God and His Laws {5} The Encounter of God”

“ईश्वर कौन है? और उनके नियम क्या हैं? | परमात्मा का रूप और प्रकृति | 

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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🎙️ स्पीच प्रारूप

शुरुआत की भूमिका:

नमस्कार और ओम् शांति।

इस खास आध्यात्मिक सीरियल — “ईश्वर और उनके नियम” में आपका स्वागत है।

यह विषय हर एक के मन में उठता है कि
“जो परमात्मा सारे संसार को चलाता है, वह कौन है? और उसके नियम क्या हैं?”

इस सीरियल में हमने अब तक जाना कि:

  • हमें परमात्मा कैसे मिले,

  • कैसे हुआ उनका साक्षात्कार,

  • उन्होंने हमें कौन-सी नई बातें समझाई,

  • और यह भी जाना कि वह एक ही हैं, सर्वोच्च हैं, और सर्वधर्म मान्य हैं।

अब आज हम इस सीरियल के पांचवें पाठ में प्रवेश कर रहे हैं,
जहाँ हम जानेंगे:


🕉️ पाठ 5: परमात्मा की प्रकृति और स्वरूप

आज हम जानेंगे:

  1. परमात्मा का अस्तित्व

  2. परमात्मा का स्वरूप — ज्योति बिंदु

  3. परमात्मा के गुण — गुणों का सागर


🪔 1. परमात्मा का अस्तित्व शाश्वत है

परमात्मा का अस्तित्व
ना कभी शुरू हुआ,
ना कभी खत्म होगा।

वह अजर, अमर, अविनाशी है।
अनादि है और अनंत है।
वह कभी जन्म नहीं लेता, न ही मरता है।
इसलिए उसे कहा जाता है:
“सदा रहने वाला सर्व आत्माओं का पिता।”


2. परमात्मा का स्वरूप — सूक्ष्म ज्योति बिंदु

परमात्मा निराकार है — पर इसका अर्थ यह नहीं कि उनके पास कोई रूप नहीं।

वह स्वयं समझाते हैं:
“मेरा आकार है, परंतु तुम उसे बना नहीं सकते। इसलिए मुझे निराकार कहा जाता है।”

उनका रूप है:
🔴 ज्योति बिंदु — अति सूक्ष्म, अलौकिक, दिव्य प्रकाश का बिंदु।

बिंदु की परिभाषा:
जिसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई नहीं हो — वह है बिंदु।

हम जो बिंदु चित्रों में दिखाते हैं — वह केवल संकेत के लिए है।
परंतु परमात्मा का वास्तविक स्वरूप:
ऐसा सूक्ष्म बिंदु है जिसे हम देख नहीं सकते, ड्रा नहीं कर सकते।

गीता में भी दो बातें स्पष्ट हैं:

  1. परमात्मा ज्योति स्वरूप है।

  2. परमात्मा अथ ज्योति है — इतना तीव्र प्रकाश कि अर्जुन भी कहता है — “मैं देख नहीं सकता।”


🌊 3. परमात्मा गुणों का सागर है

परमात्मा के पास सात मूल गुण हैं —
जो सभी आत्माओं को देते हैं।

प्रकाश जैसे सात रंगों से बनता है,
वैसे ही परमात्मा के सात गुण हैं।

🟡 (1) ज्ञान — पीला रंग

परमात्मा को कहते हैं:
“ज्ञान का सागर।”

हर धर्म, हर पंथ — परमात्मा से ज्ञान माँगता है:
“हे भगवान, हमें सद्बुद्धि दो, ज्ञान दो।”

परमात्मा वही ज्ञान देते हैं जिससे आत्मा अपने स्वरूप को पहचानती है।

🔴 (2) प्रेम — लाल/गुलाबी रंग

हर आत्मा को प्रेम चाहिए।
परमात्मा ही सच्चे प्रेम का स्रोत हैं।
“तू प्रेम का सागर है, तेरी एक बूंद के प्यासे हम।”

⚪ (3) शांति — सफेद रंग

हर आत्मा की अंतिम प्रार्थना होती है:
“हे भगवान, आत्मा को शांति देना।”
परमात्मा ही सच्ची शांति देने वाले हैं।

(बाकी चार गुण — आनंद, पवित्रता, शक्ति, करुणा — अगले पाठ में विस्तार से समझाएंगे।)


🔚 समापन

आज हमने जाना:

  • परमात्मा का शाश्वत अस्तित्व,

  • उनका सूक्ष्म ज्योति स्वरूप,

  • और वह कैसे गुणों का अथाह सागर हैं।

इस ज्ञान को केवल जानने से नहीं — अनुभव करने से आत्मा परिवर्तन को पाती है।

“ईश्वर कौन है? और उनके नियम क्या हैं? | परमात्मा का रूप और प्रकृति | Brahma Kumaris Spiritual Q&A”


Q&A Segmentपाठ 5 आधारित प्रश्नोत्तर


❓1. परमात्मा कौन है?

🟢 उत्तर:
परमात्मा सभी आत्माओं का पिता है — वह एक है, सर्वोच्च है, और सर्वधर्म मान्य है।


❓2. परमात्मा का अस्तित्व कब से है?

🟢 उत्तर:
परमात्मा का अस्तित्व शाश्वत है — वह अनादि, अजर, अमर और अविनाशी है। न कभी जन्म लेते हैं, न मरते हैं।


❓3. क्या परमात्मा का कोई रूप है?

🟢 उत्तर:
हाँ, परमात्मा का स्वरूप है — सूक्ष्म, दिव्य ज्योति बिंदु। वह इतना सूक्ष्म है कि उसे बनाया नहीं जा सकता।


❓4. यदि परमात्मा निराकार है तो ‘बिंदु’ क्यों कहा जाता है?

🟢 उत्तर:
‘बिंदु’ का अर्थ है ऐसा चिन्ह जिसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई नहीं होती। परमात्मा अति सूक्ष्म प्रकाश बिंदु हैं, जिन्हें केवल अनुभव किया जा सकता है।


❓5. क्या गीता में भी परमात्मा को ज्योति रूप कहा गया है?

🟢 उत्तर:
हाँ, गीता में स्पष्ट है कि परमात्मा अथ ज्योति हैं — ऐसा प्रकाश जिसे अर्जुन भी सहन नहीं कर पाया।


❓6. परमात्मा के कौन-कौन से गुण हैं?

🟢 उत्तर:
परमात्मा के सात मूल गुण हैं:
ज्ञान, प्रेम, शांति, आनंद, पवित्रता, शक्ति और करुणा।
(पहले तीन हमने इस पाठ में समझे हैं)


❓7. परमात्मा को “गुणों का सागर” क्यों कहा जाता है?

🟢 उत्तर:
क्योंकि उनमें हर गुण की असीम गहराई है — जैसे ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर, शांति का सागर आदि।


❓8. हमें यह ज्ञान क्यों जानना चाहिए?

🟢 उत्तर:
यह ज्ञान आत्मा को अपने मूल स्वरूप, परमात्मा से संबंध और जीवन के सही उद्देश्य को पहचानने में मदद करता है।


🙏 समापन वाक्य:

“ईश्वर को जानना, केवल जानने का विषय नहीं — अनुभव का विषय है। और यही अनुभव आत्मा को परिवर्तन की ओर ले जाता है।”

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