आत्मा-पदम (13)जड़-जंगम और चेतन प्रकृतियों के गुण-धर्म क्या है और तीनों में अंतर क्या है?
A-P 13″What are the qualities of inanimate, mobile and conscious natures and what is the difference between the three?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
जड़, जंगम और चेतन: तीन प्रकार की प्रकृति के गुण और धर्म
परिचय
सृष्टि के प्रत्येक तत्व और जीव के अपने-अपने गुण, धर्म और विशेषताएँ होती हैं। यह तत्व तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: जड़, जंगम, और चेतन। प्रत्येक श्रेणी का अपना महत्व और कार्य है। इस अध्याय में हम इन तीनों प्रकृतियों के गुण, धर्म और अंतर को विस्तार से समझेंगे।
1. जड़ प्रकृति के गुण और धर्म
जड़ वस्तुएं वे हैं जो स्थूल होती हैं और जिनमें महसूस करने या अनुभव करने की शक्ति का अभाव होता है।
जड़ की विशेषताएँ
- अनुभूति का अभाव: पत्थर, मिट्टी, लकड़ी, चेयर जैसी वस्तुओं में किसी प्रकार की फीलिंग या संवेदनशीलता नहीं होती।
- स्व-विकास की शक्ति का अभाव: जड़ वस्तुएं स्वयं अपनी वृद्धि या विकास नहीं कर सकतीं। जैसे पानी जम सकता है या स्टीम बन सकता है, लेकिन यह बदलाव बाहरी संपर्क के कारण होता है।
- आकर्षण शक्ति: जड़ वस्तुओं में एक प्राकृतिक आकर्षण शक्ति होती है। उदाहरण के लिए, रेत और धातुओं के कण अपने जैसे तत्वों को आकर्षित करते हैं।
परिवर्तन और स्थायित्व
जड़ वस्तुएं बाहरी परिस्थितियों के कारण बदल सकती हैं। उदाहरण:
- पानी स्टीम बन सकता है या जम सकता है।
- धातु पर जंग लग सकता है।
लेकिन यह परिवर्तन अस्थायी होता है, और जड़ वस्तुएं अपने मूल रूप में लौट सकती हैं।
2. जंगम प्रकृति के गुण और धर्म
जंगम प्रकृति का अर्थ है वह जो गति कर सके। इसका उदाहरण बीज और पेड़-पौधे हैं।
जंगम की विशेषताएँ
- गति और जीवन शक्ति: जंगम प्रकृति गतिशील होती है। बीज अंकुरित होकर पेड़ बनता है और जीवन चक्र को आगे बढ़ाता है।
- संतान उत्पत्ति: जंगम प्रकृति में बीज का महत्व है, जो अनुकूल वातावरण में फलता-फूलता है।
- चेतन और अचेतन का अंतर: पेड़-पौधे अचेतन होते हैं, क्योंकि उनमें आत्मा नहीं होती। जबकि चेतन प्राणी आत्मा के कारण अनुभव और संवेदनशीलता रखते हैं।”परमात्मा को ही नॉलेजफुल बीजरूप कहा जाता है, उनको सत्-चित्-आनन्द का सागर क्यों कहा जाता है? झाड़ का बीज है, उनको भी झाड़ का मालूम तो है ना परन्तु वह है जड़ बीज। उसमें आत्मा जैसे जड़ है, मनुष्य में है चैतन्य आत्मा। चेतन्य आत्मा को ज्ञान का सागर भी कहा जाता है। झाड़ भी छोटे से बड़े होते हैं, तो जरूर उनमें आत्मा है परन्तु बोल नहीं सकती। परमात्मा की महिमा है ज्ञान का सागर।”सा. बाबा 6.8.04 रिवा
3. चेतन प्रकृति के गुण और धर्म
चेतन प्रकृति वह है, जिसमें आत्मा का वास होता है। चेतना आत्मा का प्रमुख गुण है, जो प्राणी को अनुभव और संवेदनशीलता प्रदान करती है।
आत्मा का शरीर में प्रवेश
- आत्मा शरीर का निर्माण करती है।
- शरीर आत्मा के प्रभाव से विकसित होता है।
- चेतना आत्मा से उत्पन्न होती है और अनुभव शक्ति को जन्म देती है।
आत्मा के गुण और धर्म
- आत्मा का रूप: आत्मा ज्योति बिंदु स्वरूप है, सूक्ष्म और अति सूक्ष्म।
- शक्तियाँ: आत्मा के तीन मुख्य गुण होते हैं – मन, बुद्धि, और संस्कार।
- धर्म और गुण: आत्मा का धर्म पवित्रता और सत्वगुण है। आत्मा के संस्कार उसके कर्म और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
4. आत्मा और प्रकृति का संबंध
आत्मा और प्रकृति के बीच गहरा संबंध है। आत्मा के संस्कार और वाइब्रेशन प्रकृति के स्वरूप को प्रभावित करते हैं।
प्रकृति का पावनकरण
- प्रकृति हमारे विचार और वाइब्रेशन से सतोप्रधान बनती है।
- आत्मा के योग और तपस्या के माध्यम से प्रकृति और जीव-जंतु पवित्र बनाए जा सकते हैं।
पशु-पक्षियों और जीवों का पुनर्जन्म
- पशु-पक्षी भी आत्मा के अधीन होते हैं।
- उनके साथ किए गए हमारे कर्म, हमारे और उनके कार्मिक अकाउंट को निर्धारित करते हैं।
- सतोप्रधान व्यवहार के माध्यम से हम उनके संस्कारों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
5. चेतन और अनुभव शक्ति का महत्व
जहां चेतना है, वहां अनुभव, प्रेम, भय और राग-द्वेष जैसे भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
- अद्वितीयता: हर आत्मा अपनी पहचान और संस्कारों में अद्वितीय है।
- संस्कारों का प्रभाव: आत्मा अपने संस्कारों और कर्मों के साथ सतत चलती रहती है।
निष्कर्ष
जड़, जंगम, और चेतन प्रकृति के गुण, धर्म और उनका आपसी संबंध सृष्टि को संतुलित और जीवंत बनाते हैं। चेतन आत्मा की पवित्रता और योग शक्ति से न केवल मनुष्य, बल्कि प्रकृति और पशु-पक्षी भी सतोप्रधान बन सकते हैं। इस प्रकार, हमारा कर्तव्य है कि हम अपने विचार, व्यवहार और योग के माध्यम से स्वयं और सृष्टि को पवित्र बनाएं।
हमारे सामने कौन बनेगा पदमा पदम पति में जड़, जंगम और चेतन प्रकृति के गुण और धर्म क्या हैं और तीनों में अंतर क्या है
Main Headings:
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प्राकृतिक गुण और धर्म: जड़, जंगम, और चेतन
- जड़ वस्तु की विशेषताएँ
- जड़ वस्तुओं में अनुभव और वृद्धि की शक्ति का अभाव
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जड़ वस्तुओं के गुण: स्थायित्व और परिवर्तन
- रेत, पानी और अन्य तत्वों का गुण
- मैग्नेटिक पावर और आकर्षण शक्ति
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जंगम प्रकृति की विशेषताएँ
- जंगम का अर्थ और गति
- बीज, अंकुरण और संतान उत्पत्ति
- चेतन और अचेतन का अंतर
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चेतन प्रकृति की विशेषताएँ
- आत्मा का शरीर में प्रवेश और चेतनता
- चेतन और अनुभव शक्ति की मौजूदगी
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आत्मा के गुण और धर्म
- आत्मा का रूप और धर्म
- आत्मा के गुण: मन, बुद्धि और संस्कार
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प्राकृतिक और जीवों का कार्मिक संबंध
- कर्म और व्यवहार के प्रभाव
- सतो प्रधान, रजो प्रधान, और तमो प्रधान का अंतर
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प्रकृति का पावनकरण और सतो प्रधान जीवन
- प्रकृति को सतो प्रधान बनाने का तरीका
- आत्मा और प्रकृति के संस्कारों का प्रभाव
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पशु-पक्षियों और जीवों की आत्माएँ
- जीव-जंतु और पशु-पक्षी की आत्मा का विकास
- कार्मिक अकाउंट और आत्मा का पुनर्जन्म
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आत्मा की अद्वितीयता और विशिष्टता
- आत्मा की अद्वितीयता का अर्थ
- एक जैसी आत्माएँ नहीं होतीं
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प्रकृति और आत्मा का सम्बंध
- आत्मा का उद्देश्य और उसका जीवन यात्रा
- चेतन और अचेतन के मध्य का अंत
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Questions and Answers:
1. जड़ वस्तु की विशेषताएँ क्या हैं?
Q: जड़ वस्तुओं की क्या विशेषताएँ होती हैं?
A: जड़ वस्तुएं स्थूल और अनुभवहीन होती हैं। इनमें कोई वृद्धि या अनुभव की शक्ति नहीं होती, जैसे पत्थर, मिट्टी और लकड़ी। ये केवल अपने रूप में रहते हैं, इनका परिवर्तन बाहरी प्रभाव से होता है।2. जड़ वस्तुओं के गुण क्या होते हैं?
Q: जड़ वस्तुओं के गुण क्या होते हैं?
A: जड़ वस्तुएं स्थिर होती हैं और इनका रूप बाहरी संपर्क से बदल सकता है, जैसे रेत के टीले बनना या पानी का जमना। इनकी कोई आत्मिक शक्ति नहीं होती।3. जंगम प्रकृति की विशेषताएँ क्या हैं?
Q: जंगम का अर्थ और उसकी विशेषताएँ क्या हैं?
A: जंगम का अर्थ है वह जो गति करता है। इसमें बीज की शक्ति होती है जो अनुकूल वातावरण में अंकुरित होकर बढ़ता और विकसित होता है। इसमें गति और परिवर्तन होता है।4. चेतन और अचेतन में अंतर क्या है?
Q: चेतन और अचेतन में क्या अंतर है?
A: चेतन में आत्मा होती है, जिससे अनुभव और चेतना का विकास होता है। अचेतन में आत्मा नहीं होती, जैसे पेड़-पौधे, जिनमें अनुभव की शक्ति नहीं होती।5. चेतन प्रकृति की विशेषताएँ क्या हैं?
Q: चेतन प्रकृति की विशेषताएँ क्या होती हैं?
A: चेतन प्रकृति में आत्मा का प्रवेश होता है और यह चेतना का अनुभव करती है। इसमें शरीर का निर्माण और अनुभव शक्ति होती है, जैसे मनुष्य और जीवों में।6. आत्मा के गुण और धर्म क्या होते हैं?
Q: आत्मा के गुण और धर्म क्या होते हैं?
A: आत्मा के गुण होते हैं मन, बुद्धि, और संस्कार। उसका धर्म अपने स्वरूप, देश, काल, और गुणों के अनुसार होता है।7. सतो प्रधान, रजो प्रधान, और तमो प्रधान में क्या अंतर है?
Q: सतो प्रधान, रजो प्रधान और तमो प्रधान में क्या अंतर है?
A: सतो प्रधान का अर्थ है शुद्धता और ज्ञान, रजो प्रधान का अर्थ है अधीरता और गतिविधि, और तमो प्रधान का अर्थ है अज्ञान और अंधकार।8. प्रकृति को सतो प्रधान बनाने का तरीका क्या है?
Q: प्रकृति को सतो प्रधान कैसे बनाया जा सकता है?
A: जब हम सकारात्मक और शुद्ध विचारों के साथ प्रकृति के तत्वों के साथ संपर्क करेंगे, तो प्रकृति सतो प्रधान बन जाएगी। हमारे अच्छे संकल्प और क्रियाएँ प्रकृति को प्रभावित करती हैं।9. पशु-पक्षियों की आत्माएँ कैसे विकसित होती हैं?
Q: पशु-पक्षियों और जीवों की आत्माएँ कैसे विकसित होती हैं?
A: पशु और पक्षियों की आत्माएँ भी जीवित होती हैं, लेकिन वे हमें केवल शारीरिक और मानसिक विकास के रूप में अनुभव कराती हैं। उनका पुनर्जन्म और विकास भी अन्य आत्माओं की तरह होता है।10. आत्मा की अद्वितीयता का क्या अर्थ है?
Q: आत्मा की अद्वितीयता का क्या मतलब है?
A: आत्मा अद्वितीय होती है, अर्थात् कोई भी दो आत्माएँ एक जैसी नहीं होतीं। प्रत्येक आत्मा का अपना विशेष रूप, संस्कार, और यात्रा होती है।11. प्रकृति और आत्मा के बीच संबंध क्या है?
Q: प्रकृति और आत्मा का क्या संबंध है?
A: प्रकृति और आत्मा का संबंध है कि आत्मा अपने कर्मों और संस्कारों के माध्यम से प्रकृति को प्रभावित करती है। जैसे-जैसे आत्मा पवित्र होती है, वैसे-वैसे प्रकृति भी शुद्ध होती जाती है।12. चेतन और अचेतन के बीच का अंतर क्या है?
Q: चेतन और अचेतन के बीच का अंतर क्या है?
A: चेतन में आत्मा और अनुभव शक्ति होती है, जबकि अचेतन में आत्मा नहीं होती, और उसमें कोई चेतना या अनुभव नहीं होता, जैसे पेड़-पौधे।जड़, जंगम, चेतन, प्रकृति के गुण, जड़ वस्तु की विशेषताएँ, अनुभव और वृद्धि, स्थायित्व, परिवर्तन, रेत, पानी, मैग्नेटिक पावर, आकर्षण शक्ति, जंगम का अर्थ, गति, बीज, अंकुरण, संतान उत्पत्ति, चेतन और अचेतन का अंतर, आत्मा, शरीर में प्रवेश, चेतनता, अनुभव शक्ति, आत्मा के गुण, मन, बुद्धि, संस्कार, प्राकृतिक और जीवों का कार्मिक संबंध, कर्म और व्यवहार, सतो प्रधान, रजो प्रधान, तमो प्रधान, प्रकृति का पावनकरण, सतो प्रधान जीवन, आत्मा और प्रकृति के संस्कार, पशु-पक्षी की आत्माएँ, जीव-जंतु, आत्मा का पुनर्जन्म, आत्मा की अद्वितीयता, प्रकृति और आत्मा का संबंध, आत्मा का उद्देश्य, जीवन यात्रा
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