T.L.P 78 “आत्माओं का ब्रह्मांण्ड में स्थान
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
1. आत्माओं का स्थान ब्रह्मांड में
हमारे ब्रह्मांड में आत्माएं कहां रहती हैं? क्या वे शिव बाबा के चारों ओर स्थित होती हैं, या वे कहीं और निवास करती हैं? यह सवाल हमारे मन में कभी न कभी आता है। लेकिन हम यह जानते हैं कि आत्माएं किसी एक स्थान पर सीमित नहीं रहतीं।
आत्माएं ब्रह्मांड में कहीं भी और हर जगह फैली रहती हैं। वे एक-दूसरे के ऊपर लटकी नहीं होतीं और न ही एक जगह पर सीमित होती हैं। आत्माओं की स्थिति आपसी आकर्षण शक्ति पर निर्भर करती है। जैसे ग्रह और उपग्रह अपनी कक्षा में रहते हैं, वैसे ही आत्माएं भी ब्रह्मांड में अपनी स्थान पर स्थिर रहती हैं।
2. आत्माओं की सूक्ष्मता और आकर्षण शक्ति
आत्मा अति सूक्ष्म होती है, और इसलिए उसे रहने के लिए कोई विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं होती। आत्मा के पास अपनी चुंबकीय शक्ति होती है, जो उसे अन्य आत्माओं के पास या दूर रखने का काम करती है। यही वजह है कि आत्माएं समस्त ब्रह्मांड में फैली हुई हैं और एक-दूसरे से चिपकी नहीं रहतीं।
3. आत्माओं का समूह और स्थान
हमारे धर्म, मठ, पंथ और समूह के अनुसार आत्माएं एक-दूसरे के निकट रहती हैं। यही कारण है कि मनुष्य आत्माएं परमात्मा के चारों ओर उनके पुरुषार्थ के अनुसार क्रमबद्ध रूप में स्थित होती हैं। जैसे तारों का आकाश में फैला होना, वैसे ही आत्माएं भी पूरे ब्रह्मांड में फैली रहती हैं।
आत्मा कभी भी अपने स्थान पर स्थिर हो सकती है, क्योंकि उसे किसी स्थान या आसन की आवश्यकता नहीं होती।
4. परमधाम में आत्माओं की स्थिति
जब आत्माएं अपना नाटक का भाग पूरा करती हैं, तो वे परमधाम लौटकर अपने स्थान पर क्रमबद्ध रूप से स्थित होती हैं। प्रत्येक आत्मा अपने धर्म और भूमिका के अनुसार अपने स्थान पर खड़ी होती है। फिर, क्रमबद्ध रूप से नीचे आती हैं और जन्म लेती हैं।
यह एक प्रतीकात्मक स्थिति होती है, जिसे समझाने के लिए चित्रों में दिखाया जाता है। परमात्मा हमें यह ज्ञान बहुत सरलता से समझाते हैं, ताकि हम इस सृष्टि के रहस्यों को समझ सकें।
5. आत्माओं का कर्म व्रत
साकार बाबा ने 16 अप्रैल 2008 की मुरली में स्पष्ट रूप से कहा था कि “हर आत्मा अपनी जगह पर खड़ी रहेगी, अपने-अपने धर्म में और अपने स्थान पर क्रमबद्ध रूप से। फिर वे नीचे आकर जन्म लेंगी।” यही हमारे जीवन का क्रम है, जो समय के साथ घटित होता है। यह एक बना-बनाया नाटक है, जिसे परमात्मा हमें सहजता से समझाते हैं।
6. निष्कर्ष: आत्मा और ब्रह्मांड का संबंध
हमने देखा कि आत्माएं ब्रह्मांड में कहीं भी रह सकती हैं, और उनका स्थान उनकी भूमिका और आकर्षण शक्ति पर निर्भर करता है। आत्मा के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं होती, और वह अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी स्थिर हो सकती है।
“कौन बनेगा पद्मा पदम पति?” इस सवाल का उत्तर यही है कि जब हम अपने कर्मों को अकर्म और पदम कर्म बनाएंगे, तब हम इस ब्रह्मांड में सही स्थान पर स्थित होंगे।
🎙 प्रश्न 1:इतने विशाल ब्रह्मांड में आत्माएं कहां पर निवास करती हैं?
✅ उत्तर:आत्माएं ब्रह्मांड के किसी एक कोने में सीमित नहीं होतीं, ना ही एक के नीचे एक लाइन में लटकी होती हैं। वे समस्त ब्रह्मांड में फैली रहती हैं, और उनका स्थान उनकी आपसी चुंबकीय आकर्षण शक्ति पर निर्भर करता है। वे कहीं भी रह सकती हैं, उन्हें किसी आधार की जरूरत नहीं होती।
🎙 प्रश्न 2:क्या आत्माओं को किसी दीवार, तत्व, या माध्यम से कोई असर होता है?
✅ उत्तर:नहीं। आत्मा अति सूक्ष्म और अविनाशी है। उसे कोई जला नहीं सकता, सुखा नहीं सकता, गीला नहीं कर सकता, काट नहीं सकता। आत्मा पर किसी भौतिक तत्व का प्रभाव नहीं होता।
🎙 प्रश्न 3:क्या आत्माएं परमात्मा शिव बाबा के चारों ओर स्थित होती हैं?
✅ उत्तर:मनुष्य आत्माएं परमात्मा के चारों ओर उनके पुरुषार्थ और धर्म के अनुसार क्रमबद्ध रूप से स्थित होती हैं। परंतु यह स्थिति सूक्ष्म है, दृश्य रूप में नहीं होती।
🎙 प्रश्न 4:क्या सभी आत्माएं एक-दूसरे के साथ जुड़कर या चिपककर रहती हैं?
✅ उत्तर:नहीं। आत्माएं अकेली होती हैं। वे अपनी चुंबकीय शक्ति (पवित्रता और धर्म) के अनुसार अलग-अलग रहती हैं। वे एक-दूसरे से टकराती नहीं, ना चिपकती हैं। वे स्वतंत्र रूप से पूरे ब्रह्मांड में स्थित होती हैं।
🎙 प्रश्न 5:जब आत्मा शरीर में होती है और सोती है, तो वह कहां जाती है?
✅ उत्तर:सोते समय आत्मा शरीर से अलग होकर कहीं भी जा सकती है — कोई अनुभव, स्वप्न या यात्रा कर सकती है। परंतु सामान्य रूप से वह समय पर अपने शरीर में लौट आती है।
🎙 प्रश्न 6:क्या परमधाम में आत्माएं एक साथ शिव बाबा के पास रहती हैं?
✅ उत्तर:नहीं, सभी आत्माएं परमधाम में अपने-अपने धर्म और स्थिति अनुसार क्रमबद्ध रूप से रहती हैं। यह एक बना-बनाया दिव्य नाटक है, जिसमें आत्माएं कर्मानुसार सीरियल नंबर से नीचे आती हैं और पार्ट बजाती हैं।
🎙 प्रश्न 7:आत्माओं की तुलना ब्रह्मांड में किनसे की गई है?
✅ उत्तर:आत्माओं की तुलना ज्ञान सागर परमात्मा ने तारों से की है। जैसे तारे पूरे आकाश में फैले होते हैं लेकिन दिन में नहीं दिखते, वैसे ही आत्माएं भी पूरे ब्रह्मांड में फैली होती हैं, भले हम उन्हें देख न सकें।
🎙 प्रश्न 8:क्या परमधाम में आत्माओं को रहने के लिए स्थान, आसन या किसी आधार की आवश्यकता होती है?
✅ उत्तर:नहीं। आत्मा अति सूक्ष्म है, उसे रहने के लिए न तो कोई आसन चाहिए, न आधार। वह कहीं भी स्थिर हो सकती है। उसकी उपस्थिति केवल आध्यात्मिक नियमों पर आधारित होती है।
🎙 प्रश्न 9:क्या परमधाम में “साथ रहना” वैसा ही है जैसा भौतिक दुनिया में होता है?
✅ उत्तर:
नहीं। आत्मा और परमात्मा का साथ व्यवहारिक नहीं बल्कि अनुभूति और स्थिति का है। कोई चाय या चॉकलेट जैसी चीज़ नहीं होती। साथ का मतलब वहाँ अनुभव और स्थिति का होता है — परस्पर संकल्प और शांति की स्थिति।
🎙 प्रश्न 10 (Bonus):-साकार बाबा ने 16 अप्रैल 2008 की मुरली में आत्माओं की स्थिति के विषय में क्या कहा?
✅ उत्तर:उन्होंने कहा: “हर आत्मा अपनी जगह पर जाकर खड़ी रहेगी, अपने-अपने धर्म में, अपने स्थान पर, क्रमबद्ध रूप से। फिर क्रमबद्ध रूप से नीचे आएंगे।”
यह कर्म-व्रत का सिद्धांत है — यानी सब कुछ क्रम और समयानुसार घटित होता है।
📜 निष्कर्ष:आत्माओं का ब्रह्मांड में स्थान कोई साधारण विषय नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक रहस्य है।
इसे जानकर हम न केवल आत्मा की स्वतंत्रता और सूक्ष्मता को समझते हैं, बल्कि कर्मों को पद्मा पदम बनाने का रास्ता भी जान पाते हैं।
🌟 इसलिए सवाल सिर्फ ये नहीं कि आत्माएं कहां हैं…
सवाल है — आप कौन-से स्थान के योग्य बन रहे हैं?
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