(25) अनादिता’ गीता: परमात्मा शिव का अविनाशी ज्ञान
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“गीता का अनादि ज्ञान: परमात्मा शिव द्वारा पुनः प्रकट रहस्य |
ओम शांति।
यह वीडियो “ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय” की शिक्षाओं एवं मुरली ज्ञान पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी भी धर्म, ग्रंथ, या मत को हीन दिखाना नहीं है,
बल्कि यह स्पष्ट करना है कि परमात्मा का ज्ञान कैसे अनादि, अविनाशी और संगमयुग में पुनः प्रकट होता है।
1. ‘अनादिता’ – गीता ज्ञान क्यों कहलाता है अविनाशी?
बाइबिल, कुरान, त्रिपिटक – सभी ग्रंथ अपने संस्थापकों के आने के बाद लिखे गए।
परंतु गीता का ज्ञान परमात्मा शिव द्वारा संगमयुग में पहले से प्रकट किया जाता है।
यह ज्ञान कभी नया नहीं होता – यह चक्र के अनुसार हर कल्प दोहराया जाता है।
Murli (12 जून 2025):
“बच्चे, यह ज्ञान अनादि है – मैं कल्प-कल्प के संगमयुग में आता हूँ, और यही ज्ञान सुनाता हूँ।”
उदाहरण:
सूर्य हर दिन नया नहीं होता, वह अनादि है –
उसी तरह गीता का ज्ञान भी हर कल्प संगम पर दोहराया जाता है।
2. धर्म-ग्रंथों का जन्म और गीता का अंतर
ईसाई, इस्लाम, बौद्ध आदि धर्मों के ग्रंथ उनके संस्थापकों के बाद बनाए गए।
जबकि गीता द्वापर युग में व्यास द्वारा संकलित होती है,
जो संगमयुग के मूल ज्ञान का विकृत रूप है।
Murli (19 जून 2025):
“बच्चे, दूसरे धर्मों के ग्रंथ समय अनुसार बनते हैं – परंतु गीता में मेरे महावाक्य पहले से ही लिखे मिलते हैं।”
उदाहरण:
जैसे किसी राजा का मूल आदेश राजकीय रूप में सहेज लिया जाता है,
वैसे ही गीता परमात्मा के मूल ज्ञान का ग्रंथ स्वरूप है।
3. गीता – एकमात्र अविनाशी धर्म ग्रंथ क्यों?
परमात्मा शिव ब्रह्मा तन में प्रवेश कर संगमयुग पर ज्ञान अमृत बरसाते हैं।
यही ज्ञान द्वापर में व्यास द्वारा गीता रूप में संकलित होता है।
Murli (5 जुलाई 2025):
“मैं जो ज्ञान देता हूँ, वही द्वापर युग में गीता के रूप में संकलित होता है – परंतु उसका स्वरूप बदल जाता है।”
उदाहरण:
जैसे पानी को किसी भी बर्तन में डालो, उसका स्रोत वही रहता है –
वैसे ही गीता का ज्ञान मूलतः परमात्मा शिव का ही होता है।
4. भारत – ज्ञान की अविनाशी भूमि
अनेक प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, भारत भूमि बची रहती है।
यही वह भूमि है जहाँ परमात्मा स्वयं अवतरित होकर ज्ञान देते हैं।
Murli (7 जुलाई 2025):
“यह भारत ही है जहाँ मैं आकर ज्ञान देता हूँ – यह मेरी अविनाशी जन्मभूमि है।”
उदाहरण:
समुद्र में स्थित एक ऊँची चट्टान, लहरों से अडिग रहती है –
भारत भूमि भी उसी तरह ज्ञान की अक्षुण्ण धरोहर है।
5. गीता – आत्मा और परमात्मा का संवाद, न कि युद्ध कथा
आज गीता को महाभारत युद्ध से जोड़ा गया है,
जबकि वास्तव में यह आत्मा और परमात्मा का शांति संवाद है।
Murli (11 जून 2025):
“गीता का ज्ञान मैं आत्माओं को सुनाता हूँ – न कि किसी युद्ध भूमि में। यह ज्ञान शांति और योग का पाठ है।”
उदाहरण:
जैसे प्रेम पत्र को कोई युद्ध आदेश समझ ले –
तो अर्थ ही विकृत हो जाता है। यही गीता के साथ हुआ।
6. गीता – अनादि और सार्वकालिक सत्य
गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसका ज्ञान हर कल्प में दोहराया जाता है।
इसका उद्देश्य केवल किसी एक धर्म नहीं, संपूर्ण आत्माओं के उद्धार के लिए है।
Murli (4 जुलाई 2025):
“मैं जब आता हूँ, तो सारे विश्व का कल्याण करता हूँ – यह मेरा ज्ञान अनादि है, जिसकी स्मृति ही गीता है।”
उदाहरण:
जैसे हर ऋतु में बीज पुनः बोया जाता है –
वैसे ही संगमयुग पर परमात्मा ज्ञान का बीज हर कल्प में फिर से बोते हैं।
प्रश्न 1: इस वीडियो का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस वीडियो का उद्देश्य किसी भी धर्म, ग्रंथ या मत को हीन दिखाना नहीं है,
बल्कि यह स्पष्ट करना है कि परमात्मा शिव का ज्ञान अनादि, अविनाशी है और संगमयुग में पुनः प्रकट होता है।
1. ‘अनादिता’ – गीता ज्ञान क्यों कहलाता है अविनाशी?
प्रश्न 2: गीता का ज्ञान ‘अनादि’ और ‘अविनाशी’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि यह ज्ञान हर कल्प के संगमयुग पर स्वयं परमात्मा शिव द्वारा सुनाया जाता है।
यह ज्ञान कभी नया नहीं होता, बल्कि चक्र के अनुसार दोहराया जाता है।
प्रश्न 3: क्या अन्य धर्म-ग्रंथ भी अनादि माने जाते हैं?
उत्तर:
नहीं, बाइबिल, कुरान, त्रिपिटक आदि ग्रंथ उनके प्रवक्ताओं के आने के बाद लिखे गए,
जबकि गीता का ज्ञान परमात्मा द्वारा पहले से प्रकट किया जाता है।
Murli (12 जून 2025):
“यह ज्ञान अनादि है – मैं कल्प-कल्प के संगमयुग में आता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे सूर्य हर दिन नया नहीं होता –
उसी प्रकार गीता ज्ञान भी चिरकालिक और पुनः प्रकट होता है।
2. धर्म-ग्रंथों का जन्म और गीता का अंतर
प्रश्न 4: गीता अन्य धर्म-ग्रंथों से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
अन्य धर्मों के ग्रंथ समय अनुसार उनके संस्थापकों के बाद बनाए गए।
पर गीता संगमयुग के परमात्मा ज्ञान का द्वापर में व्यास द्वारा संकलित विकृत रूप है।
Murli (19 जून 2025):
“दूसरे धर्मों के ग्रंथ समय अनुसार बनते हैं –
परंतु गीता में मेरे महावाक्य पहले से ही लिखे मिलते हैं।”
उदाहरण:
जैसे किसी राजा का आदेश सहेज लिया जाता है –
वैसे ही परमात्मा के महावाक्य गीता में सुरक्षित रहते हैं।
3. गीता – एकमात्र अविनाशी धर्म ग्रंथ क्यों?
प्रश्न 5: गीता को अविनाशी ग्रंथ क्यों माना जाता है?
उत्तर:
क्योंकि यह परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा तन में प्रवेश कर दिया गया ज्ञान है,
जो द्वापर में गीता के रूप में रूपांतरित हुआ।
Murli (5 जुलाई 2025):
“मैं जो ज्ञान देता हूँ, वही गीता में संकलित होता है –
पर उसका स्वरूप बदल जाता है।”
उदाहरण:
जैसे पानी किसी भी बर्तन में डालो – स्रोत वही रहता है।
वैसे ही गीता का स्रोत परमात्मा है।
4. भारत – ज्ञान की अविनाशी भूमि
प्रश्न 6: भारत को ‘ज्ञान की अविनाशी भूमि’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि यह वही भूमि है जहाँ परमात्मा स्वयं अवतरित होते हैं और ज्ञान प्रदान करते हैं।
प्राकृतिक विनाश में भी यह भूमि बची रहती है।
Murli (7 जुलाई 2025):
“भारत ही मेरी अविनाशी जन्मभूमि है।”
उदाहरण:
समुद्र की ऊँची चट्टान की तरह –
भारत ज्ञान की चट्टान बनकर अडिग रहती है।
5. गीता – आत्मा और परमात्मा का संवाद, न कि युद्ध कथा
प्रश्न 7: क्या गीता महाभारत युद्ध का संवाद है?
उत्तर:
नहीं, गीता आत्मा और परमात्मा का आत्मिक संवाद है,
जो संगमयुग पर होता है – युद्ध भूमि में नहीं।
Murli (11 जून 2025):
“गीता का ज्ञान मैं आत्माओं को सुनाता हूँ –
यह ज्ञान शांति और योग का पाठ है।”
उदाहरण:
जैसे प्रेम पत्र को कोई युद्ध आदेश समझ ले –
तो उसका अर्थ ही बदल जाता है। यही गीता के साथ हुआ।
6. गीता – अनादि और सार्वकालिक सत्य
प्रश्न 8: गीता का ज्ञान सार्वकालिक कैसे है?
उत्तर:
क्योंकि यह ज्ञान हर कल्प में संगमयुग पर परमात्मा द्वारा दिया जाता है।
यह केवल एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण आत्माओं के कल्याण के लिए है।
Murli (4 जुलाई 2025):
“मैं जब आता हूँ, तो सारे विश्व का कल्याण करता हूँ –
यह मेरा ज्ञान अनादि है, जिसकी स्मृति ही गीता है।”
उदाहरण:
जैसे बीज हर ऋतु के अंत में बोया जाता है –
वैसे ही यह ज्ञान हर कल्प में पुनः बोया जाता है।
डिस्क्लेमर:
यह वीडियो Brahma Kumaris संस्थान की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली ज्ञान पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी भी धर्म, संप्रदाय, ग्रंथ या मान्यता को हीन दिखाना नहीं है।
बल्कि इसका एकमात्र उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि परमात्मा शिव द्वारा दिया गया ज्ञान कैसे अनादि, अविनाशी और संगमयुग में पुनः प्रकट होता है।
हम सभी धर्मों और ग्रंथों का आदर करते हैं।
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