विश्व का उद्धार आधारमूर्त आत्माओं पर निर्भर
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
आज बापदादा आधारमूर्त आत्माओं को देख रहे हैं…
भाइयों और बहनों,
जैसे ही हम यह वाक्य सुनते हैं – “आज बापदादा आधारमूर्त आत्माओं को देख रहे हैं…”
हृदय में गूंजता है – सिर्फ भगवान नहीं, बल्कि वह जिनके द्वारा वह कार्य करता है, वही आत्माएँ आधारमूर्त बनती हैं सम्पूर्ण विश्व के उद्धार का।
18 जनवरी – यह सिर्फ स्मृति दिवस नहीं, बल्कि स्मृति जगाने का दिवस है।
इस पावन अवसर पर आइए जानें —
हम कौन हैं? और क्यों सम्पूर्ण विश्व की आशाएँ हम पर टिकी हैं?
1. कौन हैं आधारमूर्त आत्माएँ?
मुरली वाणी:
“आप श्रेष्ठ आत्मायें मुक्ति अर्थात् अपने घर का गेट खोलने के निमित्त बनती हो तो सर्व आत्माओं को स्वीट होम का ठिकाना मिल जाता है।”
स्पष्टीकरण:
जैसे जड़ में पानी देने से सारा वृक्ष हरा-भरा होता है, वैसे ही ये श्रेष्ठ आत्माएँ – ब्रह्मा बाबा, मम्मा, और आज की तपस्वी आत्माएँ – बीज रूप शिव के पास रहकर कल्पवृक्ष को जीवन और शक्ति देती हैं।
ये हैं फाउंडेशन स्तंभ, जिनके बिना विश्व परिवर्तन असम्भव है।
2. चढ़ती कला आत्माएँ: विश्व उद्धार की कुंजी
मुरली वाणी:
“आप श्रेष्ठ आत्माओं की ही चढ़ती कला वा उड़ती कला होती है, तो सारे विश्व का उद्धार करने के निमित्त बन जाते हो।”
स्पष्टीकरण:
जो स्वयं उड़ते हैं, वही औरों को उड़ाते हैं।
यह सेवा सिर्फ कर्म से नहीं, बल्कि वाइब्रेशन से सेवा है।
उदाहरण:
जैसे एक शक्तिशाली चुंबक दूर-दूर की धातुओं को खींच लेता है, वैसे ही योगयुक्त आत्मा अपने अटेन्शन से दूसरों के टेन्शन को मिटा सकती है।
3. अटेन्शन का जादू – टेन्शन का समाधान
मुरली वाणी:
“यह अटेन्शन ऐसा जादू का कार्य करेगा जो अनेक आत्माओं के टेन्शन को समाप्त कर बाप तरफ अटेन्शन खिंचवायेगा।”
स्पष्टीकरण:
जब आत्मा स्वयं जाग्रत होती है, तो उसकी उपस्थिति ही दूसरों के भीतर चेतना जाग्रत कर देती है।
उदाहरण:
जैसे एक योगी ध्यान में बैठा शांति फैलाता है, वैसे ही समर्थ आत्मा केवल स्थिति से संसार में शांति की तरंगें प्रवाहित करती है।
4. साइलेंस से साइंस को सहयोग
मुरली वाणी:
“साइंस भी श्रेष्ठ आत्माओं के श्रेष्ठ कार्य में सहयोगी है।”
स्पष्टीकरण:
जैसे विज्ञान एक क्लिक में दुनिया को जोड़ रहा है, वैसे ही योगबल से समर्थ आत्मा, स्थिर स्थिति में रहकर, विश्व के कोने-कोने में बैठे आत्माओं को शांति और शक्ति भेज सकती है।
संकेत:
थोड़ी सी हलचल छोड़ो, अचल बनो – स्थिति से सेवा स्वतः होने लगेगी।
5. समर्थ स्थिति: सत्य तीर्थ बनो
मुरली वाणी:
“पहले स्वयं समर्थ स्वरूप होंगे, तब सत्य तीर्थ बन अनेकों को पावन बना सकेंगे।”
स्पष्टीकरण:
अब समय है बोलने से आगे बढ़कर, स्थिति से सेवा करने का।
उदाहरण:
जैसे ब्रह्मा बाबा आज भी फरिश्ता बनकर हजारों आत्माओं को अनुभव करा रहे हैं, वैसे ही आपकी स्थिति तीर्थ बन सकती है – जहाँ कोई आए और संपर्क से ही शक्ति अनुभव करे।
6. चेतावनी: यदि आधार हिलता है तो…?
मुरली वाणी:
“अगर आधार ही हिलता रहेगा, तो औरों का आधार कैसे बन सकेंगे?”
स्पष्टीकरण:
अगर हम स्वयं अडोल नहीं, तो हम दूसरों को स्थिरता कैसे देंगे?
उदाहरण:
जैसे पुल का स्तंभ कमजोर हो जाए, तो पूरा यातायात ठहर जाता है।
वैसे ही यदि आत्मा स्वयं डगमगाती रहे, तो विश्व सेवा रुक जाती है।
7. 18 जनवरी – स्मृति दिवस का सच्चा अर्थ
मुरली वाणी:
“18 जनवरी क्या है? – बाप समान बनना, सम्पन्न स्वरूप बनना।”
स्पष्टीकरण:
यह दिन केवल बाबा के साकार छोड़ने का स्मरण नहीं है, यह दिन है —
“बाप समान बनने की शपथ” का।
स्मृति मंत्र:
“सम्पन्न फरिश्ता बनो – तभी बनोगे समर्थ विश्व परिवर्तक।”
हम बाप के नक्शे-कदम पर चलने वाले फरिश्ते हैं।
हमें अब प्रकाशमयी स्थिति में स्थिर रहना है, क्योंकि यही है सच्ची श्रद्धांजलि।
निष्कर्ष: आत्म स्थिति = विश्व उद्धार
आज का संदेश बहुत सीधा और सशक्त है:
विश्व का उद्धार, आपकी आत्म स्थिति पर निर्भर है।
आपके पंख – उड़ती कला
आपका ध्यान – अटेन्शन
आपकी स्थिति – समर्थता
आपकी स्मृति – फरिश्ता स्वरूप
यही हैं विश्व सेवा के सच्चे आधार।
मुरली सार मंत्र
“स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन सहज सम्भव है।”
“सम्पन्न बनो, समर्थ बनो, सत्य तीर्थ बनो।”
1. प्रश्न: आधारमूर्त आत्माएँ कौन हैं?
उत्तर: वे श्रेष्ठ आत्माएँ जो शिवबाबा के समीप रहकर विश्व को शक्ति देती हैं – जैसे ब्रह्मा बाबा, मम्मा और तपस्वी आत्माएँ।
2. प्रश्न: विश्व उद्धार के लिए आत्मा की कैसी स्थिति चाहिए?
उत्तर: चढ़ती कला और उड़ती कला की स्थिति, जो दूसरों को वाइब्रेशन से ऊपर उठा सके।
3. प्रश्न: अटेन्शन कैसे टेन्शन का समाधान बनता है?
उत्तर: जब आत्मा स्वयं जाग्रत होती है, तो उसकी उपस्थिति दूसरों के मन की हलचल को समाप्त कर देती है।
4. प्रश्न: साइलेंस से साइंस को कैसे सहयोग मिलता है?
उत्तर: स्थिर स्थिति से समर्थ आत्मा संपूर्ण विश्व को शांति और शक्ति भेज सकती है – जैसे साइंस एक क्लिक में सबको जोड़ता है।
5. प्रश्न: समर्थ स्थिति का क्या परिणाम होता है?
उत्तर: जब आत्मा स्वयं समर्थ होती है, तो वह एक सत्य तीर्थ बन जाती है – जिससे संपर्क मात्र से सेवा होती है।
6. प्रश्न: यदि आधार आत्माएँ डगमगाएँ तो क्या होगा?
उत्तर: जैसे पुल का स्तंभ हिलता है तो यातायात रुक जाता है, वैसे ही आत्म स्थिति बिगड़े तो विश्व सेवा रुक जाती है।
7. प्रश्न: 18 जनवरी का सच्चा अर्थ क्या है?
उत्तर: यह बाप समान बनने की स्मृति और संकल्प का दिवस है – सम्पूर्ण और समर्थ बनने की प्रेरणा।
8. प्रश्न: विश्व का उद्धार किस पर निर्भर है?
उत्तर: हमारी आत्म स्थिति पर – उड़ती कला, अटेन्शन, समर्थता और फरिश्ता स्वरूप ही सच्चे आधार हैं।
9. प्रश्न: एक मुरली सार मंत्र क्या है जो हमें सदा याद रखना चाहिए?
उत्तर: “स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन सहज सम्भव है।”
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