(45) The secret of the second Brahma

(45)दूसरे ब्रह्मा का रहस्य

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“दूसरे ब्रह्मा का रहस्य: समाधि, अव्यक्त रहस्योद्घाटन और योग अग्नि की शक्ति”


भूमिका: एक दिव्य रहस्य की ओर यात्रा

आज मैं आपके साथ एक ऐसा रहस्य साझा करना चाहता हूँ, जो सिर्फ़ किताबों से नहीं, बल्कि योग, मौन, और समाधि के अनुभव से प्रकट हुआ – दूसरे ब्रह्मा का रहस्य।

यह कथा उस शक्ति की है, जो भौतिकता से परे जाकर हमें देवदूत अवस्था की ओर ले जाती है।


समाधि: पवित्रता नहीं, एक दिव्य साधन

  • समाधि का अर्थ मुक्ति या पापों की समाप्ति नहीं है।

  • यह न तो योग की गहराई का माप है, न ही ईश्वर से नजदीकी का प्रमाण।

  • वर्तमान समय के वरिष्ठ ब्राह्मण आत्माएं भी समाधि में नहीं जातीं – फिर भी श्रेष्ठ हैं।

  • फिर भी, शिव बाबा कुछ दिव्य रहस्यों को समाधि दूतों के माध्यम से प्रकट करते हैं।


दादी हृदय मोहिनी: समाधि की साक्षात् यात्रा

मौन सप्ताह – महायज्ञ का प्रारंभ

  • बाबा ने आदेश दिया: “एक सप्ताह का संपूर्ण मौन”

  • 300 साधक: बोलना बंद, खाना केवल फल, विचारों का भी मौन

  • सुबह 3 बजे से रात 10:30 तक – केवल योग

  • यह बनी एक जीवित भट्ठी, जहां आत्माएं पिघलने लगीं


योग अग्नि: भट्ठी में तप कर देवदूत बनने की प्रक्रिया

  • इस अग्नि में पुराने संस्कार जलने लगे

  • देह-अभिमान गल गया

  • आत्माएं शरीर से परे, हल्की और मौन की शक्ति से भरपूर हो गईं

  • मुरली से दिनभर स्मृति का अभ्यास – सच्चा योग यज्ञ


पहला दर्शन: ब्रह्मा बाबा का दिव्य रूप

  • दादी को दिव्य दर्शन हुआ – ब्रह्मा बाबा तेजस्वी रूप में सूक्ष्म जगत में

  • वे चकित हुईं – बाबा दोनों रूपों में एकसाथ कैसे?

प्रश्न उठा: “दूसरे ब्रह्मा कौन हैं?”

  • दादी ने माँ से पूछा – उत्तर नहीं मिला

  • पिताश्री से पूछा – उन्होंने कहा: “अगली बार पूछना – वो कौन हैं”


सात दिवसीय समाधि: रहस्योद्घाटन

  • लगातार सात दिन समाधि

  • जब वही दिव्य ब्रह्मा प्रकट हुए, तो दादी ने पूछा:

“आप कौन हैं?”

 उत्तर:

“मैं अव्यक्त ब्रह्म हूँ – वही ब्रह्मा बाबा का पूर्ण, परिपूर्ण, देवदूत रूप”

इसके बाद दादी को सूक्ष्मलोक के कई दिव्य दर्शन प्राप्त हुए


सूक्ष्मलोक की शिक्षा और सतयुग का दर्शन

  • सूक्ष्म लोक का विज्ञान

  • शुद्ध विचारों से सृष्टि की रचना

  • स्वर्ण युग की झलक:

    • भाषा, पहनावे, दरबार, रीति-नीति

    • पवित्रता और आनंद का संसार


“दूसरा ब्रह्मा” कौन है?

  • यही दिव्य ब्रह्म, ब्रह्मा बाबा का अव्यक्त, सम्पूर्ण रूप है

  • उनके माध्यम से ही शिव बाबा ने आगे का ज्ञान प्रकट किया

  • इस रूप से बच्चों को नए नाम, नए ज्ञान, और नई भूमिका मिली


हमारे लिए इसका क्या अर्थ है?

  • यह केवल कहानी नहीं – एक प्रेरणा है

  • ब्रह्मा बाबा भी साधना करके देवदूत बने

  • हमें भी:

    • शरीर से परे जाना है

    • अहंकार से मुक्त होना है

    • योग की अग्नि को अपनाना है

    • दर्शन बनना है – केवल दर्शन लेना नहीं


प्रश्न 1: समाधि वास्तव में क्या है? क्या यह पवित्रता या मुक्ति का संकेत है?

उत्तर:समाधि न तो ईश्वर से निकटता का प्रमाण है, न ही यह पापों को जलाती है। यह एक दिव्य साधन है जिसके माध्यम से शिव बाबा कुछ आत्माओं को रहस्यमय अनुभव करवाते हैं। पवित्रता और मुक्ति योग अग्नि और आत्म-परिवर्तन से प्राप्त होती है, न कि केवल समाधि से।


प्रश्न 2: अगर समाधि मुक्ति का माध्यम नहीं है, तो शिव बाबा इसका प्रयोग क्यों करते हैं?

उत्तर:शिव बाबा समाधि का उपयोग उन आत्माओं के माध्यम से गहरे आध्यात्मिक सत्य प्रकट करने के लिए करते हैं जिन्हें शब्दों में समझाना कठिन होता है। यह एक माध्यम है जिससे दैवी रहस्योद्घाटन होता है — जैसे कि ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म रूप, सतयुग के दर्शन, या यज्ञ की आत्माओं के संस्कार।


प्रश्न 3: दूसरा ब्रह्मा कौन है?

उत्तर:‘दूसरा ब्रह्मा’ वास्तव में ब्रह्मा बाबा का ही सूक्ष्म, पूर्ण और दिव्य रूप है, जिसे अव्यक्त ब्रह्म कहा गया। यह वही आत्मा है, परंतु उच्च अवस्था में। यही रूप सतोगुणी सृष्टि की रचना और शिक्षण का कार्य करता है।


प्रश्न 4: दादी हृदय मोहिनी को ‘दूसरे ब्रह्मा’ के दर्शन कैसे हुए?

उत्तर:एक सप्ताह के गहन मौन और योग तपस्या के दौरान दादी हृदय मोहिनी समाधि में चली गईं और सात दिनों तक सूक्ष्म लोक में रहीं। वहाँ उन्होंने एक दिव्य पुरुष को देखा, जो तेजस्वी, शांत और दिव्य था। बाद में उन्होंने स्पष्ट किया — “मैं अव्यक्त ब्रह्म हूँ” — वही ब्रह्मा बाबा का परिपूर्ण रूप।


प्रश्न 5: समाधि और योग अग्नि का क्या संबंध है?

उत्तर:समाधि एक अनुभव है, जबकि योग अग्नि आत्मा को शुद्ध करने की प्रक्रिया है। दादी का अनुभव बताता है कि गहन योग, मौन और स्मृति के बल से देह-अभिमान पिघलता है और आत्मा देवता-सदृश बनती है। समाधि तब होती है जब आत्मा इस योग अग्नि में परिपक्व हो जाती है।


प्रश्न 6: अव्यक्त ब्रह्मा से दादी को क्या शिक्षाएँ मिलीं?

उत्तर:अव्यक्त ब्रह्मा ने दादी को सूक्ष्म लोक की रचना, ब्रह्मांड की संरचना, शिव बाबा का निराकार स्वरूप, सतयुग की भाषा, पोशाकें और रीति-नीति की झलकियाँ दीं — जो दर्शाती हैं कि यह भविष्य की सत्य दुनिया कितनी दिव्य होगी।


प्रश्न 7: यह रहस्योद्घाटन आज की साधारण आत्माओं के लिए क्या संदेश देता है?

उत्तर:यह हमें प्रेरणा देता है कि केवल दर्शन की प्रतीक्षा न करें — हम खुद दर्शन बनें। अपने योग, मौन और जीवन की पवित्रता से दूसरों के लिए प्रेरणा बनें। ब्रह्मा बाबा ने जैसे स्वयं को देवता बनाया, वैसे ही हमें भी अपने संकल्पों से अपने भविष्य को गढ़ना है।


प्रश्न 8: क्या हमें भी दूसरा ब्रह्मा बनना है?

उत्तर:हां, लेकिन ‘दूसरा ब्रह्मा’ कोई विशेष शरीर नहीं, बल्कि एक अवस्था है — जब आत्मा पूरी तरह देह से परे, पवित्र, परमात्मा की आज्ञाओं के अनुसार चलनेवाली बन जाती है। यह हर बच्चे का अंतिम लक्ष्य है — ब्रह्मा समान बनना।


प्रश्न 9: समाधि के बिना हम इन रहस्यों को कैसे जान सकते हैं?

उत्तर:योग, पढ़ाई, और बाबासे प्रेम द्वारा। ब्रह्मा बाबा ने खुद कहा है — “जो गहराई से पढ़ते हैं, वही गहराई से अनुभव करते हैं।” समाधि एक साधन है, लेकिन हमारा मुख्य साधन राजयोग, मुरली और सेवा है।


प्रश्न 10: इस रहस्य को सुनकर हमें क्या संकल्प लेना चाहिए?

उत्तर:हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम भी अपने जीवन में इतना मौन, पवित्रता और योग की अग्नि भरें कि हमारा हर कर्म, हर संकल्प, और हर संबंध — एक दिव्य संदेश बन जाए। हमें दर्शन देखने नहीं, दर्शन बनने की आवश्यकता है।


ओम शांति हम सभी इस रहस्य की गहराई से प्रेरणा लेकर, ब्रह्मा समान बनकर, अपने चरित्र और योग से विश्व सेवा करें।

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