T.L.P 80 “Brahma Vishnu Shankar reside in subtle world

T.L.P 80″सूक्ष्म वतनवासी ब्रह्मा विष्णु शंकर का अस्तित्व है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आज का विषय है हमारा मंथन के लिए — सूक्ष्म वतन वासी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का अस्तित्व: क्या तीनों हैं या नहीं?
भूमिका: सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का क्या वास्तविक अस्तित्व है?
क्या इनकी आत्माएं ब्रह्मलोक में विद्यमान हैं, जैसे कि आत्माओं के झाड़ के चित्र में दिखाया गया है?
इस विषय पर गहराई से विचार करना आवश्यक है, क्योंकि बाबा ने इस संदर्भ में अनेक बार मार्गदर्शन दिया है।

हम यहां पर देखेंगे कि — हमारे सामने एक चित्र है।
यह हमारा पुराना पहले वाला चित्र है, जो पहले हुआ करता था हमारे टाइम में।
इस चित्र में आप परमधाम के अंदर देख रहे हैं — सबसे ऊपर शिव बाबा, फिर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आत्मा, फिर लक्ष्मी-नारायण की आत्मा, फिर 9 लाख और 33 करोड़ देवी-देवताओं की आत्माएं।
फिर इब्राहिम, बुद्ध, क्राइस्ट, मोहम्मद — सभी धर्म-पिता — फिर उस धर्म को मानने वाली आत्माएं।
क्योंकि उस समय हाथ से चित्र बनाए जाते थे, तो बहुत छोटी बिंदियाँ नहीं बनाई जा सकती थीं।

अब जो नया चित्र बना है, उसमें सबसे ऊपर एक बिंदी — परमपिता परमात्मा — और तीन बिंदियाँ हटा दी गईं।
तीन बिंदियाँ क्यों हटाईं?
क्योंकि बाबा ने कहा — ब्रह्मा, विष्णु, शंकर हैं ही नहीं — ये अवस्थाएँ हैं, आत्मा की अवस्थाएँ।
बाबा ने संकल्प किया, और इन तीनों को संकल्प से बनाया — वे कोई आत्माएं नहीं हैं।
यह चित्र केवल भगत बच्चों की भावना अनुसार समझाने हेतु बनाए गए हैं।

बाबा ने समझाया कि यह एक संकल्प की रचना है — और यह आकृतियाँ भक्ति मार्ग के चित्रों से प्रेरित होकर बनाई गई हैं।
असल में कोई भी आकाश में ब्रह्मा-पुरी, विष्णु-पुरी, या शंकर-पुरी नहीं है।
जब तक हमें ज्ञान नहीं था, तब हम सोचते थे कि सूक्ष्म वतन में ये पुरी होती हैं।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।
सूक्ष्म वतन एक संकल्प की दुनिया है — विज़ुअलाइज़ेशन की दुनिया है — जहां आकृति देखने को मिलती है।

बाबा ने कहा, “तुम वहाँ सुबीरस पीते हो”, पर वास्तव में वहाँ कोई रस, फल, पेड़ नहीं है।
यह केवल संकल्प से दिखाया जाता है, जैसे सपना।
परन्तु बाबा जो साक्षात्कार कराते हैं, वे झूठ नहीं होते।
सूक्ष्म लोक एक माध्यम है — संदेश देने का।
पर इसका स्थाई अस्तित्व नहीं है।

भक्ति मार्ग के बच्चों की भावना अनुसार यह चित्र बनाए गए हैं।
अब दो बिंदियाँ क्यों हैं?
क्योंकि परमपिता परमात्मा ने समझाया — ब्रह्मा, विष्णु, शंकर — एक ही आत्मा की अवस्थाएँ हैं।
प्रजापिता ब्रह्मा इस धरती पर होते हैं, उनका सूक्ष्म शरीर केवल साक्षात्कार हेतु होता है — उसका कोई स्थाई अस्तित्व नहीं है।

हम आत्माएं सूक्ष्म शरीर के माध्यम से सकाश दे सकती हैं, संदेश दे सकती हैं — यह सेवा का माध्यम है।
बाबा ने ध्यान के पार्ट को भी बंद कराया है।

जब ब्रह्मा बाबा चित्र बनवाते थे, तब बाबा ने करेक्शन क्यों नहीं किया?
क्योंकि यह चित्र नए भाई-बहनों को समझाने हेतु उपयोगी हैं।
इसमें करेक्शन की ज़रूरत नहीं है।

त्रिमूर्ति ब्रह्मा में भी ब्रह्मा का नाम ऊँचा क्यों है?
क्योंकि ब्रह्मा के रथ में शिव बाबा आते हैं — विष्णु और शंकर को देवता कहा जाता है।
ब्रह्मा को देवता नहीं — प्रजापिता कहा जाता है।
उनके द्वारा ही ब्राह्मण रचे जाते हैं — साधारण रहन-सहन, परंतु बहुत बड़ी हस्ती।
यही राजयोग की पढ़ाई होती है — पढ़ाने वाले परमपिता परमात्मा हैं।

सूक्ष्म वतन में कुछ भी नहीं होता — यह समझना ज़रूरी है।
लक्ष्मी-नारायण की पूजा होती है — परंतु उनकी जीवन-कहानी नहीं जानी जाती।
वे सूक्ष्म वतन के मालिक नहीं हैं।
बाबा ने कहा — सूक्ष्म वतन में कोई पुरी नहीं है।

लक्ष्मी-नारायण का राज्य पुरी कहलाता है — लेकिन सूक्ष्म वतन में नहीं।
राम-सीता की भी पुरी होती है — पर सूक्ष्म वतन में नहीं।
राधे-कृष्ण का कुछ दिखाया ही नहीं जाता, क्योंकि वे संगम पर होते हैं।
सूक्ष्म वतन केवल संकल्प की दुनिया है — कोई लोक नहीं है जहाँ लोग रहते हों।

अब ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है।
बाबा ने स्पष्ट मुरली में कहा है — तीनों कोई स्वतंत्र आत्मा नहीं हैं।
तीन बिंदियाँ जो थीं — वे केवल समझाने के लिए थीं।

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर — परमात्मा के तीन कर्तव्यों की अभिव्यक्ति हैं:

ब्रह्मा — स्थापना

विष्णु — पालना

शंकर — विनाश

ये तीनों केवल प्रतीक हैं — कोई स्वतंत्र आत्मा नहीं।

बाबा ने कहा — ब्रह्मा ही विष्णु बनते हैं।
शंकर का भी कोई स्वतंत्र पार्ट नहीं है — यह विनाश कर्तव्य का प्रतीक है।

सभी आत्माएं मूल वतन में हैं — और सृष्टि रंगमंच पर अपनी-अपनी भूमिका निभाती हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का कोई विशेष, स्वतंत्र पार्ट नहीं है।

आत्माओं के झाड़ में भी इनको केवल प्रतीकात्मक रूप में दिखाया गया है — यथार्थ में नहीं।
ब्रहमलोक में आत्माएं केवल बिंदु रूप में रहती हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का वहाँ कोई स्थाई अस्तित्व नहीं।

निष्कर्ष —
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई स्वतंत्र आत्मा नहीं।
वे केवल परमात्मा के कार्यों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति हैं।
सूक्ष्म वतन में उनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है — यह केवल समझाने के लिए बाबा ने इमर्ज किया है।
यही सृष्टि के यथार्थ और आध्यात्मिक सत्य को समझने की कुंजी है।

📘 आज का विषय: “सूक्ष्म वतन वासी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का अस्तित्व: क्या तीनों हैं या नहीं?”


1. प्रश्न:क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आत्माएं सूक्ष्म वतन में स्वतंत्र रूप से रहती हैं?

उत्तर:नहीं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई स्वतंत्र आत्माएं नहीं हैं। ये केवल परमात्मा के तीन कार्यों – स्थापना (ब्रह्मा), पालना (विष्णु) और विनाश (शंकर) – की प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियाँ हैं।


2. प्रश्न:आत्माओं के झाड़ के पुराने चित्र में तीन बिंदियाँ (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर) क्यों दिखाई जाती थीं?

उत्तर:पुराने समय में बच्चों की भावना अनुसार ये चित्र बनवाए गए थे ताकि समझाना आसान हो। बाबा ने कहा था कि ये बिंदियाँ कोई आत्माएं नहीं हैं, बल्कि आत्मा की अवस्थाएँ हैं। इसीलिए बाद में इन बिंदियों को हटाकर सिर्फ शिव बाबा की बिंदी दिखाई गई।


3. प्रश्न:तो फिर त्रिमूर्ति चित्रों में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को क्यों दिखाया जाता है?

उत्तर:ये चित्र भक्तों की भावना अनुसार समझाने हेतु बनाए जाते हैं। वास्तव में ये कोई स्थाई साकार आत्माएं या सूक्ष्म शरीर नहीं हैं, बल्कि ये परमात्मा के कार्यों की प्रतीकात्मक चित्रण हैं।


4. प्रश्न:क्या सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई पुरी होती है?

उत्तर:नहीं। बाबा ने स्पष्ट कहा है कि सूक्ष्म वतन कोई भौतिक स्थान नहीं है और वहाँ कोई पुरी नहीं होती। ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी, शंकर पुरी — ये सब केवल भक्ति मार्ग की भावना से बने चित्र हैं।


5. प्रश्न:क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आत्माएं मूलवतन में रहती हैं?

उत्तर:नहीं, क्योंकि उनकी कोई स्वतंत्र आत्मा है ही नहीं। वे कोई विशेष आत्माएं नहीं हैं, केवल कार्यों की अवस्थाएँ हैं। मूलवतन में सभी आत्माएं बिंदु रूप में रहती हैं – न वहाँ कोई शरीर होता है, न कोई आकृति।


6. प्रश्न:तो ब्रह्मा बाबा कौन हैं, और उनका क्या स्थान है?

उत्तर:ब्रह्मा बाबा एक मानव आत्मा हैं, जिनके तन में स्वयं परमात्मा शिव प्रवेश कर इस ज्ञान की स्थापना करते हैं। वे ही भविष्य में विष्णु (लक्ष्मी-नारायण) बनते हैं। त्रिमूर्ति में ब्रह्मा का नाम ऊँचा है क्योंकि शिव बाबा उन्हीं के तन में आते हैं।


7. प्रश्न:सूक्ष्म वतन क्या है – क्या वह एक विशेष स्थान है?

उत्तर:सूक्ष्म वतन कोई भौतिक जगह नहीं है, यह संकल्पों की दुनिया है। वहाँ हम जो विज़ुअलाइज़ करते हैं, वही हमें दिखाई देता है। बाबा ने इसे “सपने जैसी अनुभूति” कहा है – यथार्थ में वह कोई स्थाई स्थान नहीं।


8. प्रश्न:क्या साक्षात्कार में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर दिख सकते हैं?

उत्तर:हाँ, परंतु वह केवल संकल्प रूपी दृश्य होते हैं – जैसे स्वप्न में कोई आकृति दिखाई दे। वे कोई स्थाई आत्माएं नहीं होतीं। बाबा संकल्प से ऐसी अनुभूति कराते हैं जिससे आत्मा को प्रेरणा और अनुभव मिले।


9. प्रश्न:शंकर का क्या रोल है? क्या उनकी कोई आत्मा है?

उत्तर:शंकर का कोई स्वतंत्र रोल या आत्मा नहीं है। शंकर केवल विनाश कर्तव्य का प्रतीक हैं। यह कार्य भी परमात्मा की संकल्प शक्ति से होता है, किसी विशेष आत्मा के द्वारा नहीं।


10. प्रश्न:निष्कर्ष रूप में – क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर हैं या नहीं?

उत्तर:हैं – पर आत्मा नहीं हैं।
वे स्वतंत्र आत्माएं नहीं बल्कि परमात्मा के तीन मुख्य कर्तव्यों – स्थापना, पालना, विनाश – की प्रतीकात्मक अवस्थाएँ हैं।
उनका कोई स्थाई अस्तित्व सूक्ष्म वतन या मूल वतन में नहीं है।


🔚 अंतिम संदेश:
सूक्ष्म वतन की वास्तविकता को समझना आध्यात्मिक गहराई में प्रवेश करना है।
जो समझते हैं कि त्रिमूर्ति की आत्माएं कोई अलग अस्तित्व रखती हैं – वे अभी भी भक्ति की भावना में हैं।
बाबा हमें सच्चे ज्ञान से मुक्त करते हैं – जिससे हम आत्मिक दृष्टिकोण से सृष्टि के हर रहस्य को स्पष्ट रूप से जान सकें।

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