Abstinence in Brahma Kumaris: The secret to a divine life

ब्रह्मा कुमारीज में परहेज: एक दिव्य जीवन का राज

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“ब्रह्मा कुमारीज़ में परहेज का रहस्य – आत्मा की शुद्धता का राज़ | Murli ज्ञान पर आधारित गहन चर्चा”


ओम शांति

“आज की मुरली में बाबा ने स्पष्ट किया — ब्रह्मा कुमारीज़ जीवन में परहेज किसलिए और किस बात का करना है।”


 1. परहेज का वास्तविक अर्थ – दिव्यता की दिशा में पहला कदम

  • परहेज का मतलब केवल खाना-पीना नहीं है।

  • यह आत्मा की शुद्धता, पवित्रता और श्रेष्ठ संकल्पों की रक्षा करने का माध्यम है।

  • शरीर से नहीं, आत्मा से संबंध जोड़ो।

  • बाबा बार-बार कहते हैं — बच्चे, फूल बनो, कांटे नहीं।


 2. आहार में परहेज – “जो खाए अन्न, वैसा बने मन”

क्या नहीं खाना है?

  • प्याज, लहसुन

  • मांस, अंडा

  • शराब, चाय, कॉफी

क्यों?

  • यह पदार्थ आत्मा की तरंगों को भारी बनाते हैं।

  • उत्तेजक पदार्थ विकारों को बढ़ाते हैं।

व्यक्तिगत अनुभव:

  • माउंट आबू में सेवा करते समय चाय छोड़ी — तुरंत लाभ मिला।

  • नाइट ड्यूटी के दौरान चाय की आदत बनी थी।

  • एक संकल्प से एलर्जी समाप्त — संकल्प शक्ति की महिमा।


 3. वाणी में परहेज – शब्दों की पवित्रता ही आत्मा की सुंदरता

क्या छोड़ना है?

  • झूठ, निंदा, गपशप

  • शिकायत, ताने कसना

क्यों?

  • जो हम देंगे, वही हमें मिलेगा।

  • शब्द आत्मा की स्थिति को प्रकट करते हैं।

  • मीठी वाणी से दुसरे भी परिवर्तन हो जाते हैं।

 बाबा की मुरली (21 जुलाई 2021):
“मीठे बच्चे, वाणी फूल जैसी होनी चाहिए।”


 4. संपर्क संबंध में परहेज – मोह का त्याग, रूहानी प्यार की शुरुआत

परहेज किसका?

  • देह का मोह

  • रिश्तों का अंधा लगाव

क्यों?

  • मोह पाप की ओर ले जाता है।

  • मोह में दुख है, रूहानी प्यार में सुख है।

मुरली (8 अगस्त 2020):
“बच्चे, तुम्हारा किसी देहधारी से मोह नहीं होना चाहिए। देही-अभिमानी बनो।”


 5. समय और दिनचर्या में परहेज – “समय सबसे बड़ी पूंजी है”

क्या नहीं करना?

  • आलस्य

  • लेट उठना

  • समय का अपव्यय

क्यों?

  • संगम युग का हर सेकंड अमूल्य है।

  • परमात्मा स्वयं ज्ञान दे रहे हैं — ये अवसर पुनः नहीं मिलेगा।

 मुरली (1 जनवरी 2023):
“बच्चे, समय बड़ी पूंजी है। एक सेकंड भी व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।”


  परहेज नहीं, यह है परमात्मा की मर्यादा

  • परहेज आत्मा को पवित्रता की ऊँचाई पर ले जाने की सीढ़ी है।

  • यह किसी मजबूरी से नहीं, परम उद्देश्य से अपनाया जाता है।

  • यह हमें बाप समान बनने में मदद करता है।

  • यह जीवन को तपस्वी, दिव्य और प्रभावशाली बनाता है।


 समापन

“इस संगमयुग पर परमात्मा ने जो ज्ञान दिया है, उसमें हर मर्यादा, हर परहेज — हमें सत्य स्वरूप की ओर ले जाने वाला है। इस ज्ञान को जीवन में उतारें, और स्वंय को परमात्मा का सच्चा बच्चा बनाएं।”

ब्रह्मा कुमारीज़ में परहेज का रहस्य – आत्मा की शुद्धता का राज़ | Murli ज्ञान पर आधारित गहन चर्चा


 ओम शांति। आज हम एक बहुत ही गहन और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे हैं — ‘परहेज’। आज की मुरली में परमात्मा शिव बाबा ने स्पष्ट किया कि ब्रह्मा कुमार-कुमारियों के जीवन में परहेज किसलिए ज़रूरी है और किस बात का करना है। आइए प्रश्नोत्तरी के माध्यम से इस दिव्य ज्ञान को और स्पष्ट करें।


❓ प्रश्न 1: ब्रह्मा कुमारीज़ में ‘परहेज’ का असली अर्थ क्या है?

✅ उत्तर:परहेज का मतलब केवल खान-पान से नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धता और श्रेष्ठता की रक्षा करना है। यह हमारी सोच, बोल, संबंध और दिनचर्या तक फैला हुआ है। बाबा कहते हैं — “बच्चे, फूल बनो, कांटे नहीं।” यानी हमारी हर क्रिया से सुगंध निकले, चोट नहीं।


❓ प्रश्न 2: आहार में कौन-कौन सी चीज़ों से परहेज करना ज़रूरी है?

✅ उत्तर:बाबा के अनुसार, प्याज, लहसुन, मांस, अंडा, शराब, चाय और कॉफी — ये सभी पदार्थ आत्मा की तरंगों को भारी बनाते हैं और विकारों को बढ़ावा देते हैं। इसलिए इनसे परहेज आत्मा की उन्नति के लिए आवश्यक है।


❓ प्रश्न 3: आहार आत्मा को कैसे प्रभावित करता है?

✅ उत्तर:जैसा अन्न, वैसा मन।” जो भी हम खाते हैं, वह केवल शरीर नहीं बल्कि आत्मा की भावना को भी प्रभावित करता है। उत्तेजक पदार्थ मन को चंचल और कमजोर बनाते हैं, जिससे योग की स्थिति गिरती है।


❓ प्रश्न 4: वाणी में परहेज क्यों आवश्यक है?

✅ उत्तर:वाणी आत्मा की स्थिति को प्रकट करती है। झूठ, निंदा, शिकायत, कटाक्ष जैसी बातें आत्मा की पवित्रता को नष्ट करती हैं। बाबा कहते हैं — “मीठे बच्चे, वाणी फूल जैसी होनी चाहिए।” यानी हमारी बोली से दूसरों को सुख मिले, प्रेरणा मिले।


❓ प्रश्न 5: कौन-से शब्दों या बोलचाल की आदतों से परहेज करना चाहिए?

✅ उत्तर:झूठ बोलना, किसी की निंदा करना, गॉसिप करना, शिकायतें करना, ताने मारना — ये सभी वाणी में अशुद्धता के संकेत हैं। इनसे आत्मिक ऊर्जा गिरती है और संबंधों में कड़वाहट आती है।


❓ प्रश्न 6: ब्रह्मा कुमारीज़ में ‘संपर्क-संबंध’ में परहेज का क्या अर्थ है?

✅ उत्तर:यह देह के मोह और रिश्तों में अंधे लगाव से दूरी बनाना है। बाबा कहते हैं — “बच्चे, देही-अभिमानी बनो।” मोह पाप की ओर ले जाता है, जबकि रूहानी प्यार आत्मा को शक्ति देता है।


❓ प्रश्न 7: मोह और रूहानी प्यार में क्या फर्क है?

✅ उत्तर:मोह सीमित देह और संबंधों से जुड़ा होता है, जिससे दुख और अपेक्षाएँ जन्म लेती हैं। रूहानी प्यार आत्मा से आत्मा का संबंध है, जो शांति, शक्ति और सच्चे सहयोग का स्रोत बनता है।


❓ प्रश्न 8: समय और दिनचर्या में परहेज कैसे करें?

✅ उत्तर:बाबा ने स्पष्ट कहा — “समय सबसे बड़ी पूंजी है।” आलस्य, लेट उठना, समय की बर्बादी — ये सभी आत्मा को कमजोर करते हैं। संगमयुग का हर सेकंड अनमोल है, क्योंकि स्वयं परमात्मा ज्ञान सिखा रहे हैं।


❓ प्रश्न 9: क्या परहेज एक मजबूरी है?

✅ उत्तर:नहीं, परहेज कोई मजबूरी नहीं है। यह परमात्मा द्वारा दिखाया गया वह मार्ग है, जो आत्मा को शुद्धता, दिव्यता और तपस्विता की ऊँचाई तक ले जाता है। यह बाप समान बनने की तैयारी है।


❓ प्रश्न 10: परहेज को जीवन में अपनाने से क्या लाभ होता है?

✅ उत्तर:परहेज से आत्मा का बल बढ़ता है, संकल्प शक्तिशाली बनते हैं, संबंध सुधारते हैं और योग सहज होता है। जीवन में प्रभावशीलता, सौम्यता और तपस्विता आ जाती है। यही सच्चा रूहानी सौंदर्य है।

समापन संदेश:

“परहेज वास्तव में परमात्मा की मर्यादा है — जो हमें कांटे से फूल बनाने वाला है। संगमयुग का हर नियम, हर मर्यादा आत्मा की शुद्धता और सच्चाई के लिए है। इसे अपनाकर हम स्वयं को सच्चा रूहानी रत्न बना सकते हैं।”

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