(27) कैसे देवता बने साधारण मानव
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
कैसे देवता बने साधारण मानव? | जब देवता गिरे – आत्मा के पतन और पुनरुद्धार की महान कथा
“कैसे देवता बने साधारण मानव?”
(एक चक्रीय समय की गाथा – आत्मा के दिव्यता से पतन और पुनः उठान की अविस्मरणीय यात्रा)
समय एक चक्र है, रेखा नहीं
हमने समय को हमेशा एक सीधी रेखा समझा – शुरुआत से अंत तक।
लेकिन वास्तविकता में समय एक चक्र है – जिसमें हर युग की पुनरावृत्ति होती है।
यह आत्मा की कहानी है – जब वह देवता से साधारण मानव बनी।
चलिए, इस महान नाटक की यात्रा पर चलते हैं।
1. एक विशाल लेकिन एकजुट साम्राज्य
स्वर्ण और रजत युग में पृथ्वी पर एक दिव्य साम्राज्य था –
जहाँ न युद्ध था, न रोग, न दुख।
-
हर आत्मा पवित्र थी।
-
जीवन 150 वर्ष का होता और सहज मोक्ष प्राप्त होता।
-
एक सम्राट – अनेक राज्य, परंतु पूर्ण एकता।
लेकिन समय के साथ, आत्मा की पवित्रता घटने लगी।
2. पतन की शुरुआत – जब आत्मा खुद को भूल गई
आत्मा अब यह भूल जाती है कि वह अमर, पवित्र, शांत स्वरूप है।
-
शरीर को ही ‘मैं’ समझने लगती है।
-
पाँच विकार प्रवेश करते हैं – काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।
-
देवता, अब साधारण मानव बन जाते हैं।
-
प्राकृतिक आपदाएँ उस दिव्य सभ्यता को नष्ट कर देती हैं।
3. आत्मा की पुकार – फिर से ईश्वर की खोज
अब आत्मा के भीतर से पुकार उठती है –
“हम कौन हैं? कहाँ से आए?”
-
मंदिर बनाए जाते हैं।
-
देवताओं की पूजा शुरू होती है – लक्ष्मी-नारायण, राम-सीता।
-
लेकिन वे भूल जाते हैं कि ये देवता स्वयं वे ही थे!
निराकार ईश्वर को समझना कठिन हो गया, इसलिए मूर्तियों की पूजा आरंभ हुई।
4. ताम्र युग – जब भारत भी पतन की ओर बढ़ा
अब भारत – जो कभी “सोने की चिड़िया” था –
उसके पास धन है, पर ज्ञान नहीं।
-
बाहरी आक्रमण होते हैं।
-
रीति-रिवाज कठोर होते हैं।
-
सत्य ज्ञान विलुप्त हो जाता है।
-
सन्यास, ध्यान, योग की बातें तो होती हैं, परंतु परमात्मा की पहचान नहीं रहती।
5. अब विश्व के दूसरे भागों की बारी है
अब्राहम आते हैं – वह भारत के देवताओं की पूजा देखकर समझते हैं कि
“एक निराकार परमात्मा होना चाहिए।”
-
मक्का में शिवलिंग की स्थापना।
-
फिर मोहम्मद साहब आते हैं।
-
इस्लाम और यहूदी धर्म की शुरुआत होती है।
मिस्र: सूर्य देवता के रूप में फिरौन – आत्मा और परमात्मा की छाया।
यूनान: प्लेटो और अरस्तु – आत्मा की पवित्रता पर विचार।
6. यीशु मसीह का अवतरण
ईसा मसीह आते हैं – वे कहते हैं:
“पुनर्जन्म होगा, स्वर्ग आएगा, परमात्मा आएगा।”
लेकिन वे परमात्मा को मनुष्य मान लेते हैं –
जो वही पुरानी गलती थी, जो भारत ने देवताओं के साथ की थी।
7. धर्म बन गए सत्ता के उपकरण
अब सभी धर्मों में राजनीति, युद्ध, और वर्चस्व की लड़ाई होती है।
-
धर्म के नाम पर विभाजन।
-
जबरदस्ती परिवर्तन।
-
हिंसा और लूट।
अब आत्मा थक चुकी है।
अब संसार अंधकार में है – कोई मार्ग नहीं।
8. अब फिर से ईश्वर का समय है
अब स्वयं निराकार परमात्मा शिव धरती पर आते हैं।
-
वह हमें आत्मा की पहचान कराते हैं।
-
फिर से पवित्रता, ज्ञान और शक्ति देते हैं।
-
हम फिर से वही देवता बनते हैं –
और स्वर्ण युग का आरंभ होता है।
Q1: क्या समय रेखा की तरह चलता है?
A1: नहीं, समय एक रेखा नहीं बल्कि एक चक्र है। जैसे दिन और रात बार-बार आते हैं, वैसे ही युग भी दोहराते हैं — सत्ययुग से कलियुग और फिर से सत्ययुग।
Q2: स्वर्ण और रजत युग में जीवन कैसा था?
A2: वहाँ एक विशाल परंतु एकजुट साम्राज्य था — बिना युद्ध, बीमारी या दुख के। लोग पवित्र, दिव्य और सुखी थे। यह वह समय था जब आत्मा पूर्ण अवस्था में थी।
Q3: पतन की शुरुआत कैसे हुई?
A3: जैसे-जैसे युग आगे बढ़ा, आत्मा की स्मृति क्षीण होने लगी। आत्मा ने स्वयं को शरीर समझना शुरू किया, और विकारों — काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार — का प्रवेश हुआ।
Q4: क्या आत्मा ने खुद को पहचानना बंद कर दिया था?
A4: हाँ, आत्मा अपनी दिव्यता, अमरता और शक्ति को भूल गई। शरीर ही पहचान बन गया, और देवता साधारण मानव बन गए।
Q5: फिर आत्मा को ईश्वर की याद कैसे आई?
A5: जब दुख चरम पर पहुँचा, तब आत्मा ने तपस्या शुरू की – “हे प्रभु! हमें फिर से मार्ग दिखाओ।” यह पुकार परमात्मा को निमंत्रण बन गई।
Q6: फिर लोग किन्हें भगवान मानने लगे?
A6: निराकार परमात्मा को याद करना कठिन था, इसलिए लोग पूर्वज देवताओं — लक्ष्मी-नारायण, राम-सीता — की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे भूल गए कि वे स्वयं ही कभी देवता थे।
Q7: भारत का पतन कब शुरू हुआ?
A7: ताम्र युग में, जब धन तो बचा लेकिन ज्ञान लुप्त हो गया। विदेशी आक्रमणों और सामाजिक कड़ाई ने भारत को और नीचे गिरा दिया।
Q8: क्या भारत के बाद अन्य सभ्यताएँ उभरीं?
A8: हाँ, अब महाद्वीप अलग होने लगे — अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप में नए धर्म और विचार सामने आए।
Q9: क्या अब्राहम और मोहम्मद ने भी एक ही परमात्मा को माना?
A9: हाँ, उन्होंने एक निराकार परमपिता को पूजा — शिव, जिसकी याद में मक्का में शिवलिंग रूपी काले पत्थर की स्थापना भी हुई।
Q10: मिस्र, यूनान और ईसाई धर्म में क्या समानता है?
A10: इन सभी ने किसी न किसी रूप में आत्मा, ईश्वर और पुनर्जन्म की बात की। लेकिन धीरे-धीरे ईश्वर की पहचान विकृत होती गई।
Q11: धर्म का पतन कैसे हुआ?
A11: जब धर्म सत्ता का उपकरण बन गया, तब उसमें हिंसा, राजनीति और लालच का प्रवेश हुआ। अब धर्म आत्मा की मुक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि नियंत्रण का साधन बन गया।
Q12: अब क्या फिर से ईश्वर आ रहे हैं?
A12: हाँ, अब जबकि दुनिया अंधकार में है, वही परमात्मा — शिव — फिर से ज्ञान की रोशनी लेकर आ रहे हैं, ताकि आत्मा पुनः देवता बन सके।
समापन प्रश्न:
क्या हम सब फिर से देवता बन सकते हैं?
हाँ! आत्मा को अपनी पहचान और परमात्मा से संबंध याद आ जाए, तो वही पतित आत्मा फिर से पावन देवता बन सकती है। यही इस युग की सबसे महान कहानी है।
आत्मिक ज्ञान, ब्रह्मा कुमारी ज्ञान, शिव बाबा का ज्ञान, कैसे देवता बने साधारण मानव, आत्मा और परमात्मा, आत्मा का पतन और पुनरुद्धार, स्वर्ण युग का इतिहास, देवताओं का पतन, परमात्मा शिव, भारत का वैभवशाली अतीत, धर्मों का उदय, अब्राहम और इस्लाम की शुरुआत, ईसा मसीह का आगमन, मिस्र और यूनान का ज्ञान, ब्रह्माकुमारी मुरली ज्ञान, कलियुग से सतयुग की यात्रा, आत्मा का पुनर्जन्म, पवित्रता की शक्ति, ईश्वर की सच्ची पहचान, मंदिरों की उत्पत्ति, आत्मिक जागृति, विश्व परिवर्तन का समय, सतयुग की स्थापना, शिव बाबा का अवतरण, आध्यात्मिक क्रांति,
Spiritual knowledge, Brahma Kumari knowledge, Shiv Baba’s knowledge, How ordinary humans became gods, Soul and God, Fall and revival of soul, History of Golden Age, Fall of Gods, God Shiva, India’s glorious past, Rise of religions, Beginning of Abraham and Islam, Arrival of Jesus Christ, Knowledge of Egypt and Greece, Brahma Kumari Murli knowledge, Journey from Kaliyug to Satyug, Rebirth of soul, Power of purity, True identity of God, Origin of temples, Spiritual awakening, Time of world transformation, Establishment of Satyug, Incarnation of Shiv Baba, Spiritual revolution,