रहने के लिए न तो कोई आसन चाहिए, न आधार। वह कहीं भी स्थिर हो सकती है। उसकी उपस्थिति केवल आध्यात्मिक नियमों पर आधारित होती है।


🎙 प्रश्न 9:क्या परमधाम में “साथ रहना” वैसा ही है जैसा भौतिक दुनिया में होता है?

✅ उत्तर:
नहीं। आत्मा और परमात्मा का साथ व्यवहारिक नहीं बल्कि अनुभूति और स्थिति का है। कोई चाय या चॉकलेट जैसी चीज़ नहीं होती। साथ का मतलब वहाँ अनुभव और स्थिति का होता है — परस्पर संकल्प और शांति की स्थिति।


🎙 प्रश्न 10 (Bonus):-साकार बाबा ने 16 अप्रैल 2008 की मुरली में आत्माओं की स्थिति के विषय में क्या कहा?

✅ उत्तर:उन्होंने कहा: “हर आत्मा अपनी जगह पर जाकर खड़ी रहेगी, अपने-अपने धर्म में, अपने स्थान पर, क्रमबद्ध रूप से। फिर क्रमबद्ध रूप से नीचे आएंगे।”
यह कर्म-व्रत का सिद्धांत है — यानी सब कुछ क्रम और समयानुसार घटित होता है।


📜 निष्कर्ष:आत्माओं का ब्रह्मांड में स्थान कोई साधारण विषय नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक रहस्य है।
इसे जानकर हम न केवल आत्मा की स्वतंत्रता और सूक्ष्मता को समझते हैं, बल्कि कर्मों को पद्मा पदम बनाने का रास्ता भी जान पाते हैं।

🌟 इसलिए सवाल सिर्फ ये नहीं कि आत्माएं कहां हैं…
सवाल है — आप कौन-से स्थान के योग्य बन रहे हैं?

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