T.L.P 79 “Is there a subtle world in Satyayug- Treta- Dwapar- Kaliyug

T.L.P 79 “क्या सतयुग- त्रेता- द्वापर-कलियुग में सूक्ष्मवतन है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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नमस्कार साथियों! आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे, जो हमें अपनी आत्मा की स्थिति और कर्मों के द्वारा उच्चतम स्तर तक पहुंचाने में मदद करेगा। हमारा विषय है, “कौन बनेगा पद्मा पदम पति?” और इसका उत्तर है – हम सभी बनेंगे पद्मा पदम पति, लेकिन इसके लिए हमें कुछ विशेष कर्म करने होंगे, जो हमें श्रीमत से मार्गदर्शन मिलता है।


1. पदम का अर्थ – कमल फूल समान

पदम का अर्थ है “कमल का फूल”। कमल फूल की विशेषता यह है कि वह कीचड़ में रहते हुए भी कीचड़ से अलग रहता है। यही स्थिति हमें इस पतित दुनिया में चाहिए। हमें इस दुनिया में रहते हुए भी सतयुगी कर्म और अकर्म करने हैं। यही है, पदम बनने की दिशा।

2. श्रीमत का महत्व

हमारे बाबा की श्रीमत हमें हर कदम पर मार्गदर्शन देती है। श्रीमत के अनुसार हर कर्म हमें शुद्ध और पवित्र करना है। बाबा ने हमें रोज यह सिखाया है कि “मन मना भव” यानी जितना आप श्रीमत का मंथन करेंगे, उतना सहजता से आप अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ा पाएंगे।


3. सूक्ष्म वतन का अस्तित्व

अब, हम बात करेंगे एक और महत्वपूर्ण विषय की – “क्या सूक्ष्म वतन केवल संगम युग में ही होता है?”
बाबा ने हमें स्पष्ट रूप से बताया है कि सूक्ष्म वतन केवल संगम युग में होता है। यह कोई भौतिक स्थान नहीं है, बल्कि एक सूक्ष्म अवस्था है, जो केवल संगम युग में प्रकट होती है। अन्य युगों जैसे सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग में इसका अस्तित्व नहीं होता।

4. सूक्ष्म वतन और तत्त्वों का परिवर्तन

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो कोई भी तत्त्व या स्थान कभी नष्ट नहीं होते। उनका रूप केवल बदलता है। जैसे, आकाश, पृथ्वी, और जल के तत्व हमेशा से रहे हैं और वे अपनी ऊर्जा के रूप में पुनः बदलते रहते हैं। इसी तरह सूक्ष्म वतन भी हमेशा रहेगा, लेकिन इसका स्वरूप समय और स्थिति के हिसाब से बदलता रहेगा।


5. सूक्ष्म वतन का स्वरूप

सूक्ष्म वतन एक संकल्पों से रचित दुनिया है। यह कोई स्थूल रूप में कोई जगह नहीं होती, बल्कि यह हमारी मानसिक स्थिति और विज़ुअलाइज़ेशन पर निर्भर करता है। जैसे हम किसी दिव्य आत्मा को याद करते हैं, तो उनकी आकृति हमारे सामने प्रकट हो सकती है।

6. सूक्ष्म सेवा और सकाश

हम योग में बैठकर मनसा सेवा (मनोबल और सकाश देने) के द्वारा सूक्ष्म वतन से जुड़ सकते हैं। ब्रह्मा बाबा भी सूक्ष्म रूप से सकाश भेजते हैं, और हम भी यह कार्य कर सकते हैं। यही सूक्ष्म वतन का वास्तविक स्वरूप है।


7. निष्कर्ष

सूक्ष्म वतन सदा मौजूद रहेगा, लेकिन संगम युग में इसका महत्व और अनुभव विशेष रूप से होता है। यह कोई भौतिक स्थान नहीं है, बल्कि यह संकल्पों और विज़ुअलाइज़ेशन की दुनिया है। हमारे कर्मों और ध्यान से ही हम सूक्ष्म वतन के अनुभव में भाग ले सकते हैं।


अंत में

हमारा उद्देश्य है, हर कर्म को “पदम” की तरह करना, ताकि हम इस पतित दुनिया में रहते हुए भी अपने कर्मों से उच्चतम स्तर पर पहुंच सकें। हम सभी बन सकते हैं पद्मा पदम पति, जब हम अपनी सोच और कर्म को दिव्य बनाएंगे। और यह सब संभव है बाबा की श्रीमत के माध्यम से।

धन्यवाद! जय बाबा!

🌸 कौन बनेगा पद्मा पदम पति?

– सभी बनेंगे पद्मा पदम पति। लेकिन कैसे? आइए समझते हैं प्रश्नों के उत्तरों से।


प्रश्न 1: कौन बन सकता है पद्मा पदम पति?

✅ उत्तर:हर आत्मा बन सकती है पद्मा पदम पति – जब वह हर कर्म श्रीमत पर, पद्म अर्थात कमल पुष्प समान करती है।
कमल की तरह संसार में रहते हुए भी उससे न्यारा – यानी पतित कर्मों से अलग, सतयुगी कर्मों को अपनाना ही पद्मा पदम पद प्राप्त करने का मार्ग है।


प्रश्न 2: पद्म कर्म क्या होते हैं?

✅ उत्तर:पद्म कर्म वे होते हैं जो बाबा की श्रीमत पर आधारित होते हैं – ऐसे कर्म जो किसी को बांधते नहीं, जो आत्मा को हलका बनाते हैं, और पुनः सतयुग योग्य बनाते हैं।
बाबा की श्रीमत से किया गया हर कर्म आत्मा को पद्मा पदम लाभ देता है।


प्रश्न 3: श्रीमत पर चलने का अर्थ क्या है?

✅ उत्तर:श्रीमत का अर्थ है – परमात्मा द्वारा दिया गया श्रेष्ठ मार्ग।
जब हम मंथन करते हैं कि बाबा क्या कह रहे हैं, क्यों कह रहे हैं, और कैसे अमल करें – तब वह श्रीमत जीवन में उतरती है और सहज रीति से हमारा मार्गदर्शन करती है।


प्रश्न 4: क्या सूक्ष्म वतन सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में भी होता है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन नाटक में निरंतर बना रहता है, परंतु उसकी विशेष अनुभूति और भूमिका संगम युग में होती है
संगम युग में ही आत्माएं अधिक दिव्यता को प्राप्त कर सूक्ष्म वतन का अनुभव करती हैं – यहीं भोग, साक्षात्कार, और सकाश होते हैं।


प्रश्न 5: सूक्ष्म वतन वास्तव में क्या है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन कोई स्थूल स्थान नहीं, बल्कि संकल्पों से रची गई संकल्पों की दुनिया है।
जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही रूप हमें दिखाई देता है। यह आत्मा की चेतना की एक विशेष अवस्था है – जिसमें दृश्य नहीं, अनुभूति प्रधान होती है।


प्रश्न 6: क्या सूक्ष्म वतन को देखा जा सकता है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन को स्थूल नेत्रों से नहीं, बल्कि अंतर्मन की आंखों से देखा जाता है।
जब आत्मा योगबल से उच्च अवस्था में जाती है, तब वह सूक्ष्म वतन को अनुभव करती है।


प्रश्न 7: सूक्ष्म वतन में आत्माएं क्या करती हैं?

✅ उत्तर:

  • वहाँ भोग लगाया जाता है (भले ही खाया नहीं जाता)।

  • वहाँ से संदेश प्राप्त होते हैं

  • वहाँ से सकाश दिया जाता है, और दिव्य संकल्पों के माध्यम से सेवा होती है।

  • ब्रह्मा बाबा भी सूक्ष्म शरीर से सकाश देते हैं और संदेश भेजते हैं।


प्रश्न 8: क्या सूक्ष्म वतन को तीन तत्वों से समझाया गया है?

✅ उत्तर:नहीं। यह एक भ्रांति है।
सूक्ष्म वतन को “तीन तत्व – स्थूल, सूक्ष्म, मूल” कहना गलत है
यह तत्व नहीं, बल्कि तीन लोक हैं:

  • स्थूल लोक (जहां हम रहते हैं),

  • सूक्ष्म लोक (संकल्पों की दुनिया),

  • मूल लोक (परमधाम)।


प्रश्न 9: सूक्ष्म वतन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

✅ उत्तर:संगम युग में यह एक ऐसा माध्यम है जो आत्मा को परिवर्तन, शक्ति, और दिव्यता का अनुभव कराता है।
यह ब्रह्मलोक और परमधाम के बीच की एक कड़ी है – जो आत्मा को संबंधों, संकल्पों और सेवा का आधार प्रदान करती है।


प्रश्न 10: क्या सूक्ष्म वतन कोई स्थायी स्थान है?

✅ उत्तर:नहीं।सूक्ष्म वतन कोई विशेष भौतिक स्थान नहीं है, यह हमारी चेतना की सूक्ष्म अवस्था है।
यह स्थान विज़ुअलाइज़ेशन और संकल्पों से ही प्रकट होता है – जैसे हमने ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी, आदि चित्रों में दर्शाया है – वह केवल समझाने के लिए हैं।


🌟 निष्कर्ष:-सूक्ष्म वतन एक दिव्य संकल्पों की दुनिया है, जो संगम युग में विशेष अनुभव कराया जाता है।
और पद्मा पदम पति बनने का रास्ता है – बाबा की श्रीमत पर आधारित पद्म कर्म।

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